Mere dil ka haal - Part 4 books and stories free download online pdf in Hindi

मेरे दिल का हाल - भाग - 4

ज़ईम के जाते ही शायान सोफे पर बड़ी ज़ोर से गिरा था। "भाई की शक्ल देखने लायक थी" शायान ने अपना पेट पकड़ा हंसते हंसते उसका पेट दुख गया था। 

"तुम हंस रहे हो और यहां मेरी जान निकली जा रही थी" मायरा वही ज़मीन पर बैठ गई।। 

"सच में आपी... भाई आपको सिर से पैर तक ऐसे देख रहे थे जैसे कोई अनहोनी चीज देख ली हो" 

"हां ये तो है.... ज़ईम का मुंह ऐसे खुला था" मायरा ने मुंह बना कर दिखाया। दोनों एक साथ जोर से हंस दिए।

"आपी मैं जरा भाई से मिलकर आता हूं देखूं तो सही अब उनका क्या हाल है" शायान ज़ईम के कमरे की तरफ बढ़ गया।

"भाई आप ऐसे गुस्से में क्यों चले आए" 

"ये क्या है शायान" ज़ईम ने दरवाजे की तरफ इशारा किया। 

"ये तो गेट है" शायान ने दरवाजे को देख कर कहा।। 

"मैं उस लड़की की बात कर रहा हूं" ज़ईम झुंंझलाया।। 

"किस लड़की की" शायान ने अन्जान बनते हुए कहा। 

"उस गवार की" 

"अच्छा तो आप आपी की बात कर रहे हैं" 

"हां मैं उस गवार की बात कर रहा हूं... क्या सोचकर बाबा ने उसे मेरे लिए पसंद किया था उसे देख कर ऐसा लगता है जैसे सर्कस का कोई जोकर हो जिसे ना बोलने की तमीज और ना ही कपड़े पहनने की तमीज" 

"भाई आप उनके पहनावे को क्यों देख रहे हैं उनके दिल को देखिए और रही बोलने की बात तो जो उनके दिल में आता है वो बोलती है" 

"चुप रहो तुम ज्यादा तरफदारी मत करो उस गंवार की" ज़ईम ने शायान को डांटा।।

"ओके" शायान ने अपने होठों पर उंगली रख ली। 

"मेकअप देखा है तुमने उसका" ज़ईम ने लम्बा सांस लिया "अगर मैं बाबा की बात मान कर उससे शादी कर लेता तो मेरी तो लाइफ ही बर्बाद हो जाती.... तुम कुछ बोलते क्यों नहीं हो चुप क्यों खड़े हो"  ज़ईम ने चुपचाप खड़े शायान से कहा। 

"आप ही ने तो कहा था चुप रहने को" शायान ने बेेचारगी से ज़ईम को देखा।।

"बाबा आ जाए तो मैं उनसे बात करूंगा" ज़ईम ने इधर उधर टहलना शुरू कर दिया।। 

"शादी वाली बात आई गई हो गई है भाई अब इस बारे में बात करके क्या फायदा" शायान ने जल्दी से कहा उसे डर था अगर भाई ने पोप्स से बात की तो मायरा का राज खुल जाएगा और वो ऐसा नहीं चाहता था। वो ज़ईम को और परेशान करना चाहता था। 

"बाबा मुझसे नाराज है वो भी इस गवार लड़की की वजह से"  ज़ईम का गुस्सा कम नहीं हो रहा था। 

"रिलैक्स भाई...   आप आराम कीजिए आप बहुत थके हुए हैं" शायान ने ज़ईम को बेड पर बिठाया। 
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"आपी पॉप्स आपको खाने के लिए बुला रहे हैं" 

"मैं बस आ ही रही थी" मायरा ने कबर्ड बंद की।

"भाई मौजूद है खाने की टेबल पर"  शायान ने मायरा का हाथ पकड़कर रोका "उन्होंने आपको देख लिया तो आप का भांडा फूट जाएगा" 

"तो अब क्या करें" 

