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एनीमल फॉर्म - 2

एनीमल फॉर्म

जॉर्ज ऑर्वेल

अनुवाद:

सूरज प्रकाश

(2)

तीन रात बाद जनाब मेजर नींद में ही चल बसे। उनका शव फलोद्यान के आगे दफना दिया गया।

मार्च का महीना शुरू हो चुका था। अगले तीन महीनों के दौरान वहां काफी गुपचुप सरगर्मियां चलती रहीं। मेजर के भाषण ने बाड़े के अधिक बुद्धिमान पशुओं को जीवन के एक बिल्कुल नये नजरिये से परिचित करा दिया था। उन्हें पता नहीं था कि मेजर ने जिस बगावत की भविष्यवाणी की थी, वह कब होगी। यह सोचने के लिए उनके पास कोई कारण भी नहीं थे कि यह बगावत उनके जीते जी होगी भी या नहीं, लेकिन एक बात उनके सामने बिल्कुल साफ थी कि इस बगावत के लिए खुद को तैयार रखना उनका फर्ज है। स्वाभाविक था कि दूसरों को सिखाने-पढ़ाने का और संगठित करने का कार्य भार सूअरों के कंधों पर आ पड़ा। वही थे जिन्हें आम तौर पर सभी पशुओं से ज्यादा चतुर माना जाता था। सूअरों में से भी जो ज्यादा उल्लेखनीय थे, वे स्नोबॉल और नेपोलियन नाम के दो युवा सूअर थे जिनको बधिया नहीं किया गया था। इन्हें मिस्टर जोन्स बेचने की नीयत से पाल रहा था। नेपोलियन कद-काठी में बड़ा, दिखने में खूंखार वर्कशायर का सूअर था। वह बाड़े में वर्कशायर का अकेला जीव था। वह बहुत ज्यादा बात नहीं करता था, लेकिन अपनी मरजी के मालिक के रूप में वह विख्यात था। स्नोबॉल नेपोलियन की तुलना में ज्यादा जिन्दादिल सूअर था। बातचीत में तेज और खूब आविष्कारशील। लेकिन उसके बारे में यह समझा जाता था कि उसमें चरित्र की उतनी गहराई नहीं है। बाड़े पर और जितने भी सूअर थे, वे सब मांस के लिए पाले जाने वाले सूअर यानी पोर्क थे। उनमें से जो सबसे ज्यादा नामीगिरामी था, एक छोटा-सा स्क्वीलर नाम का मोटा सूअर था। वह भरे-भरे गालों, मिचमिचाती आंखों और फुर्तीले शरीर और कर्णभेदी आवाज का मालिक था। वह बातचीत में एकदम उस्ताद था। वह जब भी किसी मुश्किल मुद्दे पर बहस करता तो वह दाएं-बाएं फुदकता रहता और अपनी पूंछ तेजी से हिलाता रहता। वैसे उसकी पूंछ बहुत आकर्षक थी। स्क्वीलर के बारे में दूसरों का कहना था कि वह इतना माहिर है कि काले को सफेद में बदल सकता है। इन तीनों ने मिलकर जनाब मेजर के उपदेशों को एक पूर्ण विचारधारा के रूप में परिष्कृत किया और इसे उन्होंने पशुवाद का नाम दिया। मिस्टर जोन्स के सो जाने के बाद सप्ताह में कई-कई रातें जाग कर वे बखार में गुप्त बैठकें करते रहे और पशुवाद के सिद्धांत दूसरों को समझाते रहे। शुरू-शुरू में उन्हें बेहद मूर्खता और उदासीनता का सामना करना पड़ा। कुछ जानवरों ने मिस्टर जोन्स, जिसे वे मालिक कहते थे, के प्रति कर्त्तव्य का, निष्ठा का वास्ता दिया या इस तरह की मौलिक टिप्पणियां की ’मिस्टर जोन्स हमारा भरण-पोषण करता है अगर वही चला गया तो हम भूखों मर जाएंगे। दूसरों ने इस तरह के सवाल किए कि हम इस बात की चिंता क्यों करें कि हमारे मरने के बाद क्या होता है? या यदि किसी तरह यह बगावत होती है तो इससे क्या फर्क पड़ता है कि हमने इसके लिए काम किया या नहीं। उनके भेजे में यह बात बिठाने में सूअरों को खासी मेहनत करनी पड़ी कि ऐसा सोचना पशुवाद की भावना के खिलाफ है। सबसे अधिक मूर्खतापूर्ण सवाल सफेद घोड़ी मौली पूछती थी। स्नोबॉल से सबसे पहला सवाल उसने यही किया कि क्या बगावत के बाद गुड़ मिलेगा?‘

