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ख़ुमारी तुम्हारी

आपके साथ कभी ऐसा हुआ है, किसी को देख कर ही मन बेकाबू हो गया हो, ऐसा लगा हो इसमें कुछ तो खास है जो मुझे मोह रहा है , जाने क्या बात है इस सामने वाले में ,जो भरी भीड़ में भी निगाहें घुम फिर कर उसी पर अा टिकती है....

जिसे देखते ही अंदर से कुछ अलग सा महसूस होने लगा हो,

मन में अजीब सी घबराहट भरी गुदगुदी हो उठी हो ,

हरकतें वो नहीं रही जो आप आमतौर पर करते हो,

यदि हुआ हो तो कहने की जरूरत नहीं समझ लेना कि इश्क़ हुआ है, और अपने मोबाइल फोन में गाना लगाना , कैसे बताऊं तुम्हे मेरा पहला पहला प्यार है ये.....

और किसी पार्क में पाम के पेड़ के नीचे आंखे फाड़ कर अपलक हूंच्च जैसे बैठ जाना, देखना बेफिक्र मोहब्बत भी किसी शराब के नशे से कम नहीं होती, कितने ही सवाल करती फिरती है....

आप बिल्कुल भी उन लोगों की तरफ़ ध्यान मत देना जो पार्क में घूमते हुए  आपको अजीब निगाह देख रहे होंगे अरे वो क्या जाने , जुबां पर लागा ...लागा रे नमक इश्क़ का ....

ये पार्क में आए वो बायोलॉजिकल रोबोट्स है जिनको कैरियर मेकिंग के लिए प्रोग्राम्ड किया गया है हाई मोटीवेशन लो इमोशंस, जिनको इश्क़ का रोग तो लगा नहीं कभी, पर काम कर कर के ज़माने भर के रोग लग चुके है,

मगर मुझे क्या करना है मुझे तो पेड़ से टिक कर हूंच्च जैसे बैठ कर ख्वाब देखना है उसकी चाहतों के ,
अच्छा हुआ भगवान ने जीभ लम्बी नहीं दी वरना डॉगी की तरह एक तरफ बाहर लटकी हुई अच्छी नहीं दिखती,

अरे चौंकिए मत मै अपने ही अनुभव साझा कर रहा हूं, बात है आज से क़रीब पंद्रह साल पहले की,

जब मै अाई अाई टी की परीक्षा देने भोपाल गया था , एक खूबसूरत कॉलेज में मेरा एग्जाम  सेंटर पड़ा, एग्जाम तो सिर के ऊपर से गई बाकी दिल में घुस गई उस लड़की की ख़ूबसूरती जो मेरे बाएं तरफ बैठी थी,

शायद मेरी तरह वो भी बगले झांक रही थी, कभी मेरी उससे आंख लड़ती तो मैं अपने चेहरे के भाव ऐसे कर लेता जैसे कोई भयानक सवाल का कैलकुलेशन माइंड में करने की जद्दोजहद कर रहा हूं, जैसे उसके बाद अब सीधे उत्तर पर टिक  करूंगा, पर ऐसी एग्जाम में तुक्केबाज़ों की शक्ल अलग ही समझ अा जाती है.....

उसको जैसे ही कंफर्म होने लगता कि मै उसे ही देख रहा हूं तो मै नीचे कॉपी में देख गोदागादी मचाने लगता....

मै यूं ही नहीं देख रहा था यार उसे, कसम से बहुत खूबसूरत थी वो, उसकी खूबसूरती की कदर तो मैं ही जान सकता था , क्योंकि बाकी के सारे  बच्चे तो अपना फ्यूचर IIT  में देख रहे थे , बस मै ही था जो उसमें आपना फ्यूचर देख रहा था,

जैसे ही पानी के गिलास लेकर प्युन हमारे पास आया तो दोनों के एक साथ गिलास उठाने से हाथ एक दूसरे को छू गए,

सुंदर नाक नक्श और गुलाबी होंठो वाली लड़की की  मलाई की तरह चिकनी कलाई भी है, मन और ज्यादा ललचा उठा, वो साइड वाली मांग निकालकर अपने गहरे भूरे रेश्मी  बालों को बार बार संवार रही थी, गोरी इतनी की क्वेश्चन पेपर भी फिका लगे उसके सामने , बड़ी बड़ी आई लाइनर वाली आंखें जिन्हें मै तांक रहा था वाकई मेरे लिए ही ख़ुदा ने उसे बनाया था मानो सब कुछ जैसे मेरी पसंद का था उसमे.....