"वही जो आप पहले करती थी।   बहाना बना देते हैं" 

"मुझे बहुत भूख लगी है मुझे खाना चाहिए फिर चाहे तुम कोई भी बहाना बनाओ" 

"मैं अम्मो से कह कर आप का खाना यही भिजवा देता हूं और पॉप से कह दूंगा कि कल को आप का टेस्ट है और आप पढ़ाई कर रही हैं और आप खाना कमरे में ही खाएंगी" शायान ने सोचते हुए कहा। 

"ठीक है" 

शायान ने जैसा सोचा था वैसा ही एजाज को बता दिया। 

"मैं अलीगढ़ जा रहा हूं" एजाज ने पानी का गिलास उठाते हुए कहा। 

"बाबा एग्रीमेंट पर आपके सिग्नेचर की जरूरत पड़ेगी" ज़ईम ने एजाज को देखा। 

"मैंने मिस्टर ताहिर से बात कर ली है वो अगले हफ्ते आएंगे और तभी एग्रीमेंट भी साइन करेंगे" 

"शायान तुम मायरा का ख्याल रखना उसे कोई परेशानी ना हो.....मैं ज़रा मायरा से मिल लू मुझे कल सवेरे निकलना है" एजाज ने खड़े होते हुए कहा। 

"उस गवार की बड़ी परवाह है बाबा को....लेकिन अपने बेटों की परवाह नहीं है" ज़ईम सुलग उठा और शायान ज़ईम के हाल पर मुस्कुरा दिया। 
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"ज़ईम तू यहां क्या कर रहा है... चल बाहर मेरे और शायान के साथ खेल" 

"मुझे नहीं खेलना है और तुम जाओ यहां से" ज़ईम ने मायरा को देख कर अपनी आंखें बंद की। 

"जब देखो तो इन कागजों को भी चाटता रहता है" मायरा ने ज़ईम के हाथ से फाइल छीनी। 

"तुम्हें तमीज नहीं है और ये फाइल है कागज़ नहीं"  ज़ईम ने मायरा के हाथ से फाइल छीनी। 

"अच्छा चल जो भी हो....  मैं चिड़िया बल्ला खेल रही हूं तू भी चल" 


"चिड़िया बल्ला"  ज़ईम की समझ में नहीं आया ये कौन सा खेल है।

"चिड़िया बल्ला. .....इतनी सी चिड़िया होती है ना जिसमें चिड़िया के पर लगे रहते हैं और उसे ऐसे बल्ले से मारते हैं" मायरा ने एक्टिंग करते हुए बताया। 

"उसे शटल कोक कहते हैं और जिससे उसे खेलते हैं उसे बल्ला् नहीं रैकेट कहते हैं" ज़ईम ने अपना सिर पकड़ा। 

"कुछ भी कहते हो लेकिन हमारे गांव में तो उसे चिड़िया बल्ला ही कहते हैं" 

"मुझे परेशान मत करो जाओ यहां से" 

"तू नाराज क्यों होता है"

"मुझसे तमीज़ से बात करो और ये तू से बात मत करो"  ज़ईम परेशान हो गया था मायरा की लैंग्वेज सुनकर। 

"मैं गांव की लड़की हूं... मैं तो ऐसे ही बोलती हूं" मायरा ने भोली सूरत बनाई। 

"इतने बड़े कॉलेज में पढ़ती हो तो कुछ अपनी पढ़ाई से ही सीख लो"

"मेरी बोली का मेरी पढ़ाई से क्या लेना देना" मायरा ने तेल लगे अपने सिर में खुजाया। 

ज़ईम ने आंखें बंद करके अपना सिर पकड़ लिया। 

शायान और मायरा को जब भी मौका मिलता तो वो ज़ईम को परेशान करने पहुंच जाते थे। एजाज का यहां ना होने का पूरा फायदा उठा रहे थे वो दोनों। ज़ईम ने मायरा से परेशान होकर शायान को आवाज लगाई। 

