kash.... in Hindi Classic Stories by Saurabh kumar Thakur books and stories PDF | काश...

काश...

अक्सर सोचा करता हूँ कि मैं आखिर पढ़ता कब हूँ ।रात को बारह बजे मोबाइल में नेट आता है,सुबह से शाम तीन बजे तक मोबाइल चलाते रहता हूँ ।फिर कोचिंग जाता हूँ ।शाम में सात बजे वापस आता हूँ ।फिर टीवी देखता हूँ,खाना खाता हूँ ।और रात को सोने वक्त के मोबाइल चलाता हूँ ।
मैं अभी दसवीं कक्षा में पढ़ रहा हूँ ।मैं पहले जिस स्कूल में पढ़ता था,वहाँ पर मेरा एक दोस्त था जितेश ।वह मुझे कहता था,मेरे दोस्त सौरभ मैं एक दिन आईएस ऑफिसर जरूर बनूंगा ।
उस वक्त जितेश पढ़ाई में मेरे ही बराबर था,या यूँ कहूं तो मुझसे कमजोर था ।पर धीरे-धीरे वक्त का पलड़ा पलटा ।मै स्कूल छोड़ दिया,वह भी स्कूल छोड़ दिया ।
उसके बाद हम कभी-कभी मिलते या फोन पर हमारी बात होती ।धीरे-धीरे पता नही जितेश को क्या हुआ की मै जब भी उसे फोन करता,तो वह कहता:-सौरभ मै अभी पढ़ रहा हूँ मै तुम्हे बाद में फोन करुँगा ।या कभी-कभी फोन काट देता था ।या फिर कभी नहीं उठाता था ।
एक दिन की बात है,जितेश का फोन आया मै फोन उठाया और बोला:-क्या जितेश क्या हाल है ?आज मेरी याद कैसे आ गई ?शायद सूरज पश्चिम से तो नहीं उगा ।
वह बोला:-नहीं भाई कुछ नहीं बस सोचा कि आज तुझसे बात कर लूँ,तो फोन किया ।और वह अपनी पढ़ाई के बारे में बात करने लगा ।कि मैं सुबह से शाम तक पढ़ता रहता हूँ,फिर तीन-तीन जगह कोचिंग करता हूँ ।दिन भर में लगातार आठ घंटे खुद से पढ़ता हूँ । वगैरह-वगैरह ।
मुझे तो उसकी बातों पर विश्वास ही नहीं हुआ,पर जब उसकी मम्मी के मूँह से यह बात सुना,तो मुझे विश्वास हुआ ।फिर फोन कट गई ।
मैं सोच रहा था,कि जितेश क्या है ? आठ घन्टे खुद से पढता है। वह भी मेरे जैसा ही है,मेरे ही उम्र का है । और मै हूँ की एक मिनट भी नही पढ़ता ।गजब बात है न । खैर मैने इस बात को नजरअंदाज कर दिया,यह सोच कर,की मुझे इन बातों से क्या लेना-देना ?
कुछ दिनों बाद हमारी मैट्रिक की परीक्षा आने वाली थी भाग्य से हमारा और जितेश का परीक्षा केंद्र एक ही था,हम लोग परीक्षा दिए । मै ज्यादा नही लिख पाया ।
दो महीने बाद रिजल्ट आया तो पता चला, कि जितेश स्टेट टॉपर बना है । और मैं फेल हो गया । समाज में मैं अब मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचा था । स्कूल में सभी चिढ़ाते थे ।घर पर भी बहुत पिटाई हुई ।
एक दिन गंगा स्नान के समय मै रेवा घाट गया था ।मै पुल पर बैठ कर सोच रहा था:- कि काश पढ़ाई नहीं होता ।इसी पढ़ाई से कोई वैज्ञानिक बना होगा, वह वैज्ञानिक मोबाइल बनाया होगा और तरह-तरह के फीचर्स डाला होगा ।और मैं उन सभी फीचर्स के कारण पढ़ाई नहीं कर पाया और आज फ़ेल हो गया हूँ । काश ना यह पढ़ाई होता, ना मोबाइल फ़ोन बनता, ना मैं इसका उपयोग करता, और ना मै मोबाइल में व्यस्त रहता, और ना ही मै फ़ेल होता ।यह सोचकर मैं गंगा जी में कूद गया ।

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Saurabh kumar Thakur

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SHIMPI JHA

SHIMPI JHA 4 years ago

ajay meena

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Geeta

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