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कर्म पथ पर - 65



कर्म पथ पर
Chapter 65




पूरी तरह से सारी बातें पता करने के बाद हंसमुख ने सारी जानकारी लखनऊ लौट कर इंद्र को दे दी। सब जानकर इंद्र की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसे लगा कि अब उसके सपने पूरे होने का समय निकट है। उसने हंसमुख को शाबाशी देते हुए कहा,
"बहुत खूब...तुमने बहुत अच्छा काम किया है। अब बस तैयारी करो। मैं तुम्हें कुछ ही दिनों में बंबई से चलूँगा। फिर तुम सिनेमा जगत का माना हुआ नाम बनोगे।"
हंसमुख खुशी खुशी अपने घर चला गया। इंद्र इस बात पर विचार करने लगा कि जो सूचना उसके पास है उससे वह अधिकतम लाभ कैसे उठाए। इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने उससे वादा किया था कि काम हो जाने पर वह उसे बड़ा इनाम दिलवाएगा। उसी इनाम के लालच में इंद्र ने वृंदा का की खोज करवाई थी।
अब जब उसे वृंदा का पता चल गया था तो उसे लग रहा था कि उसकी सफलता का श्रेय इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर को क्यों मिले ? वृंदा का पता सही मायनों में तो उसने लगाया है।‌ इसलिए यह अच्छा होगा कि वह इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर को इस सफलता की सूचना देने की बजाय सीधे हैमिल्टन से जाकर मिले। उसे इस बात की सूचना दे कि वृंदा का पता चल चुका है। वह अपनी शर्तों पर हैमिल्टन को वृंदा कहाँ है उस जगह का पता बताए।
इंद्र इंस्पेक्टर वॉकर को कुछ बताने की जगह खुद ही हैमिल्टन की हवेली की तरफ चल दिया।

इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर को हैमिल्टन ने अपनी हवेली पर बुलाया था। वह हैमिल्टन के आदेश को टाल नहीं सकता था इसलिए उसके सामने खड़ा था। उसके पास बताने के लिए कुछ नहीं था। लेकिन हैमिल्टन ने जब उससे सवाल किया कि वृंदा के बारे में क्या पता चला तो उसे कहना पड़ा कि उसने अपने आदमी लगा रखे हैं। जल्द ही वह उसके बारे में सारी जानकारी लाकर देंगे। उसकी इस बात पर हैमिल्टन भड़क गया। उसने दांत पीसते हुए कहा,
"मैंने सोचा था कि तुम एक काबिल पुलिसवाले हो। बट यू आर गुड फार नथिंग। गेट लॉस्ट....नैवर शो मी योर फेस...."
इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर के लिए यह एक बड़ा अपमान था। वह खून का घूंट पीकर रह गया। बिना कुछ कहे हैमिल्टन की हवेली से निकल गया।
जब वह अपनी जीप की तरफ जा रहा था तो उसने इंद्र को हवेली के दरबान को कुछ समझाते हुए देखा। दरबान उसे गेट पर खड़े रहने को कह कर हैमिल्टन को उसके आने की सूचना देने जा रहा था। इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने देखा कि इंद्र बहुत खुश नज़र आ रहा है। वह समझ गया कि इंद्र उसे धोखा दे रहा है। वह फौरन एक पेड़ के पीछे छिप गया ताकि इंद्र उसे ना देख सके।
दरबान ने इंद्र को अंदर भेज दिया। इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर पेड़ के पीछे से निकल कर खुद भी अंदर चला गया। आड़ में खड़े होकर वह हैमिल्टन और इंद्र की बातचीत सुनने लगा।
इंद्र हैमिल्टन से कह रहा था,
"हैमिल्टन साहब मुझे आपकी दुश्मन वृंदा का पता चल गया है।"
हैमिल्टन ने गंभीर आवाज़ में कहा,
"अगर तुम्हारी बात झूठ हुई तो तुम्हारी खैर नहीं।"
"बात एकदम सच है। मुझे पता है कि आपके खिलाफ ऊटपटांग लिखने वाली वृंदा कहाँ छिपी हुई है। मैं आपके रसूख को जानता हूँ। झूठ क्यों बोलूँगा।"
"तो बताओ कहाँ है वह लड़की ?"
"हैमिल्टन साहब बड़ी मुश्किल से मैंने उसे खोजा है। इसके बदले में मुझे भी तो कुछ मिलना चाहिए।"
उसकी बात सुनकर हैमिल्टन ने उसे घूर कर देखा। कड़क आवाज़ में बोला,
"क्या मतलब है तुम्हारा ?"
"बस अगर आप इस खबर के बदले में मुझे भी फायदा पहुँचाएं तो आपकी बड़ी कृपा होगी।"
हैमिल्टन ने ऊँची आवाज़ में कहा,
"तुम मुझसे सौदेबाज़ी करने आए हो। इतनी हिम्मत तुम्हारी।"
इंद्र डर कर बोला,
"हैमिल्टन साहब आप तो जानते हैं कि मैं अंग्रेज़ी हुकूमत का हिमायती हूँ। आप विलास रंगशाला में मुख्य अतिथि बन कर आए थे। वहाँ मेरा नाटक ही मंचित हुआ था। मैंने उस नाटक के ज़रिए बताया था कि अपने आप को क्रांतिकारी कहने वाले भटके हुए लोग हैं। वह बेवजह अंग्रेज़ों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। अब मैं फिल्मों के ज़रिए यही संदेश जनता तक पहुँचाना चाहता हूँ। उसके लिए ही मदद चाहता हूँ।"
हैमिल्टन ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। वह बोला,
"मुझे उस सबमें कोई दिलचस्पी नहीं है। बस यह बताओ कि वृंदा कहाँ है ?"
इंद्र ने उसे समझाने का प्रयास किया,
"हैमिल्टन साहब इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर चाहता था कि मैं सारी सूचना उसे दे दूँ। जिससे वह इसके बदले में आपसे फायदा उठा सके। पर सर जब मेहनत मेरी है तो फायदा वह क्यों उठाए।"
आड़ में छिपे इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने जब इंद्र की बात सुनी तो वह जल उठा। उससे रहा नहीं गया। वह अंदर आकर बोला,
"ही इज़ अ लायर... मैं आपसे कोई फायदा नहीं उठाना चाहता था। फायदा यह उठाना चाहता था इसलिए मुझे कुछ ना बता कर आपके पास आया है।"
इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर को देखकर इंद्र घबरा गया। उसे लगा कि उसकी सारी योजना पर पानी फिर गया। हैमिल्टन शांत बैठा था। वह समझ गया था कि वृंदा का पता उसे मिल जाएगा।
इंद्र ने अपनी सफाई देते हुए कहा,
"हैमिल्टन साहब आप मेरी बात का यकीन कीजिए। मैं आपके साथ कोई धोखा नहीं कर रहा हूँ। आप थोड़ा बहुत जो दे देंगे मैं खुशी से रख लूँगा।"
हैमिल्टन ने उसकी बात को अनसुना कर इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर से कहा,
"अपने आप को साबित करना है तो इससे वृंदा का पता मालूम कर उसे मेरे सामने पेश करो।"
इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने इंद्र की तरफ देखा। उसकी आँखों से चिंगारियां निकल रही थीं। इंद्र अब पछता रहा था कि क्यों ज्यादा का लालच कर यहाँ आया। इससे तो अच्छा होता कि इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर को सब बता देता। यह हैमिल्टन तो बहुत ही घाघ है। अब तो कुछ भी मिलने की उम्मीद नहीं है। उसे सब कुछ बताना ही पड़ेगा।
इंद्र की दशा उस बकरी की तरह थी जो अधिक घास के लालच में शेर की गुफा में घुस गई थी। अब शेर के पंजे से बचने का कोई उपाय नहीं था। इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने उसे धमकाते हुए कहा,
"अब सब सच सच बताओ। नहीं तो हैमिल्टन साहब की हवेली में जबरन घुसने के इल्ज़ाम में गिरफ्तार कर लूँगा। उसके बाद और ना जाने कितने इल्ज़ाम लगा कर जीवन भर जेल में सड़ाऊँगा।"
हैमिल्टन बैठा मुस्कुरा रहा था। इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने एक बार फिर इंद्र को घुड़की दी। डर कर उसने सब बता दिया।
सब बताने के बाद इंद्र बोला,
"मैंने आपको सब सच सच बता दिया है। अब मुझे जाने दीजिए।"
उसकी बात सुनकर हैमिल्टन ने इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर से कहा,
"दिस ब्लडी इंडियन ट्राइड टू बारगेन विद मी....इसको ऐसा सबक सिखाओ कि इसे हमेशा याद रहे। जो तुम कह रहे थे वही करो। मेरी हवेली में घुस कर मुझ पर हमला करने के इल्ज़ाम में इसे जेल भिजवा दो।'
इंद्र के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह तो बहुत से सपने लेकर आया था। पर यहाँ नौबत जीवन भर जेल में सड़ने की आ गई थी। वह सोच रहा था कि एक बार यदि जेल चला गया तो फिर बाहर आने का कोई रास्ता ही नहीं रह जाएगा। वह गिड़गिड़ाते हुए बोला,
"मुझसे गलती हो गई। पर अब ऐसा नहीं होगा। मैं आपका गुलाम बन कर रहूँगा। मुझे छोड़ दीजिए।"
पर उसकी बात किसी ने नहीं सुनी। इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने अपने दो कांस्टेबल को बुलवा लिया। इंद्र को अपनी जीप में बैठा कर वह हैमिल्टन की हवेली से ले गया।
जीप में बैठे हुए इंद्र उस घड़ी को कोस रहा था जब लालच में आकर वह इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर का साथ देने को तैयार हो गया था। उसके मन में खयाल आ रहा था कि एक हिंदुस्तानी इनके साथ चाहे कितना भी दोस्ताना व्यवहार करे। इनके लिए वह उनका गुलाम ही रहेगा। अपना काम निकल जाने पर कितनी आसानी से उस हैमिल्टन ने कह दिया कि इसे जेल में डाल कर सड़ा दो। अपनी हालत पर उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे।
इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर मन ही मन सुलग रहा था। इंद्र ने उसे धोखा दिया था। वह इस बात का बदला लेना चाहता था। उसने इंद्र को रोते हुए देखा तो हंसकर कहा,
"मुझसे चालाकी करने चले थे। तुम हिंदुस्तानी बहुत जल्दी अपनी औकात भूल जाते हो। पर याद रखो। हम तुमसे हर मामले में ऊपर हैं। सज़ा देने में भी।"
इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने ड्राइवर को आदेश दिया कि जीप किसी सुनसान जगह पर ले चलें। इंद्र समझ गया कि वृंदा की तरह उसे भी गिरफ्तार ना कर कहीं और ले जाया जा रहा है। जहाँ उसे मार दिया जाएगा। पर वह जानता था कि अब गिड़गिड़ाने से कुछ नहीं होगा। मरते हुए वह इन लोगों के सामने झुकना नहीं चाहता था। उसने मन ही मन वृंदा से क्षमा मांगी। अपने आंसू पोंछे और शांत होकर बैठा गया।
इंद्र को एक सुनसान जगह पर ले जाया गया। जीप से उतार कर इंस्पेक्टर जेम्स वॉकर ने उसे गोली मार दी। फिर उसकी लाश को एक गड्ढे में फिकवा दिया।