"क्या हुआ भाई"

"इस गवार को यहां से लेकर जाओ" ज़ईम ने बहुत गुस्से से मायरा को देखा। मायरा शायान का इशारा पाकर वहां से निकल गई। 

"शायान इस गवार को मुझसे दूर रखो अगर ये मेरे आस-पास भी फटकी ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा" 

"भाई... अब क्या किया आपी ने" शाायान ने अपनी हंसी को अपने अंदर रोका।

"बोल बोल के मेरा सिर खा लिया है उसने... उसके मेेेकअप को देखता हूं तो.....ज़ईम बोलते बोलते रुक गया।

"आपी तो बहुत सीधी-सादी लड़की है भाई ... बहुत भोली है वो बिल्कुल गाय है गाय" ज़ईम की ऐसी हालत देखकर शायान को मजा आ रहा था। 

"गाय है तो उसे खूटे से बांध कर रखो ... खुले सांड की तरह सारे में भागती ना फिरे" 

"ओके भाई..  मैं आपी को समझा दूंगा वो आपको सींंग ना मारे मेरा मतलब आपको परेशान ना करें" 
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एजाज अलीगढ़ से वापस आ चुके थे और मायरा भी अपने पेपरों की तैयारी मे लग गई थी। कई दिन से उन्होंने ज़ईम को भी परेशान नहीं किया था।

 "आपी इस बार भाई के साथ कुछ अलग करते हैं" 

"ये नाटक कब तक चलेगा शायान" मायरा ने अपनी नजरें बुक से हटाए बिना कहा। 

"बस कुछ दिन और" 
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"तुम आखिर चाहती क्या हो.. क्यों बार-बार मेरे सिर पर आ धमकती हो" 

"तूने मेरे से ब्याह करने से मना क्यों किया था" मायरा ने अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखते हुए ज़ईम से पूछा। 

ज़ईम को उम्मीद नहीं थी मायरा उससे ये सवाल करेगी। 

"बोल तू बोलता क्यों नहीं" मायरा ने अपनीी काजल लगी भद्दी आंखों को और बड़ा करते हुए ज़ईम से पूछा। 

"अपने आप को देखा है तुमने.... सिर से पैर तक कार्टून लगती हो अरे कार्टून भी बहुत अच्छे होते हैं लेकिन तुम तो सिर से पैर तक पूरी की पूरी गवार हो... सिर में तेल किलो के हिसाब से लगाती हो" ज़ईम ने मायरा के सिर की तरफ इशारा किया और ये काजल आंखों में लगाई जाती है पूरे चेहरे पर नहीं" मायरा को ज़ईम की बातें बुरी नहीं लग रही थी बल्कि वो खुश थी उसका ये रूप ज़ईम को डिस्टर्ब कर रहा था "होठों पर लिपस्टिक ऐसे लगाई है जैसे कोई चित्रकार कैनवस पर चित्रकारी कर रहा हो और माशाअल्लाह आपके कपड़े के तो क्या कहने... आपको देखकर ऐसा लगता है जैसे आप रैंप वॉक करके आ रही है" ज़ईम ने गुस्से भरी आंखों से मायरा को देख कर कहा। 

"बस इतनी सी बात के लिए तूने मेरे से ब्याह नहीं किया" मायरा ने दुनिया भर का दर्द अपनी आवाज में समेटा। 

"ये इतनी सी बात है" ज़ईम ने हैरानी से कहा। ज़ईम  को मायरा की दिमागी हालत पर शक हुआ। 

"तू तो इतना चिकना है इतना हैंडसम है हमारे ब्याह के बाद जैसा तू कहता मैं वैसी बन जाती" मायरा ज़ईम के करीब आ गई।

"शर्म नहीं आती तुम्हें मुझसे इस तरह से बात करते हुए... चली जाओ यहां से और अगर तुम नहीं जाओगी तो मैं खुद ही चला जाता हूं" ज़ईम पैर पटकता हुआ वहां से चला गया। 

