Begunaah gunehgaar - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

बेगुनाह गुनेहगार 1

सुहानी। एक प्यारी सी लड़की। जो अपने ख्यालो से इस दुनिया को देखती है, समझती है। जिसे संभव असंभव, मुमकिन नामुमकिन, मुश्किल आसान का फर्क समझ नही आता। जो करना चाहती है वो कर के ही रहती है। 

पापा की लाडली है। जो यह मानती है कि कोई हो न हो, उसके पापा हर मुुश्किल मेंं इसके साथ  रहैैंगे। पुूरी दुनिया से लड़ेंगे। 

पढ़ाई लीखाई , ड्रॉइंग, डांस, गायिकी,   एक्टिंग में हमेशा अव्वल है। सिर्फ इतना ही नही लोगो की मदद करने में भी आगे। लोगो के दर्द को अपना दर्द समझती है। 

पड़ोशी और दोस्तो को भी हेल्प करने में भी आगे। सभी दोस्तों की प्यारी है। लेकिन अपने दर्द किसी से नही कहती। न दोस्तो से न ही मम्मी पापा से। क्योंकि यह चाहती है हर मुश्किल से वो अपने आप लडे। 

एक दिन वो साईकिल से बाजार जाकर घर वापस लौट रही थी। रास्ते मे पडोश में रहने वाले दादीमाँ मिली। बहोत भारी सामान भरा हो ऐसी दोनो हटो में दो दो थैलिया लेकर घर आ रही थी। सुहानी ने उन्हें देखा और फैट से जाकर उस दादीमाँ के पास साइकिल खड़ी कर के बोली ," दादीमाँ, मैं मदद कर दू?" 

दादीमाँ अचानक आवाज सुनकर थोड़ी घबरा गई। और फिर जैसे जान में जान आई हो ऐसे खुश होकर बोली। " अच्छा हुआ तुम मिल गई। ये दो थैलिया ले जा। और मेरे घर के दरवाजे के पास रख देना। "

उनके चेहरे की खुशी देखकर सुहानी खुश खुशाल थी। दोनो थैलिया साइकिल पर लेकर दादीमाँ ने कहा उस तरह घर के पास रख दी। और जैसे करोड़ो रूपये की लॉटरी लगी हो उससे भी ज्यादा खुशी उसके चेहरे पर थी। 

घर आकर उसने भगवान का शुक्रिया करा। की खुदा ने सुहानी को किसीकी मदद के लिए चुना था। 

स्वभाव की तो बचपन से ही अच्छी थी। होती कैसे नही। स्कूल से जो सिखाया था। 

बहोत बड़े परिवार की बेटी थी। चार बड़े चाचा, तीन बुआ, तीन मासी और एक मामा।

सब अलग अलग रहते है। त्योहार पर मिलने आते फिर चले जाते।  मन में सबको प्रॉपर्टी की लालच सुहानी इन सब से अनजान है। उसे तो लालच का मतलब ही नही पता। इसके लिए सिर्फ एक ही लालच है दोस्ती का। दादाजी की मौत के बाद अब सुहानी के पास मम्मी पापा और छोटा भाई हैरी के सिवा कोई अपना न था।अभी भी परिवार तो बड़ा ही है। लेकिन सबको सिर्फ देख कर ही पहचानती। बाकी कुछ नही जानती। परिवार में आपस मे ही बहोत झगड़े थे। कोई भी किसीको नही बुलाता। दादा जी की मौत के बाद तो शादी व्याह में भी नही। अब सुहानी सिर्फ अपने सपनो में खोई रहती है। अपने सपनो को पूरा जरूर करेगी। 

अब सुहानी 10 वी में आई। पता चला उसकी एक बड़ी बहन भी है। जिसे उसके चाचा ने अडॉप्ट किया है। जिसका नाम इराही है। इराही का पढ़ाई में ध्यान नही है। और किसी लड़के के पीछे पागल हुई पड़ी है। ये जानकर सुहानी के पापा उसे घर ले आये। सुहानी पहली बार अपनी बहन से मिली। एक हफ्ता हो गया। दोनो बहने साथ रहने लगी और हैरी भी। अब क्या? अब तो इराही को वापस भी तो जाना है। तब पापा ने मना कर दिया। और सारी हकीकत बताई। गुस्से में। किसी लड़के के साथ घूमना , ऐसे लफड़े की वजह से इराही को बहोत मारा। सुहानी डर गई। सुहानी के दिमाग मे यह बात घर कर गई ये सब चीजें गलत है। कोई लड़की किसी लड़के के साथ रहे ये गलत है। बस सवाल था फिर लोग शादी क्यो करते है? वो भी तो अजनबी ही होते है। लेकिन यह दिन है कि सुहानी का अपने पापा पर से भरोसा टूटने लगा था। बहोत मारामारी हुई। 1 साल जैसे तैसे इराही अपने दोनों भाई बहनों के साथ रही। फिर वो किसी भी तरह वहाँ से भाग गई। इतने में चाचा जी यानी कि इराही के पापा की डेथ हो गई। 

इराही खुद को इन सब से दूर रखने लगी। उसे न तैयार होने का शोख है, न खाने पीने का। शोख है तो सिर्फ पढ़ाई का और घूमने का।

धीरे धीरे सुहानी ने बारवीं साइंस अच्छे नम्बरो से पास कर लिया। इन दिनों एक मासी के साथ सुलह हो गई। सुहानी आगे की पढ़ाई के लिए मासी के घर चली गई। सोचा इसी बहाने सब को एक कर देगी। घर मे आना जाना शुरू हो जाएगा। सारे परिवार  के लोग एक साथ रहने लगेंगे। मासी के घर गई तो पता चला कि दोनों भाई राकेश और शंकर की शादी हो गई है। और दोनो को एक एक बेटा भी है। सुहानी सब के साथ मिल झूल कर रहने लगी। 

क्या होता है आगे सुहानी के साथ? क्या सुहानी सबको एक कर पाएगी? या फिर इन गुनहगारों की दुनिया से लड़ते लड़ते खुद एक गुनेहगार बन जाएगी? देखते है अगले अंक में।