chintu - 37 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

चिंटु - 37 - अंतिम भाग

सुमति के दिल पर किसी ने वजन रख दिया हो ऐसे सांस फूलने लगती है। वह उठकर किचन में चली जाती है। पुनिश भी उसके पीछे गया। सुमति को खांसते हुए देख वह उसे पानी पिलाता है और पूछता है- आर यू ओके?
सुमति- जी, मै ठीक हुं। मुजे तुमसे बात करनी थी।
पुनिश- हां, बोलो।
सुमति- दरअसल..
वह बोलने जा रही थी तभी पुनिश की मम्मी वहा आ गए। वह सुमति से कहती है- तुम्हारे मम्मी पापा घर जा रहे है। अगर तुम रुकना चाहती हो तो पुनिश तुम्हे घर छोड़ देगा। और अगर तुम यहां रुकना चाहती हो तो भी ठीक है।
पुनिश भगवान से प्रार्थना करने लगता है कि सौम्या यही रुक जाए। पर सुमति उन्हें घर जाने के लिए ही कहती है। पुनिश का दिल टूट जाता है यह सुनकर।
सब को प्रणाम कर के सुमति अपने मम्मी पापा के साथ घर जाने के लिए निकलती है।

घर पर पहुंचते ही सुमति अपने कपड़े बदलने रूम में चली जाती है।कपड़े बदलते बदलते वह सोचने लगती है कि 'यह क्या हो गया? मुजे यह शादी नहीं करनी थी।' और मैं अब मम्मा पापा को कैसे बताऊं? मुजे जल्द से जल्द चिंटु से बात करनी होगी। और इस चेप्टर को खत्म करना होगा। वह नहाने के लिए बाथरूम में चली जाती है।

बाहर ड्राइंग रूम में स्नेहा और राहुल बैठे हुए थे स्नेहा राहुल से कहती है- हमने हमारी बेटी की शादी के लिए हां कह दिया है। क्या यह सही वक्त है ना शादी के लिए?
राहुल- स्नेहा यह सही वक्त ही है वैसे भी उसे एक दिन हमें छोड़कर जाना ही है।
स्नेहा कहती है- हम उसके बगैर कैसे रह पाएंगे?
तो राहुल कहता है- हमें इसकी आदत डाल ही देनी पड़ेगी। बेटी को कब तक घर पर बिठा कर रखेंगे? बाते करते हुए दोनों अपने बेडरूम में चले जाते हैं।
सुमति नहाकर बाहर आती है। वह चिंटू को कॉल करना चाहती है पर घड़ी में देखा तो रात के 12:00 बज गए थे उसने सोचा चिंटू सो गया होगा तो उसे सुबह ही फोन कर दूंगी। वह सोने के लिए बेड पर गई पर उसे नींद नहीं आ रही है। पूरी रात करवट बदलते हुए चली जाती है। भोर सुबह उसकी आंख लग जाती है।
जब सुमति उठी तब सुबह के ग्यारह बज गए थे। वह फ्रेश होकर बाहर आकर देखती है तो पुनिश अपने आर्मी के कपड़ों में बैठा हुआ था। उसके पास उसका सामान भी था। सुमति समज गई के पुनिश वापस जा रहा है। वह अपने बेडरूम में जाती है तो पुनिश स्नेहा और राहुल की परमिशन लेकर उसके बेडरूम में पीछे चला जाता है।

पुनीश बेडरूम में जाकर दरवाजा अन्दर से बंद कर लेता है। सुमति पिछे देखती है तो पुनिश उसके सामने खड़ा था। पुनिश सुमति के नजदीक जाकर उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे कहता है- हम जल्दी वापस मिलेंगे। मम्मी ने शादी की तारीख निकलवा दी हैं आज से डेढ़ महीने बाद हमारी शादी है। मम्मी ने सुबह ही पंडितजी से शादी का मुहूर्त निकलवा दिया था और स्नेहा आंटी को सुबह सुबह ही बता दिया। तुम इसके लिए एक्साइटेड होना? मैं बहुत ही एक्साइटेड हुं। अब सब्र नहीं होता, कब ये डेढ़ महीना खत्म होगा और कब तुम मेरी बनोगी?
सुमति कोई जवाब नहीं देती उसे लगता है अब मुजे मेरी और चिंटू की सच्चाई पुनिश को बता देनी चाहिए। फिर सोचती है 'एक बार चिंटू से बात कर लू उसके बाद पुनिश से बात करूंगी। अभी मैंने बोल दिया और कुछ गड़बड़ हो गई तो चिंटु खामखां नाराज हो जाएगा।'

सुमति सोच रही होती है तभी पुनिश सुमति के पास जाकर उसके दोनों हाथ पकड़ लेता है। और उसे अपने नजदीक लाने की कोशिश करता है। पर सुमति उससे हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हैं और पीछे की ओर जाती है। वह पुनिश से दूरी बनाए रखना चाहती है। पर पुनिश उसके पास जाता रहता है। जब पुनिश अपना चेहरा सुमति के पास ले जाता है तो सुमति-' प्लीज पुनिश' कह कर अपना मुंह साइड में कर लेती है। पुनिश को लगा वह शरमा रही है तो वह अपने दोनों हाथों से उसके चहरे को पकड़कर उसे बेतहाशा चूमने लगता है। सुमति उसे धक्का देने की कोशिश करती है पर पुनिश की पकड़ इतनी मजबूत थी की छूट नहीं पाती है।

