Angry Witch books and stories free download online pdf in Hindi

हटेली चुड़ैल

दिनेश : ए बाबूजी वो अपनें मोहल्ल्ले में कोई नया किरायेदार रहने आया लगता है ! आप नें पता किया कुछ ?

बाबूजी : धीरज धर बेटा, उसकी कोई बेटी नहीं है | दो बेटे हैं | हर बात पर फुदक फुदक कर शादी शादी करना अच्छी बात नहीं |

दिनेश : आप को क्या है, एक पाँव कबर में अटका है | 10 साल बित गए तो कोई मुझे लड़की तो क्या गधी भी नहीं देगा | कोई चिंता-विंता तो है नहीं आप को... !

बा : दिनु बेटा, बरतन साफ़ कर देगा ? मेरे हाथ पैर दर्द कर रहे हैं |

दिनेश : बना लो घर की कामवाली मुझे... कर दूंगा |

बाबूजी : रहने दे मालती (दिनेश की माँ) मैं कर लूँगा | इस लगनबाज़ को कष्ट मत दे | इसे शादी के सपनों में आंहे भरने दे |

दिनेश : मेरे सारे दोस्त 2 – 2 बच्चो के बाप बन गए | और यहाँ मेरी जोड़ी का भी अता-पता नहीं | ऊपर से आप दोनों मेरी खिल्ली उड़ा रहे हो !

बा : अरे ओ वेवली “तूं अभी 50 साल का नहीं हो गया” | पूरा दिन शादी शादी शादी | किसने बोला था राक्षस जैसा मुह ले के पैदा होने के लिए |

दिनेश : वाह रे वाह... अब इसमें भी मेरी गलती ? मेरा प्रोडक्शन किसने किया ? उलटे चोर कोतवाल पे थूके !

बाबूजी : ये देखो... इसने कहावत का भी भाजीपाला कर दिया | चोर जंगली जमाती थोड़ी है जो थूकता फिरेगा ? वह तो डांटेगा ना !

दिनेश : आप को कहावत की पड़ी है | मेरी शादी की नहीं | कैसे माँ बाप हो आप लोग ! |

बा : दिनेश के बाबूजी ये कैसा नमूना पैदा कर लिया हमने ! पूरा दिन शादी शादी, बेच आओ इसे भंगार में, नहीं चाहिए ऐसा एडा सपूत मुझे |

दिनेश : आप दोनों नें शादी ही क्यूँ की ? जब मुझे ऐसे पालना था | मेरी जिंदगी की कोई परवाह नहीं आप लोगों को |

बाबूजी : मालती इसे मेरे सामने से लेजा वरना, आज मेरे से कुछ अमंगल हो जाएगा |

बा : ए “लगनछाप” अगरबत्ती बहार नैन मटक्का कर जा के, कोई अच्छी लड़की दिखे तो बताना, बांध देंगे उसके पल्ले तुझे | हमें शांति से टीवी देखने दे | भाग... अब

दिनेश : जीवन बरबाद है मेरा, आज में जो पहली लड़की मिली उसी से शादी कर लूँगा | फिर चाहे वह नाटी हो, मोटी हो, काली हो, या दुबली हो | जा रहा हूँ मैं...

बाबूजी : तेरे जूते बरामदे में पड़े हैं, पहन और निकल पहली फुरसद में...

बा : हा... हा... हा.. हा.. ह... दिनु के पापा क्या डायलोग मारा है “बस बेटा घटिया पैदा करा दिया” बाकि आप तो मेरे हीरो हो... “हीरो”

दिनेश : देखो इन बुड्ढों को... इधर मेरी जवानी ज़ंग खा रही है और इन्हें मज़ाक-मस्ती की चर्बी चढ़ी है |

बाबूजी : अरे दिकरा... दिल पर मत ले, शादी हो जाएगी | भगवान सब की वाट लगाता ता है | तेरी बैंड बजाने वाली भी आ जएगी एक ना एक दिन |

