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92 गर्लफ्रेंड्स भाग ६

गौरव ने आंनद से पूछा कि कहो तो एक और मजेदार घटना बता सकता हूँ। आनंद बोला जल्दी बताओ परंतु घटना ऐसी होनी चाहिए जिसमें हास्य और रोमांच दोनो हों। गौरव ने कहा कि बताता हूँ।

यह बात पिछले साल की है मेरे घर पर एक बहुत सुंदर महिला आयी उसने अपना नाम नंदिता बताया, उसे देखकर मैंने अपनी माँ को कहा कि आपसे कोई मिलने आया है। माँ आयी और उन्होंने बताया कि इसे खाना बनाने के लिए रखा गया हैं। मैं उसे देखकर दंग रह गया। उसके द्वारा बनाया गया भोजन भी बहुत स्वादिष्ट था। मैं उसकी तारीफ किये बिना नही रह सका। अपनी तारीफ सुनकर वह मुस्कुरा दी और मुझे धन्यवाद कहकर चली गई। यह प्रायः प्रतिदिन का क्रम हो गया था। वह जब भी किचिन में अकेले काम कर रही होती थी मैं मौका निकालकर किसी ना किसी बहाने से वहाँ जाकर उससे बात करता रहता था। कुछ दिनों में ही उसके हाव भाव से मैं समझ गया कि वह भी मेरी ओर आकर्षित है। एक दिन मैंने हिम्मत करके उसे बाहर मिलने के लिये कह ही दिया जिसे उसने स्वीकार कर लिया। मैं उससे जब मिला तो उसने सुझाव दिया कि हम दो तीन दिन के लिए पचमढ़ी चलते है। मेरे साथ मेरी बुआ भी रहेगी परंतु उनसे कोई परेशानी नही होगी। मैं भी अपने साथ एक मित्र महेश को लेकर पचमढी चला गया। वहाँ पर हम लोगों ने दो कमरे आसपास ले लिये। शाम को भोजन के उपरांत उसकी बुआ आराम करने अपने कमरे में चली गई और नंदिता, महेश और मैं एक ही कमरे में गपशप करने लगे। नंदिता मेरे पास बैठ गयी और कुछ देर बाद मुझे बिस्तर पर ले जाकर प्यार करने लगी। मै भी उसके साथ मजा लेने लगा। मेरे दिमाग से यह बात एकदम निकल गयी थी कि महेश भी वहाँ बैठा हम लोगों को देख रहा है। वह भी चुपचाप बैठकर आनंद ले रहा था और कुछ देर बाद वह दूसरे कमरे में जिसमें नंदिता की बुआ थी चला गया। दूसरे दिन सुबह उसकी बुआ हमारे कमरे में आकर हल्ला मचाने लगी कि आपके दोस्त ने आकर मुझे रातभर परेशान किया। आप इसे तुरंत वापिस भेजिए या फिर मैं नंदिता को लेकर अभी वापिस जा रही हूँ। नंदिता ने पूछा कि आखिर हुआ क्या है तभी महेश भी आ गया और उसने बुआ की बात सुनकर बोला कि रातभर तो मजा लेती रही अब सुबह हल्ला मचा रही है। इसके आगे अगर कुछ भी कहा तो मैं रात की सारी बात सच सच बता दूँगा। यह सुनकर बुआ भी चुप हो गई और वापिस जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। पचमढ़ी के रमणीक वातावरण में शाम का समय बहुत ही मनोहारी एवं हृदय को प्रसन्न कर देने वाला था। ऐसे मौसम में गौरव जो कि एक अच्छा गिटारवादक भी था अपनी धुन से सबको मंत्रमुग्ध कर देता था और उनकी शाम एक यादगार के रूप में हो जाती थी। नंदिता की बुआ ने शाम को स्वीकार किया कि उसका अपने पति के साथ संबंध विच्छेद हो चुका है। उसे महेश के साथ मिलकर असीम प्रसन्नता का अनुभव हुआ और यह उसके लिए अविस्मरणीय क्षण रहे। इस प्रकार दो तीन दिन हम लोग मौज मस्ती करके वापिस आ गये। आनंद बोला कि यार तुम बहुत उस्ताद हो। तुम अपने जीवन का भरपूर आनंद उठा रहे हो। यह सुनकर राकेश भी मुस्कुराने लगा।

