Kisi ne Nahi Suna - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

किसी ने नहीं सुना - 2

किसी ने नहीं सुना

-प्रदीप श्रीवास्तव

भाग 2

तभी मेरे दिमाग में पत्नी से पिछली रात को हुई बहस याद आ गई जिसकी तरफ से घर पहुंचने पर ही ध्यान हटा था। उस रात खाने के वक़्त वह उदास सी लग रही थी। मैंने तब कोई ध्यान नहीं दिया था। ड्रॉइंगरूम में टी.वी. पर देर तक मैच देखकर जब बेडरूम पहुंचा तो देखा लाइट ऑफ थी। नाइट लैंप भी ऑफ था। लाइट ऑन की तो देखा वह बेड पर एक तरफ करवट किए लेटी है। पीठ मेरी तरफ थी इसलिए यह नहीं जान पाया कि सो रही है कि जाग रही है। आज फिर उसने कई दिन पहले की तरह स्लीपिंग गाऊन की जगह साड़ी ही पहन रखी थी। यानी कपड़े चेंज नहीं किए थे। साड़ी भी अस्त-व्यस्त सी थी कुछ-कुछ अध-खुली सी। कुछ क्षण देखने के बाद मैंने लाइट ऑफ की और नाइट लैंप ऑन कर उसकी बगल में लेट गया। सो रही हो पूछने पर जब कोई उत्तर नहीं मिला तो उसे पकड़कर चेहरा उसका अपनी तरफ करना चाहा तो उसने शरीर एकदम कड़ा कर लिया। मैंने और ताक़त लगाई तो उसने और कड़ा कर लिया। तो मैंने पूछा,

‘क्यों आज क्या तमाशा है ?’

‘कुछ नहीं, तबीयत ठीक नहीं है।’

‘क्या हुआ ? ऐसे लेटने से सही हो जाएगी क्या ?’

इस पर उसने कोई जवाब नहीं दिया और लेटी रही निश्चल तो उसे पकड़ कर मैंने फिर से अपनी तरफ करने का प्रयास करते हुए कहा,

‘मेरे पास आओ तबीयत ठीक हो जाएगी।’

मगर उसने पहले की तरह शरीर को कड़ा किए रखा। मेरी इच्छा जितनी प्रबल होती जा रही थी नीला का प्रतिरोध भी उतना ही प्रगाढ होता जा रहा था। लेकिन मेरी इच्छा हावी हो ही गई। नीला का प्रतिरोध हार गया। उसने अंततः समर्पण कर दिया। मैंने जब अपनी मनमानी कर ली तब मेरा ध्यान उसकी सिसकी और उस कम रोशनी में आंसू से भरी उसकी आंखों की तरफ गया। मैं अंदर ही अंदर और गुस्से से भर रहा था कि तभी उसने भर्रायी आवाज़ में कहा,

‘बस दिखा ली ताकत, और कुछ नहीं करना है। जो बाकी रह गया हो वह भी कर लो, मैं कुछ भी नहीं कहने वाली।’

उसके इस ताने को जज्ब करने की कोशिश करते हुए मैंने कहा,

‘मेरा दिमाग मत खराब करो समझी। आजकल कुछ ज़्यादा ही सिर पर सवार हो रही हो।’

‘दिमाग किसका खराब है यह अच्छी तरह जानते हो। और मेरी हैसियत ही तुमने इस घर में क्या बना रखी है जो मैं सिर पर सवार होऊंगी। मेरी हालत एक गुलाम से बदतर है, दिन भर सारी ज़िम्मेदारियों को पूरा करो उसके बाद तुम जैसा चाहो वैसे यूज करो। बस यही हैसियत है मेरी।’

‘मैं यूज करता हूं तुम्हें ?’

‘और क्या करते हो ? अभी जो किया वह यूज करना नहीं तो और क्या है।’

‘तो क्यों ड्रॉमा कर रही थी ?’

‘मैं कोई ड्रामा नहीें कर रही थी। अगर संजना से संबंध नहीं तोड़ सकते तो मुझे छोड़ दो। क्योंकि मैं किसी भी सूरत में अब यह नहीं बर्दाश्त कर पाऊंगी कि तुम जब मेरे पास आओ तो तुम्हारे तन-मन से, कपड़ों से उस बदजात औरत की गंदी बदबू भी साथ आए।’

‘जुबान संभाल कर बात करो तो ज़्यादा अच्छा है समझी।’

‘मेरी जुबान संभालने के बजाय आप अपने को संभालिए। क्यों अपने बसे बसाए घर को अपने ही हाथों आग के हवाले कर रहे हो।’

‘आग के हवाले मैं नहीं तुम कर रही हो। पिछले आठ-नौ महीनों से तुमने जीना हराम कर रखा है। जब तक घर में रहो तब तक ताने मारती हो। तुम्हारे हर काम में ताना, व्यंग्य, नफ़रत नज़र आती है। यहां तक कि बच्चों को बिना उनकी गलती के मेरे सामने पीटती हो। वास्तव में उस समय तुम बच्चों को नहीं एक तरह से मुझे पीट रही होती हो। घर को आग के हवाले तो तुम कर रही हो।’