सुमति की आंखो से आंसू बहने लगते है। पुनिश ने जब अपने चेहरे पर सुमति के आंसुओ की गर्माहट महसूस की तो वह उसे छोड़ देता है। उसको लगा के उसके आर्मी कैंप वापस जाने से सुमति रो रही है। वह उसकी आंखों पर अपने होंठ रख देता है और उसके आंसू अपने रुमाल से साफ करते हुए कहता है- बस अब और नहीं रोना है मेरी जान। मै सवा महीने बाद वापस आने ही वाला हुं। तब तक इंतजार करना। फिर बहुत सारी शॉपिंग भी तो करनी है। क्यों चलोगी ना मेरे साथ? अब रोना बंद भी करो वरना में जा नहीं पाऊंगा।

पुनिश के बाहर जाते ही सुमति बाथरूम में जाकर अपना मुंह पानी से धो लेती है। आइने में खुद को देखकर कहती है- ये क्या हो रहा है मेरे साथ? मै पुनिश को अब और धोका नहीं दे सकती। मुजे आज चिंटू के पास जाकर बात करनी ही होगी।
स्नेहा ने बाहर से आवाज लगाई- सौम्या बाहर आओ, पुनिश जा रहा है।
सुमति बाहर आ जाती है। स्नेहा उसकी आंखे लाल देखती है। और सोचती है शायद पुनिश के जाने की वजह से यह रोई लगती है। पुनिश अपने सास ससुर के पैर छूता है और सुमति को गले लगकर बाहर चला जाता है। उसकी आंखे भी नम हो गई थी। पर वह किसी के सामने अपने आंसू नहीं दिखाना चाहता था। वह नहीं चाहता के उसके यूनिफॉर्म पर कोई दाग लगे। सुमति, स्नेहा और राहुल उसके पीछे दरवाजे तक आए।
स्नेहा ने सुमति से कहा- तुम नीचे तक पुनिश के साथ चली जाओ।
सुमति ना बोलना चाहती थी पर वह बोल नहीं पाई और पुनिश के साथ लिफ्ट में चली गई।
सुमति और पुनिश लिफ्ट में अकेले थे तो पुनिश ने उसकी कमर पर हाथ रखकर अपने करीब खींचा। बस वह जाते समय सुमति के साथ रहना चाहता था। वह सुमति को थैंक्स कहता है।
सुमति पूछती है- किस लिए?
पुनिश- मेरे साथ नीचे तक आने के लिए। I love u सौम्या..। I can't live without u।

पुनिश की बात सुनकर सुमति अंदर तक हील जाती है। ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचते ही वह पुनिश का हाथ कमर से हटा लेती है। वह पुनिश को टैक्सी तक छोड़ने चली जाती है। वह सोचते हुए वापस जाती है,' यह मेरे साथ क्या हो रहा है एक तरफ चिंटू है और एक तरफ पुनिश।' क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है। मुजे आज ही चिंटू से बात करनी चाहिए। वह ऊपर जाकर सीधे अपने बेडरूम में चली जाती है और चिंटू को फोन करती है।

फोन लगाते ही वह चिंटू से पूछती है- तुम कहां हो?
चिंटू जवाब देता है- मैं घर पर ही हूं। अभी सामान का पैकिंग करवा रहा हूं मूवर्स एंड पैकर्स वाले आए है। वही सामान पैक कर रहे है। कल सुबह ही हमें यहां से निकलना है।
सुमती- तुम कल सुबह ही निकल जाओगे? मेरे घर कब आओगे मम्मी पापा से मिलने?
चिंटू कहता है- सॉरी सुमति! मैं घर पर नहीं आ पाऊंगा। मुजे और भी बहुत सारे काम है। यहां का काम ख़तम होते ही मुजे ऑफिस जाना है। वहां से ज्वाइनिंग लेटर लेना है। सामान पैक हो जाने के बाद मैं वो लेने चला जाऊंगा। और कुछ शॉपिंग भी करनी है तो आज पॉसिबल नहीं हो पाएगा। दूसरी बार जब मैं वापस आऊंगा तब मैं उनसे मिलूंगा। सुमति- ऐसा है तो मैं तुम्हारे घर आ जाती हुं।
चिंटू उसे मना करता है- यहां पर बहुत सारा सामान अस्त-व्यस्त पड़ा है। बैठने तक की जगह नहीं है अभी। हम फिर मिलते हैं।
सुमति उसका जवाब सुनकर अचंभित हो जाती है। जो व्यक्ति मिलने का नाम सुनकर उतावला हो जाता है वह आज...।
कोई आवाज ना आने पर चिंटु पूछता है- सुमति! सो गई क्या?
सुमति- नहीं, तुम मिलने के लिए मना कर रहे हो तो ताज्जुब होता है। मै फिर भी वहां आती हुं। और शॉपिंग भी हम साथ में ही करेंगे।
चिंटु- सॉरी! यह पॉसिबल नहीं है। मुजे रिया के घर भी जाना है। अब तक सो फोन कर चुकी है बेचारी।
सुमति- बेचारी?? वो बेचारी कब से हो गई?
चिंटु- मुजे चंबल में गलतफहमी हो गई थी। वह अपने पापा से नहीं पर किसी नाटक का रिहर्सल कर रही थी। जो आज रात को है। मुजे आज वहां जाना है।
सुमति गुस्सा करते हुए- तुम ऐसा कैसे कर सकते हो मेरे साथ? मै यहां तुमसे मिलने के लिए मरी जा रही हुं और तुम हो के। मम्मी पापा ने मेरी शादी फिक्स कर दी है पुनिश के साथ।
यह सुनकर चिंटु के हाथ से मोबाइल छूट जाता है। पैकिंग कर रहे आदमी ने उन्हें मोबाइल उठाकर वापस दिया। चिंटु उसे थैंक यू कहता है।
सुमति सामने से पूछती है- क्या हुआ? कुछ बोल क्यों नहीं रहे?
चिंटु की आंखो में आंसू आ जाते है। आवाज गले मै ही अटक जाती है। वह धीरे से सुमति को कहता है- अभी काम है, मै बाद में कॉल करता हुं। और वह फोन कट कर देता है।