बा : ए दिनु के पापा, शुकर करो मैं तुमको मिली | वरना आज भी तुम चादनी रातों में तारे गिन गिन कर देवदास स्टायल में मंजीरा बजाते रह जाते |

बाबूजी : हाहाहा अच्छा होता ना...! ये कद्दू “शादीचंद” तो पैदा ना होता इस जगत में... हाहाहा

दिनेश : जा रहा हूँ मैं अब... आज मेरी सटकी हुई है | लड़की ना मिली तो “चुड़ैल” भी घर पर उठा लाऊंगा | बाय...बाय...

दिनेश पार्क में बैंच पर अकेला बैठा है

दिनेश : कौन है बे ? पेड के पीछे से बहार आओ |

चुड़ैल : माल...

दिनेश : मतलब ?

चुड़ैल : शादी का माल | में तुम्हारा माल और तुम मेरा माल |

दिनेश : शकल तो दिखाओ ! वैसे तुम जानवर जैसी दिखती होगी तो भी मेरी हाँ है | पर फिर भी...

चुड़ैल : में तेरे घर की खिड़की के पास खड़ी थी | तूं किसी भी कीमत पर शादी करना चाहता था | में आ गई, अब तूं नल्लाबाजी करेगा तो में चली |

दिनेश : अरे... अरे... भाड़ में गई शकल, शादी पक्की... आ जाओ पेड़ के पीछे से बाहर |

चुड़ैल : ये रहा मंगल सूत्र बांधो गले में | और ले चलो मेरे नटखट सांस ससुर के पास | अपने घर “हमारे घर” |

दिनेश : तुम तो कोई हुर परी दिखती हो... मेरी तो किस्मत खुल गई |

चुड़ैल : तुम बासी कद्दू जैसे दीखते हो | बुरा मत मानना “मैं जूठ नही बोलना चाहती अभी ” | अब ये बांधो मंगल सूत्र जल्दी...

दिनेश : अरे... शादी इतनी जल्दी, मेरा मतलब... माँ बाप को तो बुला लो | अपने और मेरे | फिर करते हैं ना शादी |

चुड़ैल : मेरी माँ दूध वाले के साथ भाग गई | मेरा बाप कामवाली को भगा ले गया | भाई पैदा करने को मेरे माँ बाप को फुरसद नहीं थी | अब बची में... शादी करता है यां... तेरे अंडे फोड़ कर में आगे बढ़ जाऊ ?

दिनेश : पर मेरे माँ बाप... उन्हें फोन कर के बुला लूँ |

चुड़ैल : रहने दे बेटा .. तूं कुवारा ही मर... तेरी फूटी किस्मत में यही चिपका है | मैं तो चली | ख्याल रखना “भाई”

दिनेश : ए... प्लीज़ यार भाई मत बोल... कोई लड़की भाई बोलती है ना तो, गटर में कूद कर प्राण त्याग देने को दिल करता है | शादी पक्की बस... ये बांधा मंगल सूत्र – आज से तूं मेरी पत्नी |

दिनेश और चुड़ैल घर पर आये

बाबूजी : अरे... अरे... बेटी... क्या इस मवाली नें तुम्हारा पर्स मारा, तुम्हे छेडा ? देखो केस मत करना | हम खानदानी भुक्कड़ गरीब हैं | कोर्ट कचेरी के खर्चे हम नहीं झेल पाएंगे | इसकी माँ को नींद में चलने की बीमारी है | मुझे दस्त रहता है | हम पर रहम करो | माफ़ कर दो मेरे इस मुंगेरीलाल छाप बेटे को... यह शादी के चक्कर में बावला है |

दिनेश : ए... ए... बाबूजी अब बंद करो मेरी इज्ज़त का फलूदा करना | ये बहु है आप की |

बा : घोर कलियुग, बेटी तूने इसे चुना ? तेरी नज़र तो कमज़ोर नहीं है ना ? या फिर तुझे सस्ते नशे करने की आदत लग गई है ?

