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प्यार की सिमा - 4

 

(पुनः पूर्णविराम प्राप्त करती एक प्रेम-गाथा)

Full length Hindi Natak

PART-4

[तीसरा दृश्य]

(प्रिया घर की सफाई कर रही है, तब वहाँ माँ आ जाती हैं |)

माँ: प्रिया ! एक बात कहूँ ?

प्रिया: हाँ, माँ ! इसमें क्या पूछना ?

माँ : प्रिया की मौत के बाद, राहुल पूरी तरह टूट गया था (प्रिया की तस्वीर पर नजर करते हुए कहा)| उसकी पत्नी की मृत्यु नहीं, बल्कि उसके प्रेम की मृत्यु हो गई थी | प्रिया के जाने के बाद राहुल का जीवन एकदम नीरस हो गया था |हम तो गाँव में रहते थे और राहुल को नौकरी के लिए यहाँ अकेला रहना पड़ता था | हमें रात-दिन उसकी ही चिंता रहती थी, इसलिए राहुल की मर्जी के बगैर उसकी दूसरी शादी करने का निर्णय लिया | पहले हमें यह निर्णय कुछ पेशोपेश भरा लगा, लेकिन अब यही निर्णय हमारे लिए उचित सिद्ध हुआ है |

सच में प्रिया ! तुमने राहुल के जीवन में प्रेम का संचार कर, राहुल को नया जीवन दिया है | अब चाहें हम राहुल से दूर भी रहे, तब भी हमें राहुल की कोई चिंता नहीं रहेगी, क्योंकि राहुल को अब तुम्हारे प्रेम की छाँह है | माता-पिता को और क्या चाहिए ? यही कि उनका बेटा खुश रहे ! सलामत रहे ! बस प्रिया, मेरे राहुल के ऊपर इसी प्रकार प्रेम बरसाते रहना |

(प्रिया का हाथ अपने हाथों में लेक्रर कहती हैं |)

(माँ का जवाब प्रिया आँख के इशारे से देती है )

माँ : मेरा राहुल, बहुत भावुक है | उसके गुस्से में भी प्रेम छिपा है | कभी नाराज रहता है और कभी गुस्सा करता है, लेकिन तुम उस पर क्रोधित न होना उसका गुस्सा तो एक क्षण का होता है, लेकिन प्रेम अपार होता है |

(पिताजी आते हैं |)

पिताजी : हाँ, बेटा प्रिया ! मैं भी राहुल पर ऊपर से गुस्सा करता हूँ, लेकिन मन में कुछ नहीं रखता हूँ | यदि उसकी भूल न हो. तब भी मेरा राहुल मेरे सामने ऊँची आवाज में नहीं बोलता है | हम राहुल से दूर तो रहते हैं, लेकिन मन हमेशा राहुल में ही अटका रहता है | हम पहले उसकी चिंता में ही घुलते रहते थे, लेकिन हम अब चिंता मुक्त बन गए हैं | प्रिया बेटे ! इसी प्रकार परिवार पर और राहुल पर प्रेम की छाँह बनाए रखना | (पिताजी नम आँखों के साथ बोले)

प्रिया : हाँ, माँ-पिताजी ! लेकिन माँ-पिताजी कुछ दिन रुक जाइए न ? आप हमारे साथ हैं, तो हमें बड़ों की कमी महसूस नहीं होती है | हमें लगता है कि हम पर माता-पिता का आशीर्वाद है |

पिताजी: बेटे, वह तो रहनेवाला ही है ! लेकिन गाँव जाना भी जरूरी है |

माँ : हाँ बेटे ! रहने की तो हमारी भी बहुत इच्छा होती है और फिर गोद भराई रस्म में भी कहाँ देर है? ? तब तो वापिस आना ही है ! लेकिन गाँव में भी हमें बहुत ध्यान रखना पड़ता है | वहाँ यदि हम अभी नहीं गए तो खड़ी फसल का नुक्सान हो जाएगा और जो लोग उस पर निर्भर हैं, उनका भी नुकसान होगा और पिताजी के बगैर वहाँ किसी को कुछ सूझता भी नहीं है, साथ ही ढोर-ढंकर पर भी ध्यान रखना पड़ता है न ? लेकिन तुम चिंता न करो, हम यह सब काम किसी को सौंप कर तुम्हारे पास आ जाएँगे न ? ठीक है ? बस, तुम अपनी सेहत का ध्यान रखना !

