Jang-E-Jindagi -10 books and stories free download online pdf in Hindi

जंग-ए-जिंदगी - 10

जंग ए जिंदगी 10


डाकू रानी वीर के साथ चल रही वह बोली वीर हम चाहते हैं आप की तरह हमे जांबाज सिपाही बनाएं

तभी वीर बोला ठीक है आपकी जैसी इच्छा अगर आप चाहती हैं कि हम  आपकी मदद करे तो  अवश्य करेगे


तब डाकू रानी बोली ठीक है तो तुम कल पलट साम्राज्य की ओर हमें ले चलो


वीर बोला ठीक है हम आपको कल पलट साम्राज्य की सेर करवाएंगे और आपको दिखाएंगे कि स्त्रियों का कितना बुरा हाल है


डाकू रानी बोली ठीक है फिर डाकू रानी ने कहा वीर अब तो तुम  जा सकते हो


डाकू रानी ने अपने हाथों से दो ताली बजाई और एक सैनिक को बुलाया और कहा जाओ मंत्री और बापू को कहो हम अपने कक्ष में दोनों को याद कर रहे हैं



डाकू रानी फिर अपने कक्ष में चली गई वहां मंत्री और बापू आए और

बापू क्या कर रही हो तुमने दो पल में हमारे दुश्मनों को दोस्त बना लिया उसकी बातों में आ गई तुम्हें क्या लगता है वह तुम्हारे दोस्त बनकर रहेंगे वह तुमसे वफा करेंगे ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता है


तभी मंत्री जगजीतसिंह बोले हां विश्वास कर लिया तुम ऐसे कैसे उसकी बातों में आ गई हमारी एक बात नहीं सुनी

डाकू रानी बोली आप दोनों सांस लीजिए हम कल वीर के साथ पलट साम्राज्य का हाल देखने जा रहे हैं और आप दोनों हमारे पीछे रहेंगे चुपके से सैनिकों के साथ अगर वीर ने हम पर कोई हमला नहीं किया और हमला करवाया नहीं तो समझ लेना वो सच कह रहा है उसके बापू भी सच कह रहे और अगर कुछ चहल-पहल दिखाई दे तो हम उन लोगों पर हमला कर देंगे ठीक है हम उसके विश्वास को ऐसे ही नाप सकते हैं आप दोनों को समझ आ गया होगा हम क्या कहना चाहते हैं



बापू बोले ठीक है उन लोगों पर उनकी बातों पर विश्वास करने का यही एक तरीका है इसके साथ जाओ और हम तुम्हारे पीछे रहे और देखें अगर वीर या दूसरे सैनिक से  हमला करते हैं तो वह उनकी एक चाल है और नहीं करते हैं तो वह हमारे साथ है ठीक है


अब आप लोगों ने मांन लिया

जगजीत सिंह बोले तभी हां हमने मान लिया अब तो बहुत बड़ी सिपाही बन चुकी हो और डाकू रानी भी



तभी बाबू बोले मंत्री सिर्फ सिपाही सिर्फ मेरी बेटी है




तभी डाकू रानी बोली बापू मंत्री ने जो कहा वही सच है हम डाकू रानी पूरी तरीके से बन चुके है



सूर्योदय हुआ डाकू रानी और वीर तैयार हो गए अभी अभी भोर में काला अंधेरा भी कुछ कुछ छाया हुआ है वीर और डाकू रानी अपने अपने घोड़े पर सवार हो गए और दोनों पलट साम्राज्य की ओर चले


कुछ देर तक दोनों चुप रहे लेकिन थोड़ा ही अंतर काटते ही डाकू रानी बोली वीर हमें प्यास लगी है और हम पानी तो अपने अड्डे पर ही भूल गए अब क्या करें


तब वीर बोला हम तुम्हारे लिए पानी लेकर आते हैं
माफ् करना आपके लिए

डाकुरानी ने कहा हमारा हुककम है तुम हमे भी तुम ही कहोगें

वीर जी डाकुरानी


डाकू रानी बोली तुम अकेले ही पानी लेने नहीं जाओगे हम भी तुम्हारे साथ चलते हैं तभी वीर बोला नहीं तुम  हमारी सरदार हो और हां हम तुम्हारे हुक्म की तामील करेंगे तुम्हारे को बचाएंगे निभाएंगे तभी


डाकू रानी बोली वैसे तुम्हारी उम्र क्या होगी वीर?