‘मैं ऐसा कुछ नहीं कर रही हूं, यदि यह हो रहा है तो इसका कारण भी अच्छी तरह जान समझ रहे हो। और जब कारण जानते हो तो उसे दूर क्यों नहीं करते। क्यों चिपकाए हुए संजना को अपने साथ। जबकि वो जब चाहती है तब आती है तुम्हारे पास, तभी मिलती है तुमसे। उसके चक्कर में इतना तमाशा हो गया। नौकरी जाते-जाते बची आखिर क्या मज़बूरी है आपकी, क्या ज़रूरत है उसको साथ चिपकाने की। लोग तरह-तरह की बातें करते हैं तुम्हें ज़रा भी शर्म संकोच नहीं आती।’

नीला की बातों से मेरा क्रोध और बढ़ गाया। मैं करीब-करीब चीखते हुए बोला।

‘संजना-संजना-संजना दिमाग खराब कर रखा है, किसी से बात करना भी मुश्किल कर दिया है।’

मेरी इस बात पर नीला भी और उत्तेजित होकर बोली थी।

‘बात करने के लिए कौन मना करता है। बात तो और भी तमाम औरतों से करते हो। और किसी के साथ तो यह समस्या नहीं है। क्यों कि और किसी के साथ तो कोई समस्या है ही नहीं। समस्या सिर्फ़ इसी के साथ है इसलिए लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। यह बातें छिपती नहीं हैं। ऑफ़िस से लेकर यहां कॉलोनी तक में आप और संजना चर्चा का विषय बने हुए हैं। पता सब आपको भी है। घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। बच्चे बड़े हो रहे हैं, क्या असर पड़ेगा उन पर।’

‘लोगों की बातों, अफवाहों पर तुम्हें बड़ा यकीन हो गया है। और मैं जो कहता हूं उस पर यकीन नहीं है।’

‘मैं किसी की बात पर या अफवाहों पर ध्यान देकर नहीं बोलती। आठ-नौ महीनों से खुद जो देख सुन रही हूं उससे आंखें नहीं मूंद सकती। रात बारह-एक बजे तक उससे बतियातें रहते हैं। उसको लेकर न जाने कहां-कहां घूमते रहते हैं। उससे कैसी-कैसी क्या-क्या बातें करते हैं यह सब मुझसे छिपा नहीं है।’

‘झूठ है सब। ऐसे बोल रही हो जैसे हमेशा मेरे पीछे-पीछे चलती हो और मैं या संजना खुद आकर तुमको सारी बातें बताते हैं। अफवाहें तो तुम खुद उड़ा रही हो मनगढंत कहानी बना-बना कर।’

‘मेरी एक-एक बात सच है मैं कोई मनगढंत कहानी नहीं बता रही समझे।’

नीला की इस बात पर मैंने कड़ा प्रतिरोध करते हुए कहा था कि-

‘कुछ भी सच नहीं है सब बकवास है समझी।’

मेरे इतना कहने पर नीला ने मेरा मोबाइल उठा लिया तो मुझे लगा कि शायद यह किसी को फ़ोन करने जा रही है। शायद संजना को ही। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता उसने मोबाइल की ऑटो कॉल रिकॉर्ड का फोल्डर ओपन कर रिकॉर्ड बातों में से किसी एक फोल्डर को ऑन कर दिया। जिसमें मेरी और संजना की अश्लील बातें सुनाई देने लगीं। यह पूरा हो इससे पहले उसने दूसरा ऑन कर दिया जिसमें वह मुझसे फ़ोन पर ही ओरल सेक्स करने का मजा देने को बोल रही थी। और मैं बोल रहा था।

‘यार ये थ्रू सेटेलाइट सेक्स में मजा नहीं।’ तो वह बोली,

‘क्यों ?’ मैंने कहा,

‘तुमसे थ्रू सेटेलाइट सेक्स करते-करते मैं एक्साइटेड हो जाऊंगा और फिर बीवी पर टूट पडूंगा। और आजकल उसका मूड खराब रहता है इसलिए उसके नखरे उठाने पड़ेंगे।’

यह बात पूरी हो इसके पहले नीला ने अगले फोल्डर को ऑन कर दिया। जिसमें वह अपने अंगो के बारे में बता रही थी। और मैं अपने। यह बात हमारे उसके बीच सेक्स रिलेशनशिप बनने से पहले की थीं। जिसमें वह अपने सौंदर्य को बनाए रखने के लिए की जाने वाली कोशिशों और अल्ट्रा इनर पहनने के बारे में बोल रही थी। और मैं उसे और सेक्सी बनने के नुस्खे बताए जा रहा था। नीला जितने फोल्डर ओपन करती सबमें एक से बढ़कर एक अश्लील बातें सुनाई देतीं।

मैं एकदम हक्का-बक्का था। मेरे मोबाइल ने मुझे मेरी बीवी के सामने एकदम नंगा कर दिया था। अपने को दबंग किस्म का मानने वाला मैं उस समय बीवी के सामने सहमा सा महसूस कर रहा था। बड़ा आश्चर्य तो मुझे इस बात का था कि मेरी बातें मेरे मोबाइल में रिकॉर्ड हैं और यह मुझे पता ही नहीं। मेरी बीवी सब जानती है। मुझे यह भी पता नहीं था कि मेरे मोबाइल में बातचीत रिकॉर्ड हो जाती है। जब कि पिछले छः महीने से यह मोबाइल मेरे पास था।

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