Kahaani teri meri books and stories free download online pdf in Hindi

कहानी तेरी मेरी

ये जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है..
फिर भी कहाँ सबकी खुशनसीब होती है..

ये जिंदगी हमें वो दे जाती है जिसकी हमें चाह नहीं होती और वो नहीं देती जो हमें चाहिए। वो कहते हैं न...बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिलेना भीख। बस ये जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है।

पांचवा साल चल रहा हैं मेरी मोहब्बत को। उस अंजान मंजिल की ओर बढ़ते हुए जिसकी कोई मंजिल ही नहीं है।
क्या होगा आगे कोई नहीं जानता। फिर भी किये जा रहे हैं मोहब्बत। क्योंकि हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में।

हमारी मुलाकात फ़ेसबुक पर ही हुई थी। मेरे पसंदीदा गीत के साथ। खुबसूरत शायरी के रूप में। हमारे शौक ने हमें मिलाया। हाय हेल्लो से बात शुरू हुई। पहले तो एक दूसरे की तारीफ हुई। फिर बातों का सिलसिला, रोज शायरियों के साथ शुरू हो गया। कुछ दिनों बाद एक दूसरे को देखने की इच्छा हुई। सोसियल मीडिया ने इसे बड़ा आसान कर दिया है। हम दोनों व्हाट्सएप पर एक दूसरे के साथ जुड़ गए। रोज घंटों बातें होने लगी। वीडियो कॉल से आमने-सामने बात होती, ऐसा लगता जैसे हम दोनों साथ ही बैठे हो। धीरे धीरे एक दूसरे की हम आदत बन गए। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता कि हम एक दूसरे को देखते ना हो।

हम दोनों एक दूसरे से मिलो दूर रहते थे। इन 5 सालों में हम आज तक एक दूसरे से नहीं मिले। फिर भी मोहब्बत इतनी है कि एक दूसरे के बिना जी रहे हैं।

जिस्मानी मोहब्बत तो कोई भी निभा ले
मोहब्बत तो वह हो जो रूह में बसी हो।

कुछ ऐसी मोहब्बत हम दोनों एक दूसरे से करते हैं। बहुत बार मन होता है कि हम भी मिले औरों की तरह, साथ घूमें, साथ रहे, एंजॉय करें। लेकिन आज तक किस्मत ने हम दोनों को नहीं मिलाया। हंसी खुशी से हम अपने दिन गुजार रहे थे। न जाने किसकी नजर धीरे धीरे हमारे प्यार को लगती गई। वह अपने काम में मशगूल होते गए, बातों का सिलसिला धीरे-धीरे कम होता गया। चाह कर भी हम दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर पाते। पहले तो धीरे-धीरे दिन गुजरे। फिर रात को भी वह व्यस्त रहने लगा। देर रात तक घर आना। खा कर सो जाना। बातें कम होने लगी थी। लेकिन एहसास कभी न बदले। समझ सकती थी मैं उसकी हालत को। पर मजबूर थी। कोई कुछ न कर सका।

हमारी मोहब्बत पर सबसे ज्यादा असर G.S.T. ने डाली। उनका काम ऐसा हो गया कि रोज अपडेट करना पड़ता। बस आज इस की आखिरी तारीख कल उसकी आखिरी तारीख। इन तारीखों में वह उलझ कर रह गया। मैं भी उसके हालात समझती थी। अक्सर उसका इंतजार करती रहती जानती थी कि बात नहीं हो पाएगी। फिर भी घंटों उसके ऑनलाइन आने का इंतजार करती रहती। उसके इंतजार में ना जाने कितनी लाइने लिखती और मिटा देती। शायरियों पर शायरियां लिखना आदत बनती जा रही थी। न जाने कितनी बार उससे नाराज होती। ना जाने कितनी बार हमारी लड़ाई होती। हम एक दूसरे के बिना कभी न रह पाते। एक दूसरे को समझने के बावजूद भी खुद ही उलझ जाते और सुलझ भी जाते।

आज भी हमारे हालात वही हैं लेकिन दिल से एहसास अभी मिटे नहीं हैं। आज भी हम दोनों एक दूसरे से दूर होते हुए भी एक दूसरे की रूह में समाए हैं। बेशक हमारी बातचीत नहीं होती लेकिन जानते हैं कि दिल में एक दूसरे के हम सदा रहेंगे। अक्सर मेरी शायरियों में उसका जिक्र होता है और उसके अल्फाजों में मैं नजर आती हूं।

दुआ है रब से हमारा इश्क यूं ही बना रहे। बेशक हम एक - दूसरे से दूर रहें। बस दिल में एक दूजे के रहें।