इधर सवाल तो बन नहीं रहे थे, ऊपर से  एक सवाल मेरे मन में और खड़ा हो गया था कि इसे ऐसे तो नहीं छोडूंगा, बात तो करके ही रहूंगा, कैसे करूं ,क्या बहाना बनाऊं????? दिख तो बड़े घर की रही है, और localite  भी लग रही है मुसीबत ना खड़ी कर दे ???

अरे मै क्या कम हूं ऐसी बहुत बेइज्जतीयां झेली है पर कहीं सार्वजनिक रूप से ना कर दे, क्यूंकि अभी इसका अनुभव नहीं है ,पर यार वक़्त भी कम है इसके अकेले होने का रास्ता देखना भी बेवकूफी है, गाड़ी हाथ से न निकल जाए....

उतने में एग्जाम ख़त्म होने की बेल बज गई सब जाने लगे, मै उसे ही देख रहा था ताकि उसे फॉलो करूं ,

तभी उसने सारा समान डेस्क से समेटने के बाद अपना चेहरा स्कार्फ से ढंक लिया ,
ये तो बड़ा बुरा हुआ, पर जैसे ही वो जाने के लिए खड़ी हुई तो उसकी कद काठी भी एकदम शानदार लगी ऊंची हाइट और छरहरा बदन, मै भीड़ में उसका पीछा करते रहा
वो पानी पीने जैसे ही water cooler के पास गई मै भी कतार बना कर खड़ा हो गया, उसने अपना चेहरा खोला,
तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली ,
मैंने कहा कुछ नहीं बल्कि सीधे बातों का हमला बोल दिया

" क्यों श्वेता तू भूल गई मुझे हां, बचपन में स्कूल क्या छोड़ा जबसे अपने दोस्तों को याद भी ना किया....कोई खोज खबर नहीं तेरी।"

"  आप गलत समझ रहे हैं , मेरा नाम श्वेता नहीं है ।"

"ओह ! सॉरी , अरे मै तो यही समझ कर जबसे आपको देखे जा रहा हूं, सॉरी हां, आपकी शक्ल बिल्कुल मेरी बचपन की दोस्त श्वेता जैसी है, अब पता नहीं कैसी दिखने लगी होगी वो..."

" इट्स ओके... मैंने भी नोटिस किया था एग्जाम हॉल में तुम मुझे ही देख रहे थे, मुझे लगा शायद कुछ और इंटेंशन....????"

" नहीं नहीं मै और कौन सा इंटेंशन....वो तो बस इसलिए... वैसे  मै रोहित , और आप?"

" मै प्रियंका ..."
उसने तो मिलाने के लिए हाथ भी आगे कर दिया,
चलो दिल मिलने की शुरुआत तो हाथ मिलने से ही होती है।

हम साथ हो लिए और मेन गेट तक बातें करते हुए गए,
मेरा अनुमान सही निकला वो भोपाल की ही रहने वाली थी,

गेट पर पहुंचने ही वाले थे कि मैंने कहा,
" कैसे जाओगी?"
" घर से कोई न कोई  लेने आयेगा।"
" अच्छा , हमे साथ देखेगा कोई प्रॉब्लम तो नहीं?"
" नहीं, वैसे भी इतनी जल्दी कोई नहीं लेने आयेगा.."
"क्यों?"
" मुझे घर में इतना सीरियसली लेता कौन है?"
" मतलब?"
" कुछ नहीं ऐसे ही, कैसा गया तुम्हारा एग्जाम?"
" मेरा तो कुछ खास नहीं गया मैंने प्रेप ही नहीं की है, बस स्टेट इंजिनियरिंग कॉलेज ही मिल जाए तो काफी है ,इस एग्जाम का तो कुछ नहीं था प्लान।"
" तुम्हारा कैसा गया एग्जाम?"
" मै सोचती थी कि तैयारी करके दूंगी पर , ऐसा हुआ नहीं इधर भी कुछ खास नहीं गया।" उसने चहरे पर आती लट को संवार कर फिर कहा
" वैसे तुमने तैयारी ठीक से क्यों नहीं की रोहित, आई आई टी में एक बार होगया कि सारी लाइफ सेटल्ड?"
" यार मैं लाइफ एन्जॉय करना चाहता हूं , पढ़ाई लिखाई में ज्यादा मन नहीं लगता , इतना जरूर है कि मै कोई दुसरा अच्छा कॉलेज ले लूंगा ।"
" हां एन्जॉय तो करना सबको अच्छा लगता है पर कैरियर भी तो जरूरी है।"
" बन जायेगा वो भी.."
" यार तुम इतनी बेफिक्री से कैसे जी लेते हो, मुझे तो बहुत घबराहट होती है।"
" बस कला ही समझो।"
" ओह..."
" वैसे तुम बिजनेस बैकग्राउंड से हो या सर्विस क्लास से ?"
" बिजनेस , ऑयल मिल है हमारी।"
" ओह ... बड़े घर से हो यार तुम तो।"
" और तुम?"
" मेरे पापा गवर्नमेंट जॉब में है । " मैंने कहा ।
" नाइस..."