क्या ?

डाकू रानी बोली सुनाई नहीं देता है क्या?

वीर बोला 20 साल।

हम 15 साल की है तो फिर हम तुम्हारी सरदार कैसे हुई हम तुम्हारी सरदारनी है वीर हंसने लगा डाकू रानी भी हंसने लगी दोनों पानी की ओर जाते जाते यह बातें कर रहे हैं वह पैदल ही चल रहे हैं


वीर बोला सरदारनी

डाकू रानी हंसकर बोली मैं तो मजाक कर रही हु

मुझे भी पता है फिर वीर ने डाकू रानी को अपने हाथों से पानी पिलाया वीर डाकू रानी को देखते ही रह गया डाकू रानीने  कहां अभी नही पीना है तुम पी लो फिर दोनों ने पानी पिया चुपके से मंत्री जगजीत सिंह जी और बाप डाकू रानी की सुरक्षा के लिए तैनात है बहुत सैनिक भी है जो उसके साथ चल रहे हैं डाकू रानी जानबूझकर वीर को पानी पीने ले गए शायद वीर अकेले में उस पर हमला कर दे लेकिन ऐसा हुआ नहीं कुछ नहीं किया फिर दोनों घोड़ेके पास आई अपने अपने घोड़े पर सवार हुए और चल पड़े  पलट साम्राज्य की ओर



कुछ ही घंटों में दोनों पलट साम्राज्य की सीमा में प्रवेश कर चुके फिर दोनों ने अपना परिवेश बदला एक सामान्य जनता की परिवेश दोनों ने पहन ली प्रवेश साम्राज्य में जनता के बीच गए


वीर ने कहा देखो यह पलट साम्राज्य का वह हिस्सा है जहां बच्चों को अपने माता पिता से अलग रखा जाता है


डाकू रानी देखा कुछ बच्चे लड़ रहे हैं कुछ बच्चे रो रहे हैं कुछ बच्चे नंगे तन है कुछ बच्चे भूखे हैं तो कुछ बच्चे खेल रहे हैं उसने बच्चों की इतनी दयनीय हालत कभी नहीं देखी डाकू रानी का दिल तेजी से धड़कने लगा डाकू रानी की सांसे तेज हो गई वीर डाकू रानी को देखते ही पहचान गया कि डाकू रानी की हालत खराब हो रही है



उसने तुरंत ही कहा अब यहां से चलते हैं डाकू रानी सिर्फ सरकर हिला कर हां कहीं फिर दोनों चलते चलते दूसरी और गए चलते चलते डाकू रानी ठीक हो गई फिर वीर ने दिखाया देखो यह पलट साम्राज्य का दूसरा पहलू जहां स्त्रियां और पुरुषों को बहुत काम करवाया जाता है लेकिन ना उन्हें पूरी तनखा मिलती है ना पूरा पेट भर खाना मिलता है डाकू रानी ने अपनी नजर दो ढाई जहां तक नजर पहुंची वहां तक ऐसे ही लोग दिखाई दे जो बहुत मेहनत कर रहे हैं फिर



