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कर्म पथ पर - 35




कर्म पथ पर

Chapter 35


एक तरफ से हैमिल्टन का प्रस्ताव लुभावना था। उसकी सुझाई लड़की से शादी करने से स्टीफन का क़र्ज़ भी उतर जाता और घर भी बस जाता। पर कुछ बातें उसे खटक भी रही थीं।
सबसे बड़ी बात यही थी कि हैमिल्टन को अपने ऑफिस के एक हिंदुस्तानी क्लर्क से इतनी सहानुभूति क्यों हो रही थी। अब तक स्टीफन का अनुभव यही रहा था कि हैमिल्टन अपने नीचे काम करने वालों से अधिक वास्ता नहीं रखता था। खासकर हिंदुस्तानी कर्मचारियों से।
ऐसे में उसका शिवप्रसाद की मदद के लिए आगे आना उसे समझ नहीं आ रहा था। वह माधुरी की शादी उससे कराने के एवज में अपने क़र्ज़ की रकम भी माफ करने को तैयार था।
जब स्टीफन ने लड़की से मिलने की पेशकश की तो भी वह टाल गया। बल्कि शादी का निर्णय जल्दी करने को कह रहा था।
हैमिल्टन के घर पर जब उसने क़र्ज़ माफी की बात सुनी थी तो वह ललचा गया था लेकिन घर आकर उसने जब बाकी बातों पर विचार किया तो उसका मन बदल गया। उसने तय कर लिया कि वह शादी के लिए मना कर देगा।
वह अपना निर्णय हैमिल्टन को सुनाता उससे पहले एक दुर्घटना हो गई।
लखनऊ के पास के एक कस्बे मोहनलालगंज से एक पिता अपने बेटे का इलाज कराने स्टीफन की क्लीनिक पर आया था। उसे बार बार बुखार आ रहा था।
स्टीफन ने अपनी क्लीनिक पर बच्चे का इलाज किया। लेकिन बच्चा ठीक नहीं हो रहा था। इसलिए उसने बच्चे के पिता से कहा कि वह उसे सिविल अस्पताल में ले जाकर दिखाए।
वह आदमी चला गया। करीब एक हफ्ते के बाद वह आदमी अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ स्टीफन की क्लीनिक पर आया। वह हंगामा करने लगा कि स्टीफन ने उसके बेटे का सही इलाज नहीं किया। इसलिए वह मर गया।
वह आदमी पैसे वाला था। लकनऊ में उसके कुछ रसूखदार रिश्तेदार थे। इसलिए मामले ने तूल पकड़ लिया। स्टीफन का मेडिकल लाइसेंस रद्द हो सकता था।‌
मामला दरअसल ये था कि बच्चे के पिता और उसके रिश्तेदारों को एक अंग्रेज़ डॉक्टर अलेक्जेंडर कनिंघम का साथ मिला हुआ था। डॉ. अलेक्जेंडर की क्लीनिक स्टीफन की क्लीनिक से कुछ ही दूर पर थी। लेकिन स्टीफन के कारण उसकी प्रैक्टिस सही नहीं चल पा रही थी। वह किसी भी तरह स्टीफन को हटाना चाहता था। उसकी स्वास्थ विभाग में बहुत जान पहचान थी।
सिविल अस्पताल के एक डॉक्टर से अलेक्जेंडर की पहचान थी। उसे यह भी पता था कि स्टीफन ने बच्चे के पिता को सिविल अस्पताल जाने की सलाह दी है।
अस्पताल में बच्चे की मृत्यु हो गई। उसने अपने पहचान के डॉक्टर से कहलवा दिया कि सारी गलती स्टीफन की है। यही नहीं वह उस बच्चे के पिता के पक्ष में आकर स्टीफन के खिलाफ दुष्प्रचार करने लगा।
स्टीफन पहले ही माधुरी वाली बात से परेशान था। इस नई मुसीबत से और अधिक परेशान हो गया। उसे इस नई मुसीबत से केवल हैमिल्टन ही बचा सकता था।
स्टीफन को उसकी मुसीबत से निकालने के एवज‌ में हैमिल्टन ने शर्त रखी कि उसे माधुरी से शादी करनी ही पड़ेगी। स्टीफन नहीं चाहता था कि उसका लाइसेंस रद्द हो। उसने अपनी मेडिकल की पढ़ाई के लिए बहुत कुछ सहा था। अपनी माँ के अंतिम समय में वह उनके पास भी नहीं था।
कोई और रास्ता ना देखकर स्टीफन शादी के लिए मान गया। हैमिल्टन ने बच्चे की मौत का मामला रफा दफा करवा दिया। यही नहीं
हैमिल्टन ने स्टुअर्ट को माधुरी के पिता के पास भेजा। चर्च में माधुरी और स्टीफन की शादी हो गई।

कहानी सुनाते हुए स्टीफन रुका। उसने माधुरी की तरफ देखा।
"कुछ ही दिनों में मैंने महसूस किया कि भले ही मेरी और माधुरी की शादी मजबूरी में हुई थी पर ये मेरे लिए एक अच्छी जीवनसाथी बन सकती है। हम दोनों के बीच जमी अजनबीपन की बर्फ पिघलने लगी। हम एक दूसरे को जानने की कोशिश करने लगे। जब माधुरी को मुझ पर यकीन हो गया तो एक दिन माधुरी ने मुझे बताया कि हैमिल्टन ने उसके साथ क्या किया था। सारी बात जानकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मुझसे रहा नहीं गया। मैं फौरन ही हैमिल्टन से मिलने गया। मैंने उससे पूँछा कि उसने ऐसा क्यों किया ? मेरी बात सुनकर वह हंसने लगा। उसके बाद उसने जो कहा....."
कहते हुए स्टीफन चुप हो गया। माधुरी भी असहज हो गई। वह उठकर अंदर चली गई।
स्टीफन ने बात आगे बढ़ाई.....