प्रिया: हाँ जरूर, माँ !

(शांति आंटी आती हैं |)

माँ : हँसी- मजाक में दिन कैसे जल्दी-जल्दी गुजर गए कि कुछ मालूम ही नहीं पड़ा ! लेकिन अब तो जाना ही पड़ेगा | देखो, शांति... प्रिया की जवाबदारी तुम्हें सौंप कर जा रही हूँ, ठीक है न ?

शांति आंटी : हाँ, मैं जरूर ध्यान रखूँगी |

(राहुल कमरे से माँ-पिताजी का सामान लाकर दरवाजे के पास रख देता है |)

राहुल : माँ ! बस का टाईम हो रहा है और बाहर टैक्सी आपकी राह देख रही है |

पिताजी : एक ओर प्रिया हमें रोकने के लिए कितनी बेचैन है और दूसरी ओर तुम हमें जल्दी घर से निकालने की कोशिश में लगे हो |

राहुल: नहीं पिताजी ! ऐसा नहीं है ! वह तो बस का टाईम !

पिताजी : चलो अब रहने दो ! चलो प्रिया बेटे, हम अब निकलते हैं ! तुम तुम्हारे बच्चे का और हमारे छोटे राहुल का ध्यान रखना | (राहुल की ओर इशारा करते हैं |)

(प्रिया आँखों के इशारे से हाँ व्यक्त करती है |)

(माँ-पिताजी निकलते हैं और राहुल उनके बाद सामान लेकर जाता है |)

शांति आंटी : चलो प्रिया, मैं भी निकलती हूँ, कोई काम हो तो मुझे बताना |

प्रिया: हाँ जरूर आंटी !

(आंटी भी निकाल जाती हैं | आंटी के जाने के बाद राहुल गुस्से में आता है और सीधे प्रिया के कमरे में जाता है और प्रिया का सामान लेकर आता है |)

राहुल: यह रहा तुम्हारा सामान ! तुम भी जा सकती हो |

प्रिया : हाँ राहुल, जरूर चली जाऊँगी ! लेकिन एक बार मुझे मेरी बात, मेरी सच्चाई कहने का मौका तो दो ?

राहुल : कौनसी बात और कौनसी सच्चाई ? यही न कि तुम्हारे पति की मृत्यु हो गई है या फिर यह कि तुमने 5 दिन के लिए मेरे प्रेम और मेरी स्वर्गवासी पत्नी की आत्मा के साथ खिलवाड़ किया ? या फिर यह बच्चा मेरा है ? बोलो है कोई जावाब ?

प्रिया: हाँ राहुल, जवाब है, मुझे एक मौका तो दो ? (नम आँखों से कहा)

राहुल : नहीं बिल्कुल नहीं ! क्योंकि तुमने पहले ही कह दिया था कि तुम्हें सबको उल्लू बनाने में बहुत मजा आता है | तुमने पहले मुझ से.... फिर मेरे माँ-पिताजी से भी झूट बोला | तुम चलते-फिरते मनघडंत कहानी बना कर सामनेवाले को धोखा दे देती हो, अतः मैं तुम्हारी कोई बात मानने के लिए तैयार नहीं हूँ |

प्रिया : ठीक है राहुल ? मैं तुम्हारे इस घर और तुम्हारे जीवन से हमेशा के लिए चली जाऊँगी, लेकिन तुम मुझे आज के दिन रहने की मंजूरी दो, क्योंकि शांति आंटी मुझसे मिलने के लिए आनेवाली है और माँ के निर्देश के अनुसार इस समय मुझे क्या ध्यान रखना है, इस बारे में वे बताएँगी और यदि मैं इस समय यहाँ से चली गई तो वे तुमसे सवाल पूछेंगी |

(राहुल कुछ सोचता है |)

राहुल: ठीक है | कल की सुबह इस घर में, तुम्हारी अंतिम सुबह होगी|0

(प्रिया को चेतावनी देकर राहुल अपने कमरे में चला जाता है |)

[अँधेरा]

[अंतिम दृश्य]

