Ichchha - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

इच्छा - 1

इच्छा एक ऐसी लड़की कहानी है जो साधार परिवेश मन बुद्धि की होते हुए भी विशेष परिस्थिति ने उसे विशेषता प्रदान की .ईच्छा अपने घर मे चार बहनो मे सबसे बड़ी थी समान्य बुद्धि होने के बावजूद वह अपने भविष्य को लेकर काफी चिन्तित थी ग्यारहवी मे पहुँचते ही माता पिता को उसके विवाह की चिन्ता चक्रवृद्धि ब्याज के साथ कर्ज सी सताने लगी एक उस समय साधार सरकारी नौकरी मे तनख्वाह से घर चलाना ही बड़ा मुशि्कल हो रहा था उस पर विवाह की चिन्ता सिर पर रख़्खे कई मन बोझ सा प्रतीत हो रहा था इसी बीच मानो व्यथित मन कीपीड़ाये ईश्वर तक पहुँच गयी एक रिश्ता बिना दहेज स्वयं ही घर तक चलकर आ गया अंगूठी की रस्म बड़ी शालीनता से पूरी हुई अब विवाह कि तैयारी मे कुछ दिन शेष ही थे कि अचानक पता चला कि लड़के के परिवार वाले अच्छे नही यह एक अफवाह थी या हकीकत रिश्ता तोड़ दिया गया . परिवार मेे ही किसी ने फिर एक रिश्ता बताया खैर इन सब से दूर इच्छा का मन तो कुछ और चाहता था विवाह उसके जीवन की प्राथमिकता थी ही नही लेकिन पूर्वत संस्कारो से सुसज्जित शीलता का आवरण ओढ़े अपने माता पिता की स्थिति का बोध था , बिना किसी विरोध के विवाह सम्पन्न हो गया . अपने जीवन मे आये इस बड़े बदलाव को इच्छा ने सहर्ष स्वीकार किया . सबसे बड़ा बदलाव मुख पर अनवरत मुस्कान और हर किसी को खुश रखने का प्रयास . इस प्रयास मे रोज कुछ न कुछ गलतियो का समावेश जिसके परिणामस्वरूप रोज माँफी माँगने का सिलसिला खैर गलतियो का सिलसिला कुछ इसलिए भी था कि इच्छा ने स्वंय को खत्म ही कर लिया था वह यह भूल गयी कि मेरे अन्दर भी प्राण है मै भी जीवित हूँ. एक औरत के लिए उसका पति एक पूरा संसार होता है किन्तु उसी संसार मे शराब रूपी आग लगी हो तो जीवन कैसे संभव है लेकिन जो पहले ही स्वयं कि तिलांजली दे चुकी हो वह राख बनकर वहाँ रह सकती है .जीवन का दूसरा पड़ाव इच्छा के लिए आशा की किरण लेकर आया इच्छा एक बेटे की माँ बनी सोचा बेटे का मुंह देखकर पिता के जीवन मे कुछ बदलाव आयेगा ही यह धारणा गलत रही और चार साल बाद वह फिर एक बेटे की माँ बनी पति जब लायक न हो तो पत्नि बहु और भाभी के रूप मे सदैव सजायेआफ्ता मुजरिम की ही भाॉति होती हैं खर्च बढ़ने की वजह से घर वालो ने इच्छा और उसके पति का चूल्हा अलग कर दिया पर पति का स्वभाव पूर्वत ही था नौबत यहाँ तक कि खाने के लाले पड़ गये किन्तु यह समस्या केवल इच्छा के साथ थी पति का तो घर ही था . जलकर खाक हो चुकी इच्छा के अन्दर यदि कुछ बचा था तो वह था उसका स्वाभिमान जिससे उसकी साँसे चल रही थी . अब प्रतिदिन उसका एक ही काम रह गया था सबके पढ़ने के पश्चात बेटे से पेपर मंगा जाब की कटिंग अपनी योग्यतानुसार तत्पश्चात दूसरे दिन जा इन्टरव्युव देना ये ..क्रमश..