Gumshuda ki talash - 37 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | गुमशुदा की तलाश - 37

गुमशुदा की तलाश - 37


गुमशुदा की तलाश
(37)



इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह जल्द से जल्द बिपिन के केस को सॉल्व करना चाहते थे। प्रोफेसर दीपक वोहरा से उन्हें बहुत सारी बातों का पता चला था। लेकिन प्रोफेसर दीपक यह नहीं जानता था कि बिपिन कहाँ है।
बिपिन के बारे में जानने के लिए रॉकी को गिरफ्तार करना बहुत आवश्यक था। उसकी गिरफ्तारी तभी संभव थी जब दीप्ती नौटियाल का पता लगाया जा सके।
इंस्पेक्टर सुखबीर सब इंस्पेक्टर राशिद और सरवर खान को लेकर भी चिंतित थे। उन्हें अब यकीन हो चला था कि वह दोनों भी ज़रूर रॉकी के ही कब्ज़े में हैं। अतः बहुत सावधानी से काम लेना होगा। यदि रॉकी को भनक लग गई तो वह बिपिन और उन दोनों को नुकसान पहुँचा सकता है। इसलिए उन्होंने मीडिया को बताया था कि प्रोफेसर दीपक वोहरा को एक लड़की को बलैकमेल कर प्रताड़ित करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है।
इंस्पेक्टर सुखबीर ने उस बंगले के मालिक से संपर्क करने का प्रयास किया जहाँ सब इंस्पेक्टर राशिद और सरवर खान को रखा गया था। जाँच में पता चला कि वह बंगला किसी कपाडिया का नहीं है। वह बंगला किसी मदन कालरा का है जो कई सालों से लापता है।

रंजन भी सरवर खान को लेकर फिक्रमंद था। कहने को तो सरवर खान उसके बॉस थे। पर वह हमेशा उसके साथ एक पिता की तरह से ही पेश आते थे। मन ही मन वह भी सरवर खान की अपने पिता की तरह इज्ज़त करता था।
अभी कुछ ही समय पहले उसने अपने पिता को खोया था। लेकिन सरवर खान का यूं लापता हो जाना उसे बहुत तकलीफ दे रहा था। वह उन्हें खोजने के लिए कुछ नहीं कर पा रहा था। यह खयाल उसे बेचैन किए दे रहा था।
बिपिन के केस में अब तक जो भी बातें सामने आई थीं उनके हिसाब से बिपिन रॉकी के पास ही हो सकता था। पर वह समझ नहीं पा रहा था कि रॉकी तक पहुँचा कैसे जाए।
दीप्ती नौटियाल ही रॉकी तक पहुँचने का माध्यम हो सकती थी। उसे याद आया कि नंदपुर जाने से पहले इंस्पेक्टर सुखबीर ने कहा था कि तुम रिनी का पता लगाओ। हम दीप्ती को खोज लेंगे।
रंजन इस बारे में इंस्पेक्टर सुखबीर से बात करने के लिए पुलिस स्टेशन पहुँच गया। जब वह पुलिस स्टेशन पहुँचा तब वहाँ सब इंस्पेक्टर नीता पहले से ही मौजूद थी। वह इंस्पेक्टर सुखबीर के साथ इसी बात पर विचार कर रही थी कि दीप्ती नौटियाल को कैसे ढूंढ़ा जाए। रंजन को देख कर इंस्पेक्टर सुखबीर ने कहा।
"रंजन तुम्हें इस केस में कुछ नई बात पता चली ?"
"नहीं सर....मैं तो ये सोंच कर आया था कि आप लोग मुझे कुछ नई बात बताएंगे।"
सब इंस्पेक्टर नीता ने कहा।
"लगता है कि हम लोग एक जगह आकर अटक गए हैं। कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा है।"
रंजन ने सब इंस्पेक्टर नीता का समर्थन करते हुए कहा।
"हाँ मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। सर ना जाने किस मुसीबत में होंगे। मैं उनकी कोई मदद नहीं कर पा रहा हूँ।"
रंजन के स्वर में हताशा झलक रही थी। उसे तसल्ली देते हुए सब इंस्पेक्टर नीता ने कहा।
"परेशान ना हो रंजन। हम लोग भी कोशिश कर रहे हैं। कोई ना कोई राह निकलेगी। बस किसी तरह यह दीप्ती हाथ लग जाए।"
इंस्पेक्टर सुखबीर दोनों की बात सुन कर बोले।
"समझ नहीं आ रहा है कि यह दीप्ती गई कहाँ ? नीता के खबरी इतने दिनों से उसे तलाश रहे हैं। मैंने भी कोशिश की है। पर उसका कोई भी सुराग नहीं मिल रहा है।"
रंजन कुछ सोंचते हुए बोला।
"सर हम लोग दीप्ती को आसपास ही तलाश रहे हैं। ऐसा हो सकता है कि वह देश के किसी और हिस्से में हो या विदेश चली गई हो।"
सब इंस्पेक्टर नीता को यह बात सही लगी।
"सर रंजन की बात में दम है। हमें दीप्ती की तलाश का दायरा बढ़ाना पड़ेगा।"
इंस्पेक्टर सुखबीर गंभीरता से बोले।
"अगर वह विदेश चली गई है तो मुश्किल हो जाएगी। पर अगर देश में ही कहीं है तो फिर हमारे आदमी उसे ढूंढ़ कर निकाल लेंगे।"
इंस्पेक्टर सुखबीर ने दीप्ती की तलाश के लिए देश भर में फैले अपने खबरियों को काम पर लगा दिया। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि जल्द ही दीप्ती का पता चल जाएगा।

