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ये इश्क नही आसान

ये इश्क़ नही आसान, दो प्रेमियों की कहानी जिसमे प्रेमी अपने परिवार और प्रेमिका की सारी शर्ते पूरी करता है।

केवल ने जब पहली बार परा को देखा था तब उसके मन मे प्यार के अंकुर पनपे थे। उम्र के उस पड़ाव पर मन मे भावनाओं का सागर हिलोरे ले रहा था, बार बार हर बार बस परा को देखने की लालसा रहती थी ,और परा इन सब बातों से अनभिज्ञ ।
ये कहानी खूबसूरत परा की है , जो एक खानदानी धनी राजपूत परिवार ही बेटी है । खुद के पैरों पर खड़े होना है ये सोचकर नौकरी करने के किये रिटेल सेक्टर चुना , और नॉयक केवल एक मराठी गरीब परिवार का बेटा है पर उसके मन मे , उसकी सोच में , कही भी गरीबी नही थी,, उम्दा व्यक्तित्व वाला लड़का महज 18 साल का नौजवान और उम्र में उससे 2 साल बड़ी परा ।
कहानी परा और केवल की ।।

नए रिटेल स्टोर खुलने के लिए सब सेटअप हो चुका था,, सभी कर्मचारियों को अच्छी तरह से ट्रेनिंग दी गई थी,, और एक नया हाइपर स्टोर खुला था,, केवल को कैश डिपार्टमेंट दिया गया था,, जिसमे उसे बिलिंग, स्टोर के खर्चे और कैश से सम्बंधित काम करने थे,,,,, बाकी सभी सेल में थे,,। अकेले सुबह दस बजे से रात के दस बजे तक संभाल पाना आसान न था । केवल मेहनती और ईमानदार था इसलिए उसने कभी कुछ नही बोला ,, पर मैनेजर साहब को एक और असिस्टेंट तो रखना ही था केवल के मदद के लिए ।।
एक सप्ताह बीत जाने का बाद स्टोर के मैनेजर प्रणव सर ने केवल को एक असिस्टेंट चुनने को कहा,,।
केवल तुम सभी स्टाफ में से किसी एक का चुनाव कर लो,, जो तुम्हारे अनुपस्थिति में काम कर सके,,।। केवल को अच्छा लगा ये जानकर कि ये जिम्मेदारी उसे दी गई,। रविवार का दिन था स्टाफ मीटिंग थी,, केवल मीटिंग ले रहा था,,, तब पहली बार उसका ध्यान परा पर गया।। वैसे तो अक्सर देखता था,, पर आज उसकी नजर सिर्फ परा पर थी,, क्योकि उसे किसी एक का चुनाव भी करना था,, जो मेरा काम भी देख सके और सेल भी कर सके,।।

. केवल ने मीटिंग खत्म होने के बाद प्रणव सर को बताया कि उसने परा राजपूत को चुना है, ।
वाह ,,,, प्रणव सर केवल की तारीफ करते हुए कहे,, मुझे फक्र है कि तुंमने बहुत अच्छा चुनाव किया है,, बहुत खूब केवल,,,,,, गुड जॉब !!
"शुक्रिया सर !!!
तुंमने परा को बताया ??
नही सर !!
क्यों ?? आश्चर्य होकर सर बोले ।।
" पता नही सर !! आप बता देना उसे ।।
ठीक है तुम जाओ और उसे आफिस में भेज दो !!
" ठीक है सर ,,
केवल चला गया और बाहर जाकर परा से पहली बार बोला .... तुम्हे सर ने अंदर बुलाया है ।।
" ठीक है ,, कह के परा चली गयी ।।
बाहर आई तो थोड़ी खुश थी,,, और केवल को मुस्कुराकर शुक्रिया कहा,,,, मैं तैयार हूं तुम्हारे साथ काम करने को।।।
केवल भी खुश हुआ,,,और मुस्कुराता हुआ बोला,,, बढ़िया ।।
ये मुस्कुराकर पहली बार की शुक्रिया ने केवल के दिल पर प्यारी सी छाप छोड़ दी थी,, । पहली बार किसी लडक़ी को देख कर 'गुड, वाली 'फीलिंग, आई थी । अक्सर ऐसा होता है,, साथ मे काम करने वाले दो लोग,, साथ मे पढ़ने वाले दो लोग में प्यार की साठ गांठ अच्छी हो जाती है,, ।

