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एनीमल फॉर्म - 8

एनीमल फॉर्म

जॉर्ज ऑर्वेल

अनुवाद:

सूरज प्रकाश

(8)

कुछ दिन बीतने के बाद, प्राणदण्डों से उपजा आतंक धुंधला पड़ चुका था। कुछेक पशुओं को याद था, या उन्होंने सोचा कि उन्हें याद था कि छठे धर्मादेश में यह आदेश था कि कोई भी किसी दूसरे पशु को नहीं मारेगा। और हालांकि किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि कहीं सूअरों या कुत्तों की मौजूदगी में इसका जिक्र कर सके। यह महसूस किया जाता था कि जो हत्याएं की गयीं थीं, वे इससे मेल नहीं खाती थीं। क्लोवर ने बैंजामिन से कहा कि वह उसे छठा धर्मादेश पढ़कर सुनाए और जब बैंजामिन ने हमेशा की तरह ऐसे मामलों में टांग अड़ाने से इंकार कर दिया तो, उसने मुरियल को थामा। मुरियल ने उसे धर्मादेश पढ़कर सुनाया। यह इस प्रकार था, कोई भी पशु किसी दूसरे पशु को बिना वजह नहीं मारेगा। पता नहीं यह कैसे हुआ, पर बीच के दो शब्द ’बिना वजह‘ पशुओं की याददाश्त से उतर गए थे। लेकिन अब उन्होंने पाया कि धर्मादेश का उल्लंघन नहीं किया गया है क्योंकि उन विश्वासघातियों को मारने के भी पीछे यही उचित वजह थी कि उनकी स्नोबॉल के साथ मिलीभगत थी।

पूरे बरस भर तक पशुओं ने पिछले वर्ष के मुकाबले बहुत अधिक मेहनत की। पवनचक्की को बनाना, उसकी दीवारों को पहले की तुलना में दुगुना मोटा रखना और उसे नियत समय के भीतर पूरा करना और इसके साथ-साथ बाड़े के नियमित काम करना, सचमुच बहुत मेहनत का काम था। ऐसे भी वक्त आए जब पशुओं को लगा कि वे ज्यादा घंटों तक काम करते हैं और जोन्स के दिनों की तुलना में अच्छी खुराक भी नहीं पाते हैं। रविवार की सुबह स्क्वीलर अपने पैर में कागज की एक लंबी सूची थामे हुए आता और उसमें से उन्हें वे आंकड़े पढ़कर सुनाता, जिनसे सिद्ध होता कि हर श्रेणी के खाद्यान्न उत्पादन में 200 प्रतिशत की, 300 प्रतिशत की, या 500 प्रतिशत की, जैसी भी स्थिति हो, वृद्धि हुई है। पशुओं के पास उस पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं था, खासकर इस वजह से भी कि उन्हें धुंधला-सा भी याद नहीं था कि बगावत से पहले स्थितियां कैसी थीं। इसके बावजूद उनके सामने ऐसे भी दिन आए, जब उन्हें लगता जब उनके लिए आंकड़े कम और खाना ज्यादा हुआ करेगा।

अब सारे आदेश स्क्वीलर या किसी दूसरे सूअर के जरिए जारी किए जाते। नेपोलियन पंद्रह-पंद्रह दिन तक सबके सामने प्रकट न होता। वह जब भी आता, उसके साथ न केवल कुत्तों की फौज होती, बल्कि अब उसके आगे-आगे एक काला मुर्गा चलता। वह नेपोलियन का बिगुल बजाने वाले की ड्यूटी अदा करता। जब भी नेपोलियन बोलता, उससे पहले यह मुर्गा कुकडू-कूं की बांग लगाता। यह पता चला कि फार्म हाउस में भी नेपोलियन दूसरों से परे अलग अपार्टमेंट में रहता है। वह अकेले भोजन करता है। हर समय दो कुत्ते उसकी सेवा में खड़े रहते हैं। वह हमेशा महंगे क्राउन डर्बी डिनर सर्विस सेट में खाना खाता है। यह सेट ड्राइंग रूम में कांच की अलमारी में रखा था। यह भी बताया गया कि अब से दो वर्षगांठों के मौकों के अलावा नेपोलियन के जन्मदिन पर भी बंदूक दागी जाएगी।