वीर डाकू रानी को तीसरी और ले गया जहां वृद्धों को भी बहुत काम करवाया जाता है उसे पीटा जाता है उसे भूखे और प्यासे रखा जाता है डाकू रानी यह हालत देख कर परेशान हो गई उसकी सीने से पसीना छूट गया यह सब कुछ डाकरानी देख नहीं सकती फिर वीर उसे एक और जगह ले गया जहां नरोत्तम के साथी स्त्रियों पर बुरी नजर डाल रहे हैं जहां स्त्रियों को बेइज्जत किया जाता है जहां स्त्रियों को बिना कपड़े या छोटे छोटे कपड़े पहने हुए नाच गान करवाया जाता है तो कुछ लोग स्त्रियों के शरीर के साथ अय्याशी फरमा रहे हैं



डाकू रानी ने यह सब कुछ देखा उसकी आंखें चोक गई उसकी आंखों मैं से अश्रु बहने लगे वह कहने लगी इतना इतना अन्याय इतनी बेरुखी इतनी बड़ी पशुता ना स्त्री को मान दिया जा रहा है ना उसकी इज्जत की जा रही है क्या इस दुनिया में स्त्री का कोई मोल नहीं कोई इज्जत नहीं कोई पवित्रता नहीं



हमें लगा भानपुर में हम ही अन्याय से रहे हैं हमें लगा मुसीबत में हम ही हैं लेकिन ऐसा है नहीं हमसे ज्यादा मुसीबत में पलट साम्राज्य है पलट साम्राज्य की स्त्रियां हैपलट साम्राज्य की बच्चे है पलट साम्राज्य के वृद्ध है पलट साम्राज्य की प्रजा बेहाल है हम प्रतिज्ञा करते हैं हम पलट साम्राज्य को पलट साम्राज्य की प्रजा को इसकी स्थिति से अवश्य बचाएंगे




तभी वीर बोला डाकू रानी की हाथ पर हाथ रखकर हम स्त्रियों की इज्जत करते हैं हम भी एक औरत की कोख से पैदा हुई है और हम अपनी मां के मोल को हम पलट साम्राज्य की स्त्रियों को इस अत्याचार से बचाकर चुकाएंगे




डाकू रानी ने इतना कुछ देखा उसने प्रतिज्ञा ली और वीर की शब्द सुने लेकिन उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि वह जैसे ही वीर बोलना बंद किया तब तक तो वह बेहोश हो चुकी


वीर उसे वहां से उठाकर अपने कंधे पर रखकर चल पड़ा एक सैनिक ने उसे रोका और कहा तुम कौन हो और कहां जा रहे हो तब वीर बोला हम अपनी भाई की सारवार कराने  वैद्य जी के पास ले जा रहे हैं

कोई बात नहीं जाओ जल्दी से काम पर लग जाना वरना नरोत्तम आता ही होगा


वीर ने कहा ठीक है फिर डाकू रानी को अपने घोड़े पर आगे रखकर जंगल की ओर चल पड़ा



जंगल में वीर एक तालाब के पास डाकू रानी को ले गया उसने अपने घोड़े से अपने हाथों से डाकू रानी को नीचे उतारा उसने अपने दोनों हाथों में डाकू रानी को लिया तब तक तो डाकू रानी की पगड़ी सिर पर जो बंधी है वह काले रंग की गिर चुकी है



डाकू रानी के घने लंबे बाल और पवन में लहराने लगे वीर डाकू रानी की सुंदरता को देखते ही रह गया डाकू रानी बेहोश है वह भूल गया। एक 20 साल का लड़का 15 साल की लड़की को ताक रहा वीर ने डाकू रानी की बालों को से लाया फिर डाकू रानी  के गाल पर अपनी उंगली लहराई फिर डाकू रानी का हाथ पकड़ा उसकी हथेली को दिखा और सोचने लगा




इतनी कोमलता इतनी मासूमियत इतनी सुंदरता एक राजकुमारी में ही हो सकती है।


खूबसूरत राजकुमारी अपनी प्रजा की रक्षा के लिए डाकू रानी बन गई यह विधि का कैसा विचार है एक सुंदर राजकुमारी को घने जंगल में भटकने के लिए मजबूर कर दिया

फिर वीर ने क्या किया यह देखने के लिए आप मुझसे जुड़े