jindagi ki safar veltileter tak - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

जिंदगी की सफर वेंटिलेटर तक - भाग 3

पिछले दो दिनो से हम अस्पताल जा रहे थे, लेकिन कुछ वजह से हमे भाई को नही मिलने दिया जा रहा था।
आज तीसरा दिन था जब मे अस्पताल जाने वाली थी ,
लेकिन आज मे अकेली जाने वाली थी,सुबह सात बजे उठ गई ओर नो बजे मै अस्पताल पहुच गई, लेकिन ये जो कुछ घंटे थे जहा मुझे इंतजार करना था आई सी यु मे जाने के लिए ये सायद मेरी जिंदगी का सबसे लम्बा इंतजार था।कही भी कुछ समझ नही आ रहा था ओर जल्दी से मुझे मेरे भाई को देखना था, दिल ओर दिमाग सुन सा हो गया था ओर कब बारा बजे ओर मे जल्दी से आई सी यु मे जाव?
कुछ समय ऐसे ही बैठने के बाद जैसे ही बारा बजे नशँ ने आके बताया अब आप लोग जा के मरीज से मिल शकते ओर मे ये सुनते ही सबसे पहल आइ सी यु की ओर चलने लगी ।मे पहल एक ही बार आई सी यु मे गई थी जब मेरी नानी को आई सी यु मे दाखिल कीया गया था ओर वहा का माहोल केसा होता है वो कुछ हड़ तक मुझे पता था।
जैसे ही मे आई सी यु मे दाखिल हुई दुसरे ही बेद पर मेरा भाई
उसकी वो हालत देखकर मानो जिंदगी वही थम गई ।ना वो कुछ बोल रहा था ,ना वो मुझे देख पा रहा था, ओर ना ही वो मुझे सुन पा रहा था, मेने नजदीक जा कर भाई के हाथ को अपने हाथों से सहेलाया ओर बुलाया भाई भाई लेकिन कोई जवाब नही ।थोदी देर वहा ही खदे रहेकर उसे ध्यान से देखा तो उस के मुंह मे ओक्सिजन की पाईप लगाई गई थी ओर उससे भाई को ओक्सिजन दिया जा रहा था, अब ये सब कुछ ये बदे बदे मशीन ओर ये सारी पाइप मुझे बहोत कुछ बटा रही थी मेने तुरंत ही वहा कुछ लिख रहे डोकतर को जा के पुछा क्या हुआ है मेरे भाई को???
उनहोंने बटाया आपको जानना है तो थोड़ी देरे डोकतर आये गे आप को जो पुछ ना उनसे ही पुछ लीजिएगा। मे वहा ही खड़ी रही ओर जेसे ही डोरकर आए मेरे सवाल सुरु हो गए,लेकिन डोकतर ने कुछ भी बता ने से पहल मुझे पुछा आप का इनके साथ क्या रिश्त है मेने तुरंत ही कहा मेरा भाई है ।
डोकतर ने कहा हमने आप मम्मी पापा को तो सबकुछ बता ही दिया है कि आप के भाई की हालत कुछ ठीक नहीं है, उनके किडनी, लिवर ओर फेफड़े खराब हो गए है मेने पुछा कितने खराब हो गए है ??मेरा भाई ठीक तो हो जाए गाना??लेकिन डोकतर ने कहा कोई उम्मीद नहीं है।जैसे ही मेने ये सुना की कोई उम्मीद नहीं है मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई। ओर मे रोते हुए आइ सी यु से बहार आई की मामा मामी बहार ही खडे थे ओर रोना नही भाई को कुछ नही होगा वो थीक हो जाए गा एसा दिलासा देने लगे ।उनहोंने मुझे रोने तो नही दिया लेकिन जो डर अपने भाई को खो देने का मेरे मन मे आ गया था वो ना मे किसी को बटा सकती थी ना खुद सह सकती थी ।अब ना मुझे कुछ दिखाई दे रहा था नाही कुछ सुनाई डे रहा था सबकुछ शांत सा हो गया था। मन तो कर रहा था कही किसी कोने मे जा कर रोलु लेकिन मेरा चेहरा देखकर सबको पता चल रहा था की इसकी हालत कुछ ठीक नहीं है इस वजह से मुझे कोई अकेला नहीं छोड रहा था।लेकिन मेरा मन कही लग ही नही रहा था ओर घर से फोन आना सुरु हो गए सुहानी तुम घर कब आ रही हो ?
तुम भाई से मिलने गई की नही??
भाई से मिल लिया हो तो घर वापस आ जाव।ओर मे क्या बोलूं कुछ कहा ही नही जा रहा था ।मे कहती मे आही रही हु बस अस्पताल से नीकल ही रही हु ।लेकिन सच्चाई यही थी मुझे अस्पताल से घर जाना ही नही था मुझे डोकतर से बात कर नी थी कुछ भी करो लेकिन आप मेरे भाई को बचा लिजिए ,लेकिन ना मुझे कोई वहा रहे ने देना चाह रहा था ओर ना ही मेरी वो हालत उन सब से देखी जा रही थी।मेरी वजह से किसी ने खाना भी नही खाया था क्यु की मेने भी खाना नही खाया था ।थोदी देर बाद जब मुझे मेरी वजह से परेशान होते हुए देखा तब खुदको शभालते हुए सबको खाना खाने के लिए केनटीन मे खाने के लिए ले गई ओर मे घर जा कर खा लुंगी एसा बता कर ज्यूस पी लिया ओर सबको खाना खिला डीया ।अभी तक मेने किसी को भी कुछ भी नही बताया था जो मुझे डोकतर ने बता या था । ओर ना ही किसी ने मुझे कुछ पुछा था ।सबकुछ संभालते हुए मे किसी को भी कुछ भी बताये बीना मे घर वापस आने के लिए निकल गई।ये अस्पताल से घर तक का सफर मेरे लिए बहोत लम्बा था क्यु की मुझे घर जाना ही नही था ,घर जा कर सभके सवाल जिनका जवाब मे किसी को दे नही शक्ती थी सायद । लेकिन खुदको संभाल ते हुए मैने एक फोन कीया ओर पुछा की तुम कहा हो मे तुम्हरे घर आ रही हु।ओर सामने से कहा गया की आ जाओ मे घर पे ही थी ।ये फोन मेने अपनी सहेली को कीया था जो अस्पताल मे काम कर तीन थी मे उसके घर गई ओर उसे सबकुछ बताया जो मेने आई सी यु मे देखाथा।उसने कहा तुम्हारे भाई को वेंटिलेटर पर रखा गया है ओर मुह मे पाइप है इसका मतलब यही है की तुम्हारे भाई की हालत बहोत खराब है। ये सारी बातें सुनकर बस आने वाली परीक्षा के लिए खुद को संभाल लिया ओर घर जा कर सबको शभाल ना है ।यही ही मत के साथ घर चली गई।अभी तक दस से बीस बार घर से फोन आ गया थे ।ओर मेने जवाब मे यही कहा था की आ रही हु।अब घर जा कर मुझे सबको संभाल ना था ओर खुदको भी ।जो सच मुझे पता था वो मे ना किसी को बता शक्ती थी ।ना वो सच को खुद पर हावी होने दे शक्ती थी। घर पहुच कर सबको यही कहा हमारे भाई को हमारी डुआ ओ की सबसे ज्यादा जरूरत है ओर हमे उसके लिए दुआ करनी चाहिए। अब हमारी बदी बहेन जिसका नव मा महीