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ममता की छांव

स्कूल नहीं जाना है क्या? उठ जाओ बेटा! प्यार से सहलाते हुए मां मौली और बिन्नी को उठाने की कोशिश कर रही थी।
मौली और बिन्नी दोनो आंखे मलते हुए बाहर मुंह धोने जाने लगे लेकिन बिन्नी बाहर आकर लकड़ी के ब्रेंच पर लेट गई । शायद वह अभी और सोना चाहती थी।
मौलीं मुंह धोकर रसोई में गई । मां ने दूध का ग्लास मौली को पकड़ाते हुए पूछा बिन्नी कहा है, वह ब्रेंच पर सो गई - मौली ने मां से कहा । जा उसको उठा दे । मौली  दूध पीकर बिन्नी को उठाने चल दी ।
ग्रामीण परिवेश में रहने वाली 10 साल की मौली कक्षा 5 और बिन्नी 4 में पास के सरकारी स्कूल में पढ़ते है। उसके माता पिता किसान है और खेती करके  खुशहाल जीवन यापन कर रहे है । बिन्नी मौली से २ साल छोटी बहन है।
रोज की तरह आज भी मौली और बिन्नी दोनो ने अपना अपना झाड़ू उठाया और आंगन साफ करने लग गए । यह काम उनको केवल व्यस्त रखने के लिए सौंपा गया था ताकि वह दंगा ना करे । हालांकि सफाई से ज्यादा दोनो का लडाई में ज्यादा समय लग जाता था । आंगन ज्यादा बड़ा नही था पर दोनो ने आधा आधा बांट रखा था । वह सांकेतिक रेखा जो आंगन को  दो बराबर भागो में बांटती थी वह दोनों के लिए किसी देश की सीमा रेखा से कम नहीं थी। जरा सा भी दूसरे क्षेत्र से अतिक्रमण किसी युद्ध को चुनौती देने जैसा था । आज भी दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया ।
मै बाहर आऊं क्या? मां  ने डांटते हुए कहा । मां की डांट सुनकर दोनों चुपचाप सफाई करने लग गए । मौली और बिन्नी ने आंगन साफ करके हाथ मुंह धोए और स्कूल के लिए तैयार होने के लिए जाने लगी । मौली तू आज स्कूल मत जा घर पर ही रह जा - मां मौली को रोकते हुए बोली । नहीं मां आज दूसरे स्कूल के साथ हमारा खो खो का मैच है  गई नहीं तो हम हार जाएंगे! बिन्नी  को रोक लो ना ? मौली ने मना करते हुए मां से कहा ।
नहीं बिन्नी नहीं, वह तो छोटी है, -मां मौली से कहती है । 
नहीं नहीं मैं भी नहीं रुकूंगी आज तो बिल्कुल नहीं । इतना कहकर मौली भागते हुए तैयार होने चली गई ।
मां ने दोनों के बाल बनाए । बस्ते में आज की किताबें रखकर खाना खाने के लिए आ जाओ मां बिन्नी और मौली से कहती है।
दोनों किताबें रखकर रसोई में गई । मां ने दोनों को खाना परोसा । दोनों  खाना खाकर  स्कूल को जाने लग गए । 
रास्ते में मौली कि सहेली प्रीतो का घर भी पड़ता है । रोज वह साथ ही स्कूल जाते है । लेकिन आज प्रीतो को स्कूल में लिए तैयार ना देखकर मौली कहती है - अरे तू तैयार क्यों नहीं हुई है । देर हो जायेगी अब तो । मौली खीजते हुए प्रीतो से बोली।
आज मैं स्कूल नहीं जा रही हूं - प्रीतो ने मौली से कहा।
क्यों ? मौली ने प्रीतो से पूछा ।
आज मां की तबियत खराब है । तो उन्होंने कहा कि घर रुक जा - प्रीतो जवाब देते हुए बोली ।
चल ना स्कूल आज मैच भी तो है और तुझे घर के काम भी कहा आते है - मौली प्रीतो को जोर देते हुए बोली।
नहीं में नहीं जा रही मां को किसी चीज जरूरत पड़ेगी तो में दे दूंगी - इतना कहते ही प्रीतो चली गई ।
दोनों फिर स्कूल के लिए चल पड़े । 
चलते चलते मौली सोचते हुए जा रही थी कि आज उसकी मां भी उसे स्कूल जाने से रोक रही थी ।
तो क्या उनकी भी तबियत खराब है । पर उन्होंने तो बोला ही नहीं।  तभी उसे ध्यान आया स्कूल जाने की ज़िद में उसने तो मां से ये पूछा ही नहीं था । इतना सोचते ही मौली रुक गई ।
रुक क्यों गई - बिन्नी कहने लगी ।
बिन्नी तू मेरा बस्ता लेकर स्कूल जा मुझे घर पर कुछ काम है मै आ जाऊंगी - मौली में कहा
बिन्नी - अरे पर अब तो बहुत देर हो चुकी है वापस जाएगी तो  मास्टर साहब मारेंगे ।
मौली - कोई बात नहीं में भागते हुए जाऊंगी और जल्दी आ जाऊंगी ।
इतना कहकर मौली ने बिन्नी को अपना बस्ता दिया और वह घर की तरफ भागते हुए चली गई । भागते भागते वह हांफते हुए घर पहुंची । मां आंगन के पास नल में बर्तन साफ कर रही थी। मौली को घर आया हुआ देखकर मां ने पूछा वापस क्यों आयी ।
मौली ने जवाब ना देकर हाथ से पहले मां के माथे को छूकर देखा, फिर गाल को ! अरे ये तो गरम नहीं है इसका मतलब बुखार नहीं है इतना सोचकर मौली ने मां से पूछ ही लिया मां तुम्हारी तबियत खराब है क्या?
मां - क्यों पूछ रही हो?
मौली - जल्दी बताओ ना मां स्कूल के लिए देर हो रही है ।
नहीं तबियत खराब नहीं है - मां ने जवाब दिया ।
मौली ठीक है । 
पर ये तो बता ?
इससे पहले मां कुछ और पूछ पाती मौली भागते हुए स्कूल की तरफ बढ़ गई और चिल्लाते हुए बोली शाम को आकर पूछ लेना मां देर हो रही है ।
भागते हुए मौली स्कूल पहुंची प्रार्थना शुरू हो चुकी थी । मौली को थोड़ा डर लगा। आज तो मार पड़ेगी वह में ही मन सोचने लगी । पर फिर भी वह डरते हुए स्कूल के प्रार्थना स्थल पर गई और बच्चो की लाइन में लग गई । पर आज किसी भी अध्यापक ने उसको देर से आने के लिए टोका नहीं ।
प्रार्थना के बाद मौली ने बिन्नी से अपना बस्ता लिया और अपनी कक्षा में चली गई । वह बहुत खुश थी आज मैच जो था । कक्षा में बैठते ही प्रधानाचार्य जी ने खेल में भाग लेने वाले बच्चो को बुला लिया । सबको पास के स्कूल में जहां खेलकूद प्रतियोगिता थी वहां ले गए । खेल में मौली और उसका समूह प्रथम स्थान जीता । सब बच्चों को ट्रॉफी दी गई । आज वह बहुत खुश थी मन में सोचने लगी अब जल्दी जाकर मां को ये बताना है, ट्रॉफी को देखकर तो मां बहुत खुश हो जाएगी और यह भी बताना है कि अगर वह घर रुक जाती तो ट्रॉफी कैसे जीत पाती। सभी अध्यापक उसको शाबाशी कैसे देते । 
आज की सभी बातें भी तो बतानी है कैसे मैच हुआ ।
ये सोचते हुए कब छुट्टी हो गई उसे पता भी नहीं चला । छुट्टी की घंटी बजते ही सब बच्चे बस्ता टांगकर घर की ओर जाने लगे मौली और बिन्नी भी बच्चों के साथ मस्ती करते हुए आ रहे थे । आधे रास्ते तक पहुंचे ही थे कि पड़ोस में रहने वाले काका मिले  उन्होंने मौली को कहा कि जल्दी घर जा तुझे घर बुलाया है ।
मौली ने काका से पूछा क्या काम बुला रहे है ।
काका बोले बेटा जल्दी चली जा घर वहीं पूछ लेना । इतना सुनते ही मौली ने रफ्तार तेज कर दी और बिन्नी को भी बोला जल्दी चल पर बिन्नी फिर भी बच्चो के साथ मस्ती में मगन थी । मौली ये सोचते हुए कि कहीं मां आज बाहर बाजार तो नहीं ले जा रही है । खुश होकर वह भागते हुए घर की ओर चल दी ।
घर तक आते ही उसे घर पर भीड़ दिखाई दी । जैसे जैसे वह अपने कदम आगे बढ़ा रही थी अब लोगों की आवाजें सुनाई देने लगी थी है राम बेचारी क्या हो गया? कैसे ऐक्सिडेंट हो गया? हालांकि मौली ज्यादा बड़ी नहीं थी पर उस कुछ अनहोनी की आशंका होने लगी । आंगन तक पहुंचते देखती है कि उसकी दादी चाची के ३ साल के बेटे को रोते हुए कह रही थी मां अब नहीं आएगी कभी।
उसे लगा उसकी चाची को कुछ हुआ है ।
वह नज़रे इधर उधर घुमाने लगी पर चाची नहीं दिखाई दे रही थी। पर मां भी तो नहीं है । यह कैसी घबराहट थी। वह भागते हुए अन्दर कमरे में गई और डरते हुए आलमारी में कपड़े देखने लगी मां की सारी साड़ियां जो वह आने जाने में ले जाती है सब तो घर ही है इसका मतलब मां बाहर  बाजार गई ही नहीं तो फिर उनका ऐक्सिडेंट कैसे हो सकता है ।
फिर दादी से भी तो चाची के बेटे को कहते हुए सुना कि मां नहीं आयेगी । तो फिर चाची को ही कुछ हुआ है ।
अपनी मां के ठीक होने के ख्याल से उसके मन में थोड़ी खुशी महसूस हुई । शायद इस समय वह अपनी मां के लिए वह थोड़ी स्वार्थी हो गई थी। इससे पहले कि वह कुछ और सोचती की बाहर से चीत्कार की आवाजे सुनाई आने लग गई । मौली ने अपना बस्ता वहीं फेंका और भागते हुए बाहर आकर देखा तो गाड़ी से किसी को बाहर ले जाकर जमीन पर लेटाया जा रहा था अब मौली का डर यकीन में बदल गया था ये तो मां ही है उसका पूरा शरीर कांप गया मां उसको छोड़कर हमेशा के लिए जा चुकी है । इसके ख्याल से ही वह जमीन पर धम्म से गिर गई। अब उसे याद आ रहा था कि उसके घर के पास से भी सड़क गुजरती है ।और उसकी चाची का बेटा भी तो मौली की मां को मां ही कहता था । 
इतना सोचते ही मौली रो पड़ी यह सोचते हुए कि आज वह मां के कहने पर घर क्यों नहीं रुकी......

यह मेरी प्रथम रचना है । शायद ये कहानी इतनी ज्यादा रोचक और प्रेरणादायक ना हो । मेरे लेखन में भी कई त्रुटियां हो सकती है।  इस कहानी को और रोचक बनाने के लिए बिन्नी और मौली की उम्र और बढ़ाई जा सकती थी थोड़ा और लापरवाह दिखाया जा सकता था पर मैं नहीं चाहती थी कि इसे जो भी पढ़े वो मौली को लापरवाह समझे वरन् मौली घर लौटती है वह जब हर जगह मां को ढूंढती है पर मां उसे नहीं मिलती। पढ़े और बस महसूस करें । और अपनों के साथ और ज्यादा समय बिताने की कोशिश करें। 
कहानी को पढ़कर प्रतिक्रिया अवश्य दें । जिससे मैं अपनी लेखन कला में सुधार कर सकूं ।
धन्यवाद ।