मायरा को बड़ा गिल्टी फील हो रहा था उसने ज़ईम को चिकना और हैंडसम क्यों कहा और वो उसके इतने करीब क्यों गई लेकिन ये सब शायान के प्लान में शामिल था और अब वो शायान पर बरस पड़ी।

"मैं ये सब नहीं करना चाहती थी लेकिन तुमने मुझसे ये सब जबरदस्ती करवाया" मायरा की आंखें गीली हो गई "क्या सोचेंगे ज़ईम मेरे बारे में  मेरा कैरेक्टर कितना खराब है" मायरा ने सोचते हुए कहा। 

"आपी ऐसा कुछ नहीं है" 

"चुप हो जाओ तुम... आज के बाद मुझसे बात मत करना और इस नाटक को तो अब तुम भूल ही जाओ हमेशा के लिए" 
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मायरा शायान से बहुत नाराज थी। शायान ने मायरा को मनाने की बहुत कोशिश की उसकी मिन्नते की और उससे वादा किया कि अब वो उससे कोई ऐसा काम नहीं करवाएगा। मायरा भी उससे कब तक नाराज रहती आखिर वो भी मान गई। 
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"आपी पोप्स आपको स्टडी रूम में बुला रहे हैं" शायान किचन में चला आया।

"अम्मो ज़रा ये सालन देख लेना मैं अभी आती हूूं"

"अंकल मैैं अंदर आ जाऊ" मायरा ने दरवाज़े से अंंदर झाका।।

"तुम्हें पूछने की क्या ज़रूरत है मायरा.... आ जाओ"

"आपने मुझे बुुलाया था"

"मैंने..... नही तो" एज।ज़ फाईल में गुम थे।

"लेकिन शायान तो कह रहा था आपने मुझे बुलाया है"

"उसने तुुुमसे मज़ाक किया होगा.... उसे तो आदत है सबको बेवकूफ बनाने की" एज़ाज़ मुस्कुराए।

"शायान के बच्चे नेे मुझे भी नही छोड़ा"

"ये लो ज़ईम.....सब कुछ सही है तुम काम शुुरू करा दो"

मायरा खड़ी शायान केे बारे में सोच रही थी कि ज़ईम का नाम सुुुनकर उसने पलटकर देेेखा तो सामने खड़ा ज़ईम उसे ही देेेख रहा था। मायरा ने ध्यान ही नही दिया कमरे में अंकल के अलावाा कोई ओर भी है।वो चुपचाप ज़ईम को देखती कमरे से बाहर आ गई।

"शायान के बच्चे येे तुुुमने जानबूझ कर किया है ना" मायरा ने शायान की कमर पर मुक्केे बरसा दिए।

"आपी..अपने प्ले का एंड मुझे अपने हिसाब से करना था और मेरे प्ले का एंड ये ही था कि हीरोइन अपने असली रूप में हीरो के सामने आती है" 

"लेकिन मुझे इस बारे में बताना था ना" मायरा के हाथ अब भी चल रहे थे। 

"आपी अब बस भी करें... अब क्या मेर.. शायान की बात अधूरी रह गई और वह सीधा खड़ा हो गया। 

मायरा ने मुड़कर देखा तो उसकी हालत भी शायान जैसी ही थी। 

ज़ईम सीने पर हाथ बांधे खड़ा उन दोनों को ही देख रहा था। ज़ईम उन दोनों की सारी बातें सुन चुका था और उनके नाटक के बारे में भी जान चुका था। 

"अब तो गए काम से" शायान ने अपने दोनों हाथ अपनी जींस की पोकेट मेें डालते हुए सिर झुकाते हुए कहा "अभी तो आपकी मार खाई है अब भाई की खानी पड़ेगी" 

ज़ईम को सामने देखकर मायरा की जान निकली जा रही थी। ज़ईम को सबसे ज्यादा परेशान तो उसी ने किया था। ज़ईम बस चुपचाप उन दोनों को देखे जा रहा था।

                 बाकी अगले भाग में 


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