सारे लोग चले गए भीड़ पूरी छट गई थी, तब तक भी उसके घर से कोई लेने नहीं आया था, हम चल चलकर  थक गए थे, हम एक लम्बी सीढ़ी पर बैठ गए , वैसे इस वीराने में हम दो ही रह गए थे, मैंने अपनी लड़कों वाली आदत का परिचय देते हुए पूछा,

" एनी बॉय फ्रेंड?"
" क्यों मुझे आपनी गर्ल फ्रेंड बनना चाहते हो?"
उसका स्ट्रेट आंसर मुझे चौंका दिया , थी भी तो बड़े शहर की लड़की,
" नहीं मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया, ऐतराज़ हो तो कोई बात नहीं।"
उसने ठहाका लगाते हुए जवाब दिया....
" है , रायपुर में जॉब करता है।"
अन्दर से दिल के तो टुकड़े हो गए थे पर बाहर से जुड़ा हुआ दिखना जरूरी हो गया था, मै अपने दिल को समझाते भी रहा कि ऐसी वैसी लड़कियों के बॉय फ्रैंड होते है तो ये तो इतनी खूबसूरत है यार,

"ओह बड़ीया , वैसे ...वो वहां तुम यहां कब मिलना होता होगा?"
" कभी नहीं।"
" क्या ??"
" हां ..सही कह रही हूं।"
" क्यों??"
" है कुछ कारण।"

" बताने लायक हो तो बता भी दो।"

" इतने पीछे पड़े हो क्या करोगे जान कर भी....."
" तसल्ली..." इतना बोल मै मुस्कुरा दिया,

"चलो बताती हूं,
वो मेरे कजिन कि शादी में मिले थे, उन खूबसूरत लम्हों को भूल नहीं सकती मै जब दीदी की बारात अाई  थी और वो दूल्हे के साथ आए, पीछे पीछे चल रहे थे, इतने हैंडसम लग रहे थे की पहली नजर में ही उन्होंने मेरा दिल उड़ा लिया, एकदम macho लग रहे थे,
जब मै स्वागत कर रही थी बारात का तब ही उनकी मेरी नज़रें मिली,

अनजान हो कर भी उन्होंने ऐसे स्माइल दी मुझे की जन्म जन्मांतर का रिश्ता हो हमारा , सच पूछो तो उस दिन मैंने भी उन्हें सिर्फ होंठो से नहीं बल्कि पूरे बदन से यहां तक कि रूह तक से स्माइल किया होगा
फिर जीजू कि सिस्टर के साथ वो हॉल में आए सिस्टर को जानी पहचानी शक्ल में मै ही सबसे पहले दिखी, सिस्टर ने मुझसे कहा

"इन्हें थोड़ा काम से जाना है यहीं भोपाल में थोड़ी देर के लिए कोई गाड़ी अरेंज करवा दो ..."

" ठीक है दीदी।" मैंने कहा, और दीदी हमें अकेले छोड़ कर चली गई,

उन्होंने मुझे लिफाफे पर लिखा हुआ पढ़वाते हुए पूछा कि" तुम्हें ये एड्रेस पता है?"

" ओह हां ये तो मेरे स्कूल से पास में ही है।"

" चलोगी मेरे साथ?"