(प्रिया सजल नेत्रों से घर के हर कोने पर नजर डालती हुई अपने कमरे में से उसका सामान लेकर आ रही है | राहुल उसकी विपरीत दिशा में खड़ा है, मानो वह प्रिया को देखना ही नहीं चाहता है ! प्रिया धीमे-धीमे राहुल की ओर आशा-भरी नजरों से निहारती हुई जा रही है | मानो इस आशा से वह राहुल का दिल पिघलाने की कोशिश कर रही हो ! लेकिन प्रिया से राहुल तो इतना नाराज था कि वह उसकी ओर देखता भी नहीं है | अंत में प्रिया अपने दिल की व्यथा को सुनाने की आखिरी कोशिश करती है |)

 

प्रिया : राहुल, मैं तुम्हारे जीवन में से हमेशा के लिए जा रही हूँ और मुझे मालूम नहीं कि अब इसके बाद मिलना होगा या नहीं ! राहुल, लेकिन मरते हुए व्यक्ति की भी उसकी अंतिम इच्छा पूरी की जाती है | तुम मुझे एक मौका भी नहीं दोगे ? आप चाहे मुझे स्वार्थी कहें या फिर विश्वासघाती, लेकिन मेरी हकीकत बताने का मौका नहीं दोगे ?

राहुल: अब कोई मौका नहीं मिलेगा, आप जा सकती हैं |

प्रिया : लेकिन मेरे जाने के बाद माँ-पिताजी को मेरे जाने के बाद मेरे संबंध में क्या कहोगे ?

राहुल : क्या कहोगे ? मैं तुम्हारे जैसा झूठा नहीं हूँ ! मैं उन्हें सब हकीकत बता दूँगा | फिर जो होगा वह देखा जाएगा ! उन्हें भी तुम्हारे बारे में सच मालूम होना चाहिए कि उन्होंने जिस पर इतना विश्वास किया है, वह कितनी फरेबी और मतलबी है |

प्रिया: लेकिन राहुल ? पिताजी की सेहत के बारे में तो विचार करो !

राहुल: इस बारे में मैं विचार कर लूँगा ! तुम अब जा सकती हो |

प्रिया: राहुल, प्लीज, मुझे माफ कर दो !

(रोके हुए आँसुओं के बाँध को तोड़ती हुई प्रिया ने राहुल से अंतिम बार माफी मांगते हुए अनुरोध किया |) (राहुल कुछ जवाब नहीं देता है | प्रिया की अंतिम प्रार्थना को भी वह ठुकरा देता है और धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए दरवाजे की ओर जाता है |)

राहुल: प्रिया ..!

(राहुल के मुँह से प्रिया का नाम सुनते ही प्रिया की मुरझाई हुई उम्मीद पुनः जीवंत बन जाती है और आँसू पोंछते हुए वह राहुल की ओर आस लगाए, देखती है |)

राहुल : प्रिया ! मेज पर रेडिओ के पास एक कवर रखा है और उस कवर में कुछ रूपए हैं| वे रुपिए तुम्हें और तुम्हारे बच्चे के काम आएँगे !

(प्रिया की उम्मीदों पर फिर पानी फिर जाता है | प्रिया मेज के करीब जाती है और रेडिओ चालू कर राहुल की ओर भीनी आँखों से नजर घुमाती हुई कमरे में से बाहर निकल जाती है |)

रेडिओ की आवाज :

आर. जे. : आपका इस प्रोग्राम में स्वागत है, जिसका नाम है, ‘डायरेक्ट दिल तक’, तो आज हमारे साथ कौन है, जो अपना संदेश दूसरे को भेजना चाहते हैं ?

(प्रिया के जाने के बाद राहुल अपने कमरे की ओर आगे बढ़ता है |)

आर. जे. : आपका नाम ?

सामने से : मेरा नाम है, प्रिया’

(जोरदार संगीत)

(आगे बढ़ते हुए राहुल के कदम रुक जाते हैं |)

आर. जे. : हाँ, प्रिया ! आप अपना संदेश किसी भेजना चाहती हैं ?

प्रिया: मेरे प्रिय पति को |

आर. जे. : क्यों ? क्या वे आपके साथ नहीं हैं ? मतलब वे कहीं और गए हैं ?

प्रिया : नहीं ! वे मेरे साथ ही हैं, लेकिन वे मेरी बात सुनना नहीं चाहते हैं. अतः मैं मेरी बात इस प्रोग्राम के संदेश के द्वारा भेजना चाहती हूँ |

आर. जे. : हाँ, तो यह प्रोग्राम यही कार्य करता है | क्या मैं कारण जान सकता हूँ कि आपके पति आपकी बात क्यों सुनना नहीं चाहते हैं ? क्या हुआ था ?