’नहीं, ’स्नोबॉल ने कड़ाई से उत्तर दिया, ’इस बाड़े में गुड़ बनाने के लिए हमारे पास कोई साधन नहीं है। इसके अलावा तुम्हें गुड़ की क्या जरूरत? तुम्हें जितनी चाहिए जई और सूखी घास मिलेगी।‘

’और क्या मैं तब भी अपनी अयाल पर रिबन लगा सकूंगी?‘ मौली ने पूछा।

’कॉमरेड‘, स्नोबॉल का जवाब था, ’ये रिबन जिसके पीछे तुम इतनी पागल रहती हो, गुलामी के बिल्ले हैं। तुम्हें इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि स्वतंत्रता रिबनों से कहीं अधिक मूल्यवान होती है।‘

मौली सहमत तो हो गयी, लेकिन वह बहुत अधिक कायल नहीं लग रही थी।

सूअरों को पालतू काले कव्वे मौसेस द्वारा फैलायी गयी झूठी-झूठी बातों का खण्डन करने में खासी मेहनत करनी पड़ती। मौसेस, जो कि मिस्टर जोन्स का मुंह लगा था, असल में जासूस था और चुगली करता फिरता। इसके बावजूद वह बातचीत में माहिर था। उसका दावा था कि वह एक ऐसे रहस्यमय पहाड़ के बारे में जानता है कि जिसका नाम मिसरी पर्वत है और मरने के बाद सभी जानवर वहीं पहुंचते हैं। यह पर्वत बादलों से परे थोड़ी ही दूर आकाश में कहीं स्थित है। मौसेस का कहना था कि मिसरी पर्वत पर सप्ताह के सातों दिन रविवार रहता है और तिपतिया घास तो वहां साल के हर मौसम में उगती है। गुड़ की भेली और अलसी की खली तो वहां बाड़ों पर उगती है। सभी पशु मौसेस से नफरत करते थे क्योंकि वह बातें तो बहुत बनाता था लेकिन काम धेले का नहीं करता था। लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो मिसरी पर्वत पर विश्वास करते थे। सूअरों को तर्क देकर उन्हें मनाने में खासी मेहनत करनी पड़ती कि कहीं कोई ऐसी जगह नहीं है।

उनके सबसे अधिक निष्ठावान चेले गाड़ी में जोते जाने वाले दो घोड़े, बौक्सर और क्लोवर थे। इन दोनों के साथ यही सबसे बड़ी दिक्कत थी कि वे अपने आप कुछ भी नहीं सोच पाते थे। लेकिन एक बार सूअरों को अपना गुरू स्वीकार कर लेने के बाद उन्हें जो कुछ भी बताया गया, उन्होंने सब ग्रहण कर लिया, और उसे सरल तर्क़ों द्वारा दूसरे पशुओं तक पहुंचाया। वे बखार में होने वाली गुप्त बैठकों में बिना नागा आते और इंग्लैण्ड के पशु गीत गवाते। बैठकें हमेशा इसी गीत के साथ समाप्त होती थीं।