मै उनके साथ होने का मौका किसी हाल में नहीं छोड़ना चाहती थी , इसलिए मैंने फट से हामी भर ली, मुझे पता था घर में बताऊंगी तो कोई नहीं जाने देगा,
इसलिए चाचा जी को बोल कर कार की चाबी जुगाड  लाई और फिर हम निकल चले,

कार में हम दो और भोपाल की  सरपट सड़कें , उनका साथ और सफ़र ऐसा लग रहा था जैसे ये लम्हा यहीं थम जाए, इतना डैशिंग बंदा मैंने रियल लाइफ में पहली बार इतने क़रीब देखा था.....

उन्होंने बात शुरू की

" कौन सी क्लास में हो?"

मैंने जब ग्यारहवीं बताया तो उन्हें हंसी अा गई,

मैंने पूछा हंसे क्यों? तो बोलते हैं,

" अभी तो बहुत छोटी हो , इतना भी मत घुरो मुझे।"

मुझे शर्म सी अा गई, मै इतना भी कैसे खो सकती हूं ,
उनका लिफाफे वाला काम ख़त्म करके उन्होंने पूछा, यहां घूमने और कहां चल सकते हैं , मैंने दो तीन जगहें बताई ,
हम वहां के लिए निकाल गए,

" उन्होंने पूछा एनी बॉय फ्रेंड ?"

प्रियंका इसके आगे मुझे बताती की एक चमचमाती कार उसे लेने अा गई , मैंने जल्दी जल्दी में रजिस्टर खोला और उससे उसका फोन  नम्बर मांगा उसने मुझे नम्बर दे दिया पर वो तो लैंड लाइन नंबर निकला, उसने जाते जाते पलट कर कहा कि , जब भी लगाओ तो मैं फोन पर रहूं तो ही आगे बात करना वरना काट देना फोन,

" मैं कन्फर्म कैसे करूंगा कि तुम ही हो?"

" एक काम करना , तुम खुद का नाम ले कर पूछना की हैलो रोहित  बात कर रहे है क्या, मै समझ जाऊंगी।"
मुस्कुराकर वहां से चली गई,

वो तो चली गई पर मुझे उसकी यादें हमेशा के लिए थमा गई,

एक तरफ़ दिल उसके सिवा किसी और को अंदर आने नहीं देना चाह रहा था, दूसरे तरफ़ उसके रायपुर वाले बॉय फ्रैंड की आधी अधूरी कहानी ने मुझे उत्सुक कर दिया कि आगे आखिर क्या हुआ था?

एक बार मुझसे रहा नहीं गया और मैंने फोन लगा दिया उसके घर , शायद वो भी इंतजार में ही थी कि मेरा फोन कभी तो जरूर आयेगा,

सारी हाई हेल्लो की बातों के बाद, बात वहीं अा कर टिक गई कि उसके बाद क्या हुआ तुमने उन्हे क्या जवाब दिया,

उसने कहा,
" मेरे मुंह से अचानक निकल गया अभी तक तो नहीं है कोई  ..."
" इस बात पर भी उन्हे हंसी अाई।"
" अभी तक यानी, तुम्हें बॉय फ्रैंड बनाना है मतलब?"
मै घबरा गई थी,
" नहीं मेरा मतलब है;  नहीं है..."
" हम झील के किनारे बैठे थे ...."
" वैसे मेरा नाम विशी है ..."

गजब की बात थी इतनी बातें हो चुकी थी और नाम अभी तक एक दूसरे का  पता न था,
" मैं प्रियंका..."

काफी बात होती रही,

मैंने भी पूछ लिया , कि " एनी गर्ल फ्रेंड?"
वो हंस दिए बस,
धीरे से उन्होंने मुझ पर हाथ रखा,
एहसास ऐसा था मानो बिजली दौड़ गई पूरे बदन में,
आज तक वो पहली बार का एहसास नहीं भुलाया जाता,

वैसे भी सब सही कहते हैं टीन ऐज में इन सब चीज़ों का  खुमार सिर चढ़ कर बोलता है, पहली बार उन्होंने छुआ तो महसूस हुआ , उनकी बातों में पता नहीं क्या जादू था कि मैं हर क्षण उनकी बस उनकी होती चली जा रही थी,
उनका बड़े से पत्थर के पीछे ले जा कर मुझे किस करना आज भी बदन में कोई लहर जगा देता है,

