Huf Print - 13 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

हूफ प्रिंट - 13 - अंतिम भाग

हूफ प्रिंट

Chapter 13

चंदर ने अपना जुल्म कबूल कर लिया। अपने बयान में उसने सारी कहानी सुनाई।

बचपन से ही चंदर को फिल्मों का बहुत शौक था। अक्सर वह स्कूल से भाग कर फिल्में देखने जाता था। अपनी इस आदत के कारण उसने अपने पिता से कई बार मार भी खाई थी।

जब श्वेता ने मिस एशिया पैसिफिक का खिताब जीता तो अखबार में उसकी तस्वीर देखकर वह उसकी खूबसूरती का दीवाना हो गया। उसी समय से उसने उसकी तस्वीरें एकत्र करनी शुरू कर दी थीं।

जब श्वेता ने बॉलीवुड में प्रवेश किया तब पर्दे पर उसे देखकर चंदर अपने होश खो बैठा। हर फिल्म के साथ श्वेता के लिए उसका जुनून बढ़ता गया।‌ वह उसकी हर फिल्म कई कई बार देखता था।

जब लगातार श्वेता की फिल्में फ्लॉप होने लगीं और फिल्म क्रिटिक्स और लोग उसकी आलोचना करने लगे तो उसे बहुत बुरा लगा। उसी बीच उसके एक दोस्त ने श्वेता के लिए कुछ गलत कर दिया तो उसने उसे जम कर पीटा था।

एक बार श्वेता एक लाइव शो पर गई थी। उसकी रिक्वेस्ट पर उसने चंदर के साथ एक फोटो खिंचवा ली। उस दिन के बाद चंदर इस गलतफहमी में जीने लगा कि वह उसे पसंद करती है।

बचपन से ही चंदर ऐसा था। वह एक बार जिस बात को मन में बैठा लेता था उसे धीरे धीरे वास्तविक मानने लगता था।

श्वेता को लेकर भी उसने अपने भ्रम को वास्तविकता मान लिया था। वह उसके साथ घर बसाने के सपने देखने लगा था। अपने खयालों में वह उसके साथ खुशी से रहता था।

एक बार उसने अखबार में पढ़ा कि श्वेता मानस को डेट कर रही है। वह उसके साथ उसके स्टड फार्म पर भी गई थी। यह खबर उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। वह श्वेता को मानस से अलग करना चाहता था।

चंदर को पता था कि मानस समय समय पर अपने स्टड फार्म पर जाता रहता है। उसका मामा नंदन मानस के स्टड फार्म पर काम करता था। वह उसके पीछे पड़ गया कि उसे वहाँ काम दिलाए। अपनी माँ पर दबाव डालने के लिए उसने पिज्जा डिलीवरी की अपनी नौकरी छोड़ दी। दिन भर घर में पड़ा वह बस यही ज़िद करता था कि उसे मामा के साथ काम करना है।

उसकी ज़िद कामयाब हो गई। नंदन ने मानस से कह कर उसकी नौकरी स्टड फार्म में लगवा दी।

चंदर मानस को अपने रास्ते से हटाने का मौका तलाशने लगा। जब भी मानस हूफ प्रिंट आता तो अपने पसंदीदा घोड़े वायु पर बैठकर घूमने निकल जाता था। उसी समय चंदर भी अक्सर चंचल पर बैठ कर निकलता था।

लेकिन उस दौरान उसे वो मौका नहीं मिल पाया।

जब चंदर को इस बात की खबर मिली की श्वेता और मानस की इंगेजमेंट होने वाली है तो वह मन ही मन जल उठा। उसने तय कर लिया कि अब जो भी मौका हाथ लगेगा उसमें मानस को रास्ते से हटा कर ही रहेगा।

चंदर ने पुलिस को बताया कि कैसे और क्यों उसने मिलिंद को मारा।

अगली तारीख पर चंदर को कोर्ट में पेश किया गया।

सुनवाई का आगाज़ करते हुए आकाशदीप ने जज कार्तिक से कहा,

"योर ऑनर पिछली बार अरमान बिजलानी ने कोर्ट को यह बताया था कि कत्ल वाले दिन उस जगह उनके अलावा कोई और भी था। ये बात सच है। वह शख्स पुलिस की हिरासत में है। उसने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है।"

आकाशदीप के कहने पर चंदर को कोर्ट में पेश किया गया।

आकाशदीप ने उससे सवाल किया,

"चंदर तुमने मिलिंद का कत्ल करने की बात कबूल की है। अब कोर्ट को बताओ उस दिन क्या हुआ था ?"

