Chintu - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

चिंटू - 16

आज पुनिश ने अपने सभी फ्रेंड्स को शाम पार्टी के लिए बुलाया था। और राजदीप भी था आया था। पुनिश को वह सुमति से पहले से जानता था तो एक लड़की के लिए फ्रेंडशिप तोड़ना ठीक नहीं लगता। जब वह लड़की हाथ आने ही न वाली हो तब तो ज्यादा। राजदीप को देखकर सुमति सबके अनुमान से विपरीत उससे बात करने चली जाती है। शायद इसके पीछे राजदीप के पापा का गुजर जाना था। वह जानती है बिना पिता के वह कैसे गुजारा कर रहा होगा! राजदीप भी पिछली बाते भूलकर उससे सिर्फ एक दोस्त की तरह ही बात करता है।
पुनिश को यह देख जलन तो होती ही है, पर क्या करे..? पुनिश के फ्रेंड्स में से एक कपल की शादी तय हो गई है और वह डेस्टिनेशन वेडिंग करने वाले थे। अभी जगह तय नहीं हुई थी पर कोई एडवेंचर वाली जगह ही वह चाहते थे। उदयपुर, गोवा तो अब कॉमन प्लेस हो गई है ऐसी शादियों के लिए। सब बैठकर सोचते है की कौनसी जगह पर जाए।
इन सब बातों के बीच पुनिश कहता है- देखो अभी शादी में टाइम है। मुझे पोस्टिंग मिले इससे पहले हम कहीं घूम आए तो कैसा रहेगा?
सब उसकी बात का समर्थन करते है। पर जाए कहां? पुनिश ही सबको मुन्नार, केरला जाने का सुझाव देता है। पहले तो सब गूगल पर सर्च करने लगते है, कैसी जगह है? बाद में वहा के फोटोज देखकर सब वहीं जाने का तय करते है। राजदीप कहता है- क्यों न हम अपने बाकी फ्रेंड्स को भी पूछ ले। ज्यादा लोग होगे तो मजा भी ज्यादा आएगा। क्यों न हम टूर ऑर्गेनाइज करे?
पुनिश- हा यह सही रहेगा। पापा एक टूर ऑर्गेनाइजर को जानते है। मै पापा से बात कर लेता हुं। और हां सौम्या, तुम्हे भी आना है। कोई बहाना नहीं चलेगा समझी?
सुमति- अरे नहीं नहीं आप सब जाओ। मुझे नौकरी भी करनी है। और मम्मी पापा कभी मुझे अकेला नहीं जाने देंगे। और वैसे भी बारिश का मौसम वहा स्टार्ट होने वाला होगा।
राजदीप- नहीं अभी एक महीना बाकी है बारिश आने को।
सब फ्रेंड्स रेडी हो जाते है अपने पेरेंट्स से परमीशन लेने के लिए। बस सिर्फ सुमति ही मना करती है। पुनिश सोचता है कि मै ही अंकल आंटी से बात कर लूंगा और उन्हें भी पूछ ही लेता हूं साथ आने के लिए। तब तो सौम्या मना भी नहीं कर पाएगी।