(राहुल रेडिओ की ओर देखता है |)

प्रिया : मैंने मेरे भगवान जैसे पति को धोखा दिया है और मैं उनसे माफी माँगने के लिए आई हूँ |

(फिर जोरदार संगीत )

आर. जे. : ओह

राहुल: यह तो प्रिया की आवाज है !

(राहुल प्रिया की आवाज को पहचानकर और बात को सुनने की उत्सुकता को ध्यान में रखते हुए रेडिओ की ओर आगे बढ़ता है |)

प्रिया : शादी के पहले मैं एक युवक के प्रेम में थी और हम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे, लेकिन मेरे घरवाले इस शादी के लिए राजी नहीं थे, इसलिए हमने घरवालों की मंजूरी की परवाह किए बगैर कोर्ट-मैरेज करने का निर्णय लिया, लेकिन कोर्ट-मैरेज में एक रुकावट आ गई | मेरी उम्र 18 वर्ष से कम थी | तब 18 वर्ष में 6 महीने कम थे | उस दौरान मेरे मम्मी-पापा ने मेरी मर्जी के खिलाफ मेरी शादी राहुल के साथ कर दी | उस वक्त 18 वर्ष पूरे होने में मात्र 7 दिन ही शेष थे | मुझे मात्र 7 दिन ही गुजारने थे, इसलिए मैंने मेरे पति को पहली रात्रि में ही एक झूठी कहानी कह दी कि यह मेरी दूसरी शादी है और मेरे पति की मृत्यु हो गई है और मैं अब किसी को प्रेम नहीं करूँगी | मेरे भोले पति ने मुझसे बगैर कोई उल्टे-सीधे सवाल पूछे मेरी बात को मान लिया और हम दोनों अलग-अलग कमरों में रहने लगे | उन 7 दिनों में राहुल मुझ पर किसी प्रकार का शक न करे, इसलिए मैं उन्हें उनके मनपसंद व्यजंन बना-बना कर खिलाती रही | इन व्यंजनों के बनाने में भी मैंने धोका दिया था, ये सब व्यंजन मैं उनकी स्वर्गवासी पत्नी की डायरी को पढ़कर बनाती थी | फिर इस प्रकार दोनों के बीच हँसी-मजाक होने लगी और भावनाओं के आदान-प्रदान में राहुल मेरे प्रेम में पड़े | दूसरी ओर 7 दिन भी बीत गए | फिर मैं राहुल के प्रेम पर विचार किए बगैर पुनः उन्हें अकेला छोड़ कर चली गई |

आर. जे. : अरे, यह तो आपने बहुत गलत किया ?

(राहुल की आँखों में आँसू चमक रहे थे, बस उनके बह निकलने की ही देर थी |)

प्रिया: हाँ ! मैंने जो धोखा दिया है, उसका प्रायश्चित भी मैं करूँगी |

आर. जे. : फिर क्या हुआ ?

प्रिया : मैं अब 18 वर्ष की हो गई थी | अब मुझे मेरे जीवन-साथी के चयन के लिए कोई रोक नहीं सकेगा | मैं पागल होकर मेरे प्रेमी से मिलने गई, लेकिन मेरा प्रेमी नहीं आया | मुझे चिंता हुई और तब मन में कई विचार घूमने लगे | उससे संपर्क करने के लिए मैंने कितने ही फोन किए, लेकिन जवाब स्विच ऑफ ही आता था| सुबह से शाम तक मेरे पैर चाहे थक जाते हों, लेकिन उसकी राह देखते मेरी आँखें नहीं थकीं और अंत में उसका फोन आया | उसने कहा कि वह एक लड़की के साथ फारेन जा रहा है और वहाँ वे शादी कर लेंगे | वह उस लड़की के साथ शादी कर लेगा, तो उसका अमीर बनने का सपना साकार हो जाएगा | मेरा दिल तोड़कर वह अपने सपने सँजोने के लिए निकल गया, ठीक उसी तरह जैसे कि मैं मेरे सपनों को चुनने के लिए राहुल का दिल तोड़कर निकल गई थी और उन्होंने वही वाक्य बोला, जो मैंने मेरे पति को लिखा था कि मुझे आशा है कि तुम मेरे प्रेम में अवरोध नहीं बनोगे ! सच ही कहा गया है कि जो गड्ढा खोदता है, वही उसमें गिरता है ! मेरे साथ भी वही हुआ, मैंने मेरे पति को धोखा दिया और मेरे प्रेमी ने मुझे धोखा दिया | मुझे पति व प्रेमी के बीच जो अंतर है, वह मालूम हो गया था | मैं मेरे प्रेम की लाश लेकर चुपचाप चुपचाप वहाँ से निकाल कर आ गई | इतनी बेबसी व लाचारी मैंने मेरे जीवन में कभी नहीं देखी थी |

