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रासलीला (challenge accepted)

रासलीला



जन्मास्टमी का दिन था, अच्छा खासा मोहोल था, सुबह भी एक दम नयी शुरुआत करने के लिए मानो तैयार ही बेठी थी |
या रामाशंकर अपने घर में श्री कृष्णा प्रभु के जोर शोर से पूजा कर रहा था, वह उनका बोहोत बड़ा भक्त था,
उतने में घर की लाइट चली गई, और दरवाज़ा खुल गया उसमें से एक लड़का अंदर आया, उसने सिर पर मोर पँख लगा रखा था, उसकी वेशभूषा भगवान धरती पे आ गये हो ऐसी थी |
"उठो वत्स, उठो रामशंकर, में तुमसे मिलने आया हूँ |"
रामाशंकर को होश न रहा उसे याक्किन ही नहीं हुआ, उसने अपनी बेटी को आवाज़ लगायी
"ओ राधा, ओ राधा "
"में सिर्फ तुझसे ही मिल ने आया हूँ, आज मेरा जनम दिन हैं तो मुझे कुछ खाना हैं इस लिए में मेरे भक्त से मिलने आया हूँ "
रामाशंकर को अभी भी होश नहीं आया, वह अभी भी बेजान मूर्ति की तरह खड़ा रहा |

और फिर से लाइट चली गयी |
रामाशंकर ने देखा वह गायब हो गया था,
"कहाँ देख रहे हो, रामा मुझे खाना नहीं दोगे? "
रामशंकर ने दूसरी और देखा, वह पर श्रीकृष्ण जमीन पर बेठ गये थे |
"हाँ, प्रभु क्यूँ नहीं, प्रभु मुझे यकीन नहीं हुआ आपने इस छोटे से भक्त को दर्शन दिये, में तो धन्य हो गया "

उतने में राधा कमरे में आयी, नीले रंग का सलवार और चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान के साथ....
"हाँ, पापा आपने बुलाया? "
"हाँ, बेटा तेरे जनम दिन मुजे हमेशा याद रहेगा, ये मेरे प्रभु ने आज मुजे दर्शन दिये हैं "
"कोन पापा, कहाँ हैं?, मुजे तो यहाँ कोई नज़र नहीं आ रहा "
"रामा सिर्फ तुम मुजे देख सकते हो और कोई नहीं "
"कुछ नहीं, राधा एक थाली लेके आ और खाना भी लेकर आ "
"पर पापा, अभी तो आपने पूंजा भी ख़तम नहीं की "
"हाँ, पर अभी ज़रूरत नहीं हैं, तु थाली ले कर आ "

राधा थाली और खाना ले कर आयी |

"रामा, मुजे अकेले खाने की आदत नहीं हैं, तुम और राधा दो नों मेरे साथ खाने बेठ जाओ, तो मुझे अच्छा लगेगा, मेरी इतनी बात मान लो "

रामा भी बात मान लेता हैं और सब खाने बेठ जाते हैं,
"रामा मेरे जाने का समय आ गया हैं"
"प्रभु, इतनी जल्दी? "
"हाँ, मुजे जाना होगा, और मैंने सुना हैं आज मेरी राधा का भी जन्मदिन हैं, पर में तोफा तो लाया नहीं, पर ये एक गुलाब का फूल हैं, उसे दे देना "

उतने में वापस कमरे में अंधेरा छा गया|
"प्रभु, प्रभु"
रामा ने नीचे पडा फूल ले कर अपनी बेटी को दे दिया, और मंदिर में जा कर वापस पूंजा करने लगा |

थोड़ी देर बाद....

"hello... राधे... अब बोलो...कहाँ था ना, तेरे birthday का gift तेरे घर आ कर दूंगा... (राधा का प्रेमी किसन )"

(एक दिन पहले... कॉल पर,
"बोल मेरी राधा, तुजे birthday पर क्या gift चाहिए? "
"कुछ नहीं, बस तु चाहिए, तुजे देखना हैं,और gift देना ही हैं तो घर पे आके दे हिमत हो तो... "(राधा किसन को ताना मारने लगी)
"पर कल तो जन्मास्टमी भी हैं, तेरे पापा तो बोहोत बड़े भक्त हैं, तो वो तो घर पे ही होंगे "
"हाँ, वो में नहीं जानती, वो तु देख तुजे gift देना था ना बड़ा, अब भुगत "
"अच्छा चल ठीक हैं, बस तु एक काम करना, तु मुझे देख कर भी अनदेखा करना, बाकि में देख लूंगा, में आऊंगा भी और तेरे और तेरे पापा के साथ बेठ कर खाऊंगा भी ")

"तु ने ये अच्छा नहीं किया, मेरे पापा को पता चलता तो कितनी ठेस पोहचेगी उनके दिलको...."
"अरे अब उनका विश्वास और ज़्यादा बढ़ जायेगा, उनके प्रभु ने दर्शन जो दिये.."
"में तुमसे नाराज़ हूँ.. "
"अरे माफ कर दो राधे..., वैसे भी दर्शन वो कृष्णा बोहोत busy हैं इसलिए ये किसन को भेज दिया... दर्शन कृष्णा दिया किसन क्या फर्क पड़ता है |"
"तु एक बात बता तु आया तो वो कमरे की लाइट कैसे चली गई? "
"वो कमाल, इस किसन की ग्वालों की टोली का हैं... आपके घर की main switch का ध्यान वो ही रख रहे थे.... 😂"
"जा... मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी... तु ने अच्छा नहीं किया "
"सॉरी राधे.. ओ... राधे... सुनना यार... "
राधा ने कॉल काट दिया |
किसन आसमान में देख कर
"वा, प्रभु आप करो तो रासलीला,हम करें तो कैरेक्टर ढीला... आपकी राधा तो आपकी रासलीला से मान जाती थी हमारी वाली नाराज़ हो गयी "🙄