गौरव कहता है कि अभी तीन चार घंटे का समय और बाकी है तब तक हम आपस में एक दूसरे के अनुभव बता कर अपना समय व्यतीत करें। मानसी भी आराम करने चली गयी है यदि वह आ गई तो हमको अपनी बातें वही खत्म करनी पडेंगीं। आनंद गौरव से कहता है कि आज तुम बडे मूड मे हो तुम्ही अपने जीवन के संस्मरण बताओ। गौरव कहता है मैंने मुंबई में जितने अच्छे दिन बिताए और अच्छी लडकियों के संपर्क में आया वह मेरे लिए अविस्मरणीय है। एक लडकी जिसका नाम उज्जवला था। वह फिल्मों में छोटे मोटे रोल करती थी और सेक्स उसका शौक था धनोपार्जन का माध्यम नही। मेरी उससे मुलाकात एक फिल्म निर्माता के यहाँ हुई थी उन्होंने मेरा परिचय कराते हुए उसे बताया था कि मैं एक बहुत बड़ा फिल्म फाइनेंसर हूँ और कुछ दिनों के लिए इसी संबंध में बंबई आया हूँ। यह सुनकर वह बोली कि सर आप आज शाम को आप क्या कर रहे है? मैंने कहा कि मैं शाम 7 बजे के बाद उपलब्ध हूँ। उज्जवला बोली कि यदि आप आज शाम को मेरे साथ रात्रि भोज लें तो मुझे बडी खुशी होगी। मैंने उसे अपनी सहमति दे दी और वह होटल सीसाइड, जहाँ में रूका हुआ था मुझे लेने के लिए आ जाती है और मुझे अपने फ्लैट में ले जाती है। फ्लैट छोटा किंतु बहुत व्यवस्थित एवं सुंदर था। वहाँ पहुँचने पर वह मुझे रेड वाइन पीने के लिए देती है और खुद भी अपना पैग बनाकर मेरे समीप बैठ जाती है। वाइन पीते पीते वह निवेदन करती है कि जिस निर्माता के फिल्म में वह काम कर रही है आप उनके अच्छे मित्र हैं आप उन्हें कहकर मेरा रोल बढ़वा दीजिए। मैं आपकी बहुत आभारी रहूँगी। मैंने उसके सामने ही फोन करके प्रोडक्शन मैनेजर को अनुरोध किया कि उज्जवला का रोल बढ़ा दिया जाए। उसने मुझे आश्वस्त किया कि पटकथा को देखते हुए जितना संभव होगा मैं अपना प्रयास करूँगा। यह सुनकर उज्जवला खुशी से प्रसन्न हो गयी। मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा कि और भी कोई काम हो तो बताओ। यह सुनकर वह मुझे खीचती अपने बेडरूम में ले गई और कहा कि अब दूसरा काम तो तुम समझ ही गये होगे। हम लोग रातभर जीवन का स्वर्णिम आनंद लेते रहे।

