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अच्छाईयां –३१

भाग – ३१

सूरज छोटू और रंगा को खुशी खुशी उनकी जगह पर छोड़कर दूर हो गया मगर छोटूने जो बात कही थी वो शायद सच थी की सरगम कोई चिठ्ठी के कारण की मुंबई आई थी और वो मुझे उसवक्त कुछ सच्चाई बतानेवाले थी मगर पुलिस पूछताछ के लिए मुझे वहां से दूर ले गई थी, इसलिए सरगम के साथ मिलना नहीं हुआ था |

उसवक्त मेरी तलाशी शायद इसलिए ले जा रही थी की मैं अपने साथ क्या लेकर आया हूँ ? और उस बड़े कमरे में मुझे कुछदेर अकेला रखा था | उसके बगलवाले एक छोटे कमरे से कोई आवाज आ रही थी | शायद अन्दर कुछ लोग थे मगर मुझे याद आ रहा है की उस कस्टम ऑफिसमें यहाँ की पुलिस भी थी जो मेरे बारे में पूछताछ कर रही थी | यानी उसवक्त से ही मेरे साथ कोई है या कोई मेरा पीछा कर रहा है...? मैंने उस पुलिस को पीछे से देखा था.... हा... वो शायद तेजधार ही था...!! सूरज को तेजधार का नाम याद आते ही उनका चहेरा सख्त हो गया |

ये सारा खेल केवल ड्रग्स का ही नहीं मगर मेरे पास जो नहीं है उस करोडो के हीरे के लिए भी ये सब मेरी चारो ओर मंडरा रहे है | मुस्ताक, गुलाबो और तेजधार भी कुछ कुछ सच जानते है मगर अभी भी वो हीरे कहा गूम हो गए वो किसी को पता नहीं और किसने मेरे रूम में ड्रग्स रख दिया था वो भी अभी पता नहीं चला | गुलाबो और मुस्ताक से तो कई राझ खुले मगर अभी भी ये तेजधार कोई छोटी चीज नहीं है... उससे भी कुछ पता चलेगा जरुर....!! अब सूरज को रात का ही इंतज़ार था इसलिए वो फिर कोलेज गया और विश्व प्रतियोगिता की तैयारी में जूट गया |

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आज सूरज के साथ उसका दोस्त निहाल भी साथ था | रज्जू और पावन अपने रिश्तेदार के घर गए थे | रात को सूरज और निहाल देर तक अपने सुख दुःख की बाते करते रहे...!

सूरज बारबार घड़ी देख रहा था इसलिए निहालने पूछा, ‘इतनी रात गए कही बहार जाना है ? या कोई मिलने आनेवाला है ?’

सूरजने कुछ जवाब नहीं दिया | बारह बजकर पांच मिनिट पर उसके मोबाइल की रिंग बजी | सूरज जानता था की ये तेजधार ही होगा, उसने कोल रिसीव किया, ‘ हेल्लो कौन...?’

‘सूरज, मैं बहार ही खड़ा हूँ... चल सैर पे निकलते है...!’ इतना कहकर सामने से फोन कट हो गया |

‘निहाल, मुझे जाना होगा... देर से लौटूंगा...! और ख़ास कर सरगम को ये बात मत कहना की मैं रात को कही गया था वरना हमारे बीच और दरार बड़ी हो जाएगी...!’

‘मगर इतनी रात गए...?’ निहाल अभी समझ नहीं पाया था की सूरज आखीर क्या कहना और करना चाहता था |

‘हां. .. कुछ काम देर रात को ही करने पड़ते है...!’ सूरजने इतना कहकर दरवाजे की और बढ़ा | मगर उसे कुछ याद आया हो वैसे वहां रुका और निहाल से सामने देखकर बोला, ‘देख, निहाल मैं एक दो दिन यदी वापिस न आऊ तो तुम कोलेज और सरगम को संभालना, उनको बता देना की कुछ काम के सिलसिले से बहार गया है ...! मेरी जिन्दगी के कई सच जानने के लिए मुझे कुछ रिस्क लेना पड़ेगा...!’

