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क्राइम नम्बर 77 19 - 7

“शहर के भोले भाले व्यापारियों से उगाही के उद्देश्य से पुलिस कर रही है व्यापारियों का उत्पीडन, बिना किसी ठोस सबूत के कपड़ा व्यापारी को झूठे केस में फंसाया”............एक स्थानीय अखबार की एक खबर को पढ़ते हुये जिले के जिलाधिकारी महोदय ने अपने पर्सनल सेकेट्ररी से इस मामले को जानने की इच्छा जताई। सेकेट्ररी ने बताया की सर एक औरत और उसकी बेटी का मर्डर हुआ है पुलिस जाँच में उसके मालिक को रिमान्ड पर लेकर पूछताछ कर रही है। लेकिन व्यापारियों का कहना है कि जब रबि जो कि मुख्य आरोपी है वो उन दिनों शहर से बाहर था तो उसे क्यों अपराधियों की तरह जेल में रखा जा रहा है। साथ ही व्यापारी प्रताड़ना का पुलिस पर आरोप लगाकर आन्दोलन की धमकी दे रहे है। कल जब आप विडियो कान्फेन्सिंग में व्यस्त थे तब व्यापारियों का एक समूह इस सन्दर्भ में ज्ञापन भी देकर गया है।



(संयोग वश इसी हफ्ते जिले में मुख्यमंत्री जी का दौरा होना होता है अतः मामले की गंभीरता को समझते हुये जिलाधिकारी महोदय जिले के कप्तान साहब को तलब करते है और फटकार लगाते हुये मामले को सुलझाने को कहते है।)



(कप्तान साहब फटकार खाने के बाद सम्बन्धित थाने से इन्सेप्टर शिवानी से क्राइम नम्बर 77 19 की रिपोर्ट के साथ तलब करते है।)


“जय हिन्द सर........!!! ”- इंस्पेक्टर शिवानी

“जय हिन्द ...........!!! इंस्पेक्टर शिवानी ये क्या गन्ध आपके थाना क्षेत्र में फैलाया है आपने। आप पर भ्रष्ट्राचार के आरोप व्यापारियों द्वारा लगाये जा रहे है। चारों तरफ से आपकी शिकायते आ रही है इन सब का क्या जवाब है आपके पास???”- कप्तान साहब


“सर हम जाँच कर रहे है लेकिन अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाये है”- इं. शिवानी


“क्या मतलब है इस बात का कि किसी नतीजे पर नही पहुँच पायी है आप??”- कप्तान (बुरी तरह से गुस्से में)

“अभी तक उस व्यापारी को क्यों अन्दर किया हुआ है आपने ? कितने की उगाही का प्लान है आपका?”- कप्तान


(कप्तान के इन तीखे सवालों का इं. शिवानी कोई जबाव नही दे पाती है।)

“शिवानी यू हैव जस्ट 48 आवर्स कोई सालिड लीड के साथ मेरे सामने आना वरना कार्यावाही के लिये तैयार रहना, नाउ जस्ट गेट आउट”- कप्तान

(कप्तान के इस तरह के व्यवहार से इं. शिवानी का मूड बुरी तरह से अपसेट हो जाता है। एक ईमानदार अफसर पर जब भ्रष्ट्राचार का आरोप लगे तो ये सीने पर गोली से ज्यादा दर्द देता है आँखो से आँसू बहने को थे लेकिन पद की मर्यादा ने आँसूओं का गला आँखों में ही घोंट दिया और शिवानी अपने आवास को रवाना हुई, इं. शिवानी की आवास पहुँच कर सॉवर के नीचे बैठ जाती है। अपनी निजी जिन्दगी और नौकरी के अन्दर आये भूचाल ने इस बार आँखों के बन्धन को तोड़ दिया। इं. शिवानी दबी आवाज से ही सॉवर में रो पड़ी। आज वो अपनी आन्तरिक शक्ति अपने दिवंगत पिता को बहुत मिस कर रही थी। राजीव के पिता के रूप में पिता मिले तो लेकिन उन्हें वो स्वीकार भी नही कर सकती थी। )



इं. शिवानी आज खुद को दो राहे पर खड़ा महसूस कर रही थी एक तरफ उनका प्यार राजीव था दूसरी तरफ उनके पिता जी और उनके बचपन का सपना था पुलिस की वर्दी। एक बार मन होता कि पिता जी और अपने सपने को चुने और ऐसे जीवन साथी की तलाश करे जो उन्हे पुलिस की वर्दी के साथ स्वीकार कर सके तो वही दूसरी तरफ कप्तान साहब की डांट और नौकरी के तनाव से खुद को बहुत थका पाकर मन होता की सब कुछ छोड़कर शादी कर ले और पति के साथ एक सुखी जीवन जियें। एक बार रीजाइऩ लेटर लिखती तो दूसरे ही पल उसे फाड़कर राजीव को फोन लगा कर उसे फाइनल वाली न बोलने को सोचती अगले ही पल फोन काट कर बिस्तर पर पटक देती।



“जय हिन्द साहब, आपने जो कैसेट दिया था उसका सीडी बन के आ गया है।”- कांस्टेबल बलबीर


“जय हिन्द....!!! ओके इधर लाओ”- सब इन्स्पेक्टर विकास
(स. इं. विकास सीडी को अपने लैपटाप पर चेक करता है सीडी में पूजा की शादी का विडियों शूट होता है विडियों से पूजा के पति का नाम छुन्ने और गाँव का पता मिल जाता है। स. इं. विकास गाँव के पते पर अपने लिंक के माध्यम से छुन्ने का पता लगाता है गाँव का प्रधान थाने आता है.........)





(क्या शिवानी मीडिया और प्रशासन के बढ़ते इस तनाव से पीछे हट कर नौकरी छोड़ देगी? क्या छुन्ने का सच? कही छुन्ने ही इस हत्या कान्ड के पीछे तो नही?..................जानिये अगले अंक में.......