अब हुआ यह कि बगावत किसी की भी उम्मीद से बहुत पहले और आसानी से हासिल कर ली गयी। पिछले वर्ष़ों के दौरान मिस्टर जोन्स कठोर मालिक होने के बावजूद एक समर्थ किसान था। लेकिन इधर कुछ अरसे से उसके दुर्दिन चल रहे थे। एक मुकदमे में पैसे गंवाने के बाद उसका दिल एकदम टूट गया था। उसने अपनी सेहत की परवाह किए बगैर बेतहाशा शराब पीना शुरू कर दिया था। वह सारा-सारा दिन रसोईघर में अपनी विण्डसर कुर्सी पर पसरा रहता। अखबार पढ़ता, पीता रहता और कभी-कभी बीयर में भिगोये डबलरोटी के टुकड़े मौसेस को खिलाता। उसके नौकर चाकर सुस्त और बेईमान थे। खेतों में खर-पतवार उग आयी थी। इमारतों की छतें छाने की जरूरत थी, बाड़ें देखभाल मांगती थीं और पशुओं को पूरा खाना नहीं मिल रहा था।

जून आ चुका था और सूखी घास की फसलें कटाई के लिए एकदम तैयार थीं। ग्रीष्म ऋतु के मध्य के रात यानी 24 जून को शनिवार के दिन मिस्टर जोन्स विलिंगडन गया और ’रेड लॉयन बार‘ में बैठकर इतनी पी कि रविवार की दोपहर तक वापिस नहीं आया। उसके नौकर-चाकर सुबह-सुबह गायों का दूध दुहने के बाद खरगोशों का शिकार करने निकल गए। उन्हें इस बात की रत्ती भर भी परवाह नहीं थी कि कि पशुओं का दाना-पानी भी करना है। मिस्टर जोन्स वापिस लौटते ही तुंत ड्राइंग रूम के सोफे पर सोने चला गया। अपना मुंह उसने ’न्यूज ऑफ द वर्ल्ड‘ अखबार से ढक लिया। इसलिए, जब शाम हुई तब भी पशु बगैर चारे-पानी के खड़े थे। हालत यह हो गयी कि उनसे और रहा नहीं गया। एक गाय ने भण्डार घर का दरवाजा अपने सींगों से तोड़ डाला। और सभी पशुओं ने डिब्बों, पीपों में से खुद लेकर खाना शुरू कर दिया। इसी समय मिस्टर जोन्स की आंख खुल गयी। अगले ही पल वह और उनके चारों नौकर भण्डार घर में थे। उसके हाथों में कोड़े थे। आते ही उन्होंने चारों तरफ कोड़े बरसाने शुरू कर दिए। भूखे-प्यासे पशु इससे ज्यादा बरदाश्त नहीं कर सकते थे। एक आम सहमति से, हालांकि इस बारे में पहले से कुछ भी तय नहीं किया गया था, सब पशुओं ने अपने अत्याचारियों पर हमला बोल दिया। मिस्टर जोन्स और उसके आदमियों ने अचानक पाया कि उन पर चारों ओर से घूंसों, लातों की बरसात हो रही है। स्थिति पूरी तरह उनके नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी। इन्होंने कभी पशुओं को इस तरह का बर्ताव करते हुए नहीं देखा था। अब तक तो वे जब मन चाहा इन प्राणियों पर कोड़े फटकारने और उन्हें पीटने के ही आदी थे। इस तरह अचानक इन प्राणियों के उठ खड़े होने ने उन लोगों के तो होश ठिकाने लगा दिए। उन्हें डरा दिया।

एक-दो पलों के बीतते न बीतते वे पांचों मुख्य सड़क की तरफ जाने वाले बैलगाड़ी के रास्ते पर जान बचाते हुए सरपट दौड़ रहे थे। उनके पीछे विजय की हुंकार भरते हुए पशु बढ़े चले जा रहे थे।

जब मिसेज जोन्स ने अपनी खिड़की से यह सब होते देखा तो उसने लपक कर एक थैला उठाया, उसमें फटाफट कुछ काम की चीजें ठूंसीं और चुपके से दूसरे रास्ते बाड़े से बाहर निकल गयी। मौसेस अपनी टांड से फुदका और जोर-जोर से कांव-कांव करता उसके पीछे पंख फड़फड़ाने लगा। इस बीच पशुओं ने मिस्टर जोन्स और उसके आदमियों को सड़क पर खदेड़ दिया और उनके पीछे पांच सलाखों वाला गेट भड़ाक से बंद कर दिया। और इस तरह, इससे पहले कि वे समझ पाते कि यह क्या हो गया, बगावत की विजय का बिगुल बज चुका था। जोन्स खदेड़ा जा चुका था। मैनर फार्म अब उनका था।