वक्त शुरू हुआ प्रशिक्षण का जब केवल ने परा को अपने काम बताने शुरू किए,, दुनिया की पहली ऐसी अच्छी वाली ट्रेनिंग होती है जब एक लड़का किसी लड़की को अपने कामो को समझाता है,,, बहुत ही प्यार से ,,, एक बार ,, दो बार और जब तक समझ न जाये बार बार,,।। केवल तो मन ही मन सोचता था कि परा जितना लेट सीखे उसके लिए अच्छा है,,पर लड़की थी होशियार, बहुत जल्दी सब कुछ सीख लिया ।।
एकतरफा मुहब्बत की गाड़ी पटरी पर चढ़ चुकी थी,, और धीरे धीरे आगे बढ़ने के लिए दिल रूपी इंजन में हवा भर रही थी,,,, समय मिलता तो दोनो खूब बाते करते,,, एक साथ लंच करना,, चाय पीना,, ये सब होने लगा ।। जब बाते खूब होती तो...!!! इकरार तकरार भी होता !!
हाँ और ना शब्दो का प्रयोग भी बहुत होता,,, पल में खुशी और दूसरे ही पल में मनमुटाव भी होता,,।
परा को ज्यादा कुछ समझना नही था,,,, बस उसे ये लगता कि एक दोस्त मिला है जो दिल का अच्छा है,, गुणी है,, काबिल है और सबसे अच्छी बात मददगार है।
परंतु केवल के तरफ से एक अपनापन था,, एक ऐसा साथी जिसका गम उसका और खुशी के लिए कुछ भी करे।। परा अगर किसी बात को मना करती तो उसका केवल का मुंह फूल जाता,,,, और एक घंटे , पांच घंटे,, या शायद एक दिन के बोलचाल बंद,,,, पर अगले दिन या अगले घंटे फिर से बातचीत शुरू।।

. अट्ठारह से बीस साल वाली प्यार की कश्ती थी, शांत पानी मे भी हिचकोले ले रही थी,,।। एक तरफा मुहब्बत का दौर आठ महीने तक चला,।।
एक दिन हिम्मत कर के केवल ने फोन लगाया और जब परा ने फोन उठाया तो उंसने अपने प्यार का इजहार कर दिया,,और धाराप्रवाह बोले हुए बोले कि जल्दीबाजी मत करना ,, कल आराम से बताना,,
. परा कुछ कहती उससे पहले केवल ने फोन कट कर दिया,, .... यस !!! चिल्ल करते हुए केवल भाई साहब ने मुट्ठी बांध कर के विन पावर दिखाया,,, जैसे कौन सा जग जीत लिया हो,,,,।।। पर ये उनके लिए या उन जैसे नौजवानों के लिए जीत ही था,,, जब सच्चा प्यार करने वाला इजहार करता है तो खुद को दुनिया का सिकंदर समझता है,,, ।
दूसरे दिन बेसब्री से इंतजार होने लगा,,, ग्यारह बजे गए,, बारह बज गए,, तेरह बज गए,,,, जी जनाब हँसिये मत तेरह और चौदह भी तो बजते है,,,, फिर शाम हो गई,,,, परा नही आई,,।। इनका तो बुरा हाल था,,, सोच सोच के,,
कही उसे बुरा तो नही लग गया न,,??
कुछ हुआ तो नही है ना ??
सर से पुछु क्या ?? शायद उन्हें पता हो !! ऐसे कैसे छुट्टी मार सकती है।।
फोन भी नही कर सकते थे डर था,,, कही कुछ बूरा न बोल दे,,, कल तक इंतजार करता हूँ । शाम निकालनी मुश्किल थी,,, रात तो शायद जाग कर ही बीतेगी,, यही सोच सोच कर कि आई क्यों नही ??

आज सुबह से केवल नहा धोकर , बन ठन पहन कर तैयार था,,, पर 10 जल्दी नही बज रहे थे केवल के ।। पहाड़ जैसी सुबह लग रही थी,,, उसके घर से स्टोर का फ़ासला बस कुछ ही मिनट का था,, पर वो जल्दी निकल गया,,, और समय से पहले ही पहुच गया,, ।
. जैसे ही समय मिल केवल ने सहमे सहमे परा से पूछा,, कि ,, कल क्यों नही आई,,, ।??
बस ऐसे ही,,, थोड़ी तबियत खराब थी,,,।
क्या हुआ था ??
थोड़ा सा बुखार !!
अब तो ठीक हो न ??
हाँ बिल्कुल !! तभी तो आई हूं !!
तो जवाब क्या है ??
किस बात का !!
मैंने फोन पर कुछ पूछा था ।।
केवल ये संभव नही,, परा ने बहुत ही शालीनता से जवाब दिया,,, । मुझे ये सब पसंद भी नही,, तुम मुझसे 3 साल छोटे भी हो,,, और मैने तुम्हे कभी इस नजर से देखा भी नही,,, ।। तो अपना ध्यान रखो,,, काम करो,, आगे बढ़ो,,, दोस्त हमेशा बने रहोगे ।। बस मैं इतना ही कह सकती हूं,,,।