मैं फिर राहुल के घर नहीं जा सकती थी, क्योंकि मेरे धोखे के बाद राहुल मेरा चेहरा तो क्या मेरा नाम भी लेना नहीं चाहता होगा | इसलिए मैं मेरे मम्मी-पापा के घर गई लेकिन उन्होंने भी मेरे साथ संबंध विच्छेद कर दिए | अब मैं अकेली हो गई थी | मेरे पास आश्रय के लिए कोई सहारा नहीं था | एक पुरुष यदि घर के बाहर रहे तो उसे कोई कुछ भी नहीं कहेगा, लेकिन यदि कोई स्त्री घर के बाहर रहे तो उस पर लाखों सवालों के अंगारे बरसते हैं | मेरे साथ भी वही हुआ | मुझे कहीं आश्रय मिले, ऐसा कोई ठिकाना नहीं था | मैं आश्रय के लिए भटकती रही और दुनिया की हवस भरी आँखों से दूर भागती रही|

मैंने प्रायवेट कंपनी में नौकरी की, जहाँ मेरे भूतकाल के किस्सों के बारे में कोई जानता नहीं था | इस तरह 6 माह बीत गए | इन छह महीनों में मुझे मेरे पति की याद सतत आती रही |

राहुल चाहते तो कानूनी कदम उठा सकते थे, क्योंकि हमारा तलाक अब तक हुआ नहीं है | राहुल चाहते तो मुझे और मेरे खानदान को समाज में बदनाम कर सकते थे !वे चाहते तो मेरे झूठे प्रेम की धज्जियाँ उड़ा देते ! लेकिन उन्होंने इनमें से कोई कदम नहीं उठाया | ऐसे पति को कौन खोना चाहेगी ? उनके साथ इन्द्रधनुष के सात रंगों जैसे बिताए सात दिन याद आ गए | वह हँसी-मजाक, वे रेडिओ के गीत और उनकी सच्चाई से भरे एक-एक क्षण याद आए और मैंने राहुल के पास जाकर उनसे माफी माँगने की हिम्मत इकट्ठी की, क्योंकि मैं भी अब उनसे प्रेम करने लग गई थी | मुझे राहुल के घर व दिल में जगह चाहिए थी | लेकिन राहुल के पास जाऊँ किस तरह ? किस मुँह से जाऊँ ? मैं जिस तरह राहुल को छोड़कर गई थी, उस तरह तो राहुल मेरा चेहरा भी नहीं देखना चाहेगा ? लेकिन मुझे राहुल से माफी मांगनी थी और राहुल के चरणों में झुककर कहना था कि हाँ राहुल मुझे तुम्हारे साथ फिर प्रेम हो गया है |

(राहुल की आँखों से बहने को आतुर आँसुओं ने अपना धैर्य खो दिया और आँसुओं की तेज धारा बहने लगी |)

प्रिया : मुझे मालूम था कि राहुल अब मुझे पुनः नहीं अपनाएंगे, लेकिन मुझे राहुल का दिल भी जीतना था, इसलिए मैंने प्रेग्नेंट होने का नाटक किया |

(जोरदार बेकग्राउंड म्यूजिक बजता है |)

राहुल: प्रेग्नेंट होने का नाटक ??