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जब पुनिश रात को सुमति को घर छोड़ने गया तब स्नेहा और राहुल से केरला जाने की बात करता है साथ में उन्हे भी साथ आने को कहता है। पर स्नेहा और राहुल ने अपने बिज़ी शिड्यूल बताते हुए मना करते है। पर वह सुमति को जाने की परमीशन देते है। पर सुमति साफ मना कर देती है और कहती है कि मै मम्मी पापा के बगैर नहीं आऊंगी। मुंबई से बाहर घूमने सबसे पहले मै मम्मी पापा के साथ ही जाऊंगी।
बात यही ख़तम हो जाती है। बाद में सारा घूमने का प्रोग्राम ही कैंसल हो गया?। पुनिश की छुट्टियां खत्म हो गई और उसके जाने का दिन भी आ गया। अगले पूरे दिन वह सुमति के साथ ही रहता है। घर पर उसकी मम्मी ने सारी पैकिंग करी थी। पुनिश के घरवालो के साथ साथ सुमति भी उसे रेल्वे स्टेशन पर छोड़ने जाती है। ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आ चुकी थी। बाकी सब नीचे थे और सुमति पुनिश के साथ ट्रेन में उसके कंपार्टमेंट में आती है। इस बार सुमति को अकेला देख पुनिश उससे पूछता है- क्या सोच है तुमने आगे?
सुमति- किस बारे में?
पुनिश- अब बनो मत सौम्या। मै राह देख रहा था कभी तो तुम्हे मेरे प्यार का एहसास होगा। पर इतने दिन साथ रहकर भी तुम मेरे प्यार को न देख सकी।
सुमति- पुनिश plz, आप मुझे भी तो समझिए।
पुनिश- मै तुम्हे समजता हुं इसी लिए प्यार करता हुं और मरते दम तक करता रहूंगा।
सुमति कोई भी जवाब नहीं देती बस उसे गले लगाकर अपना खयाल रखना कहती है। पुनिश भी उसे अपने गले से लगा रखता है जब के सुमति उससे छूटना चाहती है। फिर पुनिश को कहती है- ट्रेन के जाने का वक्त हो गया है अब छोड़ो भी।
पुनिश- तुम्हे छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा।
सुमति- अच्छा... जूठे कहीं के। ऐसा होता तो तुम यहां से जाते ही नहीं।
पुनिश हंसता रह जाता है और सुमति उसे बाय कह के प्लेटफॉर्म पर आ जाती है। आज उसे पहली बार पुनिश के प्यार का एहसास होता है। पर आगे क्या होगा यह न जानते हुए इस खयाल को मन से निकाल देती है। अब फिर से वह अकेली पड़ जाती है। राजदीप से अब वह मिलती नहीं और पुनिश भी चला गया। बस रात को पिया से बात होती रहती है शारदा मौसी के हाल चाल पूछने के लिए। स्नेहा और राहुल का काम भी बढ़ गया था तो अब तीनो का घर वापस जाने का टाइम अब फिक्स नहीं रहा। सुमति अब अपनी एक्टिवा पर ही ऑफिस आती जाती रहती है। उसने अब अपना सारा ध्यान अपनी बारहवी की एग्जाम्स पर लगा दिया था। जैसे एग्जाम्स की घड़ी नजदीक आई तब सुमति और राहुल ने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। राहुल ही उसे एग्जाम सेंटर तक छोड़ने और लेने जाता था। उन सब की मेहनत रंग लाई जब सुमति का रिज़ल्ट आया। सुमति के 87% मार्क्स आए थे। ऑफिस में तो उस दिन मिठाई बंटवाई गई थी। स्नेहा और राहुल भी बहुत खुश थे उसके रिज़ल्ट से। उन्होंने सुमति से कोलेज में एडमिशन के लिए कहा तो सुमति ने कोलेज का एक्सटर्नल स्टूडेंट के तौर पर ही फॉर्म भरा। उसे लगता था कोलेज के माहौल में वह नहीं सेट हो पाएगी। स्नेहा और राहुल ने समझाया पर वह अपने निर्णय पर कायम रही। सोचती थी वहा भी कोई मजनू पीछे पड़ जाएगा तो किस किस से बचती फीरू। इसलिए बेहतर है कि घर से ही पढ़ाई करू और ट्यूशन क्लास तो है ही।

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चिंटू को अब अपना नाम चेंज करवाना था पर अब तक कोई नाम नहीं सूझ रहा था। पिया ने जब सुमति से यह बात की तो सुमति ने दो तीन नाम बताए थे जैसे चिन्मय, चिराग, चैतन्य।
पिया ने यह नाम चिंटू को बताए और साथ में यह भी कहा कि यह नाम सुमति ने बताए है। तो चिंटू इन्हीं तीन नाम में से एक नाम पर मोहर लगता है जो था चैतन्य। फिर इस नाम के लिए वकील से मिलकर एफिडेविट करवाता है और न्यूज पेपर में भी एड दे देता है।
इस बार चिंटू ने मुंडी उठाकर कहीं नहीं देखा बस पढ़ता ही रहा। उसका ऐम था कैसे भी करके पहला नंबर लाना ही लाना है, चाहे कुछ भी हो जाए। इस दौरान रिया को भी मिलने से साफ मना कर दिया था। बस फोन पर बात चीत होती रहती है। चिंटू को साथ देने मन्नू और राधा आया करते थे। उन दोनों का चयन सरकारी नौकरी के लिए हो गया था। दोनों ने बतौर क्लार्क कि एग्जाम्स पास की और नौकरी भी शुरू कर दी थी। फिर से चिंटू के एग्जाम्स की डेट्स आ गई थी। चिंटू इस बार भी रिया के पापा से मिलने और उसका आशिर्वाद लेने जाता है। रिया के पापा उसे आशिर्वाद देते हुए कहते है बस इस बार पास हो जाओ फिर तुम दोनों की शादी धूमधाम से करवाऊंगा। यह सुनकर रिया बहुत खुश हुई पर चिंटू के दिल में उथल पुथल होने लगी। वह जानता था रिया कभी उसके घर रहने नहीं आएगी और उसके माहौल में एडजस्ट नहीं कर पाएगी। पता नहीं ये रिश्ता करने मै मुझे हिचक क्यों हो रही है? मेरा मन रिया से शादी करने को राजी क्यों नहीं है? पर उससे शादी करने के लिए ही तो उसके पापा ने मेरा खर्चा उठाया है। है भगवान! क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा। अभी तो मै यह सब भूल जाता हुं कहीं इसका असर मेरे रिजल्ट पर न पड़े।