अब नेपोलियन को सिर्फ नेपोलियन कह कर उसका जिक्र नहीं किया जाता था। अब हमेशा औपचारिक रूप से हमारे नेताजी, कॉमरेड नेपोलियन कहकर उनका नाम लिया जाता। सूअर उनके लिए नित नयी-नयी उपाधियां गढ़ते रहते। ये उपाधियां कुछ इस तरह की होतीं- सब पशुओं के पिता, मानवजाति के आतंक, भेड़-समुदाय के रक्षक, चूजों के सखा आदि। अपने भाषणों में स्क्वीलर अपने गालों पर आंसू ढरकाते हुए, नेपोलियन की बुद्धिमता के गुणगान करता, उनके हृदय की पवित्रता के गीत गाता, और अन्य जगहों के पशुओं के प्रति और खासकर उन दुखी पशुओं के प्रति भी, जो अभी भी दूसरे बाड़ों में अज्ञानता और गुलामी का जीवन जी रहे थे, उन सबके प्रति नेताजी के हृदय में फूटते प्रेम के गहरे उद्गारों के बारे में बताता। यह एक सामान्य-सी बात हो गयी थी कि किसी भी सफल उपलब्धि के लिए या सौभाग्य की हरेक किरण का श्रेय नेपोलियन जी को दिया जाता। आप अक्सर एक मुर्गी को दूसरी मुर्गी से यह कहते सुन सकते थे, ’हमारे नेताजी, कॉमरेड नेपोलियन के मार्गदर्शन में मैंने छः दिन में पांच अंडे दिए हैं या दो गायें तलैया पर पानी का सुख उठातीं, आश्चर्यपूर्वक कहती सुनी जा सकती थी ’इसका श्रेय हमारे नेताजी कॉमरेड नेपोलियन को जाता है कि पानी का स्वाद कितना अच्छा है।‘ बाड़े की आम भावनाओं को एक कविता ’कॉमरेड नेपोलियन‘ में बहुत अच्छी तरह अभिव्यक्त किया गया था। इसकी रचना मिनिमस ने की थी और कविता इस प्रकार थी

अनाथों के पिता

खुशियों का जैसे फूटे सोता

सम्राट सूअरों के खाने की बाल्टी के!

ओ पिता!

कैसे मेरी आत्मा खुशी पाती

जब मैं आपको देखता।

शीतल और प्रभावशाली आपके नयन

जैसे चमके सूर्य नभ में

हे कॉमरेड नेपोलियन!

आप ही तो सबको देने वाले

जो आपके समस्त प्राणी चाहते

दिन में दो बार भरपेट खाना,

साफ पुआल पर लेटना-सोना

हर प्राणी छोटा या बड़ा

सोता आराम से, अपने थान में पड़ा

सबको देखते रहते आपके नयन

कॉमरेड नेपोलियन

काश मेरा कोई घेंटुला होता

इससे पहले कि वह बड़ा हो जाता

पिंट बोतल या बेलन की तरह

लुढ़कता, उसने सीख लिया होता

कैसे बने निष्ठावान और

सच्चा आपके प्रति

जी हां,

उसकी पहली घुर्र-घुर्र यही होती

’कॉमरेड नेपोलियन‘

नेपोलियन ने इस कविता को अनुमोदित कर दिया और इसे बड़े बखार में सात धर्मादेशों से परे दूसरे सिरे की दीवार पर अंकित करवा दिया। इसके नीचे ही, प्रोफाइल में नेपोलियन की एक तस्वीर लगा दी गई। इसे स्क्वीलर ने सफेद रंग में रंगा था।

इस बीच, व्हिम्पर की एजेंसी के माध्यम से नेपोलियन फ्रेडरिक और विलकिंगटन के साथ जटिल समझौतों में उलझा हुआ था। इमारती लकड़ी का चट्टा अभी भी बेचा नहीं गया था। दोनों में से फ्रेडरिक इसे पाने के लिए ज्यादा आतुर था, लेकिन वह उचित दाम देने के लिए तैयार नहीं था। साथ-ही-साथ नई अफवाहें भी फैलने लगीं थीं कि फ्रेडरिक ओर उसके आदमी पशुबाड़े पर हमला करने की योजना बना रहे हैं। फ्रेडरिक को पवनचक्की फूटी आंख नहीं सुहाती थी। वह उसे भी नष्ट कर देने वाला था। ऐसा पता चलता था कि नेपोलियन का पिंचफील्ड बाड़े की तरफ ज्यादा झुकाव है। गर्मियों के दौरान पशु यह सुनकर सचेत हो गए कि तीन मुर्गियों ने आगे बढ़कर कुबूल किया है कि स्नोबॉल से प्रेरणा पाकर वे नेपोलियन को मारने के एक षत्रं में शामिल हुई थीं। उन्हें तत्काल प्राणदण्ड दे दिया गया और नेपोलियन की सुरक्षा के लिए और चौकसी बरतनी शुरू कर दी गयी। रात के वक्त चार कुत्ते उसके बिस्तर की निगरानी करते। बिस्तर के चारों कोनों पर एक-एक कुत्ता खड़ा रहता। पिंकी नाम के एक छोटे-से सूअर को यह जिम्मेवारी सौंपी गयी कि वह नेपोलियन के खाने से पहले उसका सारा खाना चख कर देखे कि कहीं उसमें जहर तो नहीं मिलाया गया है।

