chintu - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

चिंटु - 26


बेला दरवाजे पर खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी। फिर वह धीरे से रूम का दरवाजा बंद करती है जहां चिंटू और सुमति आराम से सो रहे थे। पर उस बेचारी को क्या पता के ये दोनों आधी रात के बाद से जगे हुए ही थे। बेला जब नीचे आती है तब सुबह के छे बजे थे। कोई पंद्रह मिनट बाद मोहन भी इवान को लेकर आ गया था। अभी बारिश रुक गई थी तो से लोग यहां से जल्दी निकलना चाहते थे।

इवान आकर बेला से शिकायत करने लगता है- क्या इतनी जल्दी उठा दिया ये भाई साहब ने? इसे कहना चाहिए था न कि थोड़ा अच्छे से सोकर आए।
बेला- हमे वापस जाना है यहां से, यही घर नहीं बसाना।
इवान- तुम सिर्फ हां बोल दो, घर भी बसा लेंगे।
रानी किचन से आते हुए बोलती है- कहां, किसको बसाना है?
इवान- मै कह रहा था यह गांव अच्छा है यही घर बसा ले।
रानी- हां यह तो है। चारो तरफ हरियाली, खुशनुमा वातावरण, और खाने पीने की चीजें भी बिना मिलावट वाली। आपके शहर में न तो हवा अच्छी मिलेगी न खाना पीना। सब मिलावट से भरा...।
इवान- ये बात तो सच है। इसी लिए मै यहां रहने का सोच रहा हुं। अरे! ये सौम्या और चिंटू कहा है? जब से आया तबसे दिखे ही नहीं।
बेला- वो अभी सो रहे है।
इवान मुंह बिगड़ते हुए कहता है- तो मुझे क्यों इतनी सुबह सुबह छोटे बच्चे की तरह नहा धोकर तैयार करवा दिया?
बेला- हां तो चाय नाश्ता कर लो तब तक वे भी आ जाएंगे।
इवान- मै अभी उन्हे उठा देता हुं।
बेला जट से कहती है- तुम रहने दो, मै बुला लेती हुं।

बेला सुमति और चिंटू को अपने सामने शर्मिंदा नहीं देखना चाहती थी। इसीलिए ऊपर जाकर उसने दरवाजा खटखटाया। दो तीन बार खटखटाने के बाद सुमति और चिंटू दोनों की आंखें एक साथ खुलती है। चिंटू ने सुमति का हाथ जो उसकी कमर पे था उसे कसके पकड़ लिया। सुमति उसे छुड़ाने की कोशिश करती है पर चिंटू है कि उसका हाथ छोड़ने को तैयार नहीं था। बेला ने फिर सुमति को आवाज लगाई। सुमति चिंटू से कहती है- plz छोड़ो न, बेला अंदर आयेगी तो क्या सोचेगी?
चिंटू- यही के नींद में मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा हुआ है।
सुमति- plz यार छोड़ो न।
चिंटू- एक शर्त पर, अगर मुजे एक किस...
सुमति थोड़ा गुस्से से कहती है- नहीं। नहीं मिलेगी, अब छोड़ो।
चिंटू भी मुंह फुलाकर सुमति को छोड़कर सीधा रूम का दरवाजा खोलकर बाहर निकाला तो बेला सामने खड़ी थी। वह बेला से कहता है- माफ़ करना बेला, आंख लग गई थी तो...
बेला- कोई बात नहीं, अब जल्दी करो हमे वापस निकलना भी है।

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चिंटू और सुमति जल्दी से नहाकर तैयार हो जाते है और फिर सब साथ में नाश्ता करने बैठते है।
इवान रानी से कहता है- रानी अगर कुछ नाश्ता बच जाए तो मुझे पैक करके देना। वापस जाकर वहीं सुखी रोटी सब्जी मिलेगी। बेला.. तुम लोग चिकन विकन नहीं खाते क्या?
बेला- खाते है। पर इतने सारे लोगों के लिए मुमकिन नहीं है। कभी अच्छा माल हाथ लग जाए तो लुफ्त उठाते है चिकन का।
इवान- तो भेजो न किसीको चिकन लाने। मुझे आज खाना है। हम साथ लेकर जाते है। मेरे पास कुछ पैसे बच्चे हुए है, उसिसे से ले लेते है।
रानी- इतनी सुबह सुबह कोई दुकान खुली नहीं होगी जो तुम्हे यह सब मिल जाए। कल बोला होता तो वहीं पका लेती।
इवान- मुझे कहा पता था ये लोग भी खाते होंगे।
चिंटू- ये लोग क्या...? मै और सुमति पूरे शुद्ध शाकाहरी है। अब तुम्हारा रसोई पुराण खत्म हुआ हो तो चले या आज भी यही रुकना है। (चिंटू सोचता है कहीं से मोबाईल मिल जाता तो में पुलिस को फोन कर दू। पर कहां से मिलेगा मोबाईल?)