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सुमति पुनिश को अपने रिज़ल्ट के बारे में रात को फोन करके बताती है। पुनिश भी उसे बधाई देते हुए आगे की पढ़ाई जारी रखने को कहता है। पूरे दिन की थकान कि वजह से नींद आ रही थी फिर भी वह सुमति से बात करने के लिए जागा रहता है। और लास्ट में फिर पूछता है- अब क्या सोचा?
सुमति को पता है वह क्या पूछ रहा है फिर भी हमेशा की तरह पूछती है- किस बारे में?
पुनिश- अब सताना कब बंद करोगी? तुम्हे पता है मै किस बारे में तुम्हे पूछ रहा हुं। अब की बार मिलने दो फिर बताता हुं।
सुमति हंसकर बाय बोलती है और फोन रख देती है।

दो महीने बाद पुनिश अपने कजिन सिस्टर की शादी में छुट्टी लेकर घर आया था। उसने अपने मम्मी पापा से सुमति के बारे में बात कि और शादी भी उसीसे करेगा कहा। तो उसके पापा ने तो खुश होकर गले लगा लिया। यह देखकर पुनिश और उसकी मम्मी को आश्चर्य हुआ। दरअसल बात यह थी के उसके एक दोस्त जो उन्हिके साथ पुलिस में थे वह बहुत दिनों से उनकी लड़की के लिए पुनिश का हाथ मांग रहे थे। पर उस दोस्त के चिपकू स्वभाव के कारण उन्हें यह रिश्ता नहीं करना था। वह हर बार कोई न कोई बहाना बना कर बात टाल देते थे। जब पुनिश ने सुमति के बारे में बताया उनकी अंदरुनी खुशी बाहर छलक आई। उन्होंने सुमति को देखा हुआ था और उसकी जात पात या उसके पास्ट से उन्हे कोई वास्ता नहीं था। बस अपने बेटे की खुशी में ही वह खुश थे। पुनिश की मम्मी को भी सुमति पसंद थी तो बस अब बात करने की ही देर थी। पुनिश की मम्मी ने कहा- तुम्हारी बहन की शादी हो जाने दो उसके बाद हम सौम्या के घर चलेंगे उसका हाथ मांगने।
पुनिश यह सुनकर फुला नहीं समाता और अपनी मम्मी को गले लगा लेता है। बहू की बात सुनकर तो पुनिश की मम्मी अभी से सब सोचने लगती है, मै ये करूंगी, मै वो करूंगी। तीनो अपने अपने ख़यालो में खोए हुए है। सब का ध्यान तब टूटा जब पुनिश के मोबाइल की रिंग बज उठी। सामने उसका वहीं दोस्त था जिसकी शादी तय हुई है। वह पुनिश को मिलने बुलाता है। पुनिश उसे मिलने चला जाता है, उसके पापा अपने हेड क्वार्टर चले जाते है और उसकी मम्मी किचन में चले जाते है।

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सुबह जब स्नेहा, राहुल और सुमति ब्रेकफास्ट कर रहे थे तब राहुल उन दोनों से कहता है- मै बहुत दिनों से सोच रहा हुं की सौम्या की कोलेज की पढ़ाई शुरू हो, मेरा मतलब है उसके ट्यूशनस शुरू हो उससे पहले क्यों न एक ट्रिप कर आए कहीं की। वैसे भी जब से सौम्या आई है तबसे हम कहीं भी घूमने नहीं गए।
स्नेहा- सच कह रहे हो, यह तो बहुत बढ़िया है। पर जाएंगे कहां? सौम्या तुम बताओ तुम्हे कहा जाना है?
सुमति- जहां आप चाहे। मै तो मुंबई से बाहर कभी गई ही नहीं।
राहुल- सोचते है कहा जाना है। तो तय रहा हम जाएंगे छुट्टी पर... हूरेरेेएए.…!