‘रिस्क...!! कैसा रिस्क ? और कहा जा रहे हो...? किसका फोन था...?’ निहाल सबकुछ जानना चाहता था |

‘तेरे सारे सवालो के जवाब बाद में दूंगा, मगर ये ध्यान रखना की यदि मुझे कुछ हो जाए... या मैं दो दिन वापिश न आऊ तो सामने रेलवे स्टेशन पे एक छोटा लड़का भीख मांगता है, उसका नाम छोटू है | उसको मैंने एक खिलौना दिया है, उसके अन्दर एक चिठ्ठी है वो सरगम तक पहुंचा देना... और हां मैं वापिस आ गया तो तुझे सब बताऊंगा..! दो दिन तक तुम्हे केवल कोलेज और सरगम का ख्याल रखना है...!’ सूरजने कुछ जरुरी बात कही और नीचे देखा तो तेजधार जीप से बहार निकल रहा था |

‘मैं लाईट बंध कर रहा हूँ... वरना वो ऊपर आ जाएगा.... ऐसा लगना चाहिए की इस रूम में मैं अकेला हूँ इसलिए तुम बहार मत निकलना...! मुझे पता है की तेरे दिमाग में अभी कई सवाल हो रहे है मगर उन सबके जवाब तुम्हे कुछ ही दिन में मिल जायेंगे... !’ इतना कहकर सूरजने लाईट बंध की और तेजधार ऊपर आये उससे पहले वो नीचे चला गया |

निहाल अन्दर की खिड़की से देख रहा था | सूरज कीसी इन्स्पेक्टर की जीप में बैठा और तुरंत वो जीप तेज गति से रात की खामोशी को चीरती हुई सुमसाम रास्तो पे दौड़ने लगी थी |

आज भी तेजधारने दारु पी रखी थी | वो नशे में गाडी को ज्यादा तेज भगा रहा था | वो बड़े कर्कश स्वरों से गा रहा था, ‘नायक नहीं खलनायक हूँ मैं... जुल्मी बडा दुःख दायक हूँ मैं...!’ वो गाते गाते सूरज की ओर देख रहा था और लग रहा था की वो सूरज को डराना चाहता था |

तेजधार सूरज को शहर से दूर ले जा रहा था | सूरज नहीं जनता थी की वो क्या करना चाहता है ? वो चुपचाप बैठा था और बहार के घने अंधेरो को चीरती जीप की लाईट को देख रहा था |

‘कैसी लगी मेरी आवाझ ?’ तेजधारने आखिर बाते शुरू की |

‘बेहद खराब...! मैं समजता हूँ तुम गाना गा के संगीत का अपमान कर रहे हो...!’ सूरजने ऐसे जवाब दिया की तेजधार को गुस्सा आ गया और रोड के बीच में जीप को ब्रेक लगाईं और जीप खडी कर दी |

कुछ देर बाद उसने पीछे आ रहे एक ट्रकवाले को रोका और ड्राइवर को नीचे बुलाया |

वो हाथ जोड़ के तेजधार के पास आया और गिडगिडाने लगा, ‘साब जाने दो.. आज कुछ नहीं है...!’

‘मुझे पता है तेरा ट्रक खाली है, मगर आगे तेरे पास जो छमीयाँ बैठी है उसको कहाँ से उठा लाया है...?’ तेजधार की नजर काफी तेज थी | उसने उस ट्रक की कैबिन में बैठी एक औरत को देख लिया था |

‘मेरी रिश्तेदार है...!! उनके घर ले जा रहा था...!’ वो ड्राइवर इन्स्पेक्टर तेजधार को शायद पहचानता हो ऐसा लगा |

सूरज देख रहा था की तेजधार कर क्या रहा है ? तभी तेजधार उस ट्रक की कैबिन के पास गया और अन्दर बैठी औरत को देखने लगा | तेजधार की गंदी नजरो को देखकर उस औरतने अपना चहेरा अपने पल्लू से ढँक लिया |

उसकी ये हरकत देखकर , ‘अरे ये तो बलवीर की बहू है... जो उस झोपडपट्टी में रहता है....!! ये तुम्हारी रिश्तेदार कब से हो गई ?’