लगभग इन्हीं दिनों यह सुनने में आया कि नेपोलियन ने इमारती लकड़ी के चट्टे मिस्टर विलकिंगटन को बेचने की व्यवस्था कर ली है। वह पशुबाड़े और फॉक्सवुड के बीच कुछेक उत्पादों के आदान-प्रदान के लिए भी एक नियमित करार करने वाला है। नेपोलियन और विलकिंगटन के बीच संबंध हालांकि सिर्फ व्हिम्पर के जरिए ही जोडे जाते थे, फिर भी अब उनमें दोस्ताना-सा हो गया था। एक मनुष्य के रूप में विलकिंगटन पर पशुओं को भरोसा नहीं था, लेकिन वे उसे फ्रेडरिक की तुलना में बहुत मान देते थे। फ्रेडरिक से उन्हें डर और नफरत दोनों थे। गर्मियों के बीतते-बीतते और पवनचक्की के पूरा होने का वक्त नजदीक आने के साथ-साथ भारी घातक हमले की अफवाहें और अधिक पुष्ट होती चली गयीं। यह बताया जाता कि फ्रेडरिक उनके खिलाफ शत्रों और बंदूकों से लैस बीस आदमी लाने की सोच रहा है। उसने मजिस्ट्रेट और पुलिस दोनों की पहले ही मुट्ठी गर्म कर दी है ताकि वह एक बार पशुबाड़े के स्वामित्व के कागजात उसके हाथ आ जाने के बाद वे कोई सवाल न उठाएं। इतना ही नहीं, पिंचफील्ड से दिल दहला देने वाली खबरें छनकर बाहर आ रही थीं कि किस तरह फ्रेडरिक अपने पशुओं पर जुल्म ढाता है। उसने अपने एक बूढ़े घोड़े को कोड़े मार-मार कर खत्म कर दिया है, वह अपनी गायों को भूखा मारता है, उसने अपने एक कुत्ते को भट्ठी में डालकर भून डाला है, वह शाम के वक्त अपने मुर्ग़ों की टांगों में रेजर ब्लेड के धारदार टुकड़े बांधकर उन्हें लड़वाता और मजे लेता है। जब पशु अपने कॉमरेड पर इस तरह के जुल्म ढाए जाने की बाते सुनते तो गुस्से से उनका खून खौलने लगता। कई बार वे चीखते-चिल्लाते कि उन्हें इस बात की अनुमति दी जाए कि वे एक साथ झुण्ड बना कर जाएं, पिंचफील्ड बाड़े पर हमला करें, मनुष्यों को निकाल बाहर करें और पशुओं को आजाद करा दें। लेकिन स्क्वीलर उन्हें समझाता-बुझाता कि वे उतावलेपन से इस तरह की कार्रवाई न करें और कॉमरेड नेपोलियन की कूटनीति पर भरोसा रखें।

यह सब होने के साथ-साथ फ्रेडरिक के खिलाफ दुर्भावना तीखी बनी रही। रविवार की एक सुबह नेपोलियन बखार में उपस्थित हुआ और उसने स्पष्ट किया कि उसने कभी भी किसी वक्त लकड़ी फ्रेडरिक को बेचने के बारे में नहीं सोचा था। उसने बताया कि इस तरह के धूर्त़ों से लेनदेन करना वह अपनी तौहीन समझता है। कबूतरों को जो बगावत की चिंगारियां फैलाने के लिए अभी भी भेजे जाते थे, अब मना कर दिया गया कि फॉक्सवुड में कहीं भी न उतरें। उन्हें यह भी आदेश दिया गया कि पहले के नारे ’मनुष्य जाति का नाश हो‘ के स्थान पर अब वे ’फ्रेडरिक का नाश हो‘ कहा करें? गर्मियों के खत्म होते-होते स्नोबॉल की एक और कारस्तानी सामने आई। गेहूं की फसल खर-पतवार से भरी पड़ी थी। यह पाया गया कि किसी रात आकर स्नोबॉल ने गेहूं के बीजों में खर-पतवार के बीज मिला दिए थे। एक हंस ने स्क्वीलर के सामने अपना अपराध स्वीकार किया कि वह इस षत्रं में सहभागी था। उसने तत्काल ही धतूरे के बीज निगल कर खुदकुशी कर ली। पशुओं को अब यह भी पता चला कि, जैसा कि उनमें से कई अब तक मानते चले आ रहे थे, स्नोबॉल ने ’पशुवीर उत्तम कोटि‘ का सम्मान कभी भी प्राप्त नहीं किया था। यह एक कल्पित कहानी मात्र थी, जिसे तबेले की लड़ाई में पीठ दिखाने के लिए उसकी निंदा की गयी थी। एक बार फिर कुछ पशुओं ने इस बात को थोड़ा हक्का-बक्का होकर सुना, लेकिन जल्दी ही स्क्वीलर उन्हें पटाने में सफल हो गया कि यह उनकी ही याददाश्त का दोष है।