केवल की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई थी,,, उसे इस तरह की जवाब की अपेक्षा नही थी,,, उसका मनोबल टूट गया।।। निराश हो गया था केवल , इतना कि दोपहर का कहना उसके गले से नही उतरा,, । आज उसके चेहरे पर उदासी साफ साफ झलक रही थी,,,स्टाफ में किसी को पता तो नही था,, पर केवल परा से आज खिंचा खिंचा से रहने लगा था,,, रोजाना साथ मे लंच करने वाला इंसान आज लंच समय मे बाहर बैठा था,,, काफी समय तक,, परा उसका इंतजार भी करती रही ।
जब केवल वापस ऑफिस में आया तो परा से उखड़ा उखड़ा से रहने लगा था,, । शायद उससे दुखी और हारा हुआ इंसान कोई दूसरा न था,, उसके मन मे तरह तरह के ख्यालात आते थे,, अब किसी से बात नही करेगा,?, अब उसका कोई नही,? अगर परा मेरी जिंदगी नही तो कोई औऱ तो कभी भी नही,, । अब मेरा क्या होगा ??

उदासी का सिलसिला कुछ दिन तक चला । केवल सभी जगह मन्नतें मांगने लगा,, साई बाबा,, मां के दरबार मे,, बजरंग दादा के दरबार मे,, ।। प्यार का जुनून इस कदर हावी था कि वो मन से पूजा अर्चना करता,,।। 3के दिन जब ऑफिस आया तो दाहिने हाथ का तलवा पूरा जला हुआ था,, परा देखकर बोली कि कैसे हुआ,, ??
फिर केवल भाईसाहब ने जो बताया वो बहुत ही दर्दनाक था,, साई बाबा के मंदिर में हाथ मे कपूर रखकर आरती कर रहे थे,,, दर्द होता रहा पर बुझने तक हाथ टस से मस नही किया,,, ।। परा उसे समझाती रही और हाथ में मरहम लगाकर पट्टी बांधी,, ।।

परा के बहुत संमझाने पर शायद कुछ समझ आया था केवल को , और दोनों फिर से एक अच्छे दोस्त की तरह रहने लगे । पर केवल को अभी भी आशा थी कि मैं हार क्यों मानू,, मैं कोशिस करता रहूंगा,,।
अब वो मंदिरों में जाने लगा पूजा अर्चना के लिए,, हर जगह परा को मांगता,,।।
एक दिन पहली बार दोनों बाहर मिले,, बाते हुई,, बहुत सी बातें,, समाज,, बिरादरी,, घर परिवार,, परा तो बस अपने परिवार और अपने रुतबे के बारे में बाते करती रही,, कि मेरे घर मे सब कितना कठिन है ये सब,, ।
इसी तरह दुबारा मिले दोनों,, इस बार फिर केवल ने कोशिस कि,,,
परा क्या जरा सा भी जगह नही है तुम्हारे दिल मे मेरे लिए,, क्या तुम मुझे मुझे नही चाहती,,।
नही केवल,,, ,, परा बोली,,, तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो,, पर ये संभव नही,,, और अब मेरे लिए घरवाले लड़का ढूंढ रहे है,,, । मेरी तो शादी भी होने वाली है,,, तुम भी अपने काम पर ध्यान दो,,, इन सब बातों के बारे में मत सोचो।।
एक तीसरी बार भी मुलाकात हुई दोनों की,, एक मंदिर में,,, केवल को भगवान पर बहुत भरोशा था,, वो बहुत विश्वास करता था आस्था पर,, इसलिए ज्यादातर व्व मंदिर में मिलना ही पसंद करता था।। आज फिर उसने परा को बोला,,, एक बार सोच लो परा,,, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु,, मैं तुम्हे कभी दुखी नही रखूंगा,, तुम मेरे साथ बहुत खुश रहोगी।।
मैंने कहा था न ये संभव नही !! परा के लफ़्ज़ों में थोड़ी नरमी थी,, और बड़े प्यार से बोली,,, मेरा अफेयर है केवल,,, अहमदाबाद में लड़का जॉब करता है,, ,,
केवल के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई,,
वो मेरी बिरादरी का भी है,,,, इसलिए शादी में कोई अड़चन नही आएगी,,, ,, परा ने केवल को समझाया,,, तुम अपना ख्याल रखो,, और खुद पर ध्यान दो।। और परा वहां से चली गई।।

