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स्पर्श






स्पर्श , जो कभी महसूस नही हुआ आज होने लगा था । 23 साल से शनय ने कभी ये महसुस नही किया था । हर इंसान के पास 5 मुख्य इंद्रिया होती हैं ।दृष्टि ,श्रवण , स्वाद, गंध और स्पर्श । लेकिन वो उनमेसे एक से वंचित था और वो थी स्पर्श (संवेदना) । क्या गरम ,क्या ठंडा ,क्या नरम क्या सख्त , ये कुछ महसूस नही होता था लेकिन आज उसके एक स्पर्श ने पहली बार शनय को कुछ महसूस हुआ।
दूसरा दिन,
हंसा मेहता लाइब्रेरी
वडोदरा
आज फिरसे शनय उस लड़की के आने का इंतजार कर रहा था । हाथ मे इंजीनियरिंग की किताब थी ,लेकिन उसका ध्यान कही और था । शनय के ऊपर का पंखा हवा से ज्यादा आवाज कर रहा था ।वैसे उसे क्या फर्क पड़ता कुछ महसूस तो होता नही था । उसके दोस्त सिद्धार्थ और जय भी साथ ही थे ।
जय : क्या हो गया हैं तुजे शनय, आज तेरा पढ़ाई में ध्यान क्यों नही
शनय :कुछ नही (ऐसा बोलकर अपनी एनवायर्नमेंटल इंजिनीरिंग की किताब में जांखने लगा )
तभी अचानक शनय को उस पंखे की हवा महसूस होने लगी । हाथ मे किताबो के पन्नो की नमी महसूस होने लगी । पेर में पहने हुए जूते से हो रही गर्मी महसूस होने लगी । कोई सामने से आ रहा था , ये वही लड़की थी जिसने बुक रिटर्न्स काउंटर पर गलती से छू लिया था । वो स्पर्श ही उसे सब महसूस करवा रहा था और आज तो उसकी मौजूदगी ने ही शनय की पांचवी इंद्री को जगा दिया । ये कोई जादू जैसा लग रहा था ।उसे बस वो लड़की का चेहरा दीख रहा था । उसकी मासूम आखे दिख रही थी । घनी पलखो की गहराई से उसकी आंखों को छाव मिल रही थी । उसके बंधे हुए बालो की खुश्बू इतने दूर से महसूस हो रही थी । उसकी सहेलियों के साथ बातचीत करते हुए उसका एक एक लब्ज सुनाई दे रहा था । यहा तक कि उसकी सास भी महसूस हो रही थी । मानो उसकी पाचो इंद्रिया इतनी मजबूत हो गई थी कि छठी इंद्री उस लड़की के करीब जाने के लिए विवश कर रही थी । लेकिन लड़कियों के स्वभाव को शनय अच्छी तरह से जानता था । इसलिए सही वक्त का इन्तेजार करना ही उसने बेहतर समजा ।
घड़ी में 10 :45 हो चुके थे और 11 बजे कॉलेज में लेक्चर था
शनय : चलो हमे अब निकलना चाहिए , नहीतो देर हो जाएगी
सिद्धार्थ : हा ,कॉलेज पहुचने में 15 मिनिट तो लग ही जायेंगे
शनय का कॉलेज हंसा मेहता लाइब्रेरी से 15 मिनिट के अंतर पे था । और 11 से 5 बजे तक का टाइम था ।तो वो लोग सुबह 2 घंटे और शाम को 2 घंटे लाइब्रेरी में पढ़ने आते थे ।
लाइब्रेरी से निकलते हुए उस लड़की को एकबार और देखनेसे शनय अपनेआप को रोक नही पाया । उस लड़की नजर भी शनय पर पड़ी ।
शनय की कॉलेज के बारेमे बताऊ तो वो एक पब्लिक कॉलेज थी कम पेसो में ज्यादा सुविधाएं । कैंपस एवरेज था लेकिन पेड़ो से भरा हुआ था तो प्रकृति से जुड़े रहने का मौका मिल रहा था कुछ 4-5 प्रोफेसर थे जो काफी एक्सपेरेंसड थे और हर लेक्चर में नया कुछ सीखने को मिलता था । में इस कॉलेज के बारे मे इसलिये इतना जानता हूँ क्योंकि में भी वही पढ़ा हु ।
5 बज गये सब फिरसे लाइब्रेरी पहुचे ।शाम को लाइब्रेरी ज्यादा भरी रहती हैं । शनय ने देखा तो एक रीडिंग टेबल ही खाली था जिसके सामने की ओर वही लड़की बैठी थी । शनय के वर्ताव में बदलाव होने लगे उसे पता नही वो क्यों इतना नर्वस हो रहा था । तीनो उस खाली टेबल की सामने वाली सीट पर बैठ गए ।शनय के हाथ कॉप रहे थे । उस लड़की की मौजूदगी का शनय पर गहरा असर हुआ था ।उसके हाथ तेजीसे कॉप रहे थे वो लड़की शनय की ओर ही देखने लगी ।उसके कापते हाथ पर उस लड़की की नजर गई ।शनय तुरंत वहासे अपनी बुक लेकर चला गया ।
जय : शनय .....
लाइब्रेरियन ने ससससस इसारा किया ।
जय अपनी टेबल से उठकर बाहर आया ।शनय बाहर वाशरूम के पास खड़ा था उसकी सास तेजी से चल रही थी ।
जय : क्या हुआ क्यो अचानक बाहिर आ गए ।
शनय : कुछ नही मेरी तबियत कुछ ठीक नही लग रही में होस्टल जा रहा हु ।
जय : क्यों हुआ क्या येतो बता ।
शनय : कुछ नही हुआ , थोड़ी देर आराम करुगा तो ठीक हो जाऊँगा ।
शनय तुरंत ऑटो पकड़कर होस्टल पहुचा । उसके बेड पर चढ़ा और सो गया ।
8 बजे सिद्धार्थ और जय आये और खाना खाने के लिए शनय जगाया । अब उसके हाथ नही कॉप रहे थे । पर ये तो तय हो चुका था कि जब भी वो लाइब्रेरी वाली लड़की शनय के आसपास होती तो उसकी पाचवी इंद्री स्पर्श हरकत में आती थी ।
अगली सुबह सब फिरसे लाइब्रेरी पहुचे । और एक खाली टेबल पर बैठ गए ।आज फिर वो लड़की आयी और आसपास देखने लगी शनय और उसके दोस्तों की टेबल नजदीक होने की वजह से वो उनके सामने ही बेथ गई ।
फिरसे शनय के हाथने काँपना शुरू किया ।
शनय : मुजे कुछ काम याद आ गया में कॉलेज मे मिलता हूं ऐसा कहकर वहासे बाहर निकल गया । इस बार उस लड़की ने शनय की ओर आश्चर्य से देखा ।
शनय लाइब्रेरी से निकलकर नीचे आया । वहा एक पेड़ के नीचे बैठने के लिए रखी बेंच पर बैठ गया । उसे कुछ समज मे नही आ रहा था कि क्या हो रहा था । तभी वो लड़की फिरसे शनयके सामने आकर खड़ी हो गई और उसके हाथ ने फिरसे काँपना शुरू किए ।
वो लड़की : hi, मेरा नाम जाया हैं , दो दिन से में तुम्हें देख रही हु । what's wrong with you?
( शनय ने सारी बात बताई कीस तरह उसके नजदीक होनेसे शनय की पाचवी इंद्री स्पर्श जागृत हो जाती थी )
जाया : तो तुम कह रहे हो मेरे आसपास होने से तुम्हारी पाचवी इंद्री जागृत हो गई और तुम्हारे हाथ कापने लगे ।
शनय : हा , मुजे भी अजीब लग रहा है ।आजतक मेने कभी ऐसा महसूस नही किया ।
( उसके हाथ अभी भी कॉप रहे थे ।)
जाया : (शनय के कापते हाथो को देखकर ।) क्या में तुम्हारा हाथ पकड़ शकती हु ?
शनय ने अपना कापता हाथ आगे किया । जाया ने उसके हाथ को पकड़ लिया एक बिजली से जटके सा शॉक शनय ने पूरी बॉडी में महसूस किया और उसका हाथ कापता बंध हो गया लेकिन अब वो सब महसूस कर पा रहा था । उसके हाथो की नमी और हवा का दबाव वो महसूस कर शकता था । जाया भी शनय के कापते हुए हाथ बंध हो गए ये देख कर अचंबित हो गई थी ।
शनय : पता नही कैसे लेकिन अब मुजे सब महसूस हो रहा हैं ।
जाया : वाकई में , ये तो अच्छी बात हैं ।
शनय : ये क्यों हुआ ये तो में नही जानता पर थैंक्स ।
जाया : यदि वाकई में ऐसा हैं तो तुम्हें कभी मेरी जरूरत पड़े तो ये मेरा नम्बर हैं ।मुजे कॉल करना ।
शनय : ठीक हैं । thank you very much
जाया : ok , bye मेरी दोस्त wait कर रही होगी मुजे अब निकलना होगा ।
शनय : ok , bye
ऐसा कहके जाया वहा से निकल गई ।

Girls PG
शाम के सात बजे थे रुही और जाया शामका खाना बना रहे थे। तभी गलती से रूही के हाथ से गर्म दूध जाया के पैर के ऊपर गिर गया ।
रूही : am so sorry ,पता नही कैसे मेरे हाथोंसे ये गिर गया और तुम्हारा पेर जल गया ।
जाया कुछ देर के लिए सोच में पड़ गई उसे वो दूध बिल्कुल महसूस नही हुआ लेकिन उसके पेर की थोड़ी चमड़ी जल गई थी ।
जाया कुछ बोले उससे पहले ही रूही रूम मे से मलम ले आयी और जाया के पैर पर लगाने लगी।
जाया को रुही के हाथ का स्पर्श भी महसूस नही हो रहा था । जाया शोक से वही बेठ गई ।
रुही: I am so sorry, तुम कुछ बोल क्यो नही रही ।
जाया : मुजे कुछ महसूस नही हो रहा जलन क्या तुम्हारे हाथ का स्पर्श भी नही ।
रुही :ये तुम क्या कह रही हो ।
जाया : हा में सच कह रही हु । एक मिनिट! ( जाया को सुबह हुए हादसे के बारेमे याद आता हैं और वो रुही को सब बताती हैं )
रुही भी कुछ पल के लिए अचंबित हो जाती है ।
रुही : तुम्हारे पास उस लडके का नंबर है ?
जाया : नही , लेकिन उसके पास मेरा नंबर हैं लेकिन वो कोल क्यो करेगा ? उसको तो मेरे बारेमे कुछ पता नही ।
रुही : तो क्या हॉस्पिटल चले ?
जाया : नही कल वो लाइब्रेरी में जरूर आएगा ।एकबार उससे मिल लुंगी और फिर देखूंगी ।
रुही : ठीक है। जैसा तुम चाहौ ।

इधर शनय की खुसी का ठिकाना नही था । वो हर चीज को महसूस कर पा रहा था । वो सबकुछ छुए जा रहा था । कभी अपने रूम की दीवाल को स्पर्श करता , तो कभी अपने बेड को छूता । पहलीबार जब उसने हाथ पर पानी का गिलापन महसूस किया तो कई मिनिट तक उसने अपने हाथ को पानीके नल के नीचे रखा । हालांकि वो एनवायर्नमेंटल इंजिनीरिंग में था तो पानी का व्यय उसे बिल्कुल पसंद नही था फिरभी अब उसे कुछ फिक्र नही थी ।

दूसरे दिन जाया लाइब्रेरी के बाहर शनय का इंतजार कर रही थी ।वो पूरी रात सो नही पा रही थी क्योंकि उसको अपना बिस्तर तक महसूस नही हो रहा था । तभी उसने शनय को उसके दोस्तों के साथ आते हुए देखा ।
जाया : शनय , क्या में तुमसे कुछ देर अकेले में बात कर शक्ति हु ।
शनय : जय , तुम लोग ऊपर जाओ में थोड़ी देर में आया ।
( जय ने मुस्कुराते हुए शनय की ओर देखा और लाईबरी की और जाने लगा ।)
( जाया ने सारी बात बताई । शनय काफी चिंता में आ गया । )
शनय : मुजे तुमसे कभी मिलना ही नही चाहिए था । मेरी वजह से तुम मुसीबत में आ गई ।
जाया : उसमे तुम्हारी क्या गलती हैं ।
शनय : गलती मेरी ही हैं । एक मिनट अपना हाथ आगे करो । जाया अपना हाथ आगे करती हैं । शनय उसका हाथ पकड़ लेता हैं ।
(तभी जाया को तुरंत अपने पैर में जलन होने लगी जहाँपर गर्म दूध गिरा था । )
शनय : तो ये बात हैं ।
जाया : क्या ?