फोन रखकर वह रिया को फोन करके उसके पापा से मिलने चला जाता है।
रिया के घर पे उसके पापा चिंटु को देखकर ऐसे खुश होते है जैसे उसका खुद का लड़का वापस आया हो।
चिंटु जानता था यह सब नाटक ही है। दोनों सोफ़ा पर बैठते है। रिया के पापा उसे आवाज देकर बुलाते है। रिया चिंटु को देखकर दौड़ते हुए आती है और उसे गले लगा देती है।
चिंटु उसे साइड करते हुए कोई फॉर्मालिटी नहीं करता और अपने साथ लाए हुए रुपए वहा रखे टेबल पर रख देता है।
रिया के पापा पूछते है- ये क्या है बेटा?
चिंटु जवाब देता है- ये वही रुपए है जो आपने मुज पे खर्च किए थे। और साथ में उसका ब्याज भी।
रिया के पापा- ये क्या बेटा? हमारा सब कुछ तुम्हारा ही तो है।
चिंटु- अब नहीं। आज में रिया से अपना रिश्ता तोड़ता हुं। मैंने चंबल की होटल मै उस रात में हुई आप दोनों की बातचीत सुन ली थी। जब आप अपनी बेटी को मेरे साथ सोने के लिए कह रहे थे।
यह सुनकर दोनों बाप बेटी के मुंह खुले के खुले रह गए।
चिंटु आगे कहता है- रिया शर्म आती है मुजे अपने आप पर। मैंने उस इंसान को तुम्हारे लिए छोड़ा जो मुज से बेइंतेहा प्यार करता था। आज मैंने सब खो दिया सिर्फ और सिर्फ आप दोनों के कारण। मै तुम्हे कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।
इतना बोलकर वह उठकर चला जाता है। रिया और उसके पापा एक दूसरे को देखते है। फिर रिया हस पड़ती है। वह कहती है- पापा ये तो गया। अच्छा हुआ वरना उसकी उस मिडल क्लास मां और बहन को मुजे झेलना पड़ता।
रिया के पापा- कोई बात नहीं बेटा। ये नहीं तो कोई और सही।

उनके घर का नौकर जो यह सब बात सुन रहा था वह धीरे से बोलता है- क्या चालू आइटम है दोनों साले बाप बेटी। पैसा है पर ईमान नहीं। अच्छा हुआ यह लड़का बच गया। वरना...

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चिंटु के मन से भार हल्का हो गया। वह सोचता है, 'अब मै आज़ाद हुं। पर अब शायद मै सुमति से ना मिल पाऊ।' कल उसके आने से पहले ही हम यह शहर छोड़ कर चले जाएंगे और आज के बाद मैं उसका फोन भी नहीं उठाऊंगा। मुझसे ज्यादा जिन्होंने उसे पाला है उसका हक सुमति पर ज्यादा है। मुजे इस बारे में अब सोचना नहीं चाहिए।

आज चिंटु के घर का समान पैक हो गया है। अब उसे मिले सरकारी बंगले में शिफ़्ट होना है। आज उसे कलेक्टर ऑफिस में अपना पद भी संभालना था। सामान टेंपो में रखवाने के बाद सुबह 5:00 बजे ही चिंटू एंड फैमिली गुजरात जाने के लिए निकल गए। सुमति जल्दी उठकर 7:00 बजे चिंटु के घर पहुंच गई, पर वहां ताला देख वह मायूस हो जाती है। अगले दिन चिंटू ने उसका फोन रिसीव नहीं किया था तो आज वह जल्दी उठ कर उसे मिलने चली गई। पर वहां पर उसे निराशा ही मिली।
वह गुस्सा होते हुए बड़बड़ाती है- ऐसी क्या बात हो गई जो उसने एक बार भी मेरे साथ बात नहीं कि? और मुजे या मम्मी पापा को मिलने भी नहीं आया। कही सच मै वह फ्री ही नहीं हुआ? मै पिया को फोन करती हुं।

पिया का मोबाइल वाइब्रेट हो रहा था। पर वह सोई हुई थी तो उसके हाथ से चिंटु ने फोन ले लिया। उसने स्क्रीन पर सुमति का नाम देखा। उसने तुरंत कॉल कट कर दिया। और वापस मैसेज भी भेज दिया अब कॉल ना करे। साथ चिंटू ने मोबाइल से सुमति का नंबर ब्लॉक कर दिया और बाद में उसे डिलीट भी कर दिया।