आज ऑफिस में स्नेहा को इंटरव्यू लेने थे असिस्टेंट के लिए। पूरे दिन इंटरव्यू के बाद एक लड़की ओर दो लड़को को सिलेक्ट किया गया। लड़की का नाम था शोभना जो एक बंगाली लड़की थी। साथ में जो दो लड़के थे उनका नाम विजय और इवान था जो कि एक क्रिश्चियन था। विजय मुंबई से ही था और इवान था जो कर्नाटक से यहां शिफ्ट हुआ था। यह नया स्टाफ सुमति की उम्र का ही था तो चारों में अच्छी दोस्ती हो गई थी। शोभना सुमति के एरिया में ही बतौर पेइंग गेस्ट रहती थी तो वह सुमति के साथ ही आती जाती थी। विजय और इवान अपनी फैमिली के साथ ही रहते थे। अब सुमति को फिर से नए दोस्त मिल गए। अभी काम की वजह से घूमने कहां जाना है यह तय नहीं हुआ था। सुमति यह बात ऑफिस के लंच टाइम में अपने नए फ्रेंड्स को बताती है। तब इवान उसे कहता है- अगर तुम जाना ही चाहती हो तो हमारे यहां कुर्ग कर के जगह है,जहा सब ट्रेकिंग पर जाना बहुत पसंद करते है। तुम लोग चाहो तो वहा मेरा एक फ्रेंड है जो यह सब करवाता है, मै उससे बात करूंगा। पर वहा आप दिसंबर से फरवरी में ही जा सकते है।
सुमति- मै मम्मी पापा से पूछकर बताऊंगी तुम्हे।

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सुमति ने घर जाकर स्नेहा और राहुल को इवान की बताई हुई जगह के बारे में बताया। पर राहुल ने कुछ और ही सोच रखा था। उसे जाना था चंबल की घाटी देखने जहा कभी डाकुओं का बसेरा था। स्नेहा यह सुनकर तो पहले चौंक जाती है फिर एक रिपोर्टर का दिमाग भी जाग गया उस जगह को देखने के लिए और वहा जाकर वह एक डॉक्यूमेंट्री भी बना सकते है। वैसे तो अब तक कई डॉक्यूमेंट्री बन चुकी है इस टॉपिक पर एक बार फिर सही। पर राहुल उसे साफ मना कर देता है। घूमना मतलब सिर्फ घूमना ही, सिर्फ एन्जॉय करना। ना कि कोई काम का बोझ लेकर जाना।
सुमति- पापा सही कह रहे है। हमे काम के बोझ से अब छुट्टी चाहिए और आप है कि वहा भी काम करवाएगी हमसे। ऐसा है तो कहीं नहीं जाना मुझे।
राहुल- नाराज़ कर दिया न मेरी बेटी को!
स्नेहा- ठीक है चलो जहां जाना हो वहीं चलते है।?
सोने से पहले सुमति पिया को फोन करके बताती है कि वह लोग चंबल की घाटी देखने जाने वाले है। पर अभी तय नहीं हुआ कब। वैसे वहा अक्टूबर से दिसंबर तक मौसम सुहाना होता है। तो अभी अगला महीना अक्टूबर है तो तभी चलेंगे शायद।
यह बात पिया शारदा को बता रही थी तब चिंटू भी वहां था। वह कहता है- चंबल भी कोई घूमने की जगह है। वहां बीहड़ों में क्या देखना?
पिया- वो ठहरे न्यूज चैनल वाले, जहा मन चाहे वहां जा सकते है।

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कजिन कि शादी के बाद एक दिन पुनिश ने फोन करके सुमति को कहा कि हम आज रात तुम्हारे घर आने वाले है।
सुमति- किस लिए?
पुनिश- बस ऐसे ही मिलने। अपने मम्मी पापा को घर पर ही रखना। मेरे मम्मी पापा भी आने वाले है।
सुमति- पुनिश..., क्या बात है?
पुनिश- रात में आकर बताता हुं।
सुमति- अच्छा तो डिनर घर पर ही रखना।
पुनिश- सोरी, वो डिनर फिर कभी रखेंगे। आज पापा जरा देर से आने वाले है। हमे तुम्हारे घर आते आते शायद नौ या साढ़े नौ बजे आएंगे।
सुमति- ठीक है, इंतजार करूंगी।
सुमति अपने मम्मी पापा से बात करती है पुनिश के बारे में।
स्नेहा को अंदाजा आ गया था कि क्या बात करने आ रहे है। वैसे वह खुश भी थी के इतने अच्छे घर से रिश्ता जो आ रहा था। सुमति के जाने के बाद स्नेहा राहुल से अपना अंदाजा बता रही है। तो राहुल कहता है- वैसे मुझे एतराज़ नहीं है पर अभी सौम्या की उम्र ही क्या है! पढ़े लिखे होकर हम इतनी जल्दी उसकी शादी कैसे करवा दे?
स्नेहा- बात तुम्हारी सही है पर बात पक्की तो कर ले, शादी दो साल बाद करेंगे।
राहुल- अभी बात तो करने दो। तुम तो शादी तक पहुंच गई।