‘साब... जाने दो... कुछ चाहिए तो कहो...?’ वो हाथ जोड़कर अपनी चोरी पकड़ी गई हो ऐसे गिडगिड़ाने लगा |

‘कैसे जाने दू... ? साले... तु अपनी बीवी होते हुए दूसरो की बीवी लेकर रात को घुमता है और तु कहता है की जाने दो...!!’ तेजधार कुछ सख्त हुआ था |

‘साब... मैं एक मस्त चीज लाया हूँ, जो आप को भी पसंद है..!! रात को होटल में जाने का प्रोग्राम बनाया था... मगर अब ये चीज आप ले लो...!’ वो जल्द अपनी ट्रक की कैबिन में गया और एक दारु की महंगी बोतल लेकर आया | उसे शायद पता था की तेजधार को क्या पसंद है...?

‘वाह... ये शराब तो मैंने कितने दिनों से चखी नहीं है... मोगेम्बो खुश हुआ..!’ तेजधारने बोतल खोली और सीधी मुंह से लगाईं | एक घूँट भरने के बाद उसमे अपनी आँखे बंध कर के जैसे कोई काफी कड़वा घूँट गले के नीचे उतारते है ऐसे उस शराब की घूँट को पेट में धकेला | फिर लम्बी सांस और मूंह से ‘आह’ सी आवाझ निकाली | उस ट्रक ड्राइवर को लगा की साब खुश हो गए है इसलिए वो हल्का सा मुश्कुराया और बोला, ‘पसंद आई साब...!’

‘कौन ? ये मेरे हाथ में है वो या तेरे साथ है वो ?’ तेजधार उस ट्रक के अन्दर बैठी औरत को देखकर बोला |

‘साब असली नशा तो आपके हाथ में है.. साब...!’ वो तेजधार की नजरो को उधर से दूर करना चाहता था इसलिए बीच में आके बोला |

तेजधार ने कुछ ज्यादा घूँट भरी और नशे में गाने लगा, ‘मार दिया जाय के छोड़ दिया जाय बोल तेरे साथ क्या सुलूक किया जाए...!’ उसकी आवाज गली के भौंकते कुत्ते जैसी थी |

‘साब छोड़ दिया जाए...!’ वो ड्राइवर दो हाथ जोड़कर तेजधार को बिनती करने लगा |

‘अच्छा ये बता की मेरी आवाज कैसी है ...?’ तेजधारने ड्राइवर के कंधे पर हाथ रखकर बोला |

‘बहुत अच्छी है... साब...!!’ वो तेजधार की जूठी तारीफ़ करने लगा |

‘बहुत अच्छी है मगर ये साब कहते है की मेरी आवाज ख़राब है और मैं संगीत का अपमान कर रहा हूँ...!!’ तेजधार ने सूरज की ओर ईशारा करके कहा |

‘साब वो क्या जाने आपकी आवाज को....? मैं तो कहता हूँ की आप भी कोई अपना गीत बनवा लो..! मैं मेरे ट्रक के हॉर्न में आपकी आवाज फिट करके रखूँगा |’ वो ड्राइवर तेजधार को खुश करने के लिए जूठ पे जूठ बोले जा रहा था |

‘देखा, इसे कहते है संगीत की कदर... तु जा और ऐश कर...!! मगर एक हजार तेरे पास ये जो गलत लाइसंस है उसका दंड दे के जा |’ तेजधारने ट्रक की कैबीन की और ईशारा करके कहा |

तभी उसने एक हजार तेजधार को दिए और फिर तेजधार ने अपनी जीप चालु की और उस ट्रक के जाने के लिए जगह दे दी |

‘हाँ... तो जो मेरा गीत या मेरी गाली मजे से सुनता है वो मुझे भी अच्छा लगता है |’ तेजधार की इस बात से वो समझ रहा था की वो क्या कहना चाहता था |

उसकी जीप उस खंडहर की पास से गुज़री तभी तेजधार बहार घने अंधेरे को देखकर बोला, ‘ ऐसे अंधेरेमें यहाँ कोई किसी का क़त्ल कर के चला भी जाए तो पता भी न चले...!’