हमने तय किया कि देर रात में जब लोग सो  जायेंगे तब मै उनके कमरे में चुपके से एंटर कर जाऊंगी , फिर चाहे जो रिस्क हो दरवाज़ा तो सुबह चार बजे ही खुलेगा ,

हम शादी में वापस आ गए,

प्लान सही रहा, मै लेट नाइट अंताक्षरी वालों से  छुपते छुपाते विशी के कमरे में एंटर हो गई, उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया,

रात के गहरे होने के साथ हमारी नजदीकियां भी गहरी होती चली गई,

प्रियंका यहां अा कर बोलते बोलते रुक गई,

पता नहीं शायद वो कहीं खो गई थी, इधर मेरी आंखों में निराशा के आंसू थे, मैं समझ चुका था कि विशी के साथ वो बहुत आगे निकल गई थी,

मैंने पूछा " फिर क्या हुआ?"

" फिर कुछ नहीं हुआ, वो इससे आगे नहीं बड़े मैं तो घबराई हुई थी, मेरे लिए सब नया सा था, चार बज चुके थे, प्यार कुछ अधूरा सा रह गया , मुझे तो कुछ पता भी नहीं था इसके बारे में, पर मैंने रूम से निकलने के पहले उनसे कहा, विशी आई लव यू, और उन से लिपट गई, तभी उन्होंने मुझे खुद से दूर कर दिया, और कहा सॉरी मै बहक गया था, मुझे बहुत रोना आया , मै आई हेट यू बोल कर कमरे से बाहर अा गई....

सुनो रोहित कोई अा रहा है मै फोन रखती हूं," प्रियंका ने कहा...

मैंने कहा " सुनो प्रियंका प्लीज़ मुझे मिलने आओगी क्या मै भोपाल अा रहा हूं?"
" कब ?"
" परसो.."
" ओके , ताल के पास पांच बजे मिलते है"
" ठीक है...."

फोन कट गया टूं टूं ....की आवाज़ सुनाई देने लगी।

थैंक गॉड भगवान ने भी शायद उसे मेरे लिए ही बचाया होगा विशी से, वरना तो उस रात ......

मै  ताल के किनारे इंतजार कर ही रहा था कि उधर से व्हाइट कलर के सूट पर रेड  सलवार उस पर ब्लू कलर का नेट वाला दुपट्टा पहन कर आई प्रियंका क्या गज़ब ढाह रही थी मै तो बस उसे देखते ही सपनों में खो गया जिसमें वो मेरी दुल्हनियां दिखाई दे रही थी,
पास आकर उसने कहा;
" हाई "
मैंने कहा " हाई...कैसी हो ?"
" बस ठीक हूं ....तुम?"
" ठीक ही हूं"

शाम के नज़ारे और झील के किनारे का सारा कुछ वर्णन करते हुए बात कुछ व्यक्तिगत तत्वों पर अा गई,

"वैसे तुम कितने भाई बहन हो?" मैंने पूछा
" मेरी एक बहन है जो छोटी है और एक भाई है वो भी छोटा है..."

"तो जिस सिस्टर की शादी थी वो कौन थी?"
" ताऊजी की लड़की है हम ज्वाइंट फैमिली में रहते है ना..."
" ओह वाउ बड़ा मज़ा आता होगा न, हम तो अकेले बोर ही होजाते है घर में...."
" मजा क्या मजा,  सब ठीक ही ठीक है..."
" क्यों ऐसा क्यों बोल रही हो?"
" पापा नहीं है मेरे ...."
" ओह सॉरी यार..."

" उनके जाने के बाद मै और मेरी फैमिली का सब कुछ बदल गया , अमीरी बस दिखने कि है , ताऊजी और चाचा जी ने पूरा बिजनेस हतिया लिया है, अब तो ये नोबत अा गई है कि किसी भी समय घर से बाहर निकाल दिए जा सकते है, बहुत लड़ाइयां होती है, सोचती हूं कुछ अच्छा बन जाऊं तो भाई बहन और मां को लेकर कहीं और सैटल्ड हो जाएंगे रात दिन की किंचकिच  बर्दाश्त नहीं होती ताई और चाची भी तिरछी नज़र से देखते रहते है हमें ...."