केवल का दिल नही माना,, ये संभव नही था,, वो रोने लगा,,, उसके दिमाग मे अजीब अजीब तरहः की बाते आने लगी,,, मेरी तो दुनिया ही खत्म हो गई,,, वो रात केवल के लिए बहुत कठिन थी,, पूरी रात रोया,, आंखे लाल लाल हो गई थी,, सुज कर मोटी हो गई थी,, उसका दिल नही मान रहा था कि कुछ ऐसा भी होगा।। पर अब एक निर्णय लेना था,। एक ऐसा निर्णय जिससे उसे भी बुरा न लगे,, और इसी सोच के साथ केवल आफिस पहुँचा।।
उंसने परा से कोई बात नही की,,पूरा दिन कट कट कर रहने लगा,, । बस काम पर ध्यान देता,, उससे काम की ही बात करता ,,।।लंच भी साथ मे नही किया,, ।। परा को थोड़ा अजीब लगा,, पर वो समझ गयी कि ये बंदा सच मे बहुत इज्जत करता है मेरी,, सच्चा प्रेम करता है,,, पूरा दिन उसे ही देखती रही वो,,। उसके चेहरे पर उदासी साफ दिख रही थी,, जैसे सब कुछ हार कर बैठा हुआ है।।
शाम को परा जब घर जाने लगी तो केवल के हाथ मे एक कागज का टुकड़ा थमा के गई,, ,, केवल बहुत उत्सुक हुआ और फटाफट उसे खोल कर देखा,, उसमे परा ने प्यार के हाँ बोला था,, और बहुत ही शालीन तरीके से उंसने पांच कंडीशन रखे थे केवल के सामने,, अगर ये सभी पूरा करते हो तो मुझे कोई आपत्ति नही,, ।। केवल बहुत खुश हुआ,, इसने हाँ तो बोला,,, मैं कुछ बभी करने को तैयार हूं।। जब उसने कंडीशन पढ़ा तो उसे एक झटका से लगा,,,!

1. पूर्ण शिक्षा
2. एक अच्छी नौकरी
3. अपना खुद का एक घर
4. मेरे माता पिता को तुम ही मनाओगे
5. सामाजिक विवाह .

केवल बहुत खुश हुआ,, उंसने हार नही मानी और सभी कंडीशन के लिए तैयार हो गया।। दूसरे दिन परा से कह दिया कि वो सब पूरा करेगा बस तुम कही मत जाना,, परा के दिल मे केवल के लिए जगह तो थी,, पर प्यार और सपने उंसने अब देखने और करने शुरू किए।। अब दोनों मिलने लगे,, फ़िल्म भी साथ मे देखने लगे,, बाहर खाने पीने लगे,, और केवल के टारगेट के बारे में भी सोचने लगे,, ।। साथ साथ उंसने अपनी स्टडी भी चालू रखी और वहाँ से नौकरी छोड़ कर अब वो एक दूसरे फॉरमेट में था,, केशियर का काम छोड़ कर एडमिन के जॉब में।।

कुछ महीने बाद पहली बार उसने अपनी मां से परा के बारे में बताया,, मां ने कोई खाश तवज्जो नही दी,, बस इतना कहा कि पहले छोटी बहन की शादी के बारे में सोचो,, फिर आगे देखेंगे ।। केवल की दो बहनें थी,, एक बड़ी जिसकी शादी हो चुकी थी,, और दूसरी उससे छोटी,, जिसकी शादी करनी थी।।
केवल और परा ने कोर्ट में रजिस्टर शादी कर ली,, अपने खुद के सुरक्षा के लिये,, क्योकि मां ने भी अच्छे से जवाब नही दिया था,, उसे शक था कल को कोई जबरजस्ती करे तो,, और दोनों एक दुसरे को प्रेशर में आकर छोड़ दें तो ?? केवल ने उतनी ही दोगुनी स्पीड से काम करना शुरू किया,, उंसने एक और कंपनी कि बदली,,, फिर एक और कंपनी बदली,, और फिर उसने अपने घर की मरम्मत के लिए बैंक से लोन लिया,, ।। अपने पिताजी को लोन के पैसे दिए कि आप घर ठीक करवा लो,, कल को बहन की शादी भी होनी है तो घर अच्छा होना चाहिए।।

एक दिन केवल अपने एक दोस्त , परा और उसकी मां को लेकर प्रसिद्ध देवी माता के मंदिर गया,, जहाँ पर लोगो की श्रद्धा बहुत होती थी,, । केवल के दोस्त ने केवल और परा की शादी की बात छेड़ दी,,, तो परा की मां वही रोने लगी,, मैं मराठी लड़के के साथ अपनी बेटी की शादी नही कर सकती,, मुझे घर ले चलो,,, ।। ये मेरे जीते जी संभव नही।। केवल अब परेशान हो गया,, उसे तो सामाजिक विवाह करनी थी,, सभी को साथ मे लेकर चलना था,,।। केवल ने उसकी माँ को बोला कि ठीक है आप परा को परेशान मत करना,,, हमने कोई गलत काम नही किया है,, ।। आप जब तक हाँ नही बोलोगे हम कोई गलत कदम नही उठाएंगे ।।
पर परा की मां के दिमाग मे वो बात घर कर गयी।। समय अपनी गति से निकल रहा था । परा की भी शादी की बात चलने लगी,, परा हर बार मना कर देती थी,।। कुछ समय और बीत जाने के बाद केवल अपनी बहन की शादी में लोन लेकर मदद की,, और धूमधाम से उसकी बहन की शादी हुई ।। शादी में परा को भी आना था,, पर तबियत खराब होने की वजह से नही आ पाई।।