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सब जंगल की ओर चल पड़ते है। चिंटू अब भी सुमति से रूठा हुआ है। सुमति बार बार उसके पास जाती है पर चिंटू को उसे सताने में मजा आ रहा है। इवान बेला से उटपटांग बाते करता रहता है। बेला इवान के बारे में सोचती है' ये कितना भोला है!' उसके मन में कोई छल कपट नहीं है। क्या मुझे उसके बारे में सोचना चाहिए? क्या मां और बाबा को यह रिश्ता मंजूर होगा? क्या इवान के घरवाले मुझे अपनाएंगे? वह स्वगत बोल पड़ती है- आह! में पागल हो जाऊंगी।
इवान- क्या हुआ बेला? ठीक तो हो न?
बेला- हां, ये.. वो.. कीचड़ में मेरा पैर बार बार फिसल रहा है।
इवान उसके कान के पास जाकर कहता है- कहो तो गोद में उठा लूं?
बेला शरमा जाती है और आगे चलने लगती है। मोहन सब के पीछे चल रहा है ताकि कोई भागने कि कोशिश ना करे। बेला सबसे आगे चलने लगती है। अब इवान सुमति के साथ चलने लगता है। और कानों में खुसरफुसर करने लगता है। वह सुमति से कहता है- यार मुझे ये बेला बहुत पसंद है।
सुमति- पागल है क्या? एक डाकू से प्यार करेगा?
इवान- वो कहां डाकू है? डाकू के खानदान से दूर दूर तक उसका कोई रिश्ता नहीं है। वो तो बेचारी हालत की मारी इन लोगो के साथ रहती है।
सुमति- पर अब तो वह डाकू की बेटी ही कहलाती है ये मत भूलो।
इवान- तो क्या हुआ डाकू इंसान नहीं होते? मै तो घर जाने से पहले उसे प्रपोज करने वाला हुं।
सुमति- तु सच में हमे मरवाएगा साले। यहां अपनी जान के लाले है और तुम्हे इश्क़ करने का सूज रहा है?
इवान- एक बार उससे इजहारे मोहब्बत कर लू। ससुरजी हमे यूहीं जाने देंगे। मुजसे अच्छा दामाद भी उन्हे कहा मिलेगा। वो भी पढ़ा लिखा।
सुमति- हां, कर ले कोशिश। मेरा क्या जाता है।
इवान- इसमें मेरा घटा, तेरा कुछ नहीं जाता। ज्यादा प्यार हो जाता, तो मै सेह नहीं पता...।
सुमति- गलत सोंग गा रहा है।
इवान- पता है, मै तुझे ही सुना रहा हुं।

चिंटू उनके बीच की बाते सुनता रहता है। जमीन गीली होने के कारण वे सब जल्दी नहीं चल पाते है। फिर से मौसम बदलने लगता है। मोहन सबको जल्दी जल्दी पैर चलाने को कहता है।
इवान- डाकू भाईसाहब! इन कीचड़ भरे रास्ते मै कैसे जल्दी पैर चलाए? हमारे शूज की हालत तो देखिए। सौम्या, अच्छा हुआ की हम सब ने शूज पहने हुए थे। जो अभी काम आ गए।
चिंटू- अच्छा? हमे तो पता ही नहीं था। हमने तो यहां पहली बार ही शूज पहने है। वरना हम चप्पलें ही पहनते थे।
इवान- क्या बात कर रहे हो? तुम अब तक चप्पल पहनते थे?
सुमति- इवा..न। क्या तुम भी, बेवकूफ। वो ऐसे ही तुम्हारी खींच रहा है।
इवान- चिंटू भाई ये ग़लत है। ऐसे किसी से नहीं बात करनी चाहिए।
चिंटू- तुज में इतनी अक्कल नहीं है? हम अब तक सिर्फ चप्पलें ही पहनते रहे होंगे?
इवान- इसमें क्या है? पहनता होगा कोई, उसमे शायद तुम भी शामिल हो।
चिंटू- मै..
सुमति बीच में ही बोल पड़ती है- अब तुम दोनों बहस बंद करोगे?
चिंटू- अपने इस मोटे को समजाओ मेरा दिमाग खराब ना करे। वरना..
इवान- वरना क्या बे..। धमकी किसे दे रहा है?
चिंटू- तुजे ही दे रहा हुं।
इवान- हां, तो फिर ठीक है। बेला को कुछ मत कहना।
बेला पीछे देखकर बोलती है- इसमें मै कहा बीच में आ गई? इवान..??
इवान- नहीं.. वो.. मुझे लगा वो तुम्हारी तरफ देखकर बोल रहा है।
चिंटू- मै तेरी ही ओर देख रहा हुं चपड़गंजू।
इवान- हा, तो बराबर है, वरना मै बेला के बारे में नहीं सुन सकता। (मोहन की तरफ देखकर) किसी लड़की के पीठ पीछे बात नहीं करनी चाहिए क्यों मोहन भाई साहब?
मोहन कोई जवाब नहीं देता