चुड़ैल : अब यह मेरे पति है | इन्हें सताया ना करें | हमने शादी की है | इनकी शकल भले ही कूड़ेदान से बत्तर है लेकिन, दिल के अच्छे लगते हैं | इसी लिए मैंने अपनी किस्मत इन के साथ फोड़ ली है |

दिनेश : ए बकुडी तूं भी आते ही मेरा मज़ाक उड़ाने लगी |

चुड़ैल : आराम करना है | कमरा कहाँ है |

बाबूजी : बेटी तुम्हारे परिवार के बारे में कुछ बताओ...

चुड़ैल : मर गए सारे... फूंक दिया मैंने सब को... अब कमरे में आए हम | रसम रिवाज सब रास्ते में कर लिए है हमनें | अब चैन लेने दो बेटे और बहु को |

बा : जाओ जाओ बेटी,,, ले जाओ दिनु को | में दूध का गिलास भिजवाती हूँ |

चुड़ैल : दूध ? हमें अंदर जा कर दहीं नहीं जमानी है | अब जाएं दोनों ! यां और सिर पकाना है |

बाबूजी : जाओ बहु जाओ.... गुड लक

कमरे में दिनेश और चुड़ैल

दिनेश : आज मेरी जिंदगी सफल हो गई | चलो काम काज शुरू करें |

चुड़ैल : हां... यह लो तुमारा तकिया... चटाई बिछा लो और सुबह तक मर जाओ |

दिनेश : अरे ऐसे कैसे,, आज तो हमारी पहली रात है | बाते करेंगे |

चुड़ैल : हाँ तो बताओ क्या बात है ? फिर में आराम करूँ |

दिनेश : तुम कितनी सुंदर हो, जी करता है तुम्हे देखता ही रहूँ |

चुड़ैल : यह 4 बार बता चुके हो | आगे बढ़ो, “और कोई काम की बात ? | और यह बार बार मेरे गाल पे हाथ मत फैर करो | वर्ना हाथ तोड़ कर ऐसी जगह घुसा दूंगी की, खाना और जाना दोनों बंद हो जाएँगे |

दिनेश : बड़ी मजाकिया हो तुम,,, हमारी जोड़ी खूब जमेगी |

चुड़ैल : एक बात बताओ | यह बिजली विभाग का मुखिया तुम्हारी अम्मा का पुराना बॉय फ्रेंड है क्या ?

दिनेश : नहीं तो | ऐसा क्यूँ पुछा !

चुड़ैल : तो बत्ती बुझाओ | सोने दो अब मुझे |

दिनेश : ओके जानू...

चुड़ैल : तेरा स्क्रू ढीला है क्या...? चटाई पे जाने को बोला तो, गद्दे पर क्यूँ लेटा है | बाल खिंच के निचे पटकुं क्या ?

दिनेश : नहीं... में तुम्हारा पति हूँ | तुम्हारे पास ही सोऊंगा | हक़ है मेरा |

चुड़ैल : तेरी मर्ज़ी... मर मेरे पास “और क्या कहूँ” | लेकिन याद रहे... मेरे को चिपटा-चिपटी पसंद नहीं | पादाफूसी भी पसंद नहीं | खर्राटे तो मारना ही मत... वरना कल सीधा नरक में उठेगा तूं... समजा... !

दिनेश : शर्मा लो... समज सकता हूँ | कबुल.. कबूल... सब कबूल | चलो गुड नाईट |

रात को 3 बझे.....

