Kab tak ? books and stories free download online pdf in Hindi

कब तक ?

कुछ सवाल ऐसे है जिनके उत्तर हम सब जानते है फिर भी अनजान बने रहते है |
जीवन-मृत्यु की सच्चाई से हम सब अच्छी तरह वाकिफ है, फिर भी ऐसे कर्म करते है जिनका कोई अर्थ नहीं होता है, जो लोग इस सच्चाई से वाकिफ नहीं हैं, मै उन लोगों को भूगोल का अध्ययन करने की सलाह दूँगी |जब मुझे जरुरत से ज्यादा अभिमान होने लगता है तो मै भूगोल का अध्ययन  करने लगती हूँ... मै कम्प्यूटर  की सहायता लेकर 3D map से अंतरिक्ष मे हो आती  हूँ... क्षण मे सारा अभिमान किनारे होने लगता है...तब मै सारे लड़ाई झगडे भूलने लगती हूँ...मै क्या हूँ ?हम क्या हैं ?का ज्ञान होने लगता है...|  हम सब जानते हैं पैसो से इंसान बड़ा नहीं होता है, फिर पता नहीं किस बात का घमंड लिए घूमते हैं |
बड़े-बड़े लोग अक्सर अपनी दो कौड़ी की औक़ात दिखा दिया करते है  |


कब तक ?

बड़े-बड़े लोगों की 
छोटी छोटी बातें 
मुझे समझ नहीं आती |
पैसे हुए तो क्या हुआ, 
लगता है आधे जेब मे ही लेकर जायेंगे |
अकेले ही रहेंगे, 
नोट देख कर जियेंगे, 
नोट देख मरेंगे |
नोट ही खाएंगे, नोट ही पिएंगे |
और नोटों का बिछोना कर के हमेशा के लिए सो जायेंगे |
अगर ऐसा सोचते हो तो भी बहुत बड़ी गलत फ़हमी मे हो |
रूपया किसी का सगा नहीं होता है |
लोगों को नोच-नोच खा जाता है |
भाई को भाई से लड़ा देता है |
जिस बेटे को पाल पोष कर बड़ा किया उसको बाप का दुश्मन बना देता है |
जिस माँ ने नौ महीने पेट मे रख कर जना हमें 
उस माँ को घर से निकलवा देता है |
जिस बहन को रक्षाबंदन पर रक्षा करने का वचन दिया हर बार, 
उस बहन को माता-पिता के ना होने पर घर से बाहर निकाल देने की बात कहलवा देता है |

जिनके पास रूपए नहीं वो क्या इंसान नहीं ?
क्या उनको खाने का हक नहीं ?
क्या उनको जीने का हक नहीं ?
क्या उनके बच्चे भूखे पेट सोने के लिए बने है ?
हम कब तक 'साइड मे हट' कह कर उनका अपमान करेंगे ?
हम कब तक इंसानियत को शर्मसार करेंगे ?
क्या हमारी इतनी भी औक़ात नहीं की एक इंसान  कहे की भूख लगी है खाना दे दो, तो उसकी भूख मिटा सके |
क्या हमारी इतनी भी औक़ात नहीं कि ठिठुरते हुए इंसान को ठण्ड से बचा सके |
क्या हमारी इतनी भी औक़ात नहीं कि किसी जरूरतमंद का  तन ढक सके |
क्या हमारी इतनी भी औक़ात नहीं कि हम मानवता को ज़िंदा रख सके |
तो तुम किस औक़ात की बात करते हो  ?पैसे की औक़ात |
ऐसी औक़ात तुम अपनी जेब मे रखो |
ऐसी औक़ात से मै बिना औक़ात की ही अच्छी हूँ |
ऐसे लोगों के मुँह पर कहती हूँ की हाँ मैरी कोई औकात नहीं हैं और मै बहुत  खुश हूँ|

आज धन है तो घमंड है |
कल चला गया तो उस परिस्थिति से तुम भी निकल सकते हो , जिसे हम गरीबी कहते है |
तब तुम्हें भी तो ऐसे ही दुत्कारा जाएगा जैसे अभी तुम करते हो  और तब तुमसे भी लोग कहेंगे... चल साइड मे हट |