शनय : जब तुम मुजे स्पर्श करोगी तो तुम्हारी पाचवी इंद्री मेरे अंदर आ जायेगी और वापस में छूउगा तो वापिस तुम्हारे अंदर आ जायेगी ।
जाया : तो अब तुम्हारी हालात फिरसे पहले जैसी हो जाएगी ।
शनय : हा शायद जबतक हम एकदूसरे के साथ हैं तबतक हमारी पाचो इंद्रिया जागृत रहैगी और जब हम दूर जाएंगे तब मेरी इंद्री, स्पर्श काम करना छोड़ देगी ।
जाया : क्या ? तो तुम क्या करेंगे ?
शनय : ( एक मिनट सोचता है और फिर बोलता है) कोई ऐसी चीज हैं जो तुमसे जुड़ी हैं वो में अपने पास रखता हूं
( जाया अपने सिर पे बंधी हुई हेयर बेंड निकलती हैं और शनय को देती हैं । )
शनय : देखता हु ए काम करता हैं । हसते हुए यदि नही करेगा तो में तुम्हे परेशान नही करूँगा ।
जाया : उसमे परेशान क्या ? शायद तुम्हारी मदद करना मेरी नियति हो । एक काम करो तुम अपना नंबर मुजे दो शायद में आज शामको लाइब्रेरी नही आउंगी ।
शनय अपना नंबर जाया को देता हैं ।
चलो अब लाइब्रेरी चलते हैं ।
शनय : हा मेरे दोस्त भी इंतेज़ार कर रहे होंगे ।
शनय और जाया लाइब्रेरी जाते हैं । और रीडिंग टेबल पर बैठते हैं । शनय के दोस्त दूसरी टेबल पर बैठे होते हैं ।
जाया : तो तुम इंजिनीरिंग में हो ।
शनय : हा में ME एनवायर्नमेंटल इंजिनीरिंग लेकिन तुम्हे कैसे पता चला ।
जाया : मुस्कुराते हुए , तुम्हारी किताब देखकर ।
शनय : अच्छा , और तूम ?
जाया : में law पढ़ रही हु ।
शनय : law , येतो और भी अच्छा हैं । शायद मुजपर कोई केस हो तो लड़ने के लिये काम जरूर आओगी अब तो तुम्हारा नंबर भी हैं मेरे पास ।
जाया : मुस्कराते हुए हा , पर ये तुम्हारी बदनसीबी भी हो शकती हैं । मैं पढनेमे ज्यादा अच्छी नही ।
शनय भी हसने लगता हैं ।
तभी लाइब्रेरियन की आवाज आती हैं । ससससस...
