ANMOL RISHTE - 3 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

अनमोल रिश्ते (Part-3) - अंतिम भाग

इस अनमोल रिस्ते की part-1,
part-2 तो पेहले आप लोग पढलीये
होगें । अब में इस रिस्ते का आखीर part लीखने जा रही हुं । इसके बाद ये कहानी complete हो जायेगी ।

जब में ये कहानी रिस्तों के उपर लीख रही हुं तो क्युं ना में रिस्तों के बारे में एक दो लाइन बोल दुँ । तो अब में रिस्तों के बारे में कुछ लब्ज केहना चाहुंगी । रिस्ते बहत नाजुक होते हैं । इसलिए मेरी हिसाब से रिस्ता कोई भी हो पर उसे बहत अच्छे से निभाना चाहीये ।


चलो रिस्तों की खातीरदारी बहत हुई अब कहानी की तरफ बढते हैं । अबतक जो की part-1 और part-2 में आप लोग पढ़े की आदमी और उसकी बीबी के रिस्ते में जो गलतफामीयां थी उसको आदमी का दोस्त ने साफ करदीया । उसको समझा दिआ की रिस्ते कैसे बनती हैं और उसे कैसे सम्भाला जाता है । आदमी भी अपने दोस्त की बात को समझा और अपनी गलती का येहेसास् भी हुआ उसको । अब आगे बढते हैं......

(आदमी अब अपने गलती का यहेसास् करके अपना दोस्त को माफी मांगता है l और हडबडी से गाडी में बेठ जाता है l अब मुसकराते हुये अपना दोस्त को Thank you बोलकर चला गया । पर अब वो पेहले से बहत खुस नजर आता था । )


दोस्त:- उसने क्या समझा पता नहीं पर बो खुस है ये काफी है । अब में भी जाता हुं पर जाते जाते ये बोलना चाहुंगा की ताली एक हात से नहीं बजती है । अगर कीसीका कसुर देखते हो तो दोनो तरफ से देखना
चाहीये l यैसा नहीं की एक तरफ का बातें सुुुना और दुसरी तरफ की बातें सुने बिना ही फएसला करलिया । यैसा नहीं होता है यार हर बक्त हम सही नहीं हो सकते हैं । कभी कभी हम भी गलत हो जाते हैं l फिर चाहे वो गुस्से में हो या समझदारी से l हर इनसान से गलती होता है, पर ना सुधरना एक
गुनाह है l


तो हो जाये कुछ रिश्ते के नाम......

:- ये रिस्ते अनमोल है
जीन्देगी में,
पैसा गाडी बगंला नहीं है
तो क्या हुआ मेरे जागीर में ।


अब आदमी ने अपने घर आया । साथ में कुछ गुलाब के फुल भी लाया था । गाडी से उतरा, जाके door bell knock किया । काफी देर तक बजाते रहा पर अन्दर से कोई दरबाजा खोलने नहीं आया । आदमी फिर से knock किया । अब भी कोई नहीं आया दरबाजा खोलने । आदमी घबरा गया । अपनी बीबी की नाम लेकर बुलाया । जब कोई आवाज नहीं आयी तो वो वही बैठगया और रोने लगा । वो रो रो के याद किया सारे बाते । केहके गया था वो में जब आयुगीं तुम अपना मुहँ मत दिखाना मुझे । इतनी छोटी छोटी बातों से बात काहाँतक पहुंचगयी ये अन्दाज् लगा रही थी वो । बहत चिल्लाया खुद पर, रोया जोर जोर् से और फिर खडा हुआ । दरबाजा तोडा तो देखा उसकी बीबी वहां नीचे पडी थी । उसकी सिर से खुन निकल रही
थी । आदमी ने अपने बीबी को गोद में लिया और उसको बुलाने लगा । वो बेहोस् पडी थी इसलिए कुछ जबाब नहीं दी । आदमी ने बोला तुम्हे कुछ नहीं होगा । में सब कुछ ठीक कर दुगीं । ये बोलते ही अपने बीबी को निचे से उठाया और बाहार लेके गाडी में डाला और Hospital निकल गया । Hospital में उसकी इलाज हुई । Doctor ने बोला सर पर गेहरी चोट है, कुछ कहा नहीं जा सकता । पर आदमी ने हीम्मत नहीं हारी । उसे यकीन् था अपने बीबी को कुछ नहीं होगा । फिर भी Doctor के बाते सुनकर उसे थोडा sock
लगा ।

आदमी अपनी बीबी के पास बैठा
था । लगभग चार धन्टे हो गये । बैठे बैठे कुर्सी पर आदमी की आखं लग गया था । उसकी बीबी की होस् चार घन्टे के बाद आयी ।

भार्गबी जब अपनी आँख खुली तो उसकी पास अपनी पती को देखा । उठना चाहाँ तो देखा अपनी हात को पकङ के उसकी पती ने बैठा है । आदमी ने सोया था इसलिए उसकी बीबी उसको जगाया नहीं ।
( कुछ बक्त) ये कोइ आधा घन्टा या एक घन्टे बाद आदमी ने नींद से जागा । आखं खुलके देखा तो उसकी बीबी ने उसको एकदम ध्यान से देख रही थी और उस बक्त उसकी आखों से आशुं नीकल आयी । आदमी ने देखा पर कुछ बोला नहीं । झट् से गले लगा लिया और बोलने लगा तुम रो मत । में अब सुधरगया हुं । मुझे माफ नहीं करोगे क्या ? में वादा करता हुं तुम्हे अब कोई तकलीफ नहीं दुंगा । में तुम्हे अब बहत प्यार दुगां सच्ची । उसकी बीबी बहत खुस हो जाती है । बोलती है तुम्हे क्या लगता है ? में ये सब आपसे दुर जाने केलिए की थी । आरे ये तो एक हातसा थी । में जब सीडीयों से निचे आ रही थी दरबाजा खोलने तो मेरी पैर फीसल गयी । और में निचे गिर गयी । मेरी सर निचे टकरायी और में बेहोस होगेयी । आदमी बोलता है कुछ भी हो पर में अब तुम्हे कहीं भी जाने नहीं दुंगा । अपना पास रखुंगा हमेशा हमेशा केलिए । भार्गबी बोलती है पेहले में ठीक तो हो जाउँ । दोनो मुसकुराते हैं ।

4days later........

अब उस आदमी की पत्नी बिलकुल ठीक हो गयी है और Doctor भी उनको Discharge कर दीये हैं । अब वो दोनो साथ में खुस थे । ना कोई लढाई झगडा, ना कोई रुखापन । उनकी बीच में अब सारे गलतफामीयां दुर हो गेयी थी । अब सीफ् प्यार ही प्यार था ।

हाँ हर घर में तो थोडी बहत झगडा होती रेहती है पर उसे अच्छे से सम्भाल लेना भी एक तराह का प्यार है । यही तो हैं अनमोल रिश्ते l


* END *