सुमति ने मैसेज पढ़ा उसके बाद उसने फिर कॉल ट्राई किया पर अब नंबर ही नहीं लग रहा था। लगता भी कैसे चिंटू ने उसे ब्लॉक जो कर दिया था। निराश होते हुए सुमति वापस अपने घर लौट आई। घर में पहुंचते ही उसके मायूस चेहरे के साथ पहुंची तो उसके पापा ने उसे पूछा- मिल अाई शारदा और बाकी सब से?
सुमति ने ना में जवाब दिया। राहुल ने पूछा- क्यों मिलने गई थी तो क्या हुआ?
सुमति ने जवाब दिया- वे लोग निकल चुके थे।
स्नेहा ने कहा- हां तो फोन कर ले।
सुमति- वह मेरा फोन नहीं उठा रहे है, मैंने बहुत बार ट्राई किया।
राहुल ने कहा- मैं चिंटू को फोन करता हुं।
जब राहुल ने फोन किया तो उसका नंबर भी नहीं लग रहा था और बाद में स्नेहा का भी नहीं लगा। राहुल ने कहा शायद नेटवर्क प्रॉब्लम होगा। अच्छा ठीक है चलो आज ऑफिस भी जाना है। तुम लोग तैयार हो जाओ।

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एक महीना हो गया। ना चिंटु की कोइ खबर, ना ही उसका पता मिला। चिंटु ने अपने ऑफिस में सबको बता दिया था कि फोन पर किसी को भी उसके घर का एड्रेस नहीं दे। सुमति ने ऑफिस का नंबर कही से लेे लिए पर वह कभी चिंटु से बात नहीं कर पाई। कही वह फिर से रिया के साथ तो नहीं...???

चिंटु ने पिया से सारी बात कर ली थी। उसने भी कभी सुमति का संपर्क नहीं किया। शारदा के याद करने पर वह कहती थी- मोबाइल बिगड़ गया तो उसका नंबर चला गया उसमे से। शारदा कहती थी हम एक बार चले मुंबई पर चिंटु हमेशा बात टाल दिया करता था। हां वह मन्नू और राधा से संपर्क बनाए रखे था।
एक दिन मन्नू का कॉल आया। उसने बताया के- एक दिन स्नेहा आंटी मिल गई थी उन्हें रास्ते पर। उन्होंने तुम्हारा एड्रेस मांगा।
चिंटु- तूने दिया तो नहीं?
मन्नू- सॉरी यार, मैंने दे दिया। वह इस रविवार को तेरे घर आने वाली है अंकल के साथ।
चिंटु पहले दो तीन गालियां दे देता है मन्नू को। फिर कहता है- अबे तुझे मना किया था ना?
मन्नू- बात तो सुन यार। वह शारदा मौसी को सुमति के मैरेज का इन्विटेशन देने आने वाली है।
चिंटु- सुमति की शादी हो रही है? चलो ठीक है...
मन्नू- तु ठीक है ना भाई? कहो तो छुट्टी लेकर आ जाऊं तेरे पास?
चिंटु- मै ठीक हुं दोस्त, घबरा मत। ठीक है चल बाहर कुछ लोग खड़े है अपॉइमेंट लिए हुए। बाद में फ्री होकर कॉल करता हुं।

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दोपहर सुमति इवान के घर पहुंची। बेला रोटियां बना रही थी। इवान की मम्मी को चुप रहने का इशारा करके वह किचन में चली जाती है। किचन में पहुंचकर चुपके से बेला को कमर से पकड़ लेती है और उसके कान में चिल्लाती है।
बेला के हाथ से डर के मारे बेला छूट जाता है। वह देखती है तो सुमति पीछे खड़ी होकर जोर से हंसने लगी। साथ में इवान कि मम्मी भी वहा आकर हंसने लगे।
बेला जूठा गुस्सा करते हुए कहती है - सुमति... डरा दिया तुमने तो। और मम्मी आपने भी इसकी शरारत में साथ दिया?
मेरी- मैंने कुछ नहीं किया...। यही चुपचाप अंदर आ गई थी। बस.. मै कुछ बोली नहीं..।
सुमति- सॉरी..! पर मजा आया के नहीं??
बेला- चल पागल, अब शादी होने वाली है। सुधर जा वरना डांट पड़ेगी ससुराल वालों से।
सुमति- देखते है...। चल अब जल्दी से तैयार हो जाओ। हमे बाहर जाना है शॉपिंग के लिए। और आंटी, ये रात को डिनर करके ही वापस आएगी।
मेरी- ठीक है ले जा, पर सही सलामत वन पीस में लेे आना वापस। वरना इवान को देखा है ना...।
सुमति हंसते हुए कहती है- डोंट वरी आंटी। ऐसा करती हुं उसे भी साथ ले जाती हुं तो इसका ध्यान वहीं रखता रहेगा।
वह इवान को ऑफिस में फोन करके आधे दिन की छुट्टी लेने के लिए कहती है। और शॉपिंग मॉल का एड्रेस देती है जहां उसे आना है एक घंटे बाद।
बेला सुमति से पूछती है- लंच करके अाई है?
सुमति- नहीं, बाहर कर लूंगी।
मेरी डांटते हुए कहती है- घर पर अाई है और बाहर खाने की बात करती है? बेला तेरे पापा को आने में अभी समय है। तो उनकी रोटी अभी इसे खिला दे। तेरे पापा के लिए में बाद में रोटी बना दूंगी।
सुमति- अरे नहीं आंटी! इसकी जरूरत नहीं है।
बेला- देख मुजे तेरी कोई बात नहीं सुननी है। चल हाथ मुंह धोकर डाइनिंग टेबल पर आजा।