पहले कुछ पल तो पशुओं को अपने सौभाग्य पर विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने पहला काम ये किया कि एक झुण्ड बनाकर यह देखने के लिए बाड़े की चहारदीवारी का चक्कर लगाया कि कहीं कोई आदमी तो इस पर नहीं छुपा बैठा है। इसके बाद वे दौड़ते हुए बाड़े की इमारतों की तरफ आए ताकि वहां से जोन्स के घृणित शासन की चीजों का आखिरी नामो-निशान ही मिटा दें। अस्तबलों के सिरे पर बना साज-सामान का कमरा तोड़कर खोल दिया गया। लगामें, नकेलें, कुत्तों की जंजीरें, वे डरावने चाकू-छुरियां जिनसे मिस्टर जोन्स सूअरों और मेमनों को बधिया किया करता था, इन सारी चीजों को कुंए में उछाल दिया गया। लगाम की रस्सियां, गल-फांसियां, घोड़ों की आंखों पर बांधी जाने वाली पट्टियां, अपमानजनक तोबड़े इन सारी चीजों को आंगन में जल रही कूड़े करकट की आग के हवाले कर दिया गया। यही हाल कोड़ों का हुआ। जब पशुओं ने कोड़ों को आग की लपटों में देखा तो सब खुशी के मारे कुलांचें भरने लगे। स्नोबॉल ने उन रिबनों को भी आग के हवाले कर दिया जिनसे हाट-बाजार के दिनों में घोड़ों की अयालों और पूंछों को अक्सर सजाया जाता था।

उसका कहना था, ’रिबन को वस्‍त्र माना जाना चाहिए, ये मनुष्य जाति की निशानियां हैं। सभी पशुओं को नंगा रहना चाहिए।‘

जब बॉक्सर ने यह सुना तो वह लपककर घास फूस का बना अपना नन्हा हैट ले आया और इसे भी बाकी चीजों के साथ-साथ आग में झोंक दिया। इस हैट को लगाकर वह गर्मियों में मक्खियों से अपने कान बचाता था।

कुछ ही क्षणों में पशुओं ने वे सारी चीजें नष्ट कर दीं जो उन्हें मिस्टर जोन्स की याद दिलाती थीं। नेपोलियन तब सबको लेकर भण्डार घर में गया और सबको मकई का डबल राशन दिया। कुत्तों को दो-दो बिस्किट मिले। इसके बाद उन्होंने शुरू से आखिरी तक लगातार सात बार ’इंग्लैण्ड के पशु‘ वाला गीत गाया और फिर सब सोने चले गए। आज जैसी नींद उन्हें इससे पहले कभी नहीं आयी थी।

लेकिन अगली भोर वे हमेशा की तरह उठे। उन्हें अचानक अपने जीवन में घटी इस शानदार घटना की याद आयी। वे सब चरागाह की तरफ लपके। चरागाह से थोड़ा-सा ही आगे एक टेकरी थी जिससे लगभग पूरे बाड़े का नजारा दिखाई देता था। सभी पशु इस टेकरी पर चढ़ गए और प्रभात वेला की साफ रोशनी में चारों तरफ निहारने लगे। हां, यह अब अपना है। जहां तक नजर जाती है, वहां तक सब कुछ अपना है। इस विचार से भावविभोर होकर वे गोल-गोल घूमने लगे। आनंद और उल्लास के मारे हवा में खुद को उछालने लगे। कुलांचे भरने लगे। ओस भीगी जमीन पर लोटने लगे। उन्होंने गर्मी की मीठी घास को मुंह भर-भर कर खाया।

उन्होंने काली मिट्टी के ढूह हवा में उछाले और उसकी मदमस्त गंध को अपने फेफड़ों में भरा। इसके बाद उन्होंने पूरे बाड़े का निरीक्षण करने की नीयत से दौरा किया और कृषि योग्य जमीन, घास के मैदान, फलोद्यान, तलैया, झुरमुट का मूक सराहना के साथ मुआयना किया। ऐसा लगता था कि इन चीजों को उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। अब भी उन्हें जैसे विश्वास नहीं हो रहा था, यह सब कुछ उनका अपना है।