प्रिया : राहुल के माता-पिता की मौजूदगी में घर में प्रवेश किया | राहुल ने उनके माता-पिता के मान-सम्मान की खातिर मुझसे बगैर कुछ बोले अपने घर में जगह दे दी | मेरे धोखे व विश्वासघात को प्रेम में तब्दील करने का मेरे पास आज मौका था, लेकिन राहुल नहीं माने | राहुल के पैर पकड़कर मैं गिड़गिड़ाई, लेकिन राहुल नहीं माने और मुझे हकीकत बयान करने का मौका ही नहीं दिया | अंत में मुझे मेरे सच्चाई व प्रेम को साबित करने के लिए रेडिओ का सहारा लेना पड़ा |

आर. जे. : ओह ग्रेट ! यह तो जबरदस्त कहा जाएगा| ऐसी लव स्टोरी तो हमने कभी सुनी ही नहीं | प्रिया की बात पर से लगता है कि प्रिया को राहुल से एक मौका और मिलना चाहिए और अब मानना चाहिए कि प्रिया फिर धोखा देने के लिए नहीं, बल्कि प्रेम करने के लिए आई है | प्रिया हम तुम्हारे साथ ही हैं, आप हामारे प्रोग्राम के मार्फ़त आपका संदेश पहुँचा सकती हैं |

प्रिया : राहुल ! मुझे माफ़ करना ! आपके घर में प्रवेश करने के लिए मैंने चाहे प्रेग्नंसी का नाटक किया हो, लेकिन यह सच मानी कि मेरे पास दूसरा कोई विकल्प था ही नहीं | आपके घर में आने का रास्ता गलत था, लेकिन मेरा प्रेम गलत नहीं था | राहुल. तुम कहते थे न कि तुम्हारा शौक अकेले का शौक है, लेकिन राहुल... वह शौक और वह सपना अब मेरे भी हो गए हैं | हाँ राहुल, मैं आऊँगी, तुम्हारे साथ बगैर डेस्टीनेशन की मुसाफिरी करने के लिए, जहाँ हमें रोकनेवाला कोई भी नहीं होगा ... मैं स्वयं भी नहीं ! समुद्र की लहरों से मैं तुम्हारे साथ फुटबॉल खेलूँगी, फिर चाहे उन लहरों के छींटे हम दोनों पर पड़ें ....

मैं चलूँगी हरी-हरी घास पर, तुम्हारे साथ हाथों में हाथ डालकर और रात्रि के अंधकार में जुगनुओं की रोशनी में रास्ता पार करूँगी |

मैं तैयार हूँ, तुम्हारे साथ झरमर बरसात में एकटक आकाश की ओर तब तक देखने के लिए, जब तक कि बरसात की बूंदों से हम दोनों के चेहरे पूरी तरह भीग न जाए, क्योंकि वह शौक और वह सपना अब मेरे भी हो गए हैं |

मैंने मेरी बात कह दी है और अब मेरी सच्चाई प्रमाणित करने का मेरे पास अन्य कोई दूसरा मार्ग नहीं है | राहुल, तुम चाहे अब मुझे सहारा न भी दो, लेकिन मेरा आखिरी सहारा भगवान है | मेरा प्रेम साबित करने के लिए यदि मेरा जीव जाए, तब भी मैं उसके लिए तैयार हूँ |

आर. जे. : नहीं नहीं ! प्रिया, ऐसा कोई कदम नहीं उठाना, जिससे राहुल को सारी जिंदगी अफ़सोस करना पड़े ! हेलो लिसनर्स, आपका क्या मानना है ? आप भी अपने मंतव्य दे सकते हैं ? राहुल को अब प्रिया को माफ़ कर देना चाहिए या नहीं ?

(दिल काँप जाए, वैसा बेकग्राउंड म्यूजिक बजता है |) (राहुल रेडिओ बंद करता है और आँसुओं की बरसती बरसात में वह वहीं निढाल होकर गिर पड़ता है |)

राहुल : ‘प्रि.......या (हृदय हिला दे, इस तरह वह चीखता है |) प्रिया, मुझे माफ कर दो, मैं तुम्हारे प्रेम को समझ नहीं सका |

(राहुल तेजी से दरवाजे की ओर दौड़ता है, वहाँ प्रिया के साथ आंटी आती हैं |)

आंटी : अच्छा हुआ कि प्रिया मेरे घर आई ... नहीं तो ... नहीं जानते कि वह क्या कर लेती ! राहुल, चाहे प्रिया ने तुझे धोखा दिया हो और तुम्हारा विश्वास तोड़ा हो, लेकिन प्रिया ने उसकी माफी भी दुनिया के समक्ष माँगी है न ! सबके समक्ष माफी माँगना आसान नहीं है, यह बताता है कि प्रिया तुमसे किस सीमा तक प्रेम करती होगी ! उसने चाहे तुम्हारा दिल तोड़ा, लेकिन उसने दिल जोड़ने का साहस भी तो किया है ! प्रिया उसका प्रेम साबित करने के लिए वह मौत को भी गले लगाने को तैयार थी | राहुल अब तो प्रिय को माफ़ कर दो !