दोनों लंच करती है। बेला तैयार होकर आती है और साथ में मॉल के लिए निकलती है। इवान पहले से ही वहा पहुंच गया था। उन दोनों को आते देख कहता है- महारानियां आ गई? कब से खड़ा हुं यहां।
सुमति- सॉरी! तुम्हे पता है ना ट्रैफिक कितना रहता है? चल अब अंदर चलते है।
दो घंटे तक शॉपिंग हुई। अब इवान उन दोनों से कहता है- मुजे भूख लगी है, चलो फुडकोर्ट में कुछ खा लेते है।
सुमति- इवा..न! अभी आधी शॉपिंग भी नहीं हुई है।
इवान- ए तु ऐसा मत बोल। मुजे चक्कर आ जाएंगे। पहले पता होता इतना घुमाओगी तो आता ही नहीं।
बेला- ओ... मेरे राजा! तुम नहीं आओगे तो सामान कौन उठाएगा?
इवान- अच्छा... तभी मै सोचू...। ये लड़कियां मुझे लेकर क्यों अाई है? अगर सामान उठवाना है तो खाना तो पड़ेगा ही। वरना मै चला।
सुमति- ओके! मेरे बाप। चल अब।

तीनों अपना ऑर्डर देकर कौने में एक टेबल खाली देखकर बैठ गए। यहा वहा की बाते करते करते बेला ने पूछ लिया- क्या तुम चिंटु जी को याद नहीं करती?
सुमति कोई जवाब नहीं देती। तो इवान कहता है- मुजे भी तुमसे कबसे बात करनी थी। क्या चंबल में तुम दोनों के बीच था वह...।
सुमति उसकी बात काटते हुए गुस्से मे कहती है- सब ख़तम करके चला गया वह। कितने फोन किए, कितने मैसेजेस किए पर एक का भी जवाब नहीं। वापस आकर वह फिर से रिया का हो गया।
बेला- मै नहीं मानती। जहां तक मै उन्हें पहचान पाई हुं वह ऐसे है ही नहीं। कोई तो बात जरूर है। उसकी बहन क्या कहती है?
सुमति- उसे भी फ़ोन नहीं लग रहा। मैंने उसका पता ढूंढने की भी कोशिश कि पर कहीं से भी उसका पता नहीं मिला।
इवान- उसके ऑफिस में फोन करके पूछ लेती।
सुमति- वहा भी किया था। पर कोई बराबर जवाब नहीं देता। पुनिश भी कल वापस आ रहा है। अब मेरे हाथ में कुछ नहीं है।
इतना कहकर वह रोने लगती है। फिर रोते हुए ही कहती है- कई बार ऐसा लगता है कि खुदकुशी कर लू। फिर मम्मी पापा का चेहरा सामने आ जाता है। इन में इनका क्या कुसूर के उन्हें सजा दूं। उनकी खुशी के लिए ही मै यह शादी कर रही हूं। चिंटु मिल ही नहीं रहा तो पुनिश से भी क्या बात करू? उसकी भी तो कोई गलती नहीं है न। अगर चिंटु को मूजसे शादी करनी ही नहीं थी तो मेरी लाइफ में वापस आया ही क्यों? मै मम्मी पापा से भी क्या कहकर शादी के लिए मना कर दूं।
बेला- देख सुमति, जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। उसे भुल जा और अपने आने वाले नए जीवन में आगे बढ़।

सुमति मन ही मन कहती है वही तो नहीं हो पा रहा। वह इवान से कहती है- इवान, तु कही से भी, कैसे भी करके चिंटु का पता निकाल। मै उससे एकबार पूछना चाहती हूं कि उसने मेरे साथ ऐसा क्यूं किया?
इवान- मै अपनी तरफ से कोशिश करूंगा। और अब आगे की शॉपिंग करे क्या?
बेला- तुम्हारा शादी का जोड़ा आ गया क्या?
सुमति दुःखी मन से कहती है- मै मम्मी की शादी का जोड़ा ही पहनने वाली हुं। वह बहुत अच्छा है।
बेला- और ज्वैलरी, हाथों का चूड़ा?
सुमति- ज्वैलरी भी मम्मी की पहनूंगी और चूड़ा अभी लेे लेते है। यहां से हम वहीं लेने जानेवाले है और बाद में शादी के दिन पहनने वाली चप्पल।
बेला उसे देख कहती है- अब मूड ठीक कर ले। नहीं तो कोई समझेगा हमने तुम्हे रुलाया।
सुमति कहती है- यहां आते वक्त मैंने नीचे एक वेस्टर्न आउटफिट की शॉप में सेल देखी थी। क्या कहती है बेला चले??
बेला- हां हां क्यों नहीं।
इवान- तुम दोनों आज मेरी जेब ढीली करके रहोगी।

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रात का डिनर करके तीनों अपने अपने घर चले गए। घर पहुंचकर देखा तो स्नेहा और राहुल उसी का इंतज़ार कर रहे थे। उनके पास पड़े सामन को देख सुमति पूछती है- कही जा रहे है?
स्नेहा- हां, हम तुम्हारी शादी का इन्विटेशन देने गुजरात के गांधीनगर में जा रहे है। वहां हमारे न्यूज चैनल की मीटिंग भी है और कुछ दोस्तो के घर इन्विटेशन भी देना है।
(स्नेहा जान बूझकर सुमति को नहीं बताती के वह चिंटु के घर जा रहे है। वरना वो भी साथ में आने की जिद करती। उसे पता था सुमति चिंटु का पता निकलवाने की कोशिश कर रही है। पर उस लड़के पर अब स्नेहा को विश्वास नहीं था।)
सुमति- आप दोनों जा रहे है? मै यहां अकेले कैसे रहूंगी?
राहुल- तुम्हारा सामान भी पैक कर दिया है। हम तुम्हे शोभना के घर ड्रॉप कर देंगे। उससे हमारी बात हो चुकी है।
सुमति- नहीं पापा, मुजे कहीं नहीं जाना मै यही रहूंगी। हां, मै उसे यहां बुला लेती हुं।
राहुल- जैसा तुम ठीक समजो। अभी उसे फोन कर दो तो वह यहां आने की तैयारी कर ले।
सुमति- आप कितने दिनों के लिए जा रहे है?
स्नेहा उसे गले लगाते हुए कहती है- हम कल रात को आ जाएंगे डियर। तुम्हे यहां अकेला छोड़ हमारा भी मन वहां नहीं लगेगा।