एक दिन केवल ने अपने पूरे परिवार को बिठाया और आमने सामने बोला,,, कि अब सब कुछ ठीक है,, मेरी शादी का क्या ??
तुम्हारी शादी ,,,, मतलब तू कहाँ भागा जा रहा है,,, ।
पापा मैंने मम्मी को बताया है,,, और मिलवाया भी है,, मैं जिस लड़की से शादी करना चाहता हु,,,।।
केवल के पापा,, घूरते हुए उसकी माँ को देखे,,, मां तुरंत मुकर गई,,,, ।।
मुझे नही पता,,, !!
ये क्या भाई,,, अब यही दिन देखने बाकी थे ,,, ये बड़ी बहन के वाक्य थे,,, ।।
कान खोलकर सुन लो तुम,,, शादी तो तुम्हारी हम अपने समाज मे ही अपने तरीके से करेंगे,, ।।
तुम्हे तुम्हारी नही चलने देंगे,, बहुत हो गया तमाशा,, अब अपना अपना काम करो मुझे सोने दो,,,।
पापा की बात सुनकर केवल परेशान हो गया।। उसे लगने लगा कि अब अपने ही लोग साथ नही दे रहे है तो दूसरे क्या साथ देंगे,, पर हुआ इसका उल्टा,, निराश होकर केवल अपने गुरु प्रणव भाई के पास गया जो कभी उसके बॉस हुआ करते थे,, उंन्हे वो गुरु ही मानता था।। उनके पास जाकर वो बहुत रोया,, पहली बार उसने उनको अपनी प्रेम कहानी बताई,,, ।।

प्रणव भाई को जानकर हैरानी हुई कि मेरे पास काम करते थे और मुझे ही पता नही चला,, फिर उन्होंने दूसरे दिन दोनो को बुलाया,, और बोला कि शादी कर लो,, मेरे पास घर भी है जो खाली है,, मुझे कुछ नही चाहिए,, यहाँ आ जाओ,,। दोनों मान गए और अपने अपने घर पर अंतिम निर्णय बताने चले गए,,, ।।
अब बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी,,परिवार से अब रिश्तेदारों तक बात गई,, दोनों के परिवारों में एक से बढ़कर एक थे,, समाज का हवाला दोनों दिए,, धमकियां दोनों तरफ हुई,, ऊंच नीच, धन दौलत, राजपुताना, मराठा,, क्या क्या न हुआ एक मारपीट के अलावा।। कुछ दिनों तक ये सब चलता रहा,, केवल अपने घर पर सिर्फ रात को सोने जाता था,, आफिस से छूटने के बाद भी वो घर नही आता था,, चिक चिक खिट पिट की वजह से,,वो स्वामी विवेकानंद के आश्रम में जाता था और घंटो वही बैठा रहता था ।

मां बाप से ज्यादा उसकी ज़िंदगी मे दखल दने वाली उसकी खुद की बहन थी,, जो अच्छे के साथ होती तो कोई बात नही पर हमेशा जहर उगलते ही नजर आती। अपना मानसिक संतुलन खो बैठे इससे अच्छा था वो आश्रम में जाना ।। सच्ची वाली मुहब्बत ही तो करता था वो,,, अगर चाहता तो दोनों घर छोड़ देते और शादी कर के रहते,, पर अपना वादा निभाने के चक्कर मे वो सामाजिक शादी ही करना चाहता था ।।
एक रात उंसने परा को फोन किया,, पर उंसने उठाया नही,, दो बार ,तीन बार ,चार बार , दस बार काल किया पर कोई जवाब नही,, फिर अचानक में फोन रिसीव होता है पर कोई बोलता नही है बस आवाज आती है,, घकर पर लड़ने की,, शायद भाई ने हाथ भी उठा दिया था,, वो चिल्ला रहा था ,, इसको ले चल के गांव वाले घर मे कैद कर देते है,,,, मरे चाहे जिये,, ।। मां बाप के इज्जत का ख्याल नही इसको,, ।। केवल फोन पर सारी बाते सुन रहा था,,, उसे बहुत घबराहट हो रही थी,, ।