शरद ऋतु में, विस्मय भरे और थकान से चूर कर देने वाले प्रयासों से दो काम पूरे कर लिए गए। एक तो फसल समय पर काट ली गयी और उसी के साथ लगभग उसी समय पवनचक्की पूरी कर ली गयी। मशीनरी अभी लगायी जानी बाकी थी, जिसकी खरीद के लिए व्हिम्पर मोलभाव कर रहा था, लेकिन ढांचा पूरा कर लिया गया था। हर मुश्किल के होते हुए, नौसिखएपन के बावजूद, बाबा आदम के जमाने के औजारों के साथ फूटी किस्मत के होते हुए और स्नोबॉल की कपटता के होते हुए, काम को ठीक नियत दिन पर पूरा कर लिया गया था। थकान से चूर, लेकिन गर्व से भरे पशु अपने उत्कृष्ट निर्माण के चारों और चक्कर लगाते रहे। यह उन्हें पहले बनायी गयी पवनचक्की की तुलना में बहुत सुंदर लग रही थी, इसके अलावा, इसकी दीवारें भी पहले की तुलना में दुगुनी मोटी थीं। इसे इस बार विस्फोटक से कम किसी चीज से गिराया नहीं जा सकेगा। और जब उन्होंने सोचा कि उन्होंने इसके लिए कितनी मेहनत की है, किस तरह की हताशाओं से उन्हें पार पाना पड़ा है और जब पवनचक्की में पाल लगा दिए जाएंगे और डायनमो चलने लगेंगे तो उनकी जिंदगी में कितना बड़ा अंतर आ जाएगा- जब उन्होंने यह सब सोचा तो उनकी सारी थकान मिट गयी। वे पवनचक्की के चारों तरफ उछले, फुदके, उन्होंने विजय की किलकारियां मारीं। अपने कुत्तों और मुर्गे की अगवानी में नेपोलियन खुद आया। उसने पूरे किए गए काम का मुआयना किया। उसने खुद आगे बढ़कर पशुओं को इस उपलब्धि पर बधाई दी, और घोषणा की कि यह चक्की नेपोलियन चक्की कहलाएगी। दो दिन बाद पशुओं को बखार में एक विशेष बैठक के लिए बुलाया गया। जब नेपोलियन ने उन्हें बताया कि उसने इमारती लकड़ी के चट्टे फ्रेडरिक को बेच दिए हैं तो वे आश्चर्य के मारे मुंह बाए देखते रह गए। नेपोलियन ने आगे बताया कि कल फ्रेडरिक की गाड़ियां आएंगी और लकड़ी ढोना शुरू कर देंगी। विलकिंगटन के साथ अपनी आभासी दोस्ती की पूरी अवधि के दौरान नेपोलियन ने दरअसल फेडरिक के साथ एक गुप्त करार किया हुआ था।

फॉक्सवुड के साथ सभी संबंध तोड़ दिए गए। विलकिंटगन के पास अपमानजनक संदेश भेजे गए। कबूतरों से कहा गया कि वे पिंचफील्ड बाड़े की तरफ देखें भी नहीं और ’फ्रेडरिक का नाश हो‘ के अपने नारे के स्थान पर ’विलकिंगटन का नाश हो‘ का नारा लगाया करें। इसी समय नेपोलियन ने पशुओं को आश्वस्त किया कि पशु बाड़े पर आसन्न हमले के किस्से एकदम मनगढंत थे, और कि फ्रेडरिक के अपने पशुओं पर क्रूरता की कहानियां बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बतायी गयी थीं। लगता है ये सारी अफवाहें स्नोबॉल और उसके एजेंटों ने उड़ायी थीं। अब यह प्रतीत हुआ कि आखिर स्नोबॉल पिंचफील्ड फार्म में ही तो छुपा हुआ था। दरअसल, वह तो अपनी पूरी जिंदगी में उस तरफ गया ही नहीं। यह बताया गया कि वह फॉक्सवुड में पूरे ठाठ-बाट के साथ आराम की जिंदगी बसर कर रहा है और सच तो यह है कि पिछले कई सालों में विलकिंगटन से पेंशन खा रहा है।

सूअर नेपोलियन की चतुरता पर भाव-विभोर थे। विलकिंगटन के साथ दोस्ती का दिखावा करके उसने फ्रेडरिक को अपनी कीमत बारह पाउण्ड बढ़ाने पर मजबूर कर दिया था। लेकिन स्क्वीलर का कहना था कि नेपोलियन के दिमाग की उत्कृष्टता तो इस तथ्य से पता चलती है कि वास्तव में वे किसी पर भी यहां तक कि फ्रेडरिक पर भी भरोसा नहीं करते। फ्रेडरिक लकड़ी के दाम चैक जैसी किसी चीज के माध्यम से चुकाना चाहता था। शायद चैक कागज का एक टुकड़ा होता है, जिस पर अदा करने का वचन लिखा होता है। लेकिन नेपोलियन उसके भी गुरू हैं। उन्होंने मांग रखी कि भुगतान असली पांच पाउण्ड के नोटों में किया जाए और ये नोट लकड़ी उठाने से पहले सौंप दिए जाएं। फ्रेडरिक पहले ही भुगतान कर चुका है, उसने जो राशि चुकायी है, वह पवनचक्की के लिए मशीनरी खरीदने के लिए एकदम काफी है।