सुमति शोभना को फोन करती है। वह एक घंटे में सुमति के घर आ जाती है। उसके आने के बाद ही स्नेहा और राहुल अपनी कार से गांधीनगर जाने के लिए निकल गए।

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सुबह आठ बजे स्नेहा और राहुल चिंटु के घर पहुंच गए थे। चिंटु को मन्नू ने पहले ही बता दिया था तो वह स्नेहा और राहुल का सामना नहीं करना चाहता था। सोचता था उनके आने से पहले ऑफिस किसी काम का बहाना करके निकल जाऊंगा। पर वे लोग सुबह सुबह ही आ गए थे। चिंटु अपने गार्डन में बैठकर अखबार पढ़ रहा था तभी स्नेहा और राहुल कि कार बाहर रुकी। वॉचमेन ने गेट खोलकर दोनों को अंदर आने दीया तभी चिंटु की नजर उन पर पड़ी। वह खड़ा हो गया और उनके पास जाकर उनके पैर छुए। वह खुशी के साथ दोनों को घर के अंदर ले गया।
शारदा स्नेहा और राहुल को देखकर बहुत खुश हुई। पिया ने भी दोनों के पैर छू कर आशीर्वाद लिया। स्नेहा और राहुल शारदा को देखकर बहुत खुश हुए। शारदा ने काफी मुश्किल हालातो में बच्चो को पाला था। शारदा ने नौकर से कहकर चाय नाश्ता मंगवाया।
नाश्ता करने के बाद स्नेहा ने शारदा के हाथ में सुमति की शादी का कार्ड दिया। और कहा- शादी पंद्रह दिन बाद की है और आप लोगो को जरूर जरूर आना है।
शारदा- ये भी कोई कहने कि बात है। हम जरूर आएंगे अपनी बेटी की शादी में।

चिंटु उनकी बातचीत के दौरान कुछ बोलता नहीं है। राहुल उसे कहता है- क्यों कलेक्टर सहाब, क्या सोच रहे है? शादी में आना है। कोई बहाना नहीं चलेगा।
चिंटु- अरे अंकल! मै आपके लिए चिंटु ही ठीक हुं। और अभी से मै कुछ नहीं कह पाऊंगा। हा, मां और पिया जरूर आएंगे।
स्नेहा- ऐसा नहीं चलेगा चिंटु। तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड की शादी में तुम नहीं आओगे तो उसे बुरा लगेगा।
चिंटु- मै आने कि कोशिश करूंगा। पर कन्फर्म नहीं कह सकता। कोई काम ना आया तो जरूर आऊंगा। माफ़ कीजियेगा मुजे अभी एक काम से जाना है। अगर आप इजाज़त दे तो।
राहुल- बिल्कुल जाओ भाई, काम पहले।
चिंटु- थैंक यू अंकल।
फिर नहा धोकर वह स्नेहा और राहुल को मिलकर चला जाता है। दरअसल वह उनके सामने कमजोर नहीं पड़ना चाहता था।

वह सुमति से बहुत प्यार करता है। उसकी शादी का कार्ड देखकर आंख से आंसू बहने ही वाले थे पर खुद को बहुत कंट्रोल किया। उसने ड्राइवर से चाबी लेे ली और खुद ही कार ड्राइव करके चला गया। काफी दूर जाने के बाद एक जगह कार पार्क करके फुटफुटकर रोने लगा। और अपने आप ही बड़बड़ाने लगा- मुझे माफ़ कर दो सुमति। मै अपना वादा नहीं निभा सका। मै अंकल आंटी को दुःखी नहीं करना चाहता था। आज तक उन्होंने है सुमति को संभाला है। मैंने क्या किया था उसके साथ? छोड़ दिया था उसे अकेला। उस वक्त उसकी फिलिंग्स नहीं समझा था। और अब जब सही हो गया था तब मैंने तुम्हारे जीवन में आने में देर कर दी। अब कुछ नहीं हो सकता। माफ़ कर दो मुजे... माफ़ कर दो। तुम्हारे अच्छे भविष्य के लिए यह कुर्बानी मुजे देनी ही होगी।

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शादी को तीन दिन बाकी है। कल हल्दी रस्म होने वाली है। पुनिश के आने के बाद ही सुमति को उसके ससुराल वाले बाकी की शॉपिंग करने ले गए थे। मुंह पर जूठी मुस्कान के साथ वह हर जगह जाती थी। कपड़े गहने सब सुमति की पसंद का लिया गया था। पुनिश रोज रात को फोन करता था। और रोज ही पुछता था कि तुम खुश होना? और वह जवाब देती थी- ' हम् '।
रोज बात करने के बाद वह चिंटु को कोसती हुई रोने लगती थी। हल्दी, महंदी के बाद दिन आ गया शादी का। सारा घर महमनो से भरा हुआ है। रात को शादी है। सुमति आज भी चिंटु को फ़ोन करती है पर कोई फायदा नहीं।

