ANMOL RISHTE (Part-2) books and stories free download online pdf in Hindi

अनमोल रिश्ते (Part-2)

आदमी:- तु किस के site में बोल रहा है
भाई ? तु मेरा दोस्त है या उसकी ?

दोस्त:-
माना की में अनजान हुं
पहचान नहीं,
पर भाई में इनसान हुं
कोई जानवर नहीं ।
दुनियां देखा है मेने
कोई अन्धा नहीं,
पर जो समझा मेने
सायद तु समझा नहीं ।
ये बो लेडकी जिसकी
पेट से तु निकला है,
वो तेरा माँ थी
ये तेरा बीबी है,
पर बात तो एक ही है
ये बो लेडकी जीसके
साथ तु बचपन गुजारा है,
वो तेरा बेहेन थी
ये तेरा बीबी है,
पर बात तो एक ही है।
ये वो लेडकी है जीसको
तु चिडाया है,
वो तेरा दोस्त थी
ये तेरी बीबी है,
पर बात तो एक ही है।
ये वो लडकी है जिसकी
साथ तु सादी रचाया है,
वो किसी आैर का बेटी थी
अब तेरा बीबी है,
पर बात तो एक ही है।
रीस्ते और भाब
बदल जाता है,
पर लडकी नाम से ही
उसे दुनियां बुलाता है।
क्या कुछ नहीं किया
उस लेडकी ने,
घर माँ बाप छोङदिया पर
क्या मिला उसको बदले में ।
सपना भर के
लाई थी आखों में,
उसको क्या दिया
इस दुनियां ने ।
बोलने से रोकता है,
करने से टोकता है,
जिये तो कैसे जिये
वही वो सोचता है ।
बिस्वास नहीं तो चल् जा
जाके पुछ क्या है तेरी दिल में?
जवाब आयेगा कुछ नहीं
बास थोडी सी आरजु थी
पर अब ठीक हुं तुम्हारे सामने ।
जो सब कुछ सेहकर भी
एक लब्ज नहीं बोला,
आज तु केहता है वही
तुझको दिया ये सिला ।
एक बार तो
झाकं कर देख पगले,
अर कोइ नहीं तु ही तु
होगा उनकी दिल में ।

दोस्त:- भाई देख कभी कभी हमको येसा लगता है की हम सही है पर बाद में पता चलता है की हम गलत थे । कोई अपने आप बुरा नहीं बनता मेरे भाई ।उसको बुरा बनाने में सबसे पेहला हात हमारा है । हम अपने परेसानी को उसके उपर थोप देते हैं ।
वो कैसा है, उसको क्या चाहीये ये नहीं सोचते हैं । सोच भाई अगर हमे कुछ अच्छा नहीं लगता है तो हम अपने गुस्सा उसपे उतार देते हैं पर वो किसके उपर उतारेगा ? तब भी वो चुप रेहता है । पर कभी वो कुछ बोलदे तो बुरा बन जाती है । ये कैसा रिस्ता है भाई जहां सिफ् अपनी खुशींया देखा जाता है ?उसका कोई भेलु नहीं है क्या? वो भी इनसान है भाई उसकी भी परेसानी है । अगर वो हमको समझता है तो हमारा भी फर्ज बनता है हम भी उसे समझे । तु समझ गया ना भाई में क्या बोलना चाहता हुं ?

आदमी:- हां मेरा भाई समझ गया । thanks yaar i love you. अब में चलता हुं ।

दोस्त:- आरे पेहले बताके तो जा क्या समझा ?

आदमी:- यही की तु कितना लुच्चा है यार । आरे में मजाक कर रहा था पर सही
बोला यार ।

:- जीन्देगी की गाडी
चलता है रिस्तो से,
थोडी टकरार आैर
थोडी नादानी से ।
युहीं नहीं कटती राहे
सिफ् मिठी बातो से,
अगर कुछ पाना चाहते हो
तो समझना भी जरूरी है।