इस बीच लकड़ी की ढुलाई तेजी से चल रही थी। जब सारा माल जा चुका तो फ्रेडरिक के बैंक नोटों के दर्शन करने के लिए बखार में एक विशेष सभा बुलायी गयी। परम आनंद से मुस्कुराता हुआ अपने दोनों मैडल धारण किए नेपोलियन चबूतरे पर पुआल की मसनद पर पसरा हुआ था। उसके बगल में फार्म हाउस की रसोई से लायी गयी चांदी की एक तश्तरी में नए कड़कते नोट एक गड्डी में सजा कर रखे हुए थे। पशु धीमे-धीमे उसके आगे से गुजरे और हरेक ने भरपूर आंखों से नोटों को निहारा। बॉक्सर ने बैंक-नोटों को सूंघने की नीयत से अपनी नाक आगे की। उसकी सांस से चिकने सफेद नोट हिले और सरसरा उठे। तीन दिन बाद एक हंगामा मच गया। व्हिम्पर बीमारों की तरह पीला थोबड़ा लटकाए, अपनी साइकिल पर हड़बड़ाता हुआ आया। साइकिल अहाते में लुढ़कायी और सीधा फार्म हाउस की तरफ लपका। अगले ही क्षण नेपोलियन के अपार्टमेंट में से गुस्से से भरी चीत्कार सुनायी दी। जो कुछ हुआ था, उसकी खबर जंगल की आग की तरह बाड़े में फैल गई। बैंक नोट नकली थे। फ्रेडरिक ने सारी लकड़ी मुफ्त में हथिया ली थी।

नेपोलियन ने तत्काल ही सब पशुओं को इकट्ठा होने के लिए कहा और भयंकर आवाज में फ्रेडरिक को मौत की सजा सुनाई। उसने कहा कि फ्रेडरिक जैसे ही मिले, उसे जिंदा ही खौलते पानी में डाल दिया जाए। साथ ही साथ उसने चेतावनी भी दी कि उसकी इस कपटपूर्ण करतूत के बाद और कुछ अनर्थकारी भी घट सकता है। फ्रेडरिक और उसके आदमी अपना चिर-प्रतीक्षित हमला किसी भी वक्त कर सकते हैं। बाड़े में घुसने के सभी रास्तों पर संतरी बिठा दिए गए। इसके अलावा चार कबूतरों को फॉक्सवुड में मेलमिलाप कर लेने के संदेश के साथ भेजा गया। उम्मीद की गयी कि इससे विलकिंगटन के साथ फिर से अच्छे संबंध बन सकेंगे।

अगली ही सुबह हमला हो गया। पशु अभी नाश्ता कर रहे थे जब पहरेदार इस खबर के साथ भागते हुए आए कि फ्रेडरिक और उसके आदमी पांच सलाखों वाला गेट पहले ही पार कर चुके हैं। पूरी मुस्तैदी से पशु उनका मुकाबला करने के लिए आगे बढ़े, लेकिन इस बार तबेले की लड़ाई की तरह उन्हें आसानी से विजय नहीं मिल पाई। वे कुल पन्द्रह आदमी थे और उनमें से छः के पास बंदूकें थीं। वे जैसे ही पचास गज की जद में आए, उन्होंने गोलियां चलाना शुरू कर दिया। पशु भयानक विस्फोटों और भेदती गोलियों को झेल नहीं पाए और नेपोलियन तथा बॉक्सर द्वारा जोश दिलाए जाने के बावजूद जल्दी ही उनके पैर उखड़ गए। उनमें से कई तो पहले ही जख्मी हो चुके थे। उन्होंने भागकर बाड़े की इमारतों में शरण ली और सावधानीपूर्वक दरारों और झिर्रियों से झांकने लगे। इस समय पूरा विस्तृत चरागाह और पवनचक्की सब कुछ दुश्मनों के हाथ में थे। कुछ पलों के लिए तो लगा कि नेपोलियन भी हताश हो गया है। वह एक भी शब्द बोले बिना अपनी पूंछ कड़ी किए हुए और उसे मरोड़ देते हुए वह आगे-पीछे होता रहा। सब फॉक्सवुड की दिशा में टुकुर-टुकुर निहारते रहे। अगर विलकिंगटन और उसके आदमी मदद को आ जाएं तो अब भी बाजी पलट सकती हैं लेकिन इसी वक्त एक दिन पहले भेजे गए चारों कबूतर लौट आए। उनमें से एक के पास विलकिंगटन द्वारा भेजा गया एक कागज का टुकड़ा था। इस पर पैंसिल से शब्द लिखे हुए थे : ’बहुत मजा आया, भुगतो अब।‘

इस बीच फ्रेडरिक ऐर उसके आदमी पवनचक्की के पास रुक गए। पशु उन्हें देखने लगे। उनमें घबराहट की वजह से फुरफुरी दौड़ गई। उनमें से दो आदमियों ने सब्बल और बड़ा हथौड़ा निकाल लिया। वे पवनचक्की को धराशायी करने जा रहे थे।