और जाया पढ़ने लगती ।
शनय जाया की और देखता हैं उसकी घनी पालखो के पीछे छुपी आंखे अब और नशीली लग रही थी ।उसके खुल्ले बालो की जुल्फे इधर उधर हवा से खेल रही थी ।उसकी नरम उंगलिया किसी आर्टिकल्स की पुरानी किताब पर घूम रही थी । जाया मन ही मन मे शनय को भा गई थी । वो उसके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना चाहता था ।
10:45 हुई और जय और सिद्धार्थ शनय के पास आये ।
जय : चले, टाइम हो गया ।
शनय : हा ,गुड बाई जाया फिर मिलेंगे ।
जाया : बाई ।

( आज पूरा दिन शनय का काफी अच्छा बिता । जाया के हेयर बैंड ने भी अपना काम किया जिसकी वजह से शनय को अपनी पाचवी इंद्री वापिस मिल गई ।)
5 बजे शनय ने जाया को कोल किया ।
शनय : जाया , तुम्हारे हेयर बैंड ने कमाल कर दिया । आज पूरा दिन मेरी पाचवी इंद्री काम कर रही थी । तुम्हे तो कुछ नही हुआ ना कलके जैसा ?
जाया : क्या बात हैं । सुनकर बहुत अच्छा लगा ।मे भी ठीक ही हूँ ।
शनय : क्या तुम आज मेरे साथ कॉफी पीने चलोगी । तुमने जो भी मेरे लिए किया उसके लिए तुम्हारा सुक्रिया भी अदा करना हैं ।
जाया : हा , क्यों नही ।
शनय : ठीक हैं तो सैफरॉन सर्कल के पास जो कैफे हैं वहां मिलते हैं । 6 बजे ।
जाया : ok ,done
साढ़े पांच बजे ही वो कॅफेमें पहुच गया । और जाया का इंतजार करने लगा । शनय को जाया से कुछ लगाव सा हो गया था। वो हर वक्त उसके पास रहना चाहता था । आधे घंटे तक वो जाया के सपने देखता रहा । और घड़ी में 6 :15 बज गए , पर जाया अभी नही आई । वो सोचने लगा कही फस गई होगी ट्रैफिक में । तभी उसे आवाज सुनाई दी
जाया : सॉरी थोड़ा late हो गया । तुम कब आये ।
शनय : में भी अभी अभी आया हूँ ।
जाया : तो फिर ठीक हैं ।तो कैसा रहा तुम्हारा दिन ।
शनय : इससे बेहतर हो ही नही शकता । जिस चीज से में पिछले 23 साल से वंचित था आज तुम्हारी वजह से मुजे मिल गई ।
जाया : ये सुनकर बहोत अच्छा लगा ।
शनय : तुम क्या लोगी चाय या कॉफी ।
जाया : कॉफ़ी ।
शनय वेईटर को बुलाता हैं और दो कॉफी आर्डर करता हैं । जाया पहलीबार किसी लड़के के साथ कॉफ़ी पिने आई थी । शायद ये दोनोंकी पहली डेट ही थी ।दोनो ने काफी बाते की, की उसे क्या पसंद है क्या नही एक दूसरे के funny किस्से भी शेयर किए ।ये उन दोनों की काफी अच्छी मुलाकात रही ।
शनय : तुमसे बात करके बहुत अच्छा लगा तुम मुजे पहले क्यों नही मिली ।
जाया : शायद, हर चीज का एक वक्त होता हैं और जो भी होता हैं हमारी ज़िंदगी मे वो सही होता हैं ।मुजे भी तुमसे मिलकर अच्छा लगा ।
शनय : तो चले कि अभी रुकना हैं ।
जाया :हा चलते हैं ।
( शनय और जाया गले मिलते हैं । जैसे ही वो गले मिलते है। शनय एक ऊर्जा महसूस करता हैं यही ऊर्जा जाया भी महसूस करती है ये उसी बात का संकेत होती हैं कि दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हो । )

दूसरे दिन भी जाया और शनय लाइब्रेरी में ढेर सारी बाते करते हैं । बीच बीच मे लाइब्रेरियन की सससस सुनकर थोड़ा पढ़ भी लेते हैं और कॉलेज के बाद फिरसे वो कैफ़े में वक़्त बिताते हैं ।
कभी कभी कई साल साथ बिताने के बाद भी हम कीसी इंसान को जान नही पाते और कभी कभी कम वक्त में भी किसीसे एक गहरा रिश्ता बन जाता हैं । कुछ लोग कहते है प्यार एक दो दिन मैं नही होता प्यार तो बस किसीकी एक नजर, एक स्पर्श या ,एक लब्ज सुनकर भी हो जाता है । किसीकी नादान हरकते हमे उसके करीब आने पर मजबूर कर देती है । किसी की मासूम हसी देखकर बड़े से बड़ा गुस्सा खत्म हो जाता हैं । उसके साथ बिताए हुए लम्हे याद करते हुए मानो अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझते हैं । शनय और जाया के साथ भी यही हुआ था ।

शनय : कल, तुम क्या कर रही हो ?