उसकी आंखो ने आंसुओ की बुंदा बांदी शुरू दी ,

किसी को देख कर उसकी ज़िन्दगी का पता नहीं लगाया जा सकता है ,  इतनी खुशकिस्मत दिखने वाली किस्मत से किस तरह  लड़ रही थी यकीन नहीं हो रहा था,

हमारी मुलाकातें यूंही बढ़ती चली गई,

अब फोन हम दोनों एक दूसरे को बराबरी से करने लगे,

उसके दिन भी मुझसे बिना बात करे नहीं काटते थे,

हमारी दोस्ती अब पक कर प्यार में बदलने को थी,

मैंने प्लान किया कि अगले महीने उसके बर्थडे पर उसे स्पेशल गिफ्ट के साथ प्रपोज कर दूं,

हुआ भी यही , अगले महीने उसे बर्थडे वाले दिन मैंने एक रेसटोरेंट में बुलाया और केक कट करके हमने बर्थडे सेलिब्रेट किया, मैंने ज़िद की उसे मेरे फ्रेंड के रूम पर चलने की, वो मान गई मेरा तो प्लान पक्का था प्रपोज के बाद रोमांस करने का, उसे देखते ही मुझे पूरे बदन में खून जो तेज़ हो जाता है , आज तो मुझे प्रियंका से वो चीज़ लेनी थी जो हर लड़का हमेशा लड़की से चाहता है,

रूम में काफी देर बातचीत के बाद मैंने रेड रोज़ के साथ हार्ट वाला गिफ्ट उसके सामने रखा और प्रपोज किया तो ,

उसके जवाब ने मेरे सारे अरमान ठंडे कर दिए....

उसने इतनी मजबूरी भरी आवाज़ में  मुझे सॉरी कहा की पता नहीं कौन सा रहस्य ज्ञान उसे अभी ही हासिल हुआ हो, पता नहीं क्या बोध हुआ उसे अभी की अभी

मैंने उधर मुंह कर लिया और रोने लगा,

मैंने ऊंची आवाज़ में खीज खा कर एक ही बात पूछी,

" मुझमें ऐसी क्या कमी है प्रियंका जो तुम मुझसे प्यार नहीं कर सकती, मैंने जबसे तुम्हे देखा है सारे दिन बस तुम्हारी ही सूरत मेरे आंखों के सामने होती है , पता नहीं क्या हुआ पहली बार में तुम्हें देख कर,
मुझे ऐसा लगा कि मै तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा हो चुका हूं अब किसी और से प्यार नहीं होगा प्रियंका ...... यदि तुम नहीं होगी तो अब प्यार तो नहीं... होगा तो दूसरों की खातिर कॉम्प्रोमाइज होगा..... एक दफा तो बता देती मै तुम्हारे हिसाब का बनने के लिए क्या कर सकता था मै सब कर लेता, तुम्हारे प्यार के खातिर कुछ असंभव नहीं है मेरे लिए....."

मै रो दिया और रोतली आवाज़ में दर्द और लाचारी स्पष्ट झलक रही थी, ये प्यार यूज एंड थ्रो नहीं था असली प्यार था, हर इंसान को दुनियां में कोई खास चेहरा जरूर मिलता है, जो उसका मन मोह लेता है प्रियंका भी वही चेहरा थी मेरे लिए...

मै भी कुछ अधूरा सा महसूस कर रहा था , खालीपन मुझमें भी समा गया था,

प्रियंका मेरे पीछे अाई और मेरे दोनों कंधों पर हाथ रख रोते हुए बोली कि ;
" कुछ अधूरा सा महसूस हो रहा है ?"

" हां ..."

"मुझे भी महसूस होता है,  ज़िन्दगी बीत जाएगी पर पूरा नहीं होगा ये अधूरापन..."