’असंभव‘। नेपोलियन चिल्लाया, ’हमने दीवारें इतनी मजबूत बनाई हैं कि वे सब्बल-हथौडे से नहीं गिरा सकते। वे इसे सात दिन में भी नहीं तोड़ सकते। बहादुरी दिखाओ, कॉमरेड्स‘। लेकिन बैंजामिन आदमियों की हरकतें ध्यान से देख रहा था। सब्बल और हथौड़े वाले दोनों आदमी पवनचक्की की नींव के पास एक छेद बना रहे थे। धीरे-धीरे और जैसे आनंद से झूमते हुए बैंजामिन ने अपना लंबोतरा मुंह हिलाया।

’मुझे भी ऐसा लगा‘, उसने कहा, ’क्या आपको नजर नहीं आता कि वे क्या कर रहे हैं? एक ही क्षण में वे उस छेद में विस्फोट मसाले भरने वाले हैं।‘

भयातुर पशु सांस रोके घड़ियां गिनने लगे। अब इमारतों की शरण से बाहर निकलने की हिम्मत जुटाना उनके बूते से बाहर था। कुछ ही मिनटों में आदमी चारों दिशाओं की ओर दौड़ते दिखाई दिए। अचानक कान फोड़ने वाली आवाज में धमाका हुआ। कबूतर हवा में फड़फड़ाने लगे और नेपोलियन के अलावा सभी पशु उछलकर पेट के बल जमीन पर लेट गए और अपने मुंह छिपा लिए। जब वे दोबारा उठ खड़े हुए तो पवनचक्की की जगह पर काला धुआं मंडरा रहा था। धीरे-धीरे हवा धुं को बहा ले गयी। पवनचक्की का वहां नामोनिशान भी नहीं था।

यह दृश्य देखते ही सभी पशुओं का उत्साह लौट आया। पल भर पहले जो डर और निराशा उन्हें घsरे हुए थे, उसका स्थान इस घनौनी और अपमानजनक हरकत के खिलाफ आक्रोश ने ले लिया। बदले की एक तीखी चीख उभरी और आगे के आदेशों का इंतजार किए बिना सब एक जुट होकर आगे बढ़े और दुश्मन पर हमला बोल दिया। इस बार उन्होंने उन क्रूर गोलियों की भी परवाह नहीं की जो उन पर ओलों की तरह बरस रही थीं। यह एक आदिम और भयंकर लड़ाई थी। आदमियों ने बार-बार गोलियां चलायीं और जब पशु उनके एकदम निकट आए गए तो उन्होंने अपनी लाठियों और अपने जूतों से वार करना शुरू कर दिया। एक गाय, तीन भेडें और दो हंस हताहत हो गए और घायल तो लगभग सभी पशु हो गए। यहां तक कि नेपोलियन की पूंछ का सिरा भी एक गोली लगने से कट गया, जबकि वह लड़ाई का संचालन पीछे से कर रहा था। लेकिन मनुष्य भी बिना चोट खाए जा न पाए। उनमें से बॉक्सर के सुमों की मार से तीन के तो सिर ही फूट गए। एक गाय के सींगों के वजह से एक-दूसरे आदमी की अंतड़ियां बाहर आ गयीं, एक अन्य आदमी की तो जेस्सी और ब्लूबैल ने लगभग पैंट ही फाड़ दी। और तभी नेपोलियन के निजी अंगरक्षक नौ कुत्तों ने अचानक आदमियों के पीछे से हमला कर दिया और उन पर क्रूरता से भूंकने लगे तो उनमें भगदड़ मच गयी। इन कुत्तों को नेपोलियन ने बाड़ के पीछे घात लगाकर छुपे बैठे रहने के लिए हिदायत दे रखी थी। उन्होंने देखा कि वे चारों ओर से घरकर खतरे में फंस गए हैं। फ्रेडरिक ने जब देखा कि अब भागने में ही खैरियत है तो उसने चिल्ला कर अपने आदमियों को भाग निकल जाने को कहा। अगले ही पल कायर दुश्मन अपनी जान बचाने के लिए भागते हुए नजर आए। पशुओं ने खेतों के आखिरी सिरे तक उनका पीछा किया और कांटेदार बाड़ के बाहर खदेड़ते खदेड़ते भी उन्हें दो चार लातें जमा ही दीं।

