Baat ek raat ki - 12 books and stories free download online pdf in Hindi

बात एक रात की - 12

अनुवाद: डॉ. पारुल आर. खांट

( 12 )

'उसकी कार ओबेरॉय के सिग्नल से फिल्मसिटी के लिए राइट टर्न लेगी|'
दिलनवाझ के बॉडीगार्ड ने जिस बाइक सवार को वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर ओबेरॉय मॉल सिग्नल से एसवी रोड की ओर मुड़ता देख राहत की सांस ली थी वह मोबाइल फोन पर येडा शकील को कह रहा था|

'तैयार रहना, अलताफ| उसकी कार अभी ये रोड पे आएगी|' येडा शकील ने ओबेरॉय मोल के सामने फिल्मसिटी की ओर जा रहे दिंडोशी बस स्टेंड के नजदिक सिग्नल के पास खड़े दूसरे बाइक सवार को कहा|

'इधर ट्राफिक जाम है,भाई|' अलताफ ने कहा|

'देखते हैं| मैं फोन चालू ही रखता हूँ| मैं उसकी कार के पीछे ही रहूँगा| मैं ग्रीन सिग्नल दूंगा तो ही एक्शन में आना| नहीं तो दूसरे मौके का इंतजार करेंगे| कोई भी गरबड नहीं होनी चाहिए|' कान में ब्लू टूथ रखकर मोबाइल पे बात कर रहे येडा शकील ने ताकीद की|

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'सर,एवरीडे मुझे घंटों तक इंतजार करके बैठे रहना पड़ता है| वह जानबुझ कर ही लेइट आता है|'

बॉलीवुड की नम्बर वन हीरोइन शैली सागर डाइरेक्टर शेखर मल्होत्रा को दिलनवाझ के खिलाफ शिकायत कर रही थी| शैली और दिलनवाझ पहले बहुत ही क्लोझ थे| दिलनवाझ के उसके साथ सेक्स्युअल रिलेशन्स थे| शैली की महत्वाकांक्षा अपार थी इसलिए उसने दिलनवाझ को अपने बदन का उपयोग करने दिया था, लेकिन वह हीरोइन के तौर पे एस्टाब्लिश हो गई फिर उसने दिलनवाझ से फासला कर दिया था| इसकी वजह से दिलनवाझ के अहम् को चोट लगी थी| शैली ने उससे फासला कर दिया इसके थोड़े समय के बाद वह एक अवॉर्ड शो के दौरान बेस्ट एक्टर के रुप में एवॉर्ड स्वीकारने के लिए गया था तब उसने स्पीच दी थी उसमें उसने आक्रोश भी व्यक्त किया था कि, 'मैंने कई लोगों की मदद की, लेकिन मेरा अनुभव ऐसा रहा है कि यहाँ सब एक ही सूत्र को अनुसरते हैं: यूझ एण्ड थ्रो| कई लोगों ने आगे आने में मेरा ईस्तेमाल किया, लेकिन फिर मेरी जरूरत पूरी हो जाने के बाद मुँह मोड़ लिया|'

हकिकत यह थी कि दिलनवाझ लोगों का ईस्तेमाल करता रहता था| उसने कई लड़कियों को हीरोइन बनाया था, लेकिन ऐसी कितनी ही लड़कियाँ थी, जिसके बदन का उपयोग करके उसने उसे छोड़ दी थी| कोई भी लड़की उसे लंबे समय तक आकर्षित नहीं कर पाई| वह किसी लड़की की ओर आकर्षित हुआ हो तो थोड़े महीने उसके साथ सेक्स्युअल रिलेशन रखकर उन्हें छोड़ देता था, लेकिन कोई लड़की उसे छोड़कर चली जाय तो दिलनवाझ के अहम् पर प्रहार होता था| ऐसी लड़कियों के साथ बदले की भावना उसके मन में जाग्रत हो उठती थी| रोशनी रौतेला और शैली के क़िस्से में ऐसा ही हुआ था| शैली को ठीक समझ में आ रहा था कि दिलनवाझ उसे किसी भी तरह इरिटेट करने का मौका ढूंढता रहता है| आज भी दिलनवाझ ने शूटिंग सुबह जल्दी शुरू करने की जीद की थी| उसने कहा था कि शाम चार बजे मुझे एक इवेंट में जाना है| दिलनवाझ की वजह से शेखर ने सुबह सात बजे शूटिंग रखा था, लेकिन अभी दस बजने आये थे फिर भी दिलनवाझ का पता नहीं था।

'ही इझ ओन ध वे| वह थोड़ी मिनट्स में पहुंच जाएगा| मैंने जस्ट वोट्स एप पे बात की।’ शेखर ने कहा। हालांकि वह भी खिन्न था। दिलनवाझ ने उसे हिमाकत की थी कि थोडे़ दिन में शूटिंग खत्म कर लीजिये, फिर मैं इलेक्शन में बिझी हो जाउंगा। एक और उसने शूटिंग के दिन काट दिये थे और अब वह हर रोझ सेट पे देर से आता था और जल्दी से निकल जाता था। सबको उसका इंतजार करते सेट पे बैठें रहना पड़़ता था।