सूरज उसके ये शब्द सुनकर सून सा हो गया और उसे कुछ दिन पहले की वो रात याद आई की उसने यहाँ किसी का क़त्ल किया था और उस लड़की को बचाया था | ये तेजधार को शायद कोई सुराग मीला है क्या ? मुझे यहाँ क्या इसलिए लाया है ? ये बात ये मुझे क्यूँ बता रहा है ? मुझे वो डराना चाहता है या कुछ जानना चाहता है ? सूरज का दिल तेजी से धड़कने लगा |

‘कुछ दिन पहले यहाँ से वर्दीवाली एक बच्चू के आदमी की लाश मीली थी, उसके साथ ड्रग्स, देखने जैसी फिल्म की सीडी और दारू की बोतले भी मिली थी.... कुछ पुलिसवालेने तो अफवाह फैलाई थी की किसीने मुझे मर के फैंक दिया..! बच्चू के आदमी को कोई कोठेवाली लड़की मार के भाग जाए ये हो नहीं सकता और शहर में ऐसा कोई शहनशाह भी नहीं आया है की रात को जुल्मी को मिटाने निकल पड़ा हो...!’ तेजधार बारबार सूरज के सामने देखकर बोल रहा था और सूरज का चहेरा तो अँधेरे के कारण देख नहीं पाता इसलिए सूरज क्या कहता है वो सुनने के लिए कुछ देर रुका |

सूरज ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने आगे बोलना शुरू किया, ‘उसके मर्डर केस के बाद मेंरे पे भी मेरा डिपार्टमेंट यकीन नहीं करता इसलिए मुझे यहाँ से दूर एक छोटे गाँव में ट्रांसफर किया है.... मेरी जगह पर नया इन्स्पेक्टर पूरणसिंग आया है और वो ***** मेरे जैसा अच्छा नहीं है इसलिए अब रात का कारोबार तुझे करना होगा...!’

‘मुझे क्यूँ..?

सूरजने जैसे जवाब दिया तो तेजधार को अच्छा नही लगा और बोला, ‘क्यूँकी तु अब ये कर सकता है और तेरा नाम भी हमारे खाते में शरीफ इंसानों से मीट गया है |’

‘मैं ये नहीं करूँगा, मुझे फसाया गया था..! मैने ड्रग्स का कोई धंधा नहीं किया |’ सूरजने तेजधार को साफ़ साफ़ मना किया |

‘अच्छा... जो तेरी मरजी...!! मगर मुझे पता है की कुछ दिन पहले दिन दहाड़े एक छोटे बच्चे को पुलिस की नजरो से बचाते बचाते एक लड़का भीड़ में खो गया था...! वो कौन था..?’ मैं यदी पूरणसिंग को बता दू तो वे तुझे सीधा रिमांड पे ले जायेंगे वो मेरे से भी खतरनाक है |

सूरज को लगा की ये तेजधार मैं जो सोच रहा हूँ उससे भी ज्यादा तेज दिमागवाला है इसलिए अब उससे दूर जाने का कोई मतलब नहीं है |

‘पर मुझे क्या करना होगा..?’ सूरजने ये कहकर बहार देखने लगा |

ये सुनकर तेजधारमुश्कुराया और बड़ी बेसुरी आवाजमें गाने लगा, ‘जहा तेरी ये नजर है मेरी जान मुझे खबर है....बच न सका कोई, आये कितने...., लम्बे है मेरे हाथ इतने... देख इधर यार ध्यान किधर है...! !!’

‘अब तो मैं अच्छा गा रहा हूँ न...!! तेरे संगीत का अपमान तो नहीं कर रहा हूँ ...?’ वो जोर से सूमसाम अँधेरे रास्ते पर हैवान की तरह हंसने लगा और उसकी आवाज भद्दी और डरावनी भी हो रही थी.....!!’

क्रमश : .......