वे जीत तो गए लेकिन बुरी तरह आहत हो गए थे। उनके जख्मों से खून बह रहा था। वे धीमे-धीमे लंगड़ाते हुए अपने बाड़े की तरफ लौटे। घास पर इधर-उधर बिछी अपने साथियों की लाशें देखकर उनकी आंखों में आंसू भर आए। वे उस जगह पर गहरे शोक में मौन धारण करके थोड़ी देर के लिए खड़े हो गए जहां कभी पवनचक्की हुआ करती थी। हां, अब वह नहीं रही थी। उनकी मेहनत की आखिरी निशानी भी बाकी नहीं रही थी। यहां तक कि उसकी नींव भी मिट्टी में मिल चुकी थी और इस बार तो दोबारा बनाने के लिए वे नीचे गिरे हुए पत्थरों का इस्तेमाल भी नहीं कर सकते थे। इस बार तो पत्थर ही गायब हो गए थे। धमाके के जोर ने उन्हें सैंकड़ों गज की दूरी तक उछाल दिया था। ऐसा लगता था जैसे वहां कभी पवनचक्की थी ही नहीं।

वे जैसे ही बाड़ के निकट पहुंचे, स्क्वीलर फुदकता हुआ और अपनी पूंछ हिलाता हुआ संतुष्ट भाव से उनके पास आया। लड़ाई के दौरान वह रहस्यमय तरीके से गायब था। तभी पशुओं ने फार्म की इमारत की तरफ से बंदूक चलने की समारोह वाली आवाज सुनी।

’यह बंदूक किस लिए चलाई जा रही है?‘ बॉक्सर ने पूछा।

’हमारी जीत का जश्न मनाने के लिए।‘ स्क्वीलर चिल्लाया।

’कैसी जीत?‘ बॉक्सर ने कहा। उसके घुटनों से खून बह रहा था। उसकी एक नाल निकल गयी थी और एक सुम चिर गया था। उसकी पिछली टांग में दर्जन-भर गोलियां घुसी हुई थीं।

’कैसी जीत कॉमरेड? उन्होंने हमारी पवनचक्की मटियामेट कर दी है। हमने इसके लिए दो साल तक मेहनत की थी।‘

’तो क्या हुआ? हम दूसरी पवनचक्की बना लेंगे। हम अगर चाहे तो छः पवन चक्कियां बना लेंगे। आप इस बात की तारीफ नहीं कर रहे हैं, कॉमरेड, जो हमने कर के दिखायी है। इस समय हम जिस जमीन पर खड़े हैं, यही जमीन दुश्मन के कब्जे में थी। और अब कॉमरेड नेपोलियन के नेतृत्व का आभार- हमने इसका चप्पा-चप्पा वापिस जीत लिया है।‘

’तो हमने यही जीता, जो हमारे पास पहले से था?‘ बॉक्सर ने पूछा।

’यही हमारी जीत है‘ स्क्वीलर ने कहा।

वे लंगड़ाते हुए अहाते में आए। बॉक्सर की टांग में चमड़ी के नीचे गोलियां टीसें मार रही थीं। उसने अपने सामने, नींव से शुरू करते हुए, फिर से पवनचक्की बनाने का भारी काम देखा। उसने तुंत ही कल्पना में खुद को हर काम के लिए तैयार कर लिया। लेकिन उसे पहली बार लगा, वह ग्यारह वर्ष का हो चुका है और उसकी मजबूत मांसपेशियां शायद पहले जैसी तो नहीं ही रही हैं।

लेकिन जब पशुओं ने हरा झण्डा फहराते हुए देखा और दोबारा बंदूक की आवाज सुनी- पूरे सात बार गोलियां दागी गयीं- और नेपोलियन द्वारा दिया गया भाषण सुना, जिसमें उनके व्यवहार पर उन्हें बधाई दी गई थी, तो उन्हें भी लगा कि आखिर उन्होंने एक बड़ी विजय हासिल की है। लड़ाई में मारे गए पशुओं का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कर दिया गया। बॉक्सर और क्लोवर ने शव-वाहिनी के रूप में इस्तेमाल की गयी गाड़ी खींची और नेपोलियन खुद जुलूस के आगे-आगे चलता रहा। पूरे दो दिन तक जश्न मनाया जाता रहा। गाना-बजाना हुआ, भाषण दिए गए। बंदूक से और गोलियां दागी गयीं। प्रत्येक पशु को एक-एक सेब का विशेष उपहार दिया गया। हरेक चिड़िया को दो औंस अनाज मिला और हरेक कुत्ते को तीन-तीन बिस्किट दिए गए। यह घोषणा की गई कि यह लड़ाई पवनचक्की की लड़ाई कहलाएगी। और कि नेपोलियन ने एक नए अलंकरण की शुरूआती की है- यह हरित ध्वज पदक कहलायेगा। इसे नेपोलियन ने खुद को प्रदान कर दिया। खुशियों के आम हल्ले-गुल्ले में बैंक-नोटों का दुर्भाग्यपूर्ण मामला भुला दिया गया।