मेरा एक मित्र गोविंद जो कि बहुत सीधा सादा और सरल स्वभाव का व्यक्ति था एवं एक बहुत बडे उद्योग समूह का मालिक था। दूसरे दिन उससे मुंबई में उससे मुलाकात हो गई। शाम को वह मेरे होटल में आया और बातचीत के दौरान वह बोला कि मैंने आजतक अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला को छुआ भी नही है। मेरे दिल की बहुत तमन्ना है किसी और के साथ भी समय बिता कर देखूँ कि कैसा महसूस होता है। मेरा यहाँ किसी से संपर्क नही है। तुम यदि किसी को बूला सकते हो तो रूपये की कोई बात नही है। मैंने फिल्म के प्रोडक्शन मैनेजर को फोन किया और इस संबंध में मदद माँगी। उन्होने दो घंटे के लिए एक लड़की जिसका नाम प्रीनी था, को भिजवा दिया। वह जब कमरे में आई तो उसे देखकर हम लोग दंग रह गये कि इतनी सुंदर महिला भी उपलब्ध हो सकती है। उसने हमारे पास बैठकर गोविंद से आंख से आंख मिलाकर कहा कि आप दोनो बहुत अच्छे व्यक्ति हैं। हमने पूछा कि तुम कैसे कह रही हो। वह बोली कि मुझे इतना अनुभव है कि मैं दरवाजा खोलने पर चेहरा देखकर भांप सकती हूँ कि कौन कैसा है? गोविंद तो उसे देखकर पागल हुआ जा रहा था। उसने तुरंत रूपये निकालकर प्रीनी को दे दिये। प्रीनी ने रूपये नही लिये और कहा कि पहले सेवा बाद में मेवा। मुझे देखकर उसने कहा कि हुजुर आप क्या करेंगें। मैंने कहा कि मैं बाहर जा रहा हूँ आप लोग अपना समय अच्छे से व्यतीत करे। गोविंद उसी के सामने बोला कि यह मेरा किसी दूसरी महिला के साथ पहला अवसर है और गौरव तुम होटल के बाहर कही मत जाना। मैं एक घंटे के बाद वापस रूम में गया तब तक प्रीनी जा चुकी थी और गोविंद असीम संतुष्टि के साथ बहुत प्रसन्न नजर आ रहा था। उसने मुझे धन्यवाद दिया और मुझे शाम को एक अच्छे रेस्टारेंट में खाना खिलाने के लिए ले गया।

मैं अपनी व्यापारिक यात्राओं अपने कार्य के संबंध में पांच छः लडकियों से अलग अलग स्थानों पर मिलता रहा। उनसे बातचीत के दौरान महसूस हुआ कि महिलाएँ वेश्यगमन की प्रवृव्त्ति को बहुत हीन दृष्टिकोण से देखती है उनकी आम राय यह थी कि यह आदत बहुत बुरी होती है और अमीर को फकीर कर देती है। घर के वातावरण में तनाव पैदा करके सुख, समृद्धि और वैभव को छीन लेती है।

गौरव अब एक और घटना सुनाता है। मेरी परिचित नंदिता की एक सहेली हेमा कक्षा बारहवीं में पढ़ती थी। एक दिन नंदिता ने उससे मिलवाया और उसको कहा कि यह बहुत अच्छे व्यक्ति है तुम इनसे जान पहचान रखो तो तुम्हारे वक्त जरूरत पर मदद करते रहेंगें। हेमा यह सुनकर बहुत खुश हुई और हम तीनों साथ साथ फिल्म देखने चले गये इसके बाद बाहर रात्रिभोज लेकर सभी विदा हो गये। इतने समय में मैंने हेमा से काफी बातचीत की और वह भी मुझसे खुलकर बातचीत करती रही।

इसके बाद वह कभी कभी मेरे फोन करने पर आ जाती थी। उसे मैं बाजार से कपड़े, सौंदर्य सामग्री, पढाई की पुस्तके आदि दिला दिया करता था। एक दिन उसने मुझसे फिल्मों में अभिनय करने की इच्छा जाहिर की और कहा कि नंदिता ने बताया कि आपकी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत जान पहचान है। मैंने कहा कि उसके लिए तुम्हें मेरे साथ मुंबई चलना होगा। उसने अपने माता पिता से मेरी मुलाकात करवायी और वे भी चाहते थे कि इसे फिल्मों में कोई रोल मिल जाए तो नाम के साथ साथ रूपया भी आने लगेगा। उन्होंने उसे मुंबई ले जाने की अनुमति दे दी। एक दिन वह नंदिता को अपने साथ लेकर आयी और बातचीत के दौरान मैंने उसे बताया कि हेमा मेरे साथ कल मुम्बई जा रही है। उसने हेमा से कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश तो ये दिला देंगे परंतु आगे का रास्ता तुम्हे खुद ही बनाना होगा। हम सभी जानते हैं वहाँ पर कितने समझौते करने होते है। क्या तुम इसके लिए तैयार हो ? हेमा बात समझ जाती है और कहती है कि मैं आगे बढ़ने के लिए सबकुछ करने तैयार हूँ। अगले दिन हम दोनो मुंबई के लिए रवाना हो जाते है। वहाँ पहुँचकर मुम्बई की चकाचौंध देखकर वह भौचक्की रह जाती हैं। हम लोग एक पाँच सितारा होटल में रूके थे। अगले दिन मैंने उसे एक फिल्म निर्माता से मिलवाया। उसने उसका आडीशन लेने के लिए दो दिन बाद का समय दिया। शाम को हम लोग अपने कमरे में ही बैठे हूये थे मैंने उसे रेड वाइन पीने के लिए कहा तो वह तैयार हो गई। हम लोग वाइन खत्म करके होटल के डिस्कोथेक में चले गये वहाँ पर हम दोनो बहुत नजदीक आकर नृत्य करते रहे। थोडी देर बाद हेमा मुझे खीचती हुई कमरे में ले गई और मेरे साथ आलिंगनबद्ध होकर कहने लगी कि मुझे किसी भी तरह से फिल्म में चांस दिलवा दो। तुम जो कहोगे मैं वो करने के लिए तैयार हूँ। मैंने भी उसे अपनी बांहो में जकडते हुए हाँ कह दिया। सारी रात ऐसे असीम आनंद में बीती जिसे मैं शब्दों में नही बता सकता। अगले दिन उसका आडीशन था जिसमें वह असफल हो गई। फिल्म निर्माता ने उसे बता दिया कि वह और मेहनत करे तथा प्रशिक्षण के उपरांत कुछ समय बाद फिर संपर्क करें। यह सुनकर उसका चेहरा उतर गया और तुरंत वापिस जाने की जिद करने लगी। अब उसका व्यवहार मेरे प्रति बदल चुका था वह मुझे दोषी समझ रही थी कि मैंने उसे फिल्म में मौका नही दिलवाया। मैंने उसे बहुत समझाया कि मेरा काम सिर्फ तुम्हे अवसर दिलाना था आगे मेहनत से बढना तुम्हारा काम था जिसमें तुम असफल रही। तुम अपना दिल छोटा मत करो और लगन से मेहनत करके पुनः कोशिश करो। अगले दिन ही हम दोनो वापिस अपने गृहनगर के लिए रवाना हो गये।

गौरव आनंद से कहता है कि मेरी दास्तान तो तुम बड़े ध्यान से सुन रहे हो कुछ अपनी भी ऐसी बातें बताओ जो हमारे लिए प्रेरणास्पद हो। आनंद कहता है में तुम्हें ऐसा वृतांत बता रहा हूँ जिसे तुम जीवनभर याद रखोगे। मेरा एक दोस्त जिसका नाम महेश था जो कि अब दुबई में है। हम लोग बहुत अच्छे मित्र थे। एक दिन हम लोग एक प्रदर्शनी में घूम रहे थे तभी हमारी नजर वहाँ पर खरीददारी कर रही बहुत सुंदर दो लडकियों पर पड़ी। हम लोग भी उस दुकान में खरीददारी के लिए पहुँच गये। उन लडकियों ने जितना रू. का सामान खरीदा था उसके भुगतान में पाँच सौ रू. के लगभग कम पड़ रहे थे। उन्होने दुकानदार से कहा कि हम सामान यही रख देते हैं और थोडी देर से आपको पाँच सौ रूपये लाकर दे देते है। वह दुकानदार मेरी पहचान का था मैंने उससे कहा कि तुम सामान इन्हे ले जाने दो, तुम चाहो तो मुझसे रू. ले लो। दुकानदार ने मुझसे कहा कि आप हमारे पुराने परिचित है, आप कह रहे हैं तो मैं इन्हें सामान ले जाने दे देता हूँ। इसके बाद उन लडकियों ने मुझे धन्यवाद कहा।

दुकान के बाहर निकलने पर मैंने उन लडकियों से कहा कि आगे प्रदर्शनी में मेरा एक परिचित मित्र स्केच बना रहा है आप चाहे तो अपना स्केच भी उससे बनवा सकती हैं इसके लिए आपको कोई शुल्क नही देना होगा। वे आपस में बातचीत करके मेरे साथ चलने तैयार हो गई। मैं उन्हें उस दुकान पर ले गया जहाँ स्केच बन रहे थे। मेरे मित्र ने उन्हें थोडी देर बैठने के लिए कहा। उसी दौरान मैने चाय के लिए आर्डर कर दिया। उन लडकियों से अब मेरा वार्तालाप शुरू हो चुका था, उनके नाम आदया और दर्शिता थे। स्केच बनने तक हमारे में बीच काफी बातें हो चुकी थी। वे दोनो लडकियाँ हास्टल में रहकर पढाई कर रही थी। इस मुलाकात के बाद हम लोग प्रायः मिलने लगे और कुछ समय पश्चात हमारी मित्रता इतनी घनिष्ठ हो गई कि वे अंतरंग संबंध बनाने के लिए भी तैयार हो गई। एक दिन महेश, आदया, दर्शिता और मैं हमारे गेस्ट हाउस में आनंद कर रहे थे तभी अचानक महेश भागा भागा बाहर निकला उसके पेंट पर काफी खून लगा हुआ था और वह दर्द से कराह रहा था मैं तुरंत उसे लेकर अपने डाक्टर मित्र के अस्पताल ले गया। जहाँ पर उसने बताया कि इसकी तुरंत शल्य क्रिया करनी पडेगी क्योंकि कापर टी के गलत लगे होने के कारण यह दुर्घटना हुयी है। महेश को शल्य क्रिया के पश्चात दो दिन अस्पताल में रहना पडा और मुझे उसके घर पर झूठ बोलना पडा कि वह मेरे साथ बाहर जा रहा है। अस्पताल से छुट्टी के बाद डाक्टर ने महेश को समझाईश दी कि संबंध बनाते समय कापर टी बारे में हमें जान लेना चाहिए। यह तो अच्छा हुआ कि तुम समय पर अस्पताल पहुँच गये अन्यथा तुम्हारी मृत्यु भी हो सकती थी। यह सुनकर राकेश और गौरव सकते में आ जाते हैं कि ऐसा तो ना हमने कभी सुना, ना हमें इस बारे में कोई ज्ञान था। अच्छा हुआ तुमने यह बात बताई अब हम भविष्य में सावधान रहेंगें।

अब आनंद और गौरव, राकेश से कहते हैं कि आप भी कुछ कहिए। राकेश कहता है कि एक बहुत मजेदार बात तुम लोगों को बताता हूँ। यह बात आज से लगभग दो वर्ष पूर्व की है। जब मेरी दिल्ली में अचानक ही मेरे मित्र जितेन्द्र से कनाट प्लेस में मुलाकात हुई। उसने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट में केस के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता कपूर साहब को साथ में लेकर आया है। उसने मुझे षाम को होटल ताज में मिलने के लिए बुलाया। मेरे वहाँ पहुँचने पर उसने मुझसे कहा कि आज मुझे कोई काम नही है, अगर तुम किसी लडकी को जानते हो तो बुला लो बढ़िया समय व्यतीत हो जायेगा और कपूर साहब भी खुश हो जायेंगें। मैंने एक लडकी से बात की और उसने आधे घंटे बाद आने के लिए कहा। इस दौरान हम दोनो व्हिस्की पीने लगे। वह लडकी अपने नियत समय पर सीधे हमारे कमरे में आ गई और अपना परिचय देते हुए उसने अपना नाम वामा बताया। वह पूछने लगी कि क्या ये होटल सुरक्षित है ? हम लोग बात कर ही रहे थे कि नीचे से बेल कैप्टन जो कि जितेन्द्र का अच्छा परिचित था का फोन आया कि सिक्योरिटी पुलिस आप के रूम आने वाली है आप उस लडकी को तुरंत बाहर कर दीजिए। यह सुनकर वह लडकी बहुत घबरा गयी और बोली कि मैं होटल में कही भी जाऊँगी तो पकडी जा सकती हूँ। उसी समय मेरे दिमाग में एक विचार आया और मैंने जितेन्द्र को कहा कि इस लडकी को तुरंत ही वकील साहब के कमरे में भिजवा दो। जितेन्द्र ने बिना देर किए वकील साहब का कमरा खुलवाकर उन्हें यह कहा कि आपके लिए इंतजाम कर दिया है और लडकी को तुरंत अंदर करके दरवाजा बंद कर दिया और वापिस अपने कमरे में आ गया।

थोडी देर पश्चात ही हमारे कमरे में पुलिस आ गई और हमारे कमरे की तलाशी लेने लगी। जब उन्हें कमरे कुछ भी नजर नही आया तो वे माफी माँगते हुए बाहर चले गये और वकील साहब के कमरे पर दस्तक देने लगे। यह देखकर हम लोग सन्न रह गये कि अब पता नही क्या होगा। दरवाजा खुलने पर वकील साहब के कमरे में लडकी पायी गयी। पुलिस को देखकर वकील साहब की घिग्गी बंध गयी और उन्होंने सब कुछ सच सच बता दिया। सारी बात जानने के पश्चात पुलिस हमारे पास आयी तो हम लोगों ने दो टूक शब्दों में कह दिया हम लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नही है वकील साहब पकड़े जाने के भय से हमारा नाम ले रहे है। अब पुलिस वकील साहब को पकडकर ले जाने लगी तभी जितेन्द्र ने ड्यूटी मैनेजर जो कि उसकी पहचान का था उसे फोन करके कहा कि इस मामले को किसी भी तरह रफा दफा करवाओ। यदि यह मामला बढ गया तो बड़ी परेशानी खडी हो जायेगी। यह सुनकर मैनेजर तुरंत उपर आया और पुलिस इंस्पेक्टर से अकेले में बातचीत करने लगा। थोडी देर पश्चात मैनेजर ने कहा कि आप इन्हें पचास हजार रू. दे दीजिए। यह सुनकर जितेन्द्र ने तुरंत पचास हजार रू. देकर मामला खत्म कराया और उस लडकी को वहाँ से जाने के लिए कह दिया।

अब वकील साहब जितेन्द्र के उपर बहुत भड़क गये और बोले कि आज तक मेरे साथ ऐसी घटना नही हुई तुमने तो अपनी मुसीबत मेरे सिर पर डालकर मुझे फँसा ही दिया था। मैं अब तुम्हारा केस नही लडँूगा और मैं इसी समय वापिस जा रहा हूँ। आज के बाद अब तुम कभी मुझसे मत मिलना। यह सुनकर जितेन्द्र और मैं वकील साहब को मनाने लगे और कहा कि मामला तो आखिर हम लोगों ने निपटवा ही दिया है इस मामले में चाहे जितना भी खर्च होता हम लोग आपको बचाने के लिए कृत संकल्पित थे। अतः अब गुस्सा मत कीजिए। हम आपके हितेषी हैं आपका बुरा कभी नही चाहेगें। यह सुनकर वकील साहब का गुस्सा थोडा शान्त हुआ तब हम लोगो ने उन्हें प्यार से बैठाकर एक पैग व्हिस्की बनाकर उन्हे पिलायी। कुछ समय पश्चात जब वकील साहब का गुस्सा पूर्णतः शान्त हो गया तब उन्होने हम लोगों को हिदायत दी कि दुबारा कभी ऐसा मत करना। हम लोगों ने माफी माँगते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि अब आगे ऐसा कभी नही होगा।

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