दूसरी रात परा ने गुरु जी यानी प्रणव भाई को फोन किया कि अगर केवल में दम है तो मुझे ल जाये ,, मैं अब यहां एक दिन भी नही रह पाऊंगी,,, ।।
केवल के लिए वो रात कैसी होगी जब वो अपने दो दोस्तों को लेकर परा के घर रात को बारह बजे पहुच जाता है,,। एक दोस्त तो घर के पास जाकर पीछे हट जाता है और कहता है भाई तुम जाओ घर मे,, मैं तो चला अपने घर,, जान नही गवानी मुझे,, ।।
पर उसका दूसरा दोस्त वही डंटा रहा,, केवल ने उस दोस्त को घर के बाहर कुछ दूर पर छोड़ दिया और खुद अंदर जाने के किये दरवाजा खटखटाया,,,, दोस्त से बोला कि जब तुम्हे लगे,, कुछ बड़ा गड़बड़ है तो भाग जाना,, मेरी परवाह मत करना,, ।।

दरवाजा खुला सामने ही उसका भाई,,, केवल को देख कर बौखला गया,,, पापा,,,, आओ देखो कौन आया है,,,, मारो इसे,,, केवल घबड़ा गया,, उंसने तुरंत अपने हाथों में लिए कागज दिखाए,,,, और बोला अगर मुझे या परा को कुछ भी हुआ,,, तो पुलिस सभी को अंदर कर देगी,, ये देखो हमारी शादी के पेपर,,, इसकी दूसरी कॉपी मैंने दोनों पुलिस थाने में दे दिया है,, ।।
क्यों आया है यहाँ,,,, ?
परा को भेज दो,,, पत्नी है मेरी,, हमने शादी की है,, ।।
सभी सुनकर दंग रह गए,, ,, ??
मैं ये कदम उठाना नही चाहता था,,, पर आप सभी लोगो ने हमे मजबूर किया है,, ,, । तभी अंदर से बैग पैक करके परा बाहर आई,,, ,, मैं तैयार हूं,,, ।।
फिर केवल बोला,,, हमे जाने दो,, कोई भी नुकसान पहुचाओगे तो याद रखना आप लोग भी बच नही पाओगे,, ।।

ये धमकी अपने बाप को देना,, ,, उसका परा का भाई बोला,,, कुछ भी हो हम ले जाने नही देंगे,, ।
डर तो केवल को बहुत लग रहा था,, उंसने किसी पुलिस को नही बताया था,, बस झूठ बोल रहा था,, घर मे लटक रही नंगी तलवारों से उसकी ऐसी की तैसी हुई पड़ी थी,, बहस होने लगा,, तभी बाहर से बगल वाले घर मे से परा के चाचा और चाची आये,, सारा माजरा समझते देर नही लगा,, । उन्होंने सभी को समझाया,, और बताया कि अब कोई फायदा नही,, ।। इन दोनों ने शादी तो कर ही ली है,, इन्हें जाने दो,।। सभी लोग मान गए,, चाचा चाची केवल को अपने घर ले गए,, रात के दो बजे खाना भी खिलाया,, बाहर से उंसने अपने दोस्त को भी बुलाया,, और फिर तीन बजे दोनों घर वापस आये, परा को छोड़कर कि सुबह कुछ लोगो को लेकर आना और सबके सामने लेकर जाना,, सामाज भी तो देखे,, ।।

सुबह केवल एक दो दोस्तों को लिवाकर परा के घर गया और उसको लेकर अपने उस घर मे आया जहां उसके गुरु प्रणव भाई रहते थे।। परा के घरवालों ने परा को उसी दिन अपने घर, जायदाद से बेदखल कर दिया पूरी कागजी कारवाही के साथ।। केवल और परा की जिंदगी की शुरुआत हो चुकी थी,, पूरा दिन घर सेटअप करने में लगा ।। शाम को अपने घर गया तो दरवाजे पर ही उसका तमाचे से स्वागत हुआ,,,, चटाक !!
तुझे किसी की नही पड़ी है,,, समाज क्या सोचेगा,, ।
कौन सा समाज,, ,, आंखों में आंसू लिए केवल बोला
यही समाज जहां तू रहता है,, ..
हां यही समाज ना जब खाने को कुछ नही रहता तो झांकता भी नही और जब पेट भरा रहता है तो खाना आफर करता है।।

