Badi Pratima - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

बडी प्रतिमा - 8

बडी प्रतिमा

(8.)

अगले सोमवार को सभी छात्राएं अपने घरों से लौट आईं। उसी रात में बेबी, मीरा, नर्मदा आदि लडकियों ने योजना के तहत भारी हंगामा करना शुरू कर दिया। बेबी कहती – “चोर ने हद्द ही कर दी है अब तो विभा दीदी । अब तो चोर पकडने के लिए अंडा काटा जाएगा।”

अपने काम में मशगूल होने का अभिनय कर रही विभा ने खूब अच्छी तरह सुन सकने लायक आवाज में चिहुंककर कहा – “अंडा कटेगा ? किसने कहा अंडा कटेगा ? पागल हो गई हो क्या ? दो चार हजार रुपयों के लिए हाॅस्टल में अंडा काटा जाएगा ? ”

मीरा – “बात दो चार हजार रुपयों की नहीं है विभा दी, बात तो चोर को पकडने की है । अंडा कटेगा तो चोर का तो पता चलेगा ? ”

विभा – “चोर का पता लगाने के पक्ष में तो मैं भी हूं। मगर किसी की जान लेने के पक्ष में नहीं । ”

नर्मदा – “जब चोर को ही अपनी जान की परवाह नहीं हो रही है तो आपको क्यों हो रही है विभा दी ! फजली सर ने तो कह ही दिया है कि या तो अकेले में आकर चोर उनके पास स्वीकार कर ले कि उसने पैसे चुराए हैं । नहीं स्वीकार करेगी तो फिर तो अंडा काटा जाएगा न ? ”

विभा – “हट्ट अंडा की बच्ची ! मालूम भी है कि अंडा काटना क्या होता है ? कभी देखा भी है ? सब बात में अपनी मानजनी चलाने लगती है। ”

मामला अच्छी तरह समझ में न आ पाने के कारण सभी लडकियां इन हंगामा करती लडकियों के आसपास आ जुटीं । केवल वडी प्रतिमा अपनी जगह पर घुटनों को मोडकर पेट से सटाए हुए सबकी ओर बिटर-बिटर ताकती हुई चुपचाप बैठी रही।

अंडा काटने की बहस को लेकर सबके कूद पडने से हंगामा और बढ चला। सबके अपने अपने मंतव्य थे। कइयों ने अंडा काटकर चोर पकडने की बात सुन रखी थी,देखा किसी ने न था। केवल विभा थी जो इस तरह की कोई घटना आंख से देखे जाने का दावा कर रही थी। जब अंडा काटकर चोर पकडने को लेकर सब एक जुट हो गईं तब विभा ने और चिल्लाकर कहना शुरू किया- “चुप रहो, सब चुप्प ! देखा है किसी ने अंडा कटते ? मैंने देखा है। इसीलिए मना कर रही हूं। जैसे जैसे अंडा कटता जाता था, चोर की गर्दन कटती जाती थी। रिरियाकर मर गया वह मेरे सामने। आज भी उस घटना को याद करती हूं तो मेरे रोंगटे खडे हो जाते हैं।”

और भी अनेक तरह से अतिरंजित कर विभा ने अंडा कटने पर चोर के मरने का वीभत्स वर्णन किया । जो विभा दीदी भूतनी के द्वारा जकडे जाने पर भी भूत के अस्तित्व को नकार गई थीं, वह अंडे के कटते समय चोर की गर्दन कटने की बात कह रही हैं -बिल्कुल झूठ की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती है। उसे न मानने का कोई कारण नहीं देखकर बाकी सभी छात्राएं सहमकर पीछे हट गईं, पर बेबी, मीरा और नर्मदा अंडा कटवाकर चोर को सामने लाने की अपनी जिद पर अडी रहीं।

अगले रोज असेंबली में फजली सर ने घोषणा की – “आज एक पहुंचे हुए मौलाना आनेवाले हैं। उन्हें पीर का कौल है। आज वे चोर को पकडकर दिखाएंगे। हम तो अंडा काटकर चोर को हलाल करवाना चाहते थे, पर विभा तुमलोगों को बचा ले गई। वे फकीर चावल पढकर खिलाएंगे । जो चोर होगा, वह खून की उल्टियां करने लगेगा । जब तक अपना गुनाह कबूल नहीं करेगा, तब तक खून की उल्टियां करता रहेगा और आखिरकार मर जाएगा। अभी भी समय है। चोर आकर अपना गुनाह कबूल कर ले ।”

सभा में कोई सुनगुन न हुई। हां, गीतू की हमेशा खिली रहनेवाली स्मित थोडी फीकी हुई है - यह विभा ने लक्ष्य किया।

क्रमश..