Manzilon ka daldal - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

मंज़िलों का दलदल - 2

गुंजन का रुदन तेज़ होते जा रहा था शायद उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था... शायद वो ये सोच रही थी इन आसुओं से उसका किया गया गुनाह धुल जाएगा.... तभी सीला ने गुस्से में गुंजन को चांटे जड़ दिये...
बिलकुल चुप अब अगर थोड़ी सी भी आवाज़ निकाली तो समझ लेना... तुम बाप बेटी ने तो मुझे गवार समझ रखा हैं... और भी तो लड़कियां हैं जो शहर में पढ़ाई कर रही हैं..... जभी मै सोचू कि तेरे पास इतने पैसे आ कहा से रहे हैं... तूने तो यही कहा था ना.... वो कुछ टाइम के लिए नौकरी करती हैं.. 4-5 घंटे की नौकरी में इतना पैसा.... तेरे बाप को भी बता दे वो भी लग जाए... कम से कम ये जिल्लत भरी जिंदगी से पिंड छूटे... चले थे बेटी को बेटा बनाने.... अब आकर देखेंगे बेटी ने क्या गुल खिला रखे हैं
मम्मी प्लीस मेरी बात तो सुनो...
तभी गुंजन के पिता आ जाते हैं...
क्या हुआ सीला क्यों इतना हलकान मचा रही हो...
पिता की आवाज़ सुन गुंजन दौड़ कर पिता से लिपट जाती हैं... और रोते हुए कहती हैं
पापा मेने कुछ नहीं किया...
आखिर हुआ क्या हैं ज़रा मै भी तो जानू...
वो पापा म... मेरी रूम मेट को पुलिस ने पकड़ा हैं...
क्यों ऐसा क्या किया उसने...?
ये देखो टीवी पर समाचार में क्या बता रहे हैं..
तुम लोग चुप तो रहो जरा...
और गुंजन के पिता न्यूज़ सुनने लगते हैं... गुंजन की सिसकियाँ निरंतर सुनाई दे रही हैं...
न्यूज़ में पुलिस कमिश्नर बोल रहे हैं कि ये हन्नी ट्रेप का मामला हैं जिसकी जांच चल रही हैं... इस मामले में काफ़ी हाई प्रोफ़ाइल के लोग भी जुड़े हैं... जिसमे बात ये पता चली हैं कि सरकारी काम करवाने के लिए नेताओं और बड़े बड़े अधिकारियो को जिस्म फरोशी करा कर उनकी वीडियो बनाई जाती थी फिर उन्हें ब्लैक मेल किया जाता था जिसमे करोडो के काम और लेनदेन का मामला उजागर हुआ हैं...
अभी ये पांच लड़कियां पकड़ी गयी हैं अभी एक लड़की गुंजन को अरेस्ट करना बाकी हैं जिसमे हमें उम्मीद हैं आज शाम तक उसे अरेस्ट कर लिया जाएगा.. इस मामले में उस लड़की की अहम् भूमिका हैं....
ये क्या हैं गुंजन...?
पापा ये लोग झूठ बोल रहे हैं मुझे फसा रहे हैं... वो विडिओ में मै नहीं हूं पापा... कम से कम आप तो विश्वास करो..
अगर तुम गलत नहीं हो गुंजन तो तुम्हे कुछ नहीं होगा... और अगर तुमने गलती की हैं तो तुम हमें ज़िंदा नहीं देखोगी... समझ गई... मेने तुम्हे इस लिए शहर पढ़ने नहीं भेजा था...
तभी गुंजन खीझते हुए बोली थी..
कोई भी मेरी बात मानने को तैयार नहीं हैं.... आपलोग मुझे समझ क्यों नहीं रहे हों....
अब तुम्हे समझेंगे तभी जब इस बात का पता चल जाए कि तुम निर्दोष हों....
हा मै लड़की हूंना इसीलिए कोई मुझे स्पोर्ट नहीं कर रहा हैं...
अगर हम ऐसी सोच रखते तो गुंजन अभी तक हम तुम्हारी शादी करवा देते... और ये गुल खिलाने के लिए कर्ज़ा लेकर तुझे शहर नहीं भेजते...
रहने दो सीला अब जो होना था हों गया... देखना ये हैं कि झूठ हमारी परवरिश बोलती हैं या जो टीवी पर दिखाया रहा हैं या वो...

क्रमशः - पार्ट-3