पूरी रात बहस हुई,, और परा वहां उस घर मे अकेली,,।
दूसरे दिन केवल ने फिर कुछ सामान वगैरह का सेटअप किया,, और तथाकथिक उसे घर पर बुलाया गया था, तो परा को छोड़कर वो फिर उस रात को अपने घर गया,,
घर पर फिर वही मीटिंग... घर में सभी लोग मौजूद थे ,, परिवार के अलावा कुछ खाश रिश्तेदार भी .. केवल के जाते ही उसका स्वागत किया गया.. बड़ी बड़ी बाते.. उस लड़के को ज्ञान की बाते बताई जा रही थी जिसने अपनी खेलने कूदने की उम्र से ही नौकरी शुरू कर दी थी.. जिसने महज ग्यारह साल की उम्र में अखबार बांटना.. छोटे छोटे कारखानों में काम करना शुरू कर दिया था और आज इस मुकाम पर था कि घर भी बनवाया.. बहन की शादी भी की.. और जब उसकी खुद की बड़ी आई तो माता पिता तो समझ सकते है.... रिश्तेदार भी संमझाने लगे!!
उंसने अपने लोगो से सिर्फ अपनी पसंद की दुल्हन ही तो मांगी थी.... पर उसके रिश्तेदार कम नही थे,,, पूरी तैयारी में आये थे,,,,केवल की बर्बादी के लिए और उसके माता पिता की आबादी के लिए नोटरी बनवा के लाये थे,, जिनमे लिखा था कि .....
मैं केवल वानखेड़े ये वादा करता हु कि....
1. मुझे इस घर में कोई हिस्सा नही चाहिए !
2. घर का लोन मैं ही पूरा करूँगा !
3. इस घर में मेरी पत्नी का कोई भी हिस्सा नही होगा !
4. पूरी जिंदगी अपने माँ बॉप की सेवा करूँगा !
5.हर महीने उंन्हे ......पैसे दूंगा !
6.कभी भी प्रदेश छोड़कर बाहर नही जाऊंगा !
7.मेरी पत्नी साड़ी ही पहनेगी !
8.सभी सामाजिक रीत निभाउंगा!

और इन सभी बातों को मानते हुए केवल अपने नए किराए के घर में आ गया.. पूरी रात उसे नींद नही आई,,, रोता रहा,, परा ने बहुत पूछना चाहा पर उंसने उसे कुछ नही बताया. बस यही सोच रहा था कि मैं अपने मा बाप की सेवा नही करूँगा तो कौन करेगा,,, परिवार के लिए ही तो कर रहा हु,,, मुझपे भरोशा नही....
अगली सुबह उसे फिर कोर्ट ले जाया गया जहां उसे फिर इम्मोशनल ब्लैकमेल किया गया,,, अभी भी वक्त है घर आ जा और उसे छोड़ दे,,, केवल ने अब दृढ़ संकल्प कर लिया था !! उंसने उस नोटरी कागज पर हस्ताक्षर कर दिया और उसकी एक कॉपी लेकर घर आ गया,,,!
रात को परा ने जब वो स्वीकार नामा पढ़ा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई... ये क्या क्या साइन कर के आ गए...!! उंसने तुरंत प्रणव भाई को ये बात बताई,, प्रणव भाई ने उसे बहुत डांटा कि एक बार पूछ तो लिया होता !!
भैया क्या करता मैं,, परिवार है मेरा वो,,, ।।
और ये,,, ये तेरी कुछ नही,,, एक काम कर भाई,, परा को रहने दे मेरे पास,, बहन समझ के पूरी जिंदगी पाल लुंगा,,
भैया मुझे खुद पर भरोशा है... मैं उनके रहमोकरम पर परा को लेकर नही आया हु... और अगर वो इसी से खुश है तो रहे,,,, !!
किसी तरह प्रणव भाई माने तब जाकर केवल को शांति हुई,,।।
दोनों ने कभी सोचा नही था कि इस तरह पति पत्नी वाली जिंदगी की शुरुआत होगी,,, हर जोड़ी खुद को बेहतर बनाता है,, सजता है,, सँवरता है,, प्यार के नाव में सवार होने के लिए गोते लगाता है,, और अपनी हसीन पारी की शुरुआत करता है।। पर इधर बिल्कुल उलटा था,, रात में देर तक उंन्हे नींद नही आती,, एक दूसरे को संमझाने , चुप कराने में ही पूरी रात निकल जाती।।

अब शुरू हुई घर गृहस्थी केवल और परा की ,,, केवल रोजाना अपने घर जाता और चुपके से अपना एक कपड़ा बैग में रखकर लाता था,,,, कि मां को बुरा न लगे.... !! पर केवल की मां और उसके पिता को केवल पर जरा से भी भरोशा नही था,,, जीवन बीमा की पॉलिसी फ़ाइल मांगता रह गया केवल ... पर मा ने नही दिया,,, कही छुपा कर रख दिया था,,, केवल ने मां को बहुत समझाया कि मैं अलग नही आपलोगो ने मुझे अलग कर दिया है ,,, आखिर मैंने ऐसी कौन सी बड़ी जिद कर दी जो आप नही दे सकती मां ??

