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समझौता

समाज के बारे मे जो भी कह और लिख दिया जाये वो कम होगा। क्योंकि एक साथ रहने वाले लोग होते तो मनुष्य है, लेकिन मनुष्य मे ऐसा कोई व्यहवार नहीं होता है। जब हमारे पैर मे काटा लगता है तब हमें इसका दर्द समझ मे आता है। अगर हमारे पैर मे काटा ना चुभे तो हम कभी महसूस नहीं कर सकते है।ठीक उसी तरह हमारी इस कहानी के पत्रों मे समाज का और उसके भय का बहुत असर हुआ है।
रोमा की सादी हुई लेकिन वह इस शादी से बिलकुल खुश नहीं थी, लेकिन जब घर वालो को यही मंजूर था तो वो ज्यादा कुछ कह नहीं पायी। रोमा पांच बहन थी और भाई एक भी नहीं थे। पढ़े लिखें समाज की बाते है की लड़का लड़की एक सामान, लेकिन एक ऐसा समाज जहा के लोग पढ़े लिखें नहीं है, वहा लड़किया आस्तीन की साप मानी जाती है। कुछ ऐसा ही परिवार रोमा का था, रोमा का नंबर बहनो मे तीसरा था।
उससे बड़ी दो बहनो की शादी हो गयी थी, उसके पिता का नाम चंद्र प्रसाद था, वह एक समाजिक यक्ति थे,कहने को बहुत समझदार थे पर उनकी समझ घर से बाहर ही थी। घर मे लड़कियों को मारते गाली देते।
ऐसी कोई कमी नहीं थी लेकिन चंद्र प्रसाद एक कौड़ी भी लड़कियों को नहीं देता था। बिचारि जो अनाज घर मे था वही खाती, कपडे आस पास के लोग दिया करते थे।
या कोई चोरी से काम करके जो पैसे बन जाता उससे लड़किया अपने खर्चे चलाती। रोमा अपनी सभी बहनो मे ज्यादा तेज थी वो चंद्र प्रसाद से लड़ जाती। चंद्र प्रसाद को अब रोमा का ब्याह कराना था वह जगह-जगह बात चलाने लगे । इधर रोमा अपनी दीदी के घर के पास रहने वाले सूरज से प्यार करती थी। लड़का अच्छा है किसी बड़े शहर मे काम करता है और शादी के लिए तैयार भी है। यह बात चंद्र प्रसाद से कौन कहे, कमला चंद्र प्रसाद की पत्नी है। लेकिन उसको भी अपनी लड़कियों के पक्छ मे बात करने की हिम्मत नहीं है। लेकिन एक दिन हिम्मत करके कहा की रोमा का ब्याह सूरज से करा सकते है और सूरज रोमा को पसंद भी करता है। अगर बात चलाई जाए तो वह तैयार हो जायेंगे।
लेकिन चंद्र प्रसाद कब ये समझने वाला था, वह छल्ला उठा घर मे गालिया देने लगा, रोमा को मारा और घर से बाहर निकलने को मना कर दिया।
रोमा भी ये बात समझने को बिलकुल भी तैयार नहीं थी की चंद्र प्रसाद ये बात कभी नहीं समझेगा, रोमा ने सूरज से बात करने के लिए एक अलग फोने रखा था जो घर मे किसी को पता नहीं था।
रोमा ने सूरज से सिर्फ फोन पर ही बाते किया था और उसका साथ महसूस किया था, ना वो कभी ठीक से मिली थी ना उन दोनों का कभी अच्छे से आमना सामना हुआ था।
लेकिन प्रेम बहुत करती थी, ऐसे ही उसे सूरज भी चाहता था।सूरज भी ये चाहता था की रोमा का उससे ब्याह हो जाये बहुत कहने से चंद्र प्रसाद सूरज के घर जाने के लिए तैयार हुआ साथ मे रोमा के बुआ का लड़का सुशील भी गया क्योंकि रोमा ने बहुत मिन्नतें की थी की सूरज से ब्याह के बारे मे वो उसके पिता को समझाये, उसके कहने से चंद्र प्रसाद तैयार भी हो गया।
जब दोनों लोग जाने के लिए तैयार हो गए, कुछ लोग आस -पास के बड़े बुजुर्ग भी गए।लेकिन जाने का कोई फायदा नहीं हुआ।सूरज कमाता तो बड़े शहर मे था लेकिन उसके पास उस नौकरी के अलावे और ज्यादा कुछ नहीं था। घर मे एक कमरा था और बाकि घर मे दिवार खड़ा करके उस पर सीमेंट टिन रखा था।
चंद्र प्रसाद पहले भी नहीं चाहता था की रोमा का ब्याह वहा करें अब तो जैसे उसे एक मौका भी मिल गया है।
वो वापस आकर रोमा को और पुरे घर को डंडो से मारा। कहने को ये सभी कहते की चंद्र प्रसाद शराब नहीं पीते लेकिन उनकी हरकते सारी किसी शराबी से कम नहीं थी।
अब रोमा ने भागने का मन बना लिया था, वो चाहती है की कोर्ट मे ब्याह कर ले, इस बात से सूरज भी राजी था।
चंद्र प्रसाद लड़का देखने लगा और रोमा का ब्याह सुमेर से तय कर दिया l