चंदर ने एक बार कोर्ट रूम पर नज़र डाली। उसके बाद जज कार्तिक को देखकर बोला,

"उस दिन मानस साहब हर बार की तरह अपने घोड़े वायु पर बैठकर घूमने निकले। उन्हें मारने के इरादे से मैं भी चंचल नाम के घोड़े पर बैठकर उनके पीछे हो लिया।"

आकाशदीप ने जज कार्तिक को बताया,

"योर ऑनर सबूत के तौर पर जिस हूफ प्रिंट की तस्वीर पेश की गई थी वह इसी घोड़े चंचल के खुर का निशान था। उसके अगले दाएं पैर में डिफेक्ट है। जिसके कारण गहरा निशान बना था।"

अपनी बात कह कर आकाशदीप ने चंदर को अपनी बात पूरी करने को कहा।

चंदर ने आगे कहा,

"मानस साहब किसी से मिलने गए थे। मैं उसे नहीं जानता था। मैंने सोचा कि उस आदमी के जाने के बाद मानस साहब को ठिकाने लगा दूँगा। मैं वहीं एक मिट्टी के ढेर के पीछे छुप गया। तभी मैंने एक और आदमी को आते देखा। वह भी पास की झाड़ियों में छुप गया।"

आकाशदीप ने सवाल किया,

"उस दूसरे आदमी ने तुम्हें नहीं देखा। चंचल भी तुम्हारे साथ था ?"

"मैं मिट्टी के ढेर के पीछे था। चंचल को मैंने पास पेड़ों के झुरमुट में बांध रखा था। फिर वह दूसरा आदमी जिस जगह था वहाँ से उसके लिए मुझे देख पाना संभव नहीं था।"

"फिर क्या हुआ ?"

"मानस साहब उस आदमी को मिलिंद कहकर बुला रहे थे। मिलिंद ने उनसे कहा कि उसके पास कोई रिकॉर्डिंग है। जिससे वह उन्हें बदनाम कर सकता है। वो उनसे एक करोड़ रुपए मांग रहा था। मानस साहब मान गए थे। तभी शायद चंचल ने कोई हरकत की होगी। उस दूसरे आदमी ने इधर उधर देखा। मुझे लगा कि शायद वह मुझे पकड़ लेगा। पर वह वहाँ से चला गया।"

"तुमने मिलिंद को क्यों मारा ?"

"मिलिंद ने धमकाते हुए कहा था कि तुम बदनाम हो गए तो श्वेता भी तुम्हें छोड़ देगी। मानस साहब उससे कुछ मोहलत लेकर चले गए। मेरे दिमाग में आया कि मानस साहब को मारने की जगह अगर मिलिंद को मार दूँ तो मानस साहब को फंसाया जा सकता है। उस दूसरे आदमी ने उन लोगों की सारी बातें सुनी थीं।"

"तुमने उसे मारा कैसे ?"

"मानस साहब के जाने के बाद मिलिंद वहीं खड़ा कुछ सोंच रहा था। मैं दबे पांव वहाँ गया। पास पड़े पत्थर से उसके सर के पीछे वार कर उसे मार दिया। मैंने दस्ताने पहने थे। उस पर उंगलियों के निशान नहीं आए। जानबूझकर मैंने पत्थर वहीं फेंक दिया।"

"पर तुमने कहा कि तुम दबे पांव गए थे। फिर चंचल के खुर का निशान कैसे बना ?"

"कभी कभी ज्यादा होशियारी भारी पड़ जाती है। मानस साहब हमेशा घोड़े पर बैठकर निकलते थे। उस दूसरे आदमी ने देखा था कि मानस साहब घोड़े पर बैठकर आए हैं। मैंने सोंचा कि घोड़े के खुर का निशान पुलिस को उन तक आसानी से ले जाएगा। कत्ल के बाद मैं चंचल को लेकर वहाँ गया। जहाँ मिट्टी नम थी वहाँ खड़ा किया। जिससे खुर का निशान बन गया। वो बूट का निशान भी मैंने बनाया था। मैं मानस साहब के पुराने बूट पहनता था।"

सब कुछ साफ़ हो चुका था। आकाशदीप के मन में अभी भी कुछ सवाल थे।

"तुम लाश को तालाब तक क्यों खींच कर ले गए ? तुमने उस दूसरे आदमी का मोबाइल तालाब में क्यों फेंका ?"

"तालाब में लाश की बरामदगी आसानी से हो जाती। जब मैं चंचल को लेने जा रहा था तब मुझे उन्ही झाड़ियों के पास वह फोन मिला। महंगा फोन था। मुझे लालच आ गया। जेब में रख लिया। पर लाश को तालाब में फेंकने के बाद एहसास हुआ कि फोन का लालच पकड़वा सकता है। मैंने फोन भी तालाब में फेंक दिया।"

जज कार्तिक ने चंदर को मिलिंद के कत्ल का दोषी पाते हुए सजा सुनाई।

मानस बाइज्ज़त बरी हो गया।

कोर्ट रूम के बाहर आकाशदीप को मुबारकबाद देते हुए संजना ने कहा,

"तुमने तो अंत में पूरा केस ही पलट दिया। बहुत आगे तक जाओगे तुम।"

"थैंक्यू मैम..."

"पर एक अफसोस रहेगा। अक्सर तुम कोर्ट में जोक्स मारते थे। मुझे एक भी सुनने को नहीं मिला।"

"क्या करता मैम। बहुत टेंशन थी केस में। पर आप कभी मुझे खाने पर बुलाइए। तब मैं आपकी ये शिकायत दूर कर दूँगा।"

संजना मुस्कुरा कर चली गईं।

आकाशदीप जब बाहर आया तो मीडिया ने उसे घेर लिया।

आशीष कुमार त्रिवेदी

कैटेगरी क्राइम