शेखर सेंसिबल फिल्ममेकर के रुप में जाना जाता था। उसे बैस्ट डिरेक्टर के रुप मे एक नेशनल एवॉर्ड और दो फिल्मफेर प्राप्त हो चुके थे। उसने रियल पर्फोर्मर हो ऐेसे अव्वल दरज्जे के एक्टर्स के साथ कई फिल्में की थी। उसकी फिल्मों की स्क्रिप्ट भी खुद लिखता था। उसने कभी स्टार्स के साथ फिल्म नहीं बनाई थी| उसे लगता था कि स्टार्स के साथ फिल्म करने में उसे ज्यादा लेट गो करना पड़ेगा और स्टार्स के टेंट्र्म सहना पड़ेगा। इसके लिए उसकी तैयारी नहीं थी। हालांकि दिलनवाझ ने एक एवॉर्ड फंकशन में कहा था कि मुझे शेखर मल्होत्रा के साथ फिल्म करना अच्छा लगेगा। इस वजह से यह फिल्म आकार ले रही थी। हालांकि दिलनवाझ के टेन्ट्र्म से शेखर थक गया था।

………………

‘शेखर, ये सीन जम नहीं रहा हैं| कुछ अलग तरीके से करते हैं।

दिलनवाझ ने विख्यात डिरेक्टर शेखर मल्होत्रा से कहा|

शैली सागर के साथ सीन पूरा करने के बाद दिलनवाझ को लगा कि इस सीन में शैली उस पर हावी हो रही है|
'सर,परफेक्ट सीन है' शेखर मल्होत्रा ने कहा|
'नहीं शेखर, मजा नहीं आ रहा है'|
शेखर को इस तरह काम करने की आदत नहीं थी| वह अपने ही हिसाब से काम करने का आदी था|

'सर, ऐेसे ही रखते हैं | ट्रस्ट मी, धिस इज एन एक्सीलेंट सीन|' शेखर मल्होत्रा ने भारपूर्वक कहा।
'अब मुझे तुझसे सीखना पड़ेगा?’ दिलनवाझ ने उँची आवाज में कहा|
शेखर मल्होत्रा सिर्फ उसे देखते ही रह गया।

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दिलनवाझ फिल्मसिटी में से शूटिंग ख़त्म करके निकला।

‘प्लेटिनम प्लाझा’ ले लो।’ उसने कार में बैठते हुए शोफर से कहा।

इसके बाद मयूरी को कॉल करने जा ही रहा था। हालांकि वह कॉल लगाये इससे पहले उस पे अमन का कॉल आया।

‘स्टुडियो के लिए प्रपोझल तैयार हो गई है।’ अमन ने कहा।

‘वेरी गुड। मैं इस वीक में ही सी.एम. को मिलने का तय करता हूँ। हालांकि ये सब तो फोर्मालिटी ही है।’ दिलनवाझ ने कहा।

‘हमारे प्रोजेक्ट कंसल्टंट ने एक सवाल उठाया है कि हम स्टुडियो के लिए जगह टोकन लीझ पे लेकर उनमें से एक हजार एकर जगह में वेकेशन विलाझ बनाकर बेच देंगे तो लीगल प्रॉब्लेम क्रिएट होगी।’ अमन ने कहा।

‘अरे! इस देश में ऐसा तो कितना ही चलता है। कोई प्रॉब्लेम क्रिएट नहीं होगी। अभी हमें प्रोजेक्ट की प्रपोझल में ये सब कुछ दिखाने की जरुरत नहीं है और फिर ज्यादा कन्स्ट्रक्शन के लिए सरकार की परमिशन ले लेंगे। सरकार हमारी ही है न! और इलेक्शन के बाद मैं भी सरकार का हिस्सा ही बन जाउंगा।’

‘लेकिन मिडीया और विरुध्ध पक्ष वाले न्हाधोकर पीछे पड़ जायेंगे कि हमने स्टुडियो के लिए पानी के मोल जगह लेकर स्टुडियो के अलावा दूसरी प्रवृतियों के लिए उपयोग किया! तुम तो अभी वहाँ फाइव स्टार हॉटल बनाने की बात करते हो।’

‘अमन तुम्हारी एक बडी प्रॉब्लेम क्या है ये तुम्हैं पता है? तुम ज्यादा सोचते हो। सभी मीडिया हाउसीस मेरी जेब में हैं! बहुत कम मीडिया हाउसीस होंगे जो हमारे सामने पड़ेंगे तो उसे पैसे से खरीद लेंगे और विरुध्ध पक्ष वाले हाहाकार करेंगे तो मीडिया के सपोर्ट के बिना क्या कर लेंगे? रिलेक्स्।’

‘तुम सब बातें लाइटली ज्यादा लेते हो, दिलनवाझ!’

‘मैं जिंदगी को ही लाइटली लेता हूँ, अमन!’ दिलनवाझ मुस्कुराया।

उस वक्त उसकी कार दिंडोशी बस स्टैण्ड के पास सिग्नल पे रुक गई। दिलनवाझ खिन्न हुआ। उसने शोफर को रेड सिग्नल की परवाह नहीं करने का परमेनंट ऑर्डर दे रखा था फिर भी शोफर ने कार रोक दी थी।

दिलनवाझ गाली देने गया लेकिन उसी वक्त उसका ध्यान अपोझिट डिरेक्शन में से राईट टर्न लेकर उसकी कार के सामने रुके हुई एक बाइक पे गया। उन पे दो युवान सवार थे। बाइक पे पीछे बैठे युवान ने दिलनवाझ की कार की ओर पिस्तौल तान दी। कार की पीछे की सीट पे बैठे बॉडीगार्ड ने ये देखा और तुरंत ही अपनी पिस्तौल हाथ में लेकर उसका प्रतिकार करने की कोशिश की, लेकिन वह पिस्तौल का उपयोग कर पाये इससे पहले युवान की पिस्तौल में से गोली छूटकर उसके मस्तक को बींध चुकी थी!

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