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बारिश की वजह से जगह जगह फिसलन हो गई थी। एक जगह ढलान से सबको नीचे उतरना था। इस बार इवान आगे चला गया ताकि बेला अगर फिसल जाए तो उसे अपनी बाहों में संभाल सके। पर इससे उल्टा हुआ, बेला के बदले सुमति का पैर फिसला। अच्छा था कि चिंटू भी उसके आगे ही चल रहा था तो सुमति को संभाल लिया। वैसे वह फिसली इस तरह के सीधे उसके होंठ चिंटू के गाल पर चिपक गए। उसी वक्त वह धीरे से चिंटू के कान में कहती है- तुम्हारा किस तुम्हे मिल गया।
चिंटू उसे मना करते हुए कहता है- ये वाला नहीं।
सुमति की आवाज सुनकर बेला और इवान पीछे देखकर खड़े रहे तबतक चिंटू ने सुमति को संभाल लिया था। मोहन भी ढलान में खुद को संभाल रहा था तो किसी का भी ध्यान नहीं पड़ा था उन दोनों पर। सुमति आंखे नाचती हुई चलने लगती है। फिर सब एक दूसरे से बेतूकी बाते करने लगते है।

इन लोगो की बकवास सुनकर मोहन को गुस्सा भी आता है और हंसी भी। क्या सरदार इन बच्चो को उठवा लाए है? बेचारे अभी मासूम है। ये मोटे का दिल लगता है बेला बहन पर आ गया है। सरदार को बताना पड़ेगा। वह बार बार सबसे जल्दी चलने को कहता रहता है।
आखिर शाम होने से पहले सब पहुंच ही गए। चिंटू ने एक बात नोटिस की थी जब गए तब रास्ता अलग था और आए तब रास्ता मिलताजुलता था पर वही रास्ता नहीं था। अब कभी भागने का मौका भी मिला तो कहा भागे?

बेला और बाकी सब को देखकर उसकी मां खुश हो जाती है। वह कहती है- भगवान का लाख लाख शुकर है, तुम सब सही सलामत वापस आ गए। हीरा ने बताया कल वहा गांव में बहुत बारिश हुई?
बेला- हा मां! इसीलिए वहीं रुक गए। मै वहा से अपना कुछ सामान भी ले आई हुं। अब हम सब बहुत थक गए है। थोड़ी देर आराम कर ले?
रमादेवी- हां हां, तुम सब जाओ। रात के खाने पर बुलवा लूंगी सबको।

मोहन चिंटू और इवान को अपने साथ ले जाता है। सुमति बेला के साथ चली जाती है। चिंटू और सुमति जाते हुए एक दूसरे को देख रहे होते है। बेला भी इवान को देखती है। और मोहन उन सबको। वह सरदार से सुबह बात करने की सोचता है और अपने तम्बू में चला जाता है।