शादी एक बड़े हॉल में आयोजित की गई थी। शारदा और पिया अगले दिन आ गए थे। पर चिंटु को साथ ना देखकर सुमति निराश हुईं थी। बेला और शोभना हर वक्त उसके साथ रहती थी।
सुमति और बेला इवान के साथ पार्लर में तैयार होने जा रही थी। कार में बैठने के बाद वह अचानक रोने लगती है। उसे देख बेला और इवान डर जाते है।
इवान उसे पूछता है- क्या हुआ सौम्या? रोने क्यों लगी?
बेला- तुम भी क्या इवान? आज शादी है। मम्मी पापा को छोड़कर ससुराल जाना है। रोना तो आएगा ही।

सुमति फिर भी रोती रही। बेला इवान को कार रोकने के लिए कहती है। इवान कार एक पार्किंग प्लेस में पार्क करता है। बेला पीछे की सीट में सुमति के पास जाती है और पूछती है- अब सच बताओ क्या हुआ?
सुमति रोते हुए कहती है- मै यह शादी से पुनिश को वो प्यार नहीं दे सकुगी जो चिंटु को करती हुं। मैंने ऐसा क्या किया जो वह मुज से मिलने तक नहीं आया।
इवान कहता है- अगर वह सच्चा प्यार करता तो जरूर आता। उसे अब भुल जाओ।
बेला भी इवान का साथ देते हुए कहती है- plz तुम रोना बंद करो। उसने तुम्हारे प्यार की कद्र नहीं की और तुम हो के...
सुमति- मै उसे जानती हुं बेला। कुछ बात जरूर हुई है जो मुजे नहीं पता। मम्मी पापा को उसका पता मिल गया था पर उन्होंने मुझे नहीं बताया। जब वह वापस आए तब मुजे पता चला। मैंने उनसे पता पूछा तो मेरी बात टाल दी और दूसरी बात करने लगे। मुजे सिर्फ यह बताया उन्हें उसका कोई फ्रेंड वहां लेे गया था, एड्रेस नहीं पता। और मुजे अपनी शादी पर ध्यान देने के लिए कहा।
बेला- जो भी हो अब इन बातो का क्या मतलब? आज शादी है तुम्हारी। plz उसी पर ध्यान दो। समय रहते सब ठीक हो जाएगा।
और पुनिश जी भी तुम्हे बहुत प्यार करते है। तो अब कुछ मत सोचो, दिमाग से हर बात को खाली कर दो।

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सुमति तैयार होकर शादी के हॉल में ऊपरी मंज़िल पर दुल्हन के कमरे में बैठी थी। साथ में पिया, राधा, शोभना और बेला भी थे। नीचे धीरे धीरे सारे मेहमान आने लगे थे। कुछ देर में बारात भी आने वाली है।
सुमति पिया से पूछती है- चिंटु कब आएगा?
पिया- भैया ने कहा था कोई अर्जेंट काम नहीं आएगा तो जरूर आएंगे।
सुमति- plz मेरी बात करवाना उससे। मुजसेे बात क्यों नहीं कर रहा वह?
पिया- वो तो मुजे नहीं पता। तुम दोनों मुजे कहा कुछ बताते हो।
बेला बीच में ही दोनों की बात काटते हुए कहती है- सुमति बारात आनेवाली है, तुम यह मांग टीका पहन लो। और चुनर भी तो ओढ़ानी है। तुम यहां मिरर के सामने बैठ जाओ, पहना देती हुं मै।
सुमति भी अब रोबोट की तरह बिना कुछ बोले तैयार होने लगती है।

हॉल में बहुत सारे मीडिया कर्मी भी थे जो स्नेहा और राहुल के फ्रेंड्स थे। सुमति ने भी ऑफिस में अपने फ्रेंड्स को इन्विटेशन दिया था वे सब आ चुके थे। कुछ देर में बारात भी आ गई। दूल्हा सफेद घोड़ी पर सेहरा पहनकर बारातियों के साथ नाच रहा था।
सुमति को जयमाला पहनाने के लिए बुलाया गया। उसने एक बार भी पुनिश की तरफ नहीं देखा और वापस अपने रूम में चली गई। सबको लगा दुल्हन शरमा रही है।

दूल्हे को बिठाकर पंडितजी ने आगे की विधि शुरु कर दी थी। जब दुल्हन को बुलाने के लिए कहा गया तो स्नेहा खुद उसे लेने गई। सुमति रूम में बेड पर बैठी हुई थी। स्नेहा ने वहा पहुंचकर सुमति का हाथ पकड़ते हुए कहा- चलो बेटा, वक्त आ गया है मंडप में जाने का।
पर सुमति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। स्नेहा ने जब उसका हाथ खींचा उसे उठाने के लिए तो सुमति बेड से उठी ही नहीं। जब स्नेहा ने वापस मुड़कर सुमति को देखा तो सुमति की आंखो में आंसू थे और वह अपना चेहरा ना में हिला रही थी।
स्नेहा यह देखकर एक कदम पीछे हट गई। वह सोचने लगी के ये.. ये क्या हो गया? सौम्या अब तक चिंटु से...? कही मैंने कोई गलती तो नहीं कर दी। तभी स्नेहा के मोबाइल पर राहुल का कॉल आता है। वह रिसीव करती है तो राहुल उसे कहता है- पंडितजी बुला रहे है। जल्दी सौम्या को लेकर आओ, मुहूर्त निकला जा रहा है।
स्नेहा ने सुमति का घूंघट निकाला और अब कुछ ना सोचते हुए सौम्या का हाथ पकड़कर उसे नीचे शादी के मंडप में ले आती है।

