Bhayankar Yaad - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

भयंकर याद (अंत )

ये सब से हमलोगन को भुतबाधा की संका तो होवत थी मगर पक्का यकीन ना आवत था
इत्तीफाकन से ऊ माँ बेटी मे आज बेटी ही रोटी हंडिया करन आई और हम सभी ने उसको घेर कर रात की बात बता दी ओर उसको जोर देकर पूछन लगे के यहाँ क्या गड़बड़ हैँ
बड़ी खुशामद के बाद वो जा के बोली के बहुत सालो पहिले इस मकान मे एक चौकीदार रहता था उसकी एक फुल सी बच्ची और एक सुन्दर पत्नी थी वैसे तो चौकीदार भला मानस था मगर उसमे शक करने की बड़ी गन्दी आदत थी आये दिन अपनी जोरू को मारता पीटता था एक दिन अचानक उसकी घर वाली अपनी बेटी को लेकर कही भाग गई चौकीदार को इसका बड़ा दुख हुआ रात दिन बस पिए रहता
एक सुबह चौकीदार की लाश पीपल के पेड़ से एक मजबूत तार के फंदे मे लटकी मिली जब पुलिस को बुलाया गया तो दरोगा ने छान बिन की तब एक और ताज्जुब की बात पता चली के उस पीपल के पेड़ के निचे दो और लाशें दफ़न मिली हैँ वो चौकीदार की जोरू और बच्ची थी उनके हाथ भी उसी तार से बंधे हुए थे
जब पुलिस ने पोस्मटम किया तो पता चला के कई दिन पहले दोनों माँ बेटी को जिन्दा दफना दिया गया था उनके ऊप्पर कई जगह पुलिस वालों को चौकीदार के हाथो के निशान और कुछ और सबूत मिले जिससे साफ था के उनको चौकीदार ने ही मारा था फिर पुलिस ने सोचा के उसने पछतावा कर खुदखुशी कर ली मगर चौकीदार के विषय मे भी एक रहस्य ये अंसुलझा रह गया वो ये के उसके कपड़ो पर उसकी पत्नी और बेटी का ताज़ा खून मिला था जो की असंभव था कियोकि चौकीदार के आत्महत्या करने तक उन माँ बेटी की लाश काफ़ी सड़ चुकी थी उनके शरीर मे एक भी बून्द खून नहीं बचा था

खेर उसके बाद पांच सालो तक ये जगह खाली पड़ी रही उसके बाद एक नया चौकीदार अपने बच्चों के साथ यहाँ रहने आया उसकी पत्नी पहले ही मर चुकी थी दो दिन बाद नये चौकीदार को किसी काम से एक रात के लिये शहर जाना था जब वो अगली सुबह लोटा तो उसके सभी बच्चों की लाश उसी पीपल के पेड़ पर वही पतली तार से लटकी मिली नया चौकीदार पागल हो गया उसके बाद किसी ने यहाँ दोगुनी तन्खा पर भी काम ना किया तो मालिक ने तंग आ कर यहाँ पर एक होटल बनाने की सोची और कुछ मजदूरों को बुलाया गया हर मजदूर शाम से पहले काम पूरा कर घर चला जाता था लेकिन एक रात घर गये मजदूरों मे से एक मजदूर ना जाने कैसे उसी रात मे यहाँ आ गया और अगली सुबह उस की लाश इसी पेड़ से लटकी मिली वो भी उसी बारीक़ मजबूत लोहे की तार से उसके बाद कई सालो से ये जगह वीरान पड़ी रही और कोई इसके आस पास भी नहीं आया फिर एक दिन आप सब लोग दूर गॉव से बुलाये गये इतने लम्बे समय तक बिना किसी रूकावट के आप लोग आराम से काम कर रहे थे इसलिए हम को भी लगा के ये भुत वूत वाली बात बकवास हैँ और अगर आपको ये सब पता चल जाता तो आप भी डर कर भाग जाते जिसके वज़ह से हम माँ बेटी का चल रहा दाना पानी बंद हो जाता इसलिए आपको कभी भी ये सब बात ना बताई

फिर कुछ देर के लिये वर्कर चुप हो गया और उसके बाद बोला भईया माँई कसम उस लड़की की बातो ने ऊपर से निचे तक हमरे बदन मे डर की सरसरी सी दौड़ा दी थी

उसी दिन हमरे ज्यादातर साथी घर भाग लिये ऊ जगह पर हम चार आदमी ही बचे थे जाना तो हमें भी था मगर मजदूरी छोड़ जाया ना जाता था तो कुछ दिन और रूक कर मालिक को विश्वास दिला कर अपनी आधी से ज्यादा मजदूरी लेने के बाद निकल गये हम लोग और कभी ना पलटे जितनी रात उस दिन के बाद वहाँ काटी जाग कर ही काटी और हर रात किसी महिला का भयंकर रूद्र विलाप सुनाई पड़ता था पता नाही कियो हमें उस दिन के बाद से ही वो आवाजे आने लगी या तो हमरी तादात कम होने से या हमरे वहाँ की कहानी जानने की वजह से कारण जो भी हो रात भर सहमें डरे भीगी बिल्ली बने गुजरती थी

उस वर्कर की इस बात ने मुझे रात भर डर की गहरी सोच मे लपेटे रखा अलग अलग ख्याल आते कभी सोचता के अब वहाँ क्या होगा कभी अपने को उस जगह पर पंहुचा कर मै क्या करता ये सोचता और कभी अपने आस पास के माहौल पर भय से भरा संदेह होता के पक्का यहाँ पर भी कुछ हैँ
हर सोच मेरे दिल की धड़कन को तेज कर जाती ये सिलसिला तब टुटा जब सुबह की हौसला बढ़ाने वाली रौशनी मेरे चेहरे को छूने लगी और आज भी मुझे वो याद रखने वाली याद अच्छे से याद हैँ