मैंने मुंडी घुमा कर उसकी तरफ देखा,

उसने कहा;

" मै भी इसकी शिकार हूं, और शायद विशी भी...
मै दस दिसंबर की वो रात नहीं भूल पाऊंगी जब मैंने अपना मेल अकाउंट खोला तो विशी का मेल आया था, उन्होंने लिखा था, तुम बहुत अच्छी हो, पर  तुमसे इतनी नजदीकी हो जाने के बावजूद भी मै तुम्हारे लिए वो फीलिंग्स नहीं जगा पा रहा था, असल में मै अंजली नाम की एक लड़की से बहुत प्यार करता हूं बहुत कोशिश की अपने आप को कुछ इस तरह से ढाल लूं कि वो मुझे प्यार करने लगे पर पता नहीं वो बात ही नहीं दी ऊपर वाले ने मुझे, जो अंजली को अपनी ओर खींच सके , पर उसका चेहरा हर घड़ी मेरी आंखों में घूमता है और मन उम्मीद के उबाल भरता रहता है कि एक ना एक दिन जरूर वो मेरी होगी, मै ये झेल रहा हूं इसलिए समझ सकता हूं पर प्लीज़ तुम मेरा प्यार पाने के लिए खुद में कमि मत ढूंढ़ना और ना अपने आप को मेरे हिसाब से ढालने की कोशिश करना , तुम अच्छी हो सब हो पर वो कुछ बात जाने क्यों नहीं है जो अंजली में थी.... तुम्हें उदास भी नहीं देखा जा रहा था मुझे तो मेल करना पढ़ा हो सके तो मुझे माफ़ करना और अपना खयाल रखना उस शक्स को कभी मत छोड़ना जो तुम्हें बहुत प्यार करे..... मेरी खुदगर्ज़ी के लिए एक बार और माफी चाहूंगा...... बाय....।

उनका इतना समझाने के बाद भी मैं सोचती हूं कि कौनसी वो बात है जो अंजली में थी और मुझमें नहीं?

क्या ऐसा कर लूं .....ना कुछ सही तो कम से कम उसके ही जैसी बन जाऊं पर किसी भी तरह मै विशी का प्यार पा लूं,

और रोहित सच कहूं तो आज मै उन्हें समझ सकती हूं क्योंकि मै उन्हीं की जगह खड़ी हूं, 

अच्छी तरह महसूस भी कर पा रही हूं कि उनका मुझसे प्यार का इज़हार अधूरा क्यों रहा ???
तुम में कोई कमी नहीं है रोहित, तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो , तुम्हारे साथ वक़्त बिताना भी अच्छा लगता है पर एक दोस्त की तरह, जाने क्यूं वो वाली फीलिंग्स नहीं आती जो विशी को देख कर आती है हो सके तो मुझे माफ़ कर देना तुम्हारे एक तरफा प्यार का सम्मान करती हूं पर आज भी मै विशी का इंतज़ार कर रही हूं हो सकता है कभी उनका दिल बदल जाए .......सो सॉरी यार तुम्हें भी मेरी तरह अधूरा सा करने के लिए ...... मै तुम्हारे अधूरेपन की वज़ह नहीं बनना चाहती थी...और हो सके तो मेरी खुदगर्ज़ी के लिए भी अखरी बार मुझे माफ़ कर देना.... बाय......" 

प्रियंका लाचारी वाले कंधे उचकाकर अपने रास्ते चल दी और मै रूम से बाहर निकल कर आसमान की तरफ़ देखता और वो बात मांगता रह गया जो विशी में थी मुझमें नहीं, वो बात जो प्रियंका का दिल जीत सके , वो बात जो उसे रोमांस से भर सके, वो बात जो मेरी ज़िन्दगी संवार सके ,वो बात जो मेरी मन की मुराद पूरी कर सके......

कभी तो मैं कल्पनाओं से काम चलाता फिरता कि विशी कैसा  होगा जिसने मेरी प्रियंका के दिल पर राज किया है???????? उसमे ऐसी क्या बात थी जो मुझसे अलग थी???

कभी दुनिया को देखता कभी कांच के सामने ख़ुद को ,
घंटों अपलक पार्क में पाम के नीचे हूंच्च की तरह  बैठ   कानो में इयरफोन लगाकर सेड सोंग्स सुनता हूं,

करके देखना अच्छा लगता है, बैचेनी कम हो जाती है इससे..... पार्क के बायोलॉजिकल रोबोट्स हमसे अच्छे है जिनकी जुबां पर ईश्क का स्वाद नहीं लगता

सभी उन मित्रों एवं मित्रियों को समर्पित जिन्हें कभी  ना कभी एक तरफा लव हुआ हो ???.....धन्यवाद।