Bandhan pyar ka books and stories free download online pdf in Hindi

बंधन प्यार का..


कॉलेज में अभी मुजे एक महीना ही हुआ था। मेरी शायरी और पोएट्री ने बहोत ही लोगो को प्रभावित कर दिया था।मेरे क्लास के सभी स्टूडेंट्स मुजे शायर के नाम से ही बुलाते थे।प्रोफेसर भी जब लेक्चर लेने के लिए क्लास में आते थे तब वो भी दिन में एक बार मुजे आगे बुलाकर सभी छात्रों के सामने एक शायरी हररोज बुलवाया करते थे।

थोड़े दिन के बाद कॉलेज में एक साहित्यसमारंभ का आयोजन किया गया। उसमें बहोत ही लोगोने पार्टीसिपेट किया। मैंने भी उसमे पार्टिसिपेट किया। खुदा की महेरबानी समजो या मेरे नसीब का खेल उस साहित्यसमारंभ में मेरा फस्ट नंबर आया। बाद में मेरा नाम पूरी कॉलेज में शायर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

एक दिन कॉलेज के केंटीन में बैठकर कॉफी पी रहा था। दोहपर का टाइम था। गर्मी की मौसम थी। बहार सूर्य भी बहोत ही तेजीसे धूप बरसा रहा था। मैं केंटीन में एक साइड जहा भीड़ भाड़ कम थी वहां बैठकर आराम से कॉफी पी रहा था ओर बैठे हुए सब लोगो का निरीक्षण कर रहा था। तब बाहर से एक लड़कीने केंटीन में प्रवेश किया। शायद वो किसीको ढूंढ रही थी। मुजे एक साइड बैठा हुआ देखकर वो मेरे सामने आकर बैठ गई। पहले उसने मेरे चहेरे का निरीक्षण किया।उसको ऐसे घूरती हुई देखकर में चकरा गया।उसने सीधा ही सवाल किया...

तुम ही शायर हो ना ??

पता नही लोग कहते है.. मैंने कॉफी का कप टेबल पे रखते हुए जवाब दिया..

अब बहोत भोले बनने की कोई जरूरत नही है..सीधे तरीके से भी बता शकते हो... उसने हँसकर पसीना लुछते हुए कहा।

जी मैं ही हूं ...बताइए क्या काम था ??

सुना है आप शायरी बहोत अच्छी लिखते हो..

मुजे क्या पता अच्छी है या बुरी ? मैं तो सिर्फ लिखता हूं पढ़ने वालों को पता कैसी है वो..

अच्छा मैंने सुना था की आप शायरी लिखने में ही माहिर हो पर शायद मैंने गलत सुना था... उसने हँसकर कहा।

क्यू ?? मेरी शायरी आपको पसंद नही है क्या ?

उसकी बात सुनकर मेरे चहेरे की चमक थोड़ी कम हो गई।

अरे यार बहोत ही खूबसूरत लिखते हो..ओर मुजे बहोत ही पसन्द है आपकी शायरी..

फिरसे गायब हुई चमक उसकी बात सुनकर वापस आई।

तो फिर आप क्यू ऐसा बोल रही थी की आपने गलत सुना था ऐसा... मैंने पूछा

ओह्ह.. मेरा कहने का मतलब ये नही था की आपकी शायरी अच्छी नही है...मेरा कहेना ये था की आप शायरी के साथ साथ बाते करने में भी माहिर हो..

ओह्ह... ऐसी बात है तो ठीक है..

हा... पर आपका नाम ?

किसीने बताया नही आपको ?? मैन कहा..

सब लोग शायर ही बोलते है..शायद आपका नाम किसीको पता नही होगा.. उसने हँसकर जवाब दिया..

ओह्ह ....कमाल की बात है ये भी..मैं हँसकर बोला..

अब कमाल ही करते रहोगे या नाम भी बताओगे..वो हँसकर बोली...

लो बता ही देता हूं... मेरा नाम है हसनअली..बीए फस्ट यर ..
बोलकर मैंने अपना हाथ आगे किया ।

ओर मेरा नाम है नेहा..नेहा शर्मा..बीए थर्ड यर.. कहकर उसने भी हाथ मिलाया ।

पर...शायद मैंने आपका नाम कही सुना है.. मैं शिर खुजलाते हुए बोला..

ओह्ह...क्या बात कर रहे हो... किसीने बताया होगा शायद ?

हा याद आया...आप भी इस कॉलेज में शायरी कॉम्पिटिशन में हर साल फस्ट आती हो ना... पर इस बार क्यू पार्टिसिपेट नही किया ?? मैंने पूछा

बस.. ऐसे ही.. सोच रही थी इसबार कोई नया फस्ट आए .. उसने अपने गालो पे आई लट को सही करते जवाब दिया।

जैसे-जैसे में इस लड़की की बाते सुनता जा रहा था। वैसे-वैसे मेरे दिल में उसके प्रति नई फीलींग्स उतपन्न होती जा रही थी। उसके बाते करने का तरीका ओर हर बात को अपनी अलग ही छटा मैं प्रस्तुत करने की रीत देखकर में उस पे मुग्ध होता जा रहा था। बस ऐसा लग रहा था की उसकी बात ही सुनता रहु...

क्या सोच रहे हो ?? वो बोली..

उसकी आवाज सुनकर मैं मेरी कल्पनाओकी दुनियासे बाहर आया..

अरे....कुछ नही यार ये कॉलेज मेरे लिये नया है इसीके बारे में सोच रहा था.. मैंने अपनी फीलींग्स छुपाने के लिये जूठ बोला..

ओह्ह...तो इसमें बड़ी बात क्या है...मैं हूं ना आपके साथ.. उसने मेरी आँखों मे अपनी आंखें डालकर कहा..

चलो ठीक है...आजसे हम दोनों अच्छे फ्रेंड..और हम दोनोने फिरसे हाथ मिलाया..

जब परिचय के समय हम दोनोने हाथ मिलाया था..ओर अब फिरसे हाथ मिलाया उसमे बहोत ही फर्क था..मुजे ऐसा लगने लगा था की एक नई एनर्जी मेरे शरीर मे बहे रही हो..कुछ अलग ही फील हो रहा था..जो मेरी भी समझ मे नही आ रहा था..मैने अपनी घड़ी में देखा पांच बजे चुके थे..पता ही नही चला दो घंटा कैसे निकल गया बातोंमें ही...

नेहाजी...बहोत टाइम हो चुका है चलो अब चलते है..
मैंने उसको कहा...

चलना है... ठीक है कल मिलते है... उसने अपनी उदासीन को छुपाने की कोशिश की पर में भी शायर था..किसीका चहेरा तो अच्छे से पढ़ ही शकता था।

ओर वो खड़ी हुई चेर को खिसकाकर..मेरे सामने देखकर फिरसे स्माइल किया...ओर चली गई में वो जहा तक दिखती बंद ना हुई तब तक उसको देखते ही रहा...ओर बाद में उसकी विरुद्ध दिशा में चलने लगा अपने घर की ओर...

रात को सोते समय बस उसके ही विचार आने लगे थे..पता नही इग्नोर करता था तब भी उसीका चहेरा आंखों के सामने आकर खड़ा हो जाता था..दिल मे नई फीलिंग्स की हलचल इतनी तेजी से बढ़ रहा था की साला उसको रोकने का कोई उपाय माइंड में नही आ रहा था..

अब बस कलका ही इंतजार था..शायद उससे मिलकर कुछ बता शकु..