माधुरी पर हैमिल्टन द्वारा किए गए अत्याचार के बारे में जानकर स्टीफन अंदर ही अंदर जल रहा था। उसके सवाल करने पर हैमिल्टन का हंसना उसे चुभ गया। वह हैमिल्टन की ओर बढ़ा तो उसने स्टीफन को कॉलर से पकड़ कर कहा,
"डोंट क्रॉस योर लिमिट। तुम मेरे पैर के अंगूठे के नीचे दबे हो और हमेशा रहोगे। तुम्हारी उस लड़की से शादी मैंने इसलिए कराई थी कि तुम्हारी बीवी बनकर वह मेरी खिदमत कर सके।"
जो कुछ हैमिल्टन ने कहा उसे सुनकर स्टीफन का खून खौल गया। उसने भी हैमिल्टन का गिरेबान पकड़ कर कहा,
"ना मैं कभी तुम्हारे अंगूठे के नीचे था और ना रहूँगा। कान खोलकर सुन लो माधुरी मेरी पत्नी है। उसके सम्मान की रक्षा करना मेरा दायित्व है। अगर तुमने माधुरी के साथ ऐसा वैसा कुछ करने की सोंंची तो ठीक नहीं होगा।"
स्टीफन वहाँ से चला आया। लेकिन उसके बाद हैमिल्टन अलग अलग तरह से स्टीफन को परेशान करने लगा। वह हर वो कोशिश करने लगा जिससे स्टीफन टूट जाए और वह माधुरी को लेकर अपने घिनौने इरादों में कामयाब हो जाए।
हैमिल्टन उस पर अपने कर्ज़ की अदायगी के लिए दबाव बनाने लगा। उसने स्टीफन का क्लीनिक पर बैठना भी मुश्किल कर दिया।
वह स्टीफन को धमकाता था कि यदि उसने उसकी बात नहीं मानी तो वह फिर से उस बच्चे की मौत का मामला उछाल कर स्टीफन का लाइसेंस रद्द करवा देगा।
पर इस सबके बावजूद भी स्टीफन ने तय कर लिया था कि हैमिल्टन के आगे झुकेगा नहीं। पर उसके लिए वहाँ रहकर अपनी प्रैक्टिस कर पाना कठिन हो रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे।
स्टीफन ने एक बार उन्नाव के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल कमल कुमार त्रिवेदी की बहू का इलाज किया था। स्टीफन ने उनकी बहू की बहुत दिनों से चली आ रही बीमारी का सफलता से इलाज किया था। इस बात से कमल कुमार त्रिवेदी बहुत खुश थे। वह खानदानी रईस थे। उन्होंने स्टीफन से कहा था कि जब भी कभी उसे कोई आवश्यकता हो तो बेझिझक उनसे कहें।
कोई और राह ना देखकर स्टीफन उनके पास चला गया।
सारी बात सुनकर कमल कुमार त्रिवेदी उसकी सहायता को तैयार हो गए। उन्होंने अपने बहनोई ललित नारायण मिश्र से संपर्क किया। वह एक माने हुए वकील थे। कानपुर के कर्नलगंज इलाके में उनकी एक कोठी और बहुत सी संपत्ति थी।
ललित नारायण मिश्र अपने साले के कहने पर स्टीफन की मदद करने को तैयार हो गए। उन्होंने स्टीफन से उसके क़र्ज़ और क्लीनिक से हुई आमदनी के बारे में पूँछताछ की। उस बच्चे की मौत वाले मामले में कुछ सवाल किए।
सारी बातें जान लेने के बाद ललित नारायण मिश्र ने उसे आश्वासन दिया कि वह उसकी मदद कर सकते हैं। लेकिन हैमिल्टन भी बहुत पहुँच वाला है। अतः काम आसान नहीं होगा। उन्होंने स्टीफन से कहा कि सबसे पहले वह हैमिल्टन की क्लीनिक में बैठना छोड़ दे।
स्टीफन ने हैमिल्टन की क्लीनिक पर बैठना बंद कर दिया। पर अपनी आजीविका के लिए उसे कुछ करना था। उसने ललित नारायण मिश्र से इस बारे में बात की। उन्होंने उससे कहा कि वह कानपुर आ जाए।
ललित नारायण मिश्र ने उसे अपना एक मकान किराए पर दे दिया। उसी के एक हिस्से में स्टीफन ने अपनी क्लीनिक खोल ली थी। उसकी क्लीनिक अब ठीक ठाक चलने लगी थी।