इसके बाद वे पंक्तिबद्ध होकर बाड़े की इमारतों की तरफ वापिस आये और फार्म हाउस के दरवाजे पर आकर चुपचाप खड़े हो गए। यह भी अब उनका था, लेकिन वे भीतर जाने से डर रहे थे। अलबत्ता, कुछ क्षणों के बाद स्नोबॉल और नेपोलियन ने अपने कंधों से धकेल कर दरवाजा खोल दिया और पशु इकहरी पंक्ति बनाकर भीतर आ गए। वे चलते समय इतने सजग थे कि कहीं कोई चीज अस्त व्यस्त न हो जाए। वे एक कमरे से दूसरे कमरे में पंजों के बल चलते रहे। वे फुसफुसाहट से ज्यादा ऊंची आवाज में बात करने से भी डर रहे थे। वे अविश्वसनीय विलासिता, पंख वाले गुदगुदे गद्देदार बिस्तर, दर्पण, घोड़ों के बाल से बने सोफे, ब्रूसेल्स कालीन, ड्राइंगरूम में तिपाई पर रखी रानी विक्टोरिया की तस्वीर, इन सारी चीजों को विस्मय से निहार रहे थे। वे अभी सीढ़ियों से नीचे उतर ही रहे थे कि पता चला कि मौली गायब है। वापिस जाकर उन्होंने पाया कि वह सबसे अच्छे वाले बेडरूम में ही रुकी रह गयी थी। उसने मिसेज जोन्स की शृंगार की मेज से एक नीला रिबन उठा लिया था और उसे अपने कंधे के सामने थामे खुद को शीशे में बहुत फूहड़ तरीके से निहार रही थी। दूसरे पशुओं ने उसे कड़ाई से झिड़का और बाहर चले आए। रसोई में छींके पर सूअर का कुछ सूखा मांस टंगा हुआ था। उसे बाहर लाकर जमीन में गाड़ दिया गया। रसोई के कोठे में बीयर के पीपे को बौक्सर की एड़ी की ठोकर से लुढ़का दिया गया। इसके अलावा किसी चीज को हाथ भी नहीं लगाया गया। हाथों-हाथ बहुमत से यह संकल्प ले लिया गया कि फार्म हाउस को संग्रहालय के रूप में सुरक्षित रखा जाए। सब इस बात से सहमत हो गए कि कभी भी कोई भी पशु इसमें नहीं रहेगा।

पशुओं ने नाश्ता किया। फिर स्नोबॉल और नेपोलियन ने सबको दोबारा बुलवाया।

’साथियो‘, स्नोबॉल ने कहा, ’अभी साढ़े छः बजे हैं और हमारे सामने पूरा दिन पड़ा है। आज हम सूखी घास की फसल काटना शुरू करते हैं। लेकिन इससे पहले एक और मामला है, जिसे हमें पहले सलटाना है।‘

अब सूअरों ने रहस्योद्घाटन किया कि पिछले तीन महीनों के दौरान उन्होंने कूड़े के ढेर में मिली जोन्स के बच्चों की अक्षर ज्ञान की एक किताब में से पढ़ना और लिखना सीख लिया है। नेपोलियन ने काले और सफेद रंग-रोगन के डिब्बे मंगवाए और सबको मुख्य सड़क की तरफ पांच सलाखों वाले गेट की तरफ ले चला। फिर स्नोबॉल ने (यह स्नोबॉल ही था, जिसका सुलेख अच्छा था) अपने पैर की दो गांठों के बीच कूची थामी और गेट की ऊपर वाली पट्टी से मैनर फार्म पर रंग फेर कर उसे मिटा दिया और उसकी जगह पशु बाड़ा पेंट कर दिया। अब से इस बाड़े का यही नाम रखा जाना था। इसके बाद वे बाड़े की इमारतों की तरफ वापिस लौटे। वहां स्नोबॉल और नेपोलियन ने एक सीढ़ी मंगवायी। इसे उन्होंने बड़े बखार की आखिरी दीवार के साथ सटाकर खड़ा कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पिछले तीन महीनों के अध्ययन से वे पशुवाद के सिद्धांतों को सात धर्मादेशों में ढाल पाने में सफल हो सके हैं। अब इन सात धर्मादेशों को दीवार पर अंकित किया जाएगा। ये धर्मादेश अब न बदल सकने वाले कानून होंगे और बाड़े के सभी पशुओं को मरते दम तक इनका पालन करना होगा। थोड़ी-सी मुश्किल के बाद (आखिर एक सूअर के लिए सीढ़ी पर संतुलन बनाए रखना आसान नहीं होता) स्नोबॉल सीढ़ी पर चढ़ गया और काम शुरू कर दिया। स्क्वीलर दो-तीन पाए नीचे खड़ा रंग का डिब्बा थामे रहा। डामर की दीवार पर बड़े-बड़े सफेद अक्षरों में धर्मादेश लिख दिए गए। इन्हें तीस गज की दूरी से भी पढ़ा जा सकता था।