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रात को पुनिश अपनी फैमिली के साथ सुमति के घर आता है। कुछ देर इधर उधर की बातें करने के बाद पुनिश के पापा ने पुनिश और सुमति के रिश्ते की बात कि। यह सुनकर स्नेहा ने कहा- देखिए डीएसपी साहब हम आपको अंधेरे में नहीं रखेंगे। सौम्या हमारी बेटी नहीं है, हमने उन्हें गोद लिया हुआ है। उसके माता पिता एक हादसे में गुजर गए है। और सौम्या का असली नाम सुमति है।
पुनिश के पापा- यह बात मुझे पुनिश ने बताई है और मुझे कोई आपत्ति नहीं है इस बात से। मै आज के जमाने में जीता हूं।
राहुल- यह तो अच्छी बात है साहब।
पुनिश के पापा(हंसते हुए)- आप मुझे साहब मत कहिए। मेरा नाम सतीश वर्मा है। आप वर्माजी ही कह लीजिए। यहां हम रिश्ते की बात करने आए है न कि अपना रोब जाड़ने।
इस बात पर सब हस पड़ते है।
राहुल सुमति को अपने रूम में ले जाकर बात करने के लिए कहता है। यहां बड़ों के साथ बोर हो जाओगे।
सुमति अभी भी इस बात से असहज थी कि वो क्या जवाब दे?

दोनों रूम में दरवाजा बंद करके बेड पर बैठते है। पुनिश ने कहा आज तो बाकायदा रिश्ता लेकर आया हुं, आज तो जवाब दें दो।
सुमति- कै..सा जवाब...??
पुनिश यह सुनकर सुमति को अपने पास खींचकर उसके होंठो पे अपने होंठ रख देता है। उसकी फोलादी पकड़ से सुमति टस से मस नहीं हो पा रही थी। जब पुनिश ने उसे छोड़ा तो वह तुरंत अपने रूम की बाल्कनी में जा पहुंची। पुनिश भी उसके पीछे जाकर उसे पीछे से ही अपनी बाहों में भर लेता है और उसके कान में I love u कह देता है।
सुमति पुनिश को अपने से अलग नहीं करती पर उसे कहती है- पुनिश सच कहुं तो मेरे दिल में आपके लिए ऐसी कोई फिलिंग नहीं है।
यह सुनकर पुनिश उसे छोड़ देता है और कहता है- क्या मै जबरदस्ती तुम्हारे साथ रिश्ता जोड़ रहा हुं?
सुमति- एसी बात नहीं है पर...
पुनिश- किसी और से प्यार करती हो?
सुमति- करती थी, पर शायद अब नहीं।
पुनिश- मै नहीं पूछूंगा कौन था वह, बस मुझे तुम्हारे आज में ही इंटरेस्ट है न कि कल में।
सुमति- आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता?
पुनिश सुमति को अपनी तरफ करके उसके गालों पर हाथ रखते हुए कहता है- देखो सौम्या मिलिट्री में हमे हर मुश्किल का सामना कैसे करना है वह सीखा दिया है। तुम्हारी ना से मेरा दिल जरूर टूटेगा पर मै तुमसे कोई जोर जबरदस्ती करके हा नहीं बुलवाऊंगा। तुम मुझसे प्यार न करो तो कोई फोर्स नहीं करूंगा। प्यार बिना शादी संभव नहीं है।
सुमति- प्यार तो शादी के बाद भी हो जाएगा।
पुनिश यह सुनकर पहले तो नहीं समझ पाता पर जब उसे मतलब पता चला तो वह सुमति को अपनी बाहों में उठाकर गोल गोल घूमने लगता है। उसे खुश होता देख सुमति भी खुश होती है। सुमति को वापस नीचे उतारकर वह उसे पागलों की तरह चूमने लगता है।
वापस जब दोनों रूम में आए तो पुनिश सुमति को थैंक्स कहता है। सुमति ने पूछा किस बात के लिए? तो पुनिश ने जवाब दिया मुझे हा करने के लिए। बहुत तड़पाया है तुमने इस हा के लिए। इसका बदला शादी के बाद गिन गिन कर लूंगा। फिर वो सुमति को गले लगाता है और बाहर चला जाता है।