Wo ek faisla... Deepa ka books and stories free download online pdf in Hindi

वो एक फैसला... दीपा का

 दीपा को कहां पता था कि उसकी  जिंदगी में वो एक फैसला उसकी जिंदगी बदल देगा। क्या करती आखिर... हालातों  से भी तो लड़ना ही था। उसने सोच लिया था , जब लड़ना ही जिंदगी का नाम है,तो एक फैसला लेने में क्या बुराई है। याद है मुझे, उसने कहा था "जिन्दगी इतनी आसान कहां है, कुछ फैसले जिंदगी बदल देते हैं।" usne फिर क्या था... उसकी भी ज़िंदगी बदल गई। उसे मिल गया एक ऐसा रास्ता,जहां वो हंस  के मुस्कुराकर अपने फैसले पर गर्व कर सके।उसने सोचा " मैं भी लिखना शुरू करूंगी"। और आखिर मिल ही गया उसे  मातृभारती। अब वो लिखती है, मुस्कुराती है, फैसले लेती है। आज  लाखों लोग उसे पढ़ते हैं, सोचते हैं, और पढ़कर मुस्कुराते हैं।l सच कहते हैं " कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है, काम तो बस काम होता है। बस फर्क इतना होता है कि... काम करने का सबका अपना एक नजरिया होता है। लोग अपने सपने लिखते हैं, कहानी लिखते हैं, दीपा खुद को लिखती है। सचमुच अनोखी ही है वो,अपनी ही धुन में मगन रहती है। उसकी अपनी एक अलग दुनिया है " फ़ैसलों की दुनिया। लोग जहां सुबह उठकर चाय और कॉफी की चुस्कियां लेते हैं, वो फैसले लेती है। उसका दिन मुस्कुराहट के साथ ही शुरु होता है। आखिर वो भी तो एक इंसान है। और इंसान ही भगवान की वो कलाकृति है, जो अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकती है। कोई लिख कर करता है तो कोई बोलकर। फैसलों पर ही तो टिकी होती है आज की दुनिया। कोई दुनिया बदलने की सोचता है तो कोई खुद को लेकिन.. उसने तो लोगों को बदल दिया। क्यूंकि उसने लोगों की सोच पर प्रहार किया। कहीं न कहीं कुछ लोगों की जिंदगी बदल दी। वो हंसते खेलते सबकी जिंदगी में खुशियां ही तो बिखेरती है। एक दिन सोच में पड़ गई, पूछने पर बोली " फैसला लेने से पहले सोचो, लेने के बाद नहीं।"   हर फैसला सोच समझकर करो। उसके बाद खुद को इतना मजबूत बना लो कि उसे बदलने के लिए एक और फैसला लेना पड़े, लेकिन तुम्हारा फैसला गलत ना हो। यही तो जिंदगी है। कुछ कहानियां सिर्फ कल्पना नहीं होती, हमें हकीकत से रूबरू कराती हैं। कुछ फैसले हमारे लिए होते हैं तो कुछ हमारे अपनों के लिए, पर एक बात तो सच है फैसले जिंदगी बदल देते हैं। मातृभारती भी एक ऐसा मंच है जहां ना जाने कितने लोगों की जिंदगी बदल गई। उनमें से ही एक है.... दीपा। जिसने लोगों को बदल दिया, उनकी सोच को बदल दिया। मिल जाती है जब कभी इस शहर के रास्तों पर, मेरे ही शहर में रहती है। कितनी अलग है वो औरों से, मुझे गर्व है उस पर, उसके फैसलों पर, उसकी सोच पर। ओर वो कल्पना नहीं हकीकत है। उसके फैसलों को जैसे एक उड़ान मिल गई, कुछ ऐसे खुश रहती है वो।                                                     सबके सपनों को उड़ान देने के लिए धन्यवाद मातृभारती गण। मुझे बहुत खुशी हुई कि आपने नए लेखकों को यह मंच प्रदान किया। मैं पूरी कोशिश करूंगी कि इस मंच की उन्नति में अपना योगदान दे सकूं।  धन्यवाद।