Badi Pratima - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

बडी प्रतिमा - 7

बडी प्रतिमा

(7.)

इस घटना के तीसरे रोज की बात है। शाम हो आई थी। अभी घर गई लडकियां लौटी नहीं थीं। दो-चार लडकियां ही हाॅस्टल में इधर उधर डोलती रहती थीं। अभी सब की सब इकट्ठा होकर फील्ड में बैठी बातें कर रही थीं। मार्च का महीना था। शाम की हवा बडी सुहानी लगती थी। वार्डन भी घर गई थीं इसीलिए नर्मदा भी इस गोल में आ बैठी थी। वह कहने लगी – “मुझे भी घर जाना था, पर मेरे तो पांच दिन ही बुधवार को पूरे होंगे । फिर पूजा पाठ में घर जाकर क्या करना ? जानती हैं विभा दी, बूढियां जान जाएंगी कि हम “छुटटी” पर हैं तो और सबको बता देंगी। गीतू तो फिर भी चली गई, उसका भी तो मेरे साथ ही आया था।”

बेबी चिहुंकी – “हट्ट, तुम्हारे साथ आया था ! वह तो पिछले हफ्ते ही निबट चुकी । मैंने और उसने साथ ही तो बाल धोये थे । ”

“ नहीं बेबी दी, आप भूल रही हैं। गीतू को शनिवार को ही आया। मेरे साथ ही तो क्लास से आई थी पैड लेने ! ”

“हैं ?पैड लेने ? कहां ? कब ? ”

विभा के मन में जैसे सारी बातें एक बार कौंधकर साफ हो गईं।

नर्मदा सहज भाव से बोली- “हां विभा दी । जब गीतू को आ गया तो वह मुझसे बोली कि चलो साथ में कमरे में, मुझे पैड लेना है। तब मैंने वार्डन मैम वाली चाबी ली, कमरा खोला । जब तक गीतू अपने कपडे वगैरह ठीक करती तब तक मैं कमरे के बाहर खडी रही । फिर मैंने अपने हाथों से ताला बंद किया।”

“अब बात समझ में आ गई” - विभा बोली।

“गीतू नर्मदा को झूठ बोलकर आई, ताला खुलवाया, अंजना के पैसे कहां रखे गए हैं, वह उसने देख ही रखा था, चुपके से उठाकर अपनी पैंटी में रख लिया होगा। उसका पायल-उयल गुमने की बात बिल्कुल झूठी होगी। इससे वह तलाशी से भी बच गई और उसे घर जाने की अनुमति भी मिल गई। कितनी शातिर निकली ? देखने से कोई कह सकता है कि वह चोर है ? ”

“और फिलाॅसाॅफी कैसा सुना रही थी कि जो बीत गई सो बात गई ? उसका पायल गुमता तब तो वह उदास होती विभा दी ? ” बेबी बोली ।

विभा – “अब तो पैसे लेकर निकल गई । अब उसे पकडा कैसे जाए इसकी तरकीब सोचो ।”

बेबी गरम मिजाज की लंबी-चौडी लडकी थी। गुस्सा आ जाए तो एकाध चांटा भी जडने में गुरेज नहीं करती थी।मीरा और बेबी एक ही गांव की थीं । दोनों का कद और मिजाज भी एक जैसा ही था। विभा नरम मिजाज की मानी जाती थी। सभी लडकियां उसे अपना अभिभावक मानती थीं । वह अक्सर मेस इंचार्ज बनाई जाती रही थी, क्योंकि वह कम-से-कम खर्चे में बडी कुशलता से मेस चलाती थी। लडकियां अपना सुख दुख, गिले शिकवे उससे ऐसे बांटती थीं, जैसे वह उनका निदान अवश्य कर देगी। ज्यादातर मामलों में वह समस्या का समाधान कर भी दिया करती थी। फजली सर के साथ अन्य शिक्षिकाओं के मन में भी उसके प्रति आदर मिश्रित स्नेह का भाव रहता था। छात्राओं के मामले में वे वार्डन से अधिक विभा की बातों और सलाहों को तरजीह देते थे। विभा को अपनी कोमल छवि की ख्याति का पता भी था। उसने अपनी इस नर्म मिजाजी और मीरा और बेबी की गर्ममिजाजी के किस्सों को ध्यान में रखकर चोर को पकडने की एक योजना बनाई और उस योजना में अभी शामिल इन सभी आठ दस छात्राओं को सख्ती से हिदायत दी कि इस योजना की भनक और किसी को किसी हालत में नहीं होनी चाहिए, वरना चोर को पकडने का यह मौका हाथ से चला गया तो उसे पकडना फिर मुश्किल होगा। यह सब योजना बनाकर वह फजली सर के पास चली। उनको बताए और योजना में शामिल किए बिना योजना का कार्यान्वयन संभव न था।

क्रमश..