सबसे पहले मैंने आपको ही तो बताया था !! और आपने कहा भी था कि समय आने पर मैं तेरे साथ खड़ी रहूँगी ?
मेरी एक गलती बता दो ??
आपको बेटियों के अलावा मैं कभी दिखा ही नही !!
केवल को मुश्किल से मां ने जीवनबीमा की फ़ाइल दी उसमे भी छीना झपटी होने लगी.. तो गुस्से में आकर उंसने फ़ाइल को फाड़ दिया,,,, !!
सोलह दिनों तक केवल मां से मिलने नही गया,,, फिर फोन पर मां और केवल बहुत रोये,,, और उसके जीजा जी और बहन ने उसे समझाया कि अब जो हो गया वो हो गया,,, तुम भाभी को लेकर घर आ जाओ,,,!!

केवल के खुशी का ठिकाना नही रहा,,, वो तुरंत परा को लेकर घर गया... पर उस रात भी खूब बहस हुई... बेकार की बातों को लेकर... भाभी को अंदर ही रखना,,, साड़ी पहना कर ,, मुहल्ले वालो को पता न चले कि तेरी पत्नी है... जब तक हम शादी न करा दें...!
वक्त अभी भी ठीक नही था.... केवल को अब दबाव डाला गया कि सामाजिक रूप से शादी करनी है... वो मान भी गया,,, पर धूम धमाके से शादी करनी है,,,ये सब उसे बिल्कुल भी अच्छा नही लगा.... उसके पास अभी इतने पैसे नही थे कि वो सब व्यवस्था कर सके... उसकी दोनों बहनों ने बड़ी बड़ी मांगे रख दी,,, अन्य रिश्तेदारों को भी मना कर शादी में बुलाना है... और सभी खर्चे तू खुद उठाएगा !!

केवल के लिए ये सब आसान नही था,,, पर माँ बाप की खुशी के लिए उंसने ये सब किया,,, लोन लिया,, दोस्तो से उधार लिया और सभी रिश्तेदारो और परिवार वालो को खुश किया,,,!!
परा के परिवार वालो ने भी परा से सभी रिश्ता तोड़ दिया,,,
अब परा अपने ससुराल में केवल के साथ रहने लगी.. जॉब के सिलसिले में उसे कभी कभी बाहर जाना पड़ता तब परा को बहुत सी यातनाओं का सामना करना पड़ता था,,, उसे विश्वाश नही हो रहा था कि उसकी भी जिंदगी ऐसी हो जाएगी... एक बड़े खानदान की लड़की थी परा ,,,, छोटी छोटी बात पर ताने सुनने को मिलते थे,,!!

यहां तक कि जब परा माहवारी में होती तो उसके हाथ का छुआ कोई नही खाता,,, ऐसी बहुत सी यातनाएं सहती रही वो,,,,, छोटी छोटी बातों को लेकर उसे बोला जाता था,, बिजली ज्यादा जलाती है,, वाशिंग मशीन खूब चलाती है,, वगैरह वगैरह । मानसिक रूप से त्रस्त हो चुकी थी परा ,, केवल को उसकी हालत देखी नही गई,, अब केवल ने एक फैसला लिया कि मैंने तो सब निभाया.. कागजात भी बनवाये,, घर पर सब देने का वादा भी किया,, और हर महीने पैसे भी दे रहा हु ,, पर जो लड़की मेरे भरोषे पर आई है उसे तो तकलीफ नही दे सकता !! मुझे एक बेटा भी बन कर रहना है,,, पर मैं एक पति भी हु,, ये बात नही भूलना चाहिए।।
ये सोचकर वो हमेशा के लिए घर छोड़कर अपने उसी किराए के मकान में आ गया !!
एक साल हो गया आज केवल के पास सब कुछ है,, खुद का व्यापार,, खुद का घर,, और तीन लोगो को अपने व्यापार में नौकरी भी दी है,,, जिसमे एक तो उसके खुद के पिता जी है.. जो छोटा मोटा इक्का दुक्का करते थे, !! अब तो उसके मां बाप भी उसके साथ रहते थे,,उसके नए घर में . वो हर महीने पिताजी को तनख्वाह भी देता है,,, और मां को अलग से वादे के हिसाब से हर महीने पैसे भी, अब सब कुछ ठीक था,, सभी रिश्ते नाते निभाये उंसने,।
लेखक की तरफ से केवल के जज्बे को सलाम,, वो और आगे बढ़े और परिवार को हमेशा साथ रख कर चले।।

केवल और परा के प्यार की निशानी के रूप में उनका बेटा हुआ,,, जिसका नाम रखा गया "ध्वनित,,

इस तरह प्यार की जीत हुई, एक बेटे के जज्बे की जीत हुई,,, "उनका इश्क़ मुकम्मल हुआ ,,!!


शैलेश सिंह शैल