इतना सब झेलने के बाद जैसमिन को जब मदन रॉकी के रूप में मिला तो वह पूरी तरह से उसके प्यार में पागल हो गई थी। रॉकी उसे लंदन छोड़ कर भारत आ गया था। उस दौरान उसे रॉकी की कमी सबसे अधिक खली थी। पर बिपिन को फंसाने के लिए रॉकी ने जब उसे भारत बुलाया तब उसका साथ पाकर वह बहुत खुश हुई। पर यह खुशी अधिक दिन नहीं चली। बिपिन की किडनैपिंग के बाद रॉकी ने उसे वापस लंदन भेज दिया।
जैसमिन के मन में एक इच्छा बलवती हो उठी थी। वह रॉकी की पत्नी बनना चाहती थी। रॉकी भी यही चाहता था। पर उसका मानना था कि अभी वह शादी करने की स्थिति में नहीं है। अतः जैसमिन कुछ दिन धैर्य रखे।
रॉकी और उसकी कभी फोन पर तो कभी स्काइप के ज़रिए बात होती रहती थी। हर बार जैसमिन यही कहती थी कि अभी शादी नहीं कर सकते हो तो कोई बात नहीं। कम से कम मुझे कुछ समय तुम्हारे साथ बिता लेने दो।
रॉकी भी जैसमिन को बहुत चाहता था। वह उसके साथ एक खुशहाल जीवन का सपना देखता था। पर उसका मानना था कि यदि बिपिन की खोज का प्रयोग कर वह सस्ता नशा बनाने में कामयाब रहा तो वह ड्रग्स करोबार पर एकछत्र राज्य कायम कर सकेगा। अतः वह जैसमिन को रुकने को कहता था।
लेकिन जैसमिन के बार बार ज़िद करने पर उसने इजाज़त दे दी कि वह कुछ समय के लिए उसके पास गोवा चली आए। पर पूरी एहतियात बरते कि कोई उसे पहचान ना पाए।
जैसमिन बहुत खुश हुई। वह फौरन लंदन से गोवा चली आई।

रंजन लॉज के अपने कमरे में बैठा रॉकी के बारे में सोंच रहा था। जो जानकारी उसे थी उसके मुताबिक वह ईगल क्लब का मालिक था। क्लब में गैरकानूनी तौर पर ड्रग्स का धंधा होता था। लेकिन इंस्पेक्टर सुखबीर जब क्लब में गए थे तब इस बात की पुष्टि करने लायक कुछ हाथ नहीं लगा था।
प्रोफेसर दीपक वोहरा ने भी पुलिस को यही बताया था कि रॉकी जो ईगल क्लब का मालिक है उससे सस्ता नशा ईजाद करवाना चाहता था।
रंजन को अब लग रहा था कि इस रॉकी का एक और रूप भी है। जिस पर अभी तक पर्दा पड़ा है। दीप्ती की खोज से अधिक ज़रूरी उस पर्दे के पीछे झांकना है।
उसने ईगल क्लब के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि अभी कोई दो साल पहले ही यह खुला था। इस क्लब में राकेश ग्रुप्स का पैसा लगा था।
रंजन ने राकेश ग्रुप्स के बारे में पता करना शुरू किया। उसने पाया कि राकेश ग्रुप्स की स्थापना भी लगभग ढई साल पहले हुई थी। राकेश ग्रुप्स के कई और उपक्रम भी हैं।
रंजन ने राकेश ग्रुप्स की वेबसाइट खोल कर उसके बारे में पढ़ा। उसके मालिक का नाम राकेश तनवानी था। राकेश ग्रुप्स ने फिल्म और टीवी प्रोडक्शन के साथ शिपिंग और होटल बिज़नेस में भी पैसा लगाया था।
वेबसाइट पर रंजन को राकेश तनवानी की एक फोटो भी मिली। वह फौरन इंस्पेक्टर सुखबीर से मिलने पुलिस स्टेशन पहुँचा।
उसने इंस्पेक्टर सुखबीर को जो भी जानकारी उसने जुटाई थी सब बता दी। उसने वेबसाइट पर राकेश की तस्वीर भी दिखाई।
तस्वीर देख कर इंस्पेक्टर सुखबीर सोंच में पड़ गए। तस्वीर उन्हें कुछ पहचानी सी लग रही थी। पर वह उस शख्स को पहचान नहीं पा रहे थे।
उन्होंने रंजन को बताया कि उन्हें यह शख्स देखा हुआ लग रहा है। पर वह उसे पहचान नहीं पा रहे हैं।
उसी समय उनको उनके एक खबरी ने बहुत अच्छी खबर सुनाई। उसने दीप्ती नौटियाल को गोवा में देखा था।














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