सात धर्मादेश

1.जो भी दो पैरों पर चलता है, वह शत्रु है।

2.जो भी चार पैरों पर चलता है, या जिसके पंख हैं, वह मित्र है।

3.कोई भी पशु कपड़े नही पहनेगा।

4.कोई भी पशु शराब नहीं पिएगा।

5.कोई भी पशु किसी दूसरे पशु को नहीं मारेगा।

6.कोई भी पशु बिस्तर पर नहीं सोएगा।

7.सभी पशु बराबर हैं।

सब कुछ बिल्कुल साफ-साफ लिखा गया था। सिर्फ मित्र की जगह मितर लिखा गया और एक जगह ग उलटा लिखा गया था। बाकी सब जगह वर्तनी बिल्कुल ठीक थी। स्नोबॉल ने धर्मादेश ऊंची आवाज में पढ़कर सुनाए ताकि सब जान सकें। सभी पशुओं ने पूर्ण सहमति में अपनी मुण्डियां हिलायीं, और जो ज्यादा समझदार थे, उन्होंने तत्काल ही धर्मादेशों को कंठस्थ करना शुरू कर दिया।

’अब, साथियो, स्नोबॉल ने रोगन-कूची एक तरफ फेंकते हुए कहा, ’सूखी घास की तरफ कूच करो। हम उसे अपनी इज्जत का सवाल मान लें कि जोन्स और उसके नौकर-चाकर जितना समय लगाते हम उससे भी पहले फसल काट लेंगे।‘

तभी तीन गायें बड़ी जोर से रंभायीं। ऐसा लगा, वे काफी देर से बेचैनी महसूस कर रहीं थीं। उन्हें पिछले चौबीस घंटे से दुहा नहीं गया था। उनके थन फटने-फटने को थे। थोड़ी देर तक सोचने के बाद, सूअरों ने बाल्टियां मंगवायीं और बहुत सफलतापूर्वक गायों को दुह लिया। उनके गोड़ इस काम के लिए एकदम अनुकूल थे। जल्द ही वहां झागदार मलाईदार दूध से भरी पांच बाल्टियां नजर आने लगीं। कई पशु उन बाल्टियों को काफी हसरत से निहार रहे थे। ’इस सारे दूध का क्या किया जाएगा?‘ किसी ने पूछा।

’जोन्स कभी-कभी थोड़ा-सा दूध हमारी सानी में मिला दिया करता था।‘ मुर्गियों में से एक ने कहा।

’दूध की चिंता छोड़िए, कॉमरेड्स‘, नेपोलियन चिल्लाया, वह बाल्टियों के सामने आ गया, ’इसे भी ठौर-ठिकाने लगा दिया जाएगा। फसल ज्यादा जरूरी है। कॉमरेड स्नोबॉल आपको रास्ता दिखाएंगे, मैं बस आ ही रहा हूं। आगे बढ़ो, कॉमरेड्स सूखी घास आपका इंतजार कर रही है। और इस तरह पशु काटने के लिए सूखी घास के मैदानों की तरफ मार्च करते हुए चले। शाम को जब वे वापिस आए तो उन्होंने पाया, दूध गायब था।