दिनेश : अरे अरे... काट क्यूँ रही हो...? प्यार मन में जागा है तो.... बता दो | मैं तो जाग ही रहा था |

चुड़ैल : तंग मत कर... नस पकड़ने दे |

दिनेश : समझा नहीं... क्या ? अरे ओ... ज़ोर से क्यूँ काटा ? मुझे दर्द हुआ |

चुड़ैल : अबे... भंगारीछाप चैन से खून तो चूसने दे... शादी की है | इतना भी हक नहीं मेरा क्या तेरे पे | तुझे पास सोने दिया ना ? अब मेरी भुख का क्या |

दिनेश : देखो मज़ाक मस्ती में काटना अलग बात है | पर ऐसे दर्द होता है यार |

चुड़ैल : अबे गांजा फूंक के बैठा है किया ? काहे की मस्ती... कौन सा मज़ाक ! खून पीना है... भूख लगी है |

दिनेश : तुम यह अजीब बरताव क्यूँ कर रही हो ? इन्सान चावल खाता है, दूध पिता है, रोटी खाता है, सब्जी खाता है | ये खून पिने का माजरा क्या है ?

चुड़ैल : हां तो मैं हूँ ना चुड़ैल... तेरे पे शादी कर के एहसान तो किया ना... राखी सावंत भी ना मिले वैसी शकल के साथ तुझे ऐश्वर्या छाप बीवी मिली है... तो कुछ तो कीमत चुकानी पड़ेगी ना...!

दिनेश : भाड़ में गई शादी... तेल लेने गई घर वाली... मैं स्वघोषित ब्रह्मचारी बन कर जी लूँगा | जंगल चला जाऊँगा | नहीं देना खून-वून मुझे | निकल तूं इधर से...

चुड़ैल : तूं भी ठरकी निकला... शादी सिर्फ शरीर भोगने को चाहिए थी क्या ? थू तेरी जिंदगी पे... ये ले तेरा मंगल सूत्र... मुझे वहीँ पार्क में छोड़ कर आ | अकेले नहीं जा सकती |

दिनेश : ठीक है, गलती मेरी है | मैंने ही कहा था की, चुड़ैल भी ले आऊंगा | अपनी हरकतों के लिए माफ़ी | आओ तुम्हे अपनी जगह छोड़ आऊ | दिल से दुहा है... तुम्हे चुड़ैल योनी से मुक्ति मिले |

घर से बाहर जाते हुए

बाबूजी और बा: अरे अरे बेटा... बहु को ले कर कहाँ चला... इतनी रात में ?

दिनेश : कबड्डी खेलने जाना है, भांग पिने जाना है, चरस गांजा फूंकने जाना है, रेगिस्तान में तेल खोदने जाना है | और कुछ पूछना है ? यां जाऊ इसे ले कर |

चुड़ैल : बा, बापूजी आप का बेटा मन से अशांत है | उसकी मदद ना कर सकें तो, उसे शादी को ले कर ताने भी न मारें | अब में जाती हूँ |

एक ही इच्छा है मेरी : आप दोनों मेरे बारे में अपने बेटे से कभी कुछ मत पूछना | आप लोग हमेशा हंसते मुस्कुराते रहें | और जल्द आप के बेटे को मनपसंद जीवनसाथी मिले | “यही मेरी दुआ”

पार्क में दिनेश और चुड़ैल

दिनेश : सुनो, क्या तुम खून चुसने की आदत छोड़ दो और दाल चावल ट्राय करो तो ? ऐसा हो सकता है क्या ?

चुड़ैल : तूं ना पक्का ठरकी है बेटा... तुझे किसी भी भाव पर स्त्री का साथ चाहिए ना ? मैं आज से तेरी हाफ गर्लफ्रेंड बस | जब दिल करे... मुझसे बातें करने आ जाना | अब जा प्लीज़...

दिनेश : दिल जित लिया तुमने मेरा... अच्छा एक एक और बात पूछूँ...?

चुड़ैल : अबे रुक... तेरी माँ की... चिपकू कहीं के... तखलिया बोला तो समझ नहीं आता क्या..... !

दिनेश : भागो भागो.... “आई लव यु....” कल आता हूँ मिलने... “ढेर सारा प्यार”