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अपने अपने टेंट में जाकर सब गहरी नींद सो गए। उन सबको उठाने पर भी सब सोते रहे थे। रमादेवी ने उन्हे एक घंटे बाद उठाने के लिए हीरा को कह दिया और वह बेला के पास जाकर बैठ गई। रमादेवी को सिलाई बुनाई का शौक है तो वह बेला की शादी का जोड़ा अपनें हाथो से बना रही थी। उसमे लगता सारा सामान शहर से एक आदमी के पास से मंगवाया था। बस हाथ मशीन से वहीं सिलाई कर रही थी तभी सुमति उठती है। रमादेवी ने उसे जगा देख उसके लिए खाना लेने जा रही थी तो सुमति ने मना कर दिया। वह कहती है- मै बेला के साथ ही खाना खा लूंगी। पर आप ये क्या कर रही है?
रमादेवी- ये... ये शादी का जोड़ा बना रही हुं।
सुमति- किसके लिए?
रमादेवी- बेला के लिए और किसके लिए?
सुमति उसे देखकर कहती है- अरे वाह! आपने तो बहुत अच्छी कारीगरी की है इसमें। इस तरह की डिजाइन का आइडिया कहा से मिला?
रमादेवी- मैंने खुद ही बनाया है।
सुमति- wow! it's amazing.
रमादेवी- क्या?
सुमति- अरे आंटी! यह बहुत ही सुन्दर है। इसका वर्क, इसमें लगे धागो का कलर सब बहुत ही अच्छा है। अगर आप इसे हमारे शहर में बनाकर बेचेंगी तो कम से कम पच्चीस से तीस हजार रुपए मिलेंगे। आप ये सब सामान कहा से लाई जो इसमें यूज हुआ है।
रमादेवी- यहां से जो कोई शहर की तरफ जा रहा होता है उसी से मंगवा लेती हुं।
सुमति- आप ये कहा सीखी?
रमादेवी- बेटा, हमारे वक्त तो पढ़ाई लिखाई लड़कियां नहीं करती थी। तो मां या दादी हमे घर के काम काज के साथ साथ यह सब भी सीखते थे। ये तो आजकल की लड़कियां है को घूमने फिरने में ही लगी रहती है।
सुमति- ऐसा नहीं है आंटी। आजकल की लड़कियों को उसके माता पिता पढ़ाते है। ताकि आगे जाके कोई मुश्किल आए जीवन में तो अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कमा सके। शहर में सब लड़कियां नौकरी करती है, मै भी नौकरी करती हुं।
रमादेवी- हमे तो घर की चौखट के बाहर जाने का मौका ही नहीं मिला तो क्या जाने ये सब। और जब से ब्याह कर आए है बेला के बापू के साथ ही है। कभी शहर जाने का मौका ही नहीं मिला।
सुमति- आप मेरे घर चलिएगा जब हम यहां से जाए। मै किसीको कुछ नहीं बताऊंगी की आप कौन है।
रमादेवी- अब इस उम्र में कहा पैर चलते है ज्यादा। मै यही खुश हु, खुले आसमान में।

सुमति को पहली बार इन सब से ईर्षा हो रही थी। इन सबको अपने मुताबिक जीवन जीते देख। शहर में बंद दीवारों के घर, भीड़ भाड़ वाली जिंदगी, जीवन निर्वाह के लिए नौकरी...। हां पर इनकी तरह डाकू की जिंदगी तो नहीं अच्छी लगती। जिंदगी का कोई भरोसा ही नहीं। कब पुलिस कि गोली लग जाए। उसे सोच में देख रमादेवी उससे पूछती है- किन ख़यालो में खो गई बेटा?
सुमति- कुछ नहीं, मुझे भी मेरे मम्मी पापा की याद आ गई। आंटी! हमे कब तक यहां रखेंगे? मुझे घर जाना है।
रमादेवी- मैने बेला के बापू को कल समझाया था कि आप सबको छोड़ दे पर वे है कि मानते ही नहीं। हमारे बेटे को पुलिस छोड़ देगी तभी आपको घर भेजेंगे। मेरी कोई बात वे सुनते ही नहीं। बस यही कहते है कि-' हम कहा इन बच्चो को परेशान कर रहे है? उनके ऊपर कोई जुल्म तो नहीं उठाते फिर उन्हे यहां से भगाने की क्यों जल्दी है तुम्हे?' अब मै क्या बोलूं उसमे?

उनकी बातचीत से बेला भी उठ जाती है। उधर इवान और चिंटू को भी मोहन ने उठा दिया था। फिर सब लोग बाहर साथ ही खाना खाने आए गए। आज आसमान साफ था।

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पुनिश सबके साथ बैठा हुआ था। उसने सबको बताया कल अगर मौसम अभी की तरह साफ रहा तो हम सौम्या को सुबह जल्दी ही ढूंढने निकल जाएंगे। इस बार में सौम्या को लेकर ही लौटूंगा। इवान के पापा भी साथ आने के लिए कह रहे थे पर पुनिश ने मना कर दिया। उसका कहना था अभी अभी बारिश बंद हुई है। आप जंगल की फिसलन वाली जमीन पर चल नहीं पाएंगे। हमे तो ट्रेनिंग मिली हुई है ऐसी जगह पर चलने की इसीलिए कल जा रहे है।
स्नेहा की आंखे नम हो जाती है। वह राहुल की तरफ देखती है। राहुल भी सोच में डूबा हुआ है 'अगर हमने यहां आने का प्लान ही न किया होता तो आज सौम्या हमारे साथ होती।
पुनिश को अब इंतजार था कल सुबह का।

क्रमशः