राहुल : बस आंटी बस , मैं ही पागल था, जो प्रिया के प्रेम को नहीं समझ सका | पिछले कई दिनों से प्रिया मुझे समझाते हुए टूट गई, लेकिन मैंने उसकी बात नहीं सुनी | प्रिया मुझे माफ कर दो | प्रिया... अब तुम्हें किसी भी प्रकार की कोई सच्चाई साबित करने की जरूरत नहीं है और यदि मैं तुम्हारा प्रेम अब भी नहीं समझूँ, तो फिर मेरे जैसा अभागा इस दुनिया में कोई भी नहीं होगा ! मैंने भी तुम्हें एक बार कहा था न कि मैं अब पुनः प्रेम नहीं करूँगा, लेकिन मैं गलत था, मुझे तुम्हारे साथ पुनः प्रेम हो गया है |

(राहुल अपनी बाँहें फैलाकर प्रिया को व प्रिया के प्रेम को स्वीकार करता है और प्रिया आँसुओं की धारा के साथ राहुल की बाँहों में आ जाती है |)

राहुल: आई लव यू, प्रिया

प्रिया: आई लव यू तू, राहुल ....

(शांति आंटी भी खुशी के आँसुओं के साथ उनके प्रेम का स्वागत करती हैं | दोनों उनके स्नेह-मिलन के बाद अलग हो जाते हैं |)

प्रिया : लेकिन माँ-पिताजी को क्या कहेंगे ? मैंने तो कहा था कि मेरा सातवाँ महीना चल रहा है, अब क्या होगा ?

राहुल : हाँ, जब माँ-पिताजी थे, तब तेरा पेट उभरा हुआ था, जो अब नहीं है, तो क्या होगा ?

प्रिया: रुको ! आपने मेरे पेट की ओर देखा था ?

राहुल : यार, नजर तो पड़ ही जाती है ... यह सब छोड़ो, माँ-पिताजी को मालूम होगा तो क्या होगा ?

(अचानक प्रवेश-द्वार से माँ-पिताजी आते हैं |)

माँ: जो होगा, सो होगा, हमने सब सुन लिया है |

राहुल: माँ-पिताजी ? आप तो गाँव के लिए निकले थे न ?

पिताजी: हाँ, निकले तो थे, लेकिन प्रिया की बात सुनी, तो फिर लौट आए |

राहुल: आपने प्रिया की बात कब सुनी ?

पिताजी : चलो, रहने दो ! क्यों, रेडिओ तुम्हारे पास ही है ? मोबाईल में रेडिओ नहीं होता है ?

राहुल: ओह !

प्रिया : माँ-पिताजी, मुझे माफ़ कर दो ! मैंने आपके साथ भी प्रेग्नेंट होने का नाटक किया ?

माँ : प्रिया बेटे, कुछ नहीं, हम भी समझ सकते हैं ! यदि यह नाटक ही था, तो इसे बस अब तुम हकीकत बना देना !

(प्रिया ने शर्म की ओढ़नी ओढ़ ली है और राहुल व प्रिय माँ-पिताजी के आशीष लेते हैं |)

राहुल: पिताजी ! एक बात कहूँ ?

पिताजी: क्या ?

राहुल: एक बार रेडिओ चालू करूँ ?

पिताजी: न भाई न ! यार, खतरनाक गीत बजते हैं !

राहुल: नहीं .... आज नहीं बजेंगे |

पिताजी: चलो ठीक है ! देखें तो सही ?

(राहुल के अलावा सभी रेडिओ की ओर तिरछी नजर से देखते हैं |

राहुल रेडिओ चालू करता है |)

गीत बजता है:

फिर दिल धड़का... फिर प्रेम हुआ....

फिर मन महका... फिर प्रेम हुआ .....

(राहुल और प्रिया दोनों गीत गाते हुए एक दूसरे का हाथ पकड़कर झूमते हैं | माँ-पिताजी और शांति आंटी तालियाँ बजा कर दोनों पर रोम-रोम से प्रेम की आशीष बरसाते हैं |)

[पर्दा गिरता है]

(समाप्त)

Written by:

Sanjay Nayka

sanjay.naika@gmail.com