चंद्र प्रसाद ने एक रात जब रोमा को फोन पर बात करते सुन गया तो वह रोमा को बहुत मारा। सुबह होते ही रोमा घर से निकल गयी उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या करें। वो अपने गाँव से दूर किसी दूसरे गाँव मे अपने किसी जानने वाले के घर रुक गयी।
अब ये बात पुरे गाँव मे फैल गयी की रोमा घर से भाग गयी है। रोमा निकल जाती कही दूर, लेकिन सूरज बहुत दूर था, रोमा किसके साथ जाती वह अकेले नहीं जा सकती थी। इसलिए वह इन लोगो के घर रुक गयी।रोमा दिनेश चाचा और उनकी लड़किया कविता, सविता को अच्छे से जानती है वो लोग भी रोमा को पसंद करते है। जब ये सारी बाते रोमा कविता और सविता को बताती है, कविता और सविता रोमा की मदत के लिए राजी हो जाती है और उन दोनों ने दिनेश को भी तैयार कर लिया। सूरज को फोने किया वह भी कोर्ट आने के लिए तैयार हो गया, दो दिन बाद उन दोनों का ब्याह होना था कोर्ट मे।
चंद्र प्रसाद रोमा को पुरे गाँव मे ढूंढने लगा, रोमा को ढूंढ़ते हुए वह दिनेश के घर भी आया, लेकिन कविता ने कह दिया की रोमा उनके घर नही है।
चंद्र प्रसाद को इस बात पर सक था की रोमा इतनी जल्दी कहा गुम हो जाएगी, जरूर वो इन्ही के घर मे होंगी, चंद्र प्रसाद बहुत चिंता जता रहा है। वो तरह-तरह की बाते दिनेश और कविता को समझा रहा है, लेकिन उसकी दाल नही गली उसे वहा से जाना पड़ा। लेकिन किसी ने रोमा को दिनेश के घर जाते देख लिया था वह जाकर चंद्र प्रसाद को बता दिया।
दिनेश गाँव के बहुत सभ्य इंसान थे कोई भी उनके बारे मे गलत नहीं कह सकता था। कविता और सविता भी अच्छी लड़किया है उन्हें भी सब बहुत समझदार मानते है। इन सब कारणों की वजह से चंद्र प्रसाद दुबारा दिनेश के घर नहीं आया उसने अपनी पत्नी और लड़कीयों को दिनेश के घर भेजा।
वो सब आई तब कविता और सविता ने रोमा से कहा अगर तुम्हारी मर्जी हो तो तुम वापस अपनी माँ के साथ जा सकती हो। कविता और सविता ने कमला से भी कहा की अगर हो सके तो वो रोमा और सूरज का ब्याह करा दे ।
कमला ने कहा की वो मानेंगे नहीं क्योंकि वो इसलिए ब्याह नहीं करा रहे क्योंकि सूरज के पास जमीन नहीं है, नौकरी का क्या भरोसा कब छुट जाये। कविता ने कहा की अगर ये लोग कोर्ट मे सादी कर लिए तो क्या ये अच्छी बात होंगी और अगर रोमा तैयार है तो आपको इस तरह की बाते करना सोभा नहीं देता, आप रोमा को घर ले जाये और सूरज से ब्याह करवाये।रोमा ने जाने से इंकार कर दिया, उसने कमला से कह दिया की कोर्ट मे ब्याह कर लेगी। कमला थक हारकर वापस चली गयी।
चंद्र प्रसाद ने अपने सारे रिश्तेदरो को सन्देश दे दिया की रोमा अपने मन से कोर्ट मे ब्याह करने जा रही है। एक -एक लोग दिनेश के घर आने लगे और रोमा को अलग अलग तरह से समझने की कोसिस करने लगे पर सभी असफल हो कर चले गए।
दो दिन हो गया रोमा को दिनेश के घर अब कविता और सविता के मन मे कुछ इस तरह की बाते चलने लगी जो वो रोमा से कह नहीं सकती, पर दोनों बहने इसी बात को सोच कर परेशान थी।
वो ये सोच रही थी की रोमा को उसके घर वालो से इस तरह दूर करना अच्छी बात नहीं है। अगर सूरज को कुछ हो जाता है या फिर सूरज कल को अगर रोमा को मारने पीटने लगा, तो कौन रोमा के पक्ष मे खड़ा होगा, पुरे गाँव मे बात फैल चुकी है सब क्या सोचेंगे!?बस अब एक दिन बचा है रोमा के ब्याह मे पूरा दिन ये सोचते गुजर गया बस अब रात बची है, इसमें अगर रोमा का मन ना बदला तो अनर्थ हो जायेगा।
रात को सभी भोजन कर ही रहे थे तभी रोमा की छोटी बहन मिकी आई और हड़बडाते स्वर मे बोली की अम्मा को पता नहीं क्या हो गया है बस रोये जा रही है। रोमा झट से उठी और बाहर की तरफ निकल गयी। सविता ने पूछा कहा जा रही हो, रोमा ने कहा की सूरज से कहना की रोमा ब्याह नहीं कर सकती वो अम्मा को नहीं छोड़ सकती।
इतना कहते हुए रोमा अपने घर चली गई और घर वालो की मर्जी से उसका ब्याह दूसरी जगह हो गया।