जाया : कल sunday हैं ।मेरा तो कुछ प्लान नही क्यों?
शनय : में तुम्हे एक जगह ले जाना चाहता हूँ । अगर तुम आना चाहो ।
जाया : कहा ?
शनय : वो सरप्राइज हैं । तुम आना चाहती हो या नही ?
जाया : हा क्यो नही ।
शनय: तो फिर ठीक हैं 6 बजे तैयार रहना
जाया : 6 बजे इतनी जल्दी और वो भी रविवार को ।
शनय : क्यों कोई दिक्कत हैं ।
जाया : ठीक हैं । सुबह कॉल करना ।
शनय : गुड बाई
जाया : बाई।

सुबह 6 बजे शनय , जय की बाइक लेकर
जाया के PG के पास पहुचता हैं । आसमान में अभी भी थोड़ा अंधेरा था । जाया के बाहर आने से वो अंधेरा उजाले में बदल गया । उसने सफेद रंग का शर्ट पहना हुआ था और ब्लू रंग की जीन्स पहनी हुई थी । हसती हुई वो शनय के करीब आयी ।
जाया : तो किधर ले जा रहे हो तुम मुजे ।
शनय : वो में तुम्हे नही बता शकता । तुम खुद ही चलकर देख लेना । बेठ जाओ ।
जाया थोड़ा मुस्कुराती है और बाइक के पीछे बेठ जाती है और पीछे से शनय को पकड़ लेती हैं ।
करीब आधे घंटे बाद शनय एक जगह पर बाइक रोक देता हैं । वो एक खेत जैसा होता है । जिसके पीछे छोटे छोटे कुछ पहाड़ थे । वो दोनों पहाड़ की चोटी पर जाके बैठ जाते हैं शनय जाया का हाथ अपने हाथों में रखता हैं और जाया की आँखों के पास की जुल्फों को दूर करता हैं और उसकी आँखों मे जांखकर बोलता हैं ।
शनय :
वक़्त हर पल को ठुकराता चलता हैं । फिर उस बिछड़े पल को याद करनेमें और वक़्त बिताता हैं । उस पिछले पल में मुजे तुम मिली । मुज जैसे पत्थर में तुम्हारी वजह से संवेदना हुई । में तुमसे बस इतना चाहता हूँ कि तुम आज मेरे जितने करीब हो उससे दूर कभी जाना नही। जाया , मुजे तुमसे प्यार हो गया हैं । तबसे जबसे मेने तुम्हे पहली बार देखा था। तुम्हारा हाथ गलती से मुजे लग गया था लेकिन वो गलती नही थी मेरी जिंदगी में तुम कोई फरिस्ता बनके आयी और मेरी कमिया जैसे भाप बनके कही उड़ सी गई।

जाया : में भी तुमसे प्यार करती हूँ । पहली मुलाकात से नही लेकिन मेने जितना वक्त तुम्हारे साथ बिताया वो मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा वक्त था । ऐसा बोलकर जाया आसमान की और देखने लगते हैं ।
पंछियो की एक कतार उड़ती हुई कही जा रही थी सूरज की रोशनी उसके पीछे छुपी उस नजारे को ओर भी खूबसूरत बना रही थी । धीरे धीरे वो पंछियो की कतार अदृश्य हो गई ।