सारी रस्में सुमति एक मशीन की तरह कर रही है। उसके अलावा सबके चेहरे पर खुशी है। फेरे हो जाने के बाद पुनिश मांग भरता है और मंगलसूत्र भी पहना देता है। मंडप के चारो तरफ से फूलों की बारिश होने लगती है। दूल्हा दुल्हन का हाथ पकड़कर मंडप से नीचे उतरता है। सुमति गला फाड़कर चीखना चाहती है, रोना चाहती है पर वह इस वक्त अपने मम्मी पापा की इज्जत बचाने के लिए खामोश है।

दूल्हा दुल्हन को आशीर्वाद देने के लिए सब बड़े साथ में खड़े रह जाते है। वे दोनों साथ में सबके पैर छूते हुए आगे बढ़ते रहते है। सुमति एक जगह आकर ठहर गई। उसने अपने घूंघट में से ऐसे जूते पहने एक आदमी को देखा जो वह फौज में पहनता है। वह तुरंत अपना घूंघट उठकर देखती है तो आंखे चौड़ी हो जाती है। जी ठीक समझा....
वह पुनिश ही था अपने यूनिफॉर्म में। सुमति ने अपने पास दूल्हे के लिबास में खड़े व्यक्ति को देखा तो वह चिंटु था सेहरा उठाए। वह सोचते हुए पुनिश के सामने देखती है और आंखो के इशारे से ही पूछती है यह सब कैसे...???

पुनिश- क्यों तुम लोग ही किसी की शादी में मजाक कर सकते हो हम नहीं?
सुमति पास खड़ी बेला के सामने देखती है जो उसके सामने मुस्कुरा रही थी। सुमति चिंटु के सामने बनावटी गुस्से से देखती है तो चिंटु कहता है- मैंने कुछ नहीं किया। यह सब पुनिश बाबू का ही कमाल है।
पुनिश सुमति को बताता है- जब तुम बेला और इवान के साथ उस मॉल के फुडकॉर्ट में बैठी थी तब मै तुम्हारी बाजू वाली टेबल पर ही तुम्हारे बाद आया था। तुम मुजे देख नहीं पाई क्योंकि बीच में आधा पार्टीशन किया हुआ था। वैसे उस वक़्त मुजे भी नहीं पता था। मै एक दिन पहले ही तुम्हे सरप्राइज देने वाला था पर तुमने मुजे सरप्राइज कर दिया। तुम्हारे बीच हुई सब बात मैंने सुनी थी। किसी का प्यार छीनने का मुजे कोई हक नहीं है। पहले तो मै कुछ समझ नहीं पाया कि क्या करू? पर बाद में मैंने फैसला कर दिया तुम दोनों को एक करना ही है।

फिर मैंने और इवान ने मिलकर मन्नू साहब को ढूंढा।
सुमति- मन्नू??
सबके बीच से होते हुए मन्नू हंसते हुए बाहर आया।
पुनिश- हमने उससे चिंटु द ग्रेट का एड्रेस लिया और निकल गए साहब को मनाने। पहले तो ये साहबजादे माने ही नहीं। कहा मै अंकल आंटी के दिल को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता। फिर हुई बॉस की एंट्री...। मतलब राहुल अंकल...। हमने उन्हें सब बता दिया था। वे भी हमारे साथ ही आए थे।

स्नेहा को याद आया कि एक दिन दोस्त के यहां जाने का कहकर वह बाहर तो गए थे। तो... मुजे किसी ने बताया ही नहीं?
राहुल स्नेहा की तरफ देखकर कान पकड़ते हुए सॉरी कहता है।

पुनिश ने आगे कहा- हमने शारदा बहन से भी बात कि। फिर इन सबको हमारे साथ ही लेे आए मेरे घर पर। मैने मम्मी पापा को सब बता दिया था गुजरात जाने से पहले। मेरे घर पर सब रस्में चिंटु उर्फ आईएएस अफसर चैतन्य के साथ हुई थी। बाद में शारदा आंटी और पिया तुम्हारे घर पर आए थे।
फिर इवान कहता है- क्यों सौम्या? कैसा लगा?? मजा आया???
सुमति इवान की तरफ जाकर उसे मारने लगती है और चिंटु उसे अपनी तरफ खींचता है। सब ठहाके लगाकर हंसते है।
सुमति और चिंटु स्नेहा के पास जाते है। स्नेहा उन दोनों को गले लगा लेती है। फिर हाथ जोड़कर चिंटु से माफी मांगती है और कहती है- ये सब नहीं होता अगर मै...
चिंटु उन्हें बोलने से रोकता है। वह कहता है- जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।

सुमति पुनिश के पास जाती है और कहती है- पर तुम क्यों यूनिफॉर्म में हो?
पुनिश- सरहद पर मेरा देश बुला रहा है मुजे। अभी रात को एक गाड़ी जानेवाली है, उसके साथ ही निकलना है।
सुमति और चिंटु एकदुसरे के सामने देखते है और पुनिश के पैर छूते है। पुनिश उन दोनों को उठाकर गले लगा लेता है।

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दो दिन बाद नई दुल्हन को लेकर चिंटू गुजरात वापस आ जाता है और वहां एक बड़ी रिसेप्शन पार्टी रखता है। अपनी ऑफिस और गवर्नमेंट के कुछ लोगों के साथ साथ सीएम साहब भी आशिर्वाद देने आए थे।
डेढ़ साल बाद सुमति एक प्यारे से बेटे को जन्म देती है। जिसका नाम सुमति और चिंटु मिलाकर पुनिश रखते है।

समाप्त