इस बात को कुछ ही दिन बीते थे कि सूअरों को फार्म हाउस के तहखाने में व्हिस्की की एक पेटी मिली। बाड़े पर पहली बार कब्जा करते समय इस पर किसी की भी निगाह नहीं गयी थी। उस रात फार्म हाउस से जोर-जोर से गाने-बजाने की आवाजें आती रहीं और इस बात पर सबको आश्चर्य हुआ कि इनमें ’इंग्लैण्ड के पशु‘ की धुनें मिली हुई थीं। लगभग साढ़े नौ बजे के करीब मिस्टर जोन्स का पुराना बड़ा-सा झुका हुआ हैट पहने हुए नेपोलियन पिछवाड़े के दरवाजे से प्रकट होता हआ साफ-साफ देखा गया। वह लपकता हुआ अहाते में जाकर गायब हो गया। थोड़ी ही देर बाद वह वापिस भीतर घुस गया। लेकिन सुबह के वक्त फार्म हाउस पर गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था। कोई भी सूअर इधर-उधर नजर नहीं आ रहा था। नौ बजने को थे, जब स्क्वीलर प्रकट हुआ। वह धीमे-धीमे चल रहा था और थका-हारा लग रहा था, उसकी आंखें सुस्त थीं, पूंछ उसके पीछे लोथड़े सी लटकती हुई लग रही थी। हर दृष्टि से वह गंभीर रूप से बीमार लग रहा था। उसने सब पशुओं को इकट्ठा होने के लिए कहा और उन्हें बताया कि वह एक बहुत ही दुखदायी खबर सुनाने जा रहा है। कॉमरेड नेपोलियन मरने वाले हैं।

अफसोस की एक चीख उभरी। फार्म हाउस के दरवाजों के बाहर पुआल बिछा दिया गया और उस पर पशु पंजों के बल चले। अपनी आंखों में आंसू भरे एक-दूसरे से पूछते फिरे कि उनसे यदि उनके नेताजी छिन जाएंगे तो वे क्या करेंगे? एक अफवाह चारों तरफ फैल गयी कि आखिर स्क्वीलर नेपोलियन के भोजन में जहर मिलाने में सफल हो ही गया। ग्यारह बजे एक और घोषणा करने के लिए स्क्वीलर बाहर आया। इस धरती पर, अपने अंतिम काम के रूप में नेपोलियन ने एक आज्ञा जारी की है कि अल्कोहल का सेवन करने वाले को मृत्युदण्ड दिया जाएगा।

अलबत्ता, शाम तक नेपोलियन की हालत कुछ-कुछ सुधर गई और अगली सुबह स्क्वीलर ये बताने की स्थिति में था कि नेपोलियन तेजी से ठीक हो रहे हैं। उसी दिन की शाम तक नेपोलियन काम पर आ चुके थे, और अगले दिन यह पता चला कि उन्होंने व्हिम्पर से कहा है कि वह विलिंगडन से शराब बनाने आदि पर कुछ पुस्तिकाएं खरीद कर लाए। सप्ताह भर बाद नेपोलियन ने आदेश दिया कि फलोद्यान के परे के छोटे बाड़े में जुताई की जाएगी। पहले यह इरादा था कि अब परिश्रम करने की उम्र पूरी कर चुके पशुओं को इससे अलग रखा जाएगा। यह बताया गया कि चरागाह में घास खत्म होने को है और इसमें फिर से बीज डालने की जरूरत है, लेकिन जल्दी ही यह पता चला कि नेपोलियन इसमें जौ बोना चाहता है। लगभग इन्हीं दिनों एक ऐसी विचित्र घटना घटी, जिसे शायद ही कोई समझ पाया हो। एक रात बारह बजे के आस-पास अहाते में एक जोरदार धमाका हुआ और सभी पशु अपने-अपने थान से भागे आए। चांदनी रात थी। बड़े बखार की आखिरी दीवार, जहां सात धर्मादेश लिखे हुए थे, के नीचे दो टुकड़ों में टूटी हुई एक सीढ़ी पड़ी हुई थी। स्क्वीलर कुछेक क्षणों के लिए भौंचक्का उसी के पास औंधा पड़ा था। पास में हाथ भर की दूरी पर एक लालटेन, पेंट-कूची और सफेद रंग का उलटा पड़ा डिब्बा बिखरे पड़े थे। कुत्तों ने तत्काल स्क्वीलर के आस-पास घsरा बनाया और जैसे ही वह चलने लायक हुआ, उसकी अगवानी करके फार्म हाउस में ले गए। बूढ़े बैंजामिन के अलावा कोई भी समझ नहीं पाया कि आखिर हुआ क्या था। उसने अपनी मुण्डी हिलायी जैसे सब जानता हो, समझता हो, लेकिन वह बोला कुछ भी नहीं।

लेकिन कुछ दिन बाद मुरियल जब खुद ही सात धर्मादेश पढ़ रही थी, तो उसने पाया कि वहां एक और धर्मादेश ऐसा था, जिसे पशुओं ने गलत याद रखा था। उन्होंने सोचा था कि पांचवां धर्मादेश यह कहता है कि ’कोई भी पशु शराब नहीं पियेगा‘, लेकिन इसमें एक शब्द और था, जिसे वे भूल गए थे। दरअसल धर्मादेश इस तरह से था - कोई भी पशु अधिक शराब नहीं पिएगा।