92 girlfriends - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

92 गर्लफ्रेंड्स भाग ८

उसकी कविता सुनकर और उसकी साहित्यिक अभिरूचि के लिए मैंने उसकी प्रशंसा करते हुए उसे प्रोत्साहित किया। एक दिन हम लोग शहर के एक प्रसिद्ध रेस्टारेंट में बैठे थे। राजलक्ष्मी ने चर्चा के दौरान बताया कि अगले माह उसे नर्सिंग ट्रेनिंग के विशेष प्रशिक्षण के लिए दुबई जाना है। उसे छः माह के इस प्रशिक्षण के बाद भविष्य में अच्छी नौकरी प्राप्त होने की संभावनायें बढ जायेंगी। मेहमूदा ने भी बताया कि अगले माह तक उसका भी स्थानांतरण होकर वह चली जायेगी। मैंने पूछा कि कहाँ जा रही हो तो वह बोली कि यह तो नौकरी है जहाँ स्थानांतरण होगा वहाँ जाना पडेगा। किसी को भी इसकी जानकारी नही रहती है। एक दिन राजलक्ष्मी ने पूछा कि क्या तुम मुझे कार चलाना सिखा दोगे। मुझे दुबई में इसकी जरूरत पड सकती है। मैंने उसे हाँ कहकर अपने पास बैठा लिया और ड्राइविंग सिखाने लगा। यह स्वाभाविक ही था कि ड्राइविंग सिखाने में मेरे हाथ उसके शारीर को छू जाते थे और शरीर में अजीब से सी उत्तेजना होती थी। हम दोनो इसका आनंद लेते थे।

हम लोग घूमते फिरते, बातें करते हुए आनंद से समय बिता रहे थे और ना जाने कब कैसे एक माह समय बीत गया। राजलक्ष्मी का दुबई जाने और मेहमूदा का भी स्थानांतरण का आदेश आ गया। मैंने उन दोनो को अपनी ओर से यादगार के लिए तोहफा दिया। मुझे आज भी वे बीते हुए दिन बहुत याद आते हैं और आज भी एक आत्मीय संबंध उनकी यादों से बना हुआ है।

आनंद दूसरा वृतांत बताता है कि मेरे एक मित्र मोहन को पेट में अक्सर तकलीफ रहती थी। वह हजारो रूपये इसके इलाज में खर्च कर चुका था परंतु समुचित लाभ प्राप्त नही हो पाया था। किसी ने उसे बताया कि रेल्वे हास्पिटल में कार्यरत एक नर्स जिसका नाम सविता है उसे होम्योपैथी का अच्छा ज्ञान है एक बार उससे भी मिल लो क्या पता शायद आराम लग जाये। रेल्वे कालोनी में सविता नाम की एक नर्स अपनी एकलौती बेटी रश्मि के साथ रहती थी। उस महिला ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किये थे। अपने पति के साथ संबंध विच्छेद करने के उपरांत उसने नर्सिंग का कोर्स किया और रेल्वे में नौकरी करने लगी। उसे होम्योपैथी का भी काफी ज्ञान था। हम दोनो एक दिन उसके घर पर पहुँच गये और उसके पूछने पर अपने आने का प्रायोजन बता दिया। वह आदरपूर्वक हम लोगों को अंदर ले गई और एक कमरे में बैठाकर मोहन से उसकी बीमारी के विषय में विस्तृत जानकारी लेने लगी। उसी समय उसकी बेटी भी बाहर से वापिस आयी और हम लोगो को नमस्कार करके अंदर चली गई। वह पुनः पाँच मिनिट बाद आयी और मुझसे बोली की आप अंदर बैठ जाये, माँ को इनकी विस्तृत जाँच करने में समय लगेगा। मैं अंदर जाकर बैठ गया। वह लडकी अपने घरेलू कामकाज निपटाकर मेरे लिए चाय लेकर आई। चाय पीते पीते हम लोग आपस में बातचीत भी कर रहे थे। इस बातचीत के दौरान मालूम हुआ कि वह पढाई में बहुत होशियार थी और हमेशा कक्षा में प्रथम आती थीं। उसे पश्चिमी नृत्य और बैडमिंटन का बहुत शौक था। मैंने उससे कहा कि हमें भी पश्चिमी नृत्य सीखना है, तो वह बोली कि मैं जहाँ सीखने जाती हूँ आप भी वहाँ आ जाये। हमारी बातचीत चल ही रही थी कि मोहन अपनी जाँच पूरी करवाकर एवं एक सप्ताह की दवाई लेकर आ जाता है और हम दोनो वहाँ से वापिस रवाना हो जाते हैं। अगले ही दिन हम जहाँ रश्मि पश्चिमी नृत्य सीखने जाती थी वहाँ पहुँचते हैं। उसने हमारा परिचय अपने शिक्षक से करवाया और हम लोगों को उसी बैच में प्रवेश दिलवा दिया। अब हम लोग नृत्य सीखने के लिए प्रतिदिन मिलने लगे और हमारी मित्रता बढती गई। कुछ समय पश्चात हम लोग रेस्टारेंट,पिक्चर हाल वगैरह साथ साथ जाने लगे।

एक दिन अचानक मोहन भागा भागा आया और कहा कि किसी ने रश्मि के उपर तेजाब फेंक दिया है वह तो ईश्वर की कृपा थी कि झुकने की वजह से उसके चेहरे पर कुछ नही हुआ परंतु कंधे और गले में इसका प्रभाव पडा है उसे उचित ईलाज के लिए अस्पताल में भर्तीं किया गया है और पुलिस इस मामले की गंभीरता से जाँच कर रही है। मोहन ने कहा कि चलो हम उससे अस्पताल में मिलकर आते हैं तो मैंने मना करते कहा कि अगर हम उससे मिलने जायेंगे तो हो सकता है हम भी पुलिस की निगाह में आयें और हमारे से भी पूछताछ होने लगे। इसलिये इस झंझट से बचने के लिए अभी मत जाओ जब वह अस्पताल से वापिस आ जायेगी तब जायेंगें अभी केवल फोन करके उसकी माँ से तबियत के बारे में जानकारी ले लेते हैं। कुछ दिनों पष्चात रश्मि अस्पताल से घर वापिस आ गई। हम लोग उससे मिलने के लिये गये तो पता चला कि उसके साथ ये कांड उससे एक तरफा प्रेम करने वाले एक आपराधिक प्रवृत्ति के लडके ने किया था, उसे रश्मि का किसी से भी मिलना जुलना पसंद नही था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था और उसने अपना अपराध भी स्वीकार कर लिया था। रश्मि की माँ ने बताया कि तेजाब के कुछ छींटे उसके गाल पर भी आये थे जिसके लिए डाक्टर ने उसे मुंबई में प्लास्टिक सर्जरी करवाने के लिए कहा था। इसके लिए हम लोग तीन दिन बाद ही मुम्बई जा रहे हैं। इतना सब सुनने के बाद मैंने निर्णय लिया कि अब रश्मि मिलना बंद कर देना चाहिये अन्यथा ऐसा कोई हादसा कहीं हमारे साथ भी ना हो जाए।

इसके बाद आनंद ने नयी घटना बताई। उसने कहा कि शहर के उपनगर में आर्मी के शार्ट सर्विस कमीशन से हाल ही में सेवानिवृत्त्त हुये एक मेजर साहब अपनी पत्नी और दो सालियों के साथ रहते थे। मेरा उनसे परिचय मेरे एक मित्र के माध्यम से हुआ था। मेजर साहब समय व्यतीत करने हेतु एक अच्छी नौकरी की तलाश में थे मैंने उनसे कहा कि क्या आप हमारे सिनेमा हाल में प्रबंधक के पद पर कार्य करना पसंद करेगें। मेजर साहब के हाँ कहने पर मैंने पिताजी से इस बारे में बात की और उन्हे मेजर साहब से मिलवाया। इसके बाद पिताजी ने उन्हें मैनेजर के पद पर नियुक्त कर दिया। अब मेरा मेजर साहब के यहाँ आना जाना काफी बढ गया था और उनकी सालियों अंजना और वंदना के साथ भी काफी मित्रता हो गई थी। वे अक्सर मेरे साथ बाहर घूमने जाया करती थी। हमारी पारिवारिक मित्रता के कारण उनके परिवारजनों को भी इस बात पर कोई आपत्ति नही थी। वंदना बी.एड. की छात्रा थी और अंजना बी.काम कर रही थी। एक दिन वंदना से शिक्षा कैसी हो के विषय में चर्चा हुई तो उसने कहा कि शिक्षा लक्ष्य प्राप्ति का एक साधन है ओर इसका उद्देश्य हमारे आंतरिक गौरव को उभारकर हमारी योग्यताओ को विकसित करना होता है। जीवन में कभी विपरीत परिस्थितियाँ आने पर हम समस्याओं का समाधान अपने में संचित ज्ञान के भंडार का उपयोग करके निदान कर सकते हैं। हमारा भाग्य हानि लाभ सब कुछ विधाता के हाथों में होता है जो व्यक्ति जीवन में ईमानदारी, परिश्रम एवं सच्चाई से जीवन जीता है प्रभु भी उसी का साथ देते हैं और वह अपने जीवन को सार्थक बनाता हैं। इस प्रकार का जीवन कठिन हो सकता है परंतु असंभव नही। जीवन में प्रतिक्षण सकारात्मक, नकारात्मक विचार आते जाते हैं। हमको प्रयासरत रहना चाहिए कि हम सकारात्मक विचारों को अपनी ऊर्जा का उद्गम बनाए। जीवन में असफलता से कभी भी निराश नही होना चाहिए। असफलता ही जीवन में सफलता की नींव बनती हैं। मैं उसके विचारों से बहुत प्रभावित हुआ और उसके हाथ को थामकर कहा कि तुमने बडी सार्थक बातें बताई। हमारे लगातार मिलने के कारण हमारी मित्रता आत्मीय संबंधो में तब्दील हो गई थी और एक दिन हम लोग सारे बंधनों को तोडकर एक हो गये थे। हमारे अंतरंग संबंधों के बारे में जानकर अंजना स्वयं ही दूर हो गई थी। मेरे वंदना के साथ संबंध उसके विवाह होने तक बने रहे और आज भी उसके साथ बिताए हुए स्वर्णिम क्षण मुझे असीम आनंद की अनुभुति देते हैं।

आनंद आगे कहता है कि मैं आप लोगों को एक और घटना से अवगत करा रहा हूँ। मुझे कुछ वर्ष पूर्व तक राजनीति का बहुत शौक था और मैं एक राजनैतिक दल के युवा प्रकोष्ठ का प्रभारी था। एक बार हम लोग किसी छात्र आंदोलन के संदर्भ में दिल्ली गये हुए थे। हमारे दल में काफी संख्या में लडकियाँ भी थी। वहाँ पर पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में पार्टी प्रमुख से हमारी मुलाकात हुई और विभिन्न राजनैतिक विषयो पर चर्चा हुई। मुलाकात के उपरांत बाहर निकलने पर एक संभ्रांत व्यक्ति मेरे पास आया और अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए बोला कि आप को इस कार्यालय में कोई भी काम हो तो मुझसे संपर्क करियेगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मेरे अच्छे संपर्क हैं। वह व्यक्ति अपने आप को पार्टी का अखिल भारतीय स्तर का पदाधिकारी बता रहा था।

उसने मुझे शाम को एक सांसद के घर पर मिलने के लिए बुलाया। मैं शाम को उसके बताए पते पर पहुँचा तो वहाँ का चपरासी मुझे घर के पीछे बने हुए आऊट हाऊस में ले गया। जब मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि वह व्यक्ति शराब पी रहा था उसने मुझसे भी पीने के लिए पूछा, मैंने भी हाँ कह दिया। अब धीरे धीरे शराब के दौर के साथ हमारी बातचीत भी बढ़ती जा रही थी। कुछ देर बाद वह सीधे मुद्दे की बात पर आ गया और बोला कि आप के प्रतिनिधि मंडल में किसी लडकी को पदाधिकारी बनने की इच्छा हो तो बताएँ मैं बनवा सकता हूँ ? मैंने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है हमारे आने का उद्देश्य भी यहीं था कि महिलाओं को संगठन में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। हम बात कर ही रहे थे कि तभी एक नेता जी वहाँ आये और उस व्यक्ति से कुछ बात करने लगे। उस व्यक्ति ने किसी को फोन किया और थोडी ही देर में एक लडकी वहाँ आ गई जिसका उन्होंने नेताजी से परिचय कराया और उनके साथ भेज दिया। यह सब देखकर मेरे मन में संदेह पैदा हो रहा था कि आखिर यहाँ हो क्या रहा है ? उन नेताजी के जाने के बाद उस व्यक्ति ने बताया कि यह व्यक्ति एक प्रदेश का मंत्री है और जो लडकी उन नेताजी गयी है उसे राजनीति में आगे बढने की तीव्र इच्छा है बस उन दोनो को मिलाने का काम मेरा है। आपके साथ जो लडकियाँ आयी हैं अगर उनमें से किसी की इच्छा आगे बढने की है तो मैं उनकी मदद कर सकता हूँ।

अगर आप मेरे साथ संपर्क बनाए रखेंगे तो आपको भी बहुत फायदा होगा। इतना कहने के बाद उसने अंदर से नीलिमा नाम की लडकी को बुलाया और मेरा परिचय कराते हुए कहा कि यह बहुत बडे नेताजी हैं और साथ ही साथ बहुत धनवान भी हैं। वह उस लडकी को मेरे बारे में तरह तरह के प्रलोभन देकर उसे मेरे साथ जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। वह लडकी मेरे साथ जाने के लिए तैयार हो गई और मैं उसे लेकर एक रेस्टारेंट में पहुँच गया। वहाँ पहुँचकर मैंने अपने स्तर पर उस व्यक्ति की जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि वह कोई नेता नही है बल्कि एक सासंद का दूर का रिश्तेदार है जो हर महीने दिल्ली आकर उनके सरकारी घर में रूकता हैं। यह सारी बातचीत नीलिमा के सामने हो रही थी।

यह सब सुनकर वह रोने लगी और बोली कि आज आपने मेरा जीवन तबाह होने से बचा लिया। मैं इस व्यक्ति के संपर्क में पिछले सप्ताह से थी और यह मुझे पार्टी में पदाधिकारी बनने का प्रलोभन देकर कह रहा था कि इसके लिए आपको सेवा, समर्पण और समझौता करना पड़ेगा। परंतु आप की वजह से इस झूठे और फरेबी व्यक्ति की पोल खुल गयी है। इस वाक्ये के बाद वह लडकी मुझे धन्यवाद देती हुयी वापिस चल गई और मैं भी इस प्रकार के फरेबी व्यक्तियों के बारे में सोचते हुए जिनके कारण अच्छे राजनैतिज्ञ और राजनीति बदनाम होती है, होटल आ गया। मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि लोग कैसे इनके प्रलोभनों में आ जाते हैं ? होटल पहुँचने पर मैंने यह बात सभी को बताई तो सभी आश्चर्य व्यक्त करते हुए कह रहे थे कि हमें बहुत सजग रहना चाहिए।

इसके बाद राकेश ने मुंबई का एक वृतांत बताते हुए कहा कि उसके बचपन का मित्र शमशेर सिंह मुंबई के जुहु इलाके में रहता था। उसका मुख्य काम फिल्म निर्माताओं को आवश्यकता होने पर धन उपलब्ध कराना था। एक बार उसने मुझे मिलने के लिये अपने गेस्ट हाऊस में आमंत्रित किया। वहाँ उसने फोन करके पाँच लडकियों को बुलाया और उनसे कहा कि आप लोग बढ़िया नृत्य करके मेरे मित्र को प्रसन्नचित्त कर दीजिए। यदि ये खुश हो गये तो हम आपको फिल्म निर्माता से कहकर और भी अच्छे रोल दिलाने की सिफारिश करेंगें। वे सभी शमशेर सिंह को जानती थी कि यह फिल्म फाइनेंसर है और उसके करोंडों रूपये कई निर्माताओ की फिल्मों में लगे हुए हैं। उसकी बात को फिल्म निर्माता काफी तवज्जो देते थे।

मैंने उससे पूछा कि जो बडें बडे फिल्म निर्माता है क्या उन्हे भी फिल्म निर्माण के दौरान बाहर से रूपये लेने की आवश्यकता पडती है ? उसने कहा कि हाँ। मैंने पूछा कि रकम वापिसी की क्या गारंटी होती है ? शमशेर सिंह बोला कि फाइनेंसर के पास कापीराइट रिजर्व रहता है जब तक कि उसका पूरा रूपया चुकता ना हो जाए वे अपनी फिल्म का प्रदर्शन नही कर सकते। मैं केवल बड़े और नामी निर्माताओं की फिल्मों में ही रूपया लगाता हूँ। उसी समय वे पाँचों लडकियाँ जया, मधु, बसंती, माधुरी और प्रिया कहती हैं कि आप लोगों को यदि व्यापार की बातें करना है तो हम लोग यहाँ क्या करेंगें ? शमशेर बोला कि दस मिनिट और रूक जाओ। मैंने तबला और हारमोनियम वाले को भी यहाँ बुलाया है और वे यहाँ आते ही होंगें। मुझे एक फिल्म निर्माता ने अपनी अगली फिल्म के लिए दो अच्छी नृत्यांगनाओं की खोज करने हेतु कहा है जिसे वे अपनी फिल्मों में काम करने का मौका देगें। यह सुनकर सभी बहुत प्रसन्न हो जाती हैं और व्हिस्की की बोतल खोलकर सभी के लिए पैग बनाती है।

उसी समय तबला और हारमोनियम वाले भी पहँच जाते है और फिल्मी गानों की धुन पर नृत्य का कार्यक्रम प्रारंभ हो जाता है। मैं उनकी भावभंगिमाओं को देखकर खुश हो गया और एक अजीब सा अहसास मेरे दिल को रोमांचित कर रहा था। कुछ देर बाद शमशेर सिंह मुझसे कहता हैं कि इनमें से जिसकी नृत्य शैली दूसरों की अपेक्षा कमजोर हो उसे बताओं। मैंने मधु के लिए कहा कि इसका नृत्य अन्य चारों की तुलना में ठीक नही हैं। शमशेर ने अपने पास से दो हजार रू. निकाले और उसे देकर विदा कर दिया। अब पुनः नृत्य शुरू हो गया और दस मिनिट बाद शमशेर सिंह ने पुनः यही बात पूछी कि अब इन चार में से जिसका नृत्य सबसे कमजोर हो बताओ। मैंने माधुरी को ओर इशारा करके बताया, उसे भी शमशेर ने मधु के समान दो हजार रू. देकर विदा कर दिया। अब बाकी बची तीन लडकियों से आधे घंटे तक अर्धनग्न नृत्य कराने के बाद तबला हारमोनियम वालों को रूपये देकर विदा कर दिया। उनके जाने के बाद मुझसे पूछा कि तुम्हे कौन सी दो लडकियाँ अच्छी लगी। मैंने बसंती और प्रिया को पसंद कर लिया और वे मेरे पास आकर बैठ गयी और तीसरी लडकी जया शमशेर के साथ चली गयी। शमशेर ने जाते हुए मुझसे कहा कि जब तक तुम्हारी इच्छा हो रूकना और फिर चैकीदार का चाबी देकर चले जाना। उसने जाते जाते उन लडकियों को भी पाँच पाँच हजार रू. देकर कहा कि ये हमारे खास मेहमान है इनका ध्यान रखना। शमशेर के जाने के बाद हम सभी ने व्हिस्की का एक एक पैग और बनाया और उनके जीवन के विषय में बातचीत चालू की। उन्होंने बिना किसी संकोच के हमें बताया कि उन्हें फिल्मों में काम करके बड़ी अभिनेत्री बनना है और इसी चाह में हम लोग शमशेर सिंह जैसे फिल्म फाइनेंसर के संपर्क में आ गये जिन्होंने हमसे वादा किया है कि वे हमें आगे बढने में मदद करेंगें। हम उन्हें खुश रखते है और वे हमारी मदद करते हैं इस प्रकार दोनो ही एक दूसरे का लाभ उठाते है। यह सब सुनने के पश्चात लगभग दो तीन घंटे उनके साथ बिताकर करके मैं अपने होटल आ गया था।

ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुँचने ही वाली थी। मानसी उठकर दरवाजे के पास खडी हो गयी और हम तीनों सोच रहे थे कि ऐसा कौन सा सरप्राइज मानसी देने वाली है जो कि हमें नही मालूम। ट्रेन स्टेशन पर रूकने के थोडी देर बाद रवाना हो जाती है। ट्रेन चलने के पाँच मिनिट बाद मानसी, आरती और पल्लवी को अपने साथ लेकर कंपार्टमेंट में आ जाती हैं। उन्हें देखकर तीनों चौक जाते हैं और पूछते हैं कि आप लोग यहाँ कैसे ? पल्लवी कहती है कि मेरा घर यहाँ से पास में ही है, मैं यहाँ छुट्टी में आई हुई थी और आरती को भी अपने साथ ले आई थी। मुझे मानसी ने बताया था कि आप सभी इस ट्रेन से वापिस हो रहे है तो मैंने भी इसी ट्रेन में आरक्षण ले लिया था। आप सभी के लिए हम खाना लेकर आये हैं। उसी समय टिकिट चेकर कंपार्टमेंट में आता है और आरती एवं पल्लवी की टिकिट देखकर कहता है कि मेडम आपकी टिकिट एसी थ्री की है अतः आप यहाँ नही बैठ सकती हैं। गौरव टिकिट चेकर से कहता है कि यह हमारे ही साथ हैं और हम सभी को अगले स्टेशन पर उतरना है। अगर आपकी कृपा हो जाए तो यह सफर हमारा एक साथ कट जायेगा। इतना कहकर गौरव उसे 1000 रू. धीरे से दे देता है। टिकिट चेकर प्रसन्न होकर उन्हे बैठने की अनुमति देकर आगे बढ़ जाता हैं। आरत और पल्लवी, राकेश से पूछती हैं कि तुम्हारी प्रदर्शनी कैसी रही ? राकेश कहता है बहुत अच्छी रही, मेरी कुछ पेटिंग्स लोगों को इतनी पसंद आयी कि उन्हें बेचने से मुझे लगभग दो लाख रू. प्राप्त हुये। आरती और पल्लवी ने आश्चर्यचकित होकर राकेश को बहुत बधाई दी और उससे इस हेतु पार्टी देने के लिए कहा। पल्लवी ने पूछा कि आप लोगों ने इतने दिन मुंबई में कैसे समय व्यतीत किया। आप लोग तो बोर हो गये होंगें। आनंद ने कहा कि हम लोग बिल्कुल भी बोर नही हुये बल्कि मुंबई के जीवन का भरपूर आनंद लिया। इसके बाद सभी ने आरती और पल्लवी के द्वारा लाया हुआ भोजन किया और सभी ने उनके द्वारा बनाये हुये भोजन की तारीफ करते हुए उन्हे धन्यवाद दिया। कुछ समय पश्चात ट्रेन गंतव्य स्टेशन के प्लेटफार्म पर खडी हो गयी थी। वे सभी उतरकर नीचे आये उनको लेने के लिये तीन गाडियाँ आयी हुयी थी। एक गाडी में मानसी, आरती और पल्लवी को हास्टल भिजवा दिया जाता है एवं बाकी दो गाडियों राकेश, आनंद और गौरव अपने घर चले जाते हैं।

अब तीनों प्रायः प्रतिदिन शाम के समय कभी साथ साथ तो कभी अकेले मिलने लगे। इन तीनों ने अपनी अपनी प्रेमिकाओं के लिए उनके हास्टल के कमरे में एयर कंडीशन, फ्रिज आदि सुविधाजनक उपकरणों की व्यवस्था करवा दी थी ताकि इन्हे किसी प्रकार की असुविधा ना रहे। हास्टल वार्डन के लिए तीनों ने एक एक वाशिंग मशीन उपहार स्वरूप दी थी जिससे वह बडी खुश थी और इनके मिलने जुलने में किसी किस्म का व्यवधान खडा नही करती थी। मानसी को राकेश तहेदिल से चाहने लगा था। एक दिन जब वे बाहर घूम रहे थे तब राकेश ने पूछा कि तुमने अपनी शादी के विषय में क्या सोचा है तुम यदि हाँ कहती हो तो मैं अपने माता पिता से बात कर सकता हूँ। मानसी ने कहा कि मैं बलात्कार के मानसिक आघात से अभी तक ठीक नही हो पायी हूँ। इसलिये इस बारे में अभी कुछ नही कह सकती। राकेश मन में सोचता है कि एक दिन मैं इसके दिल से बलात्कार का डर दूर कर दूँगा। यदि ऐसा कर सका तो स्वमेव ही इसके मन में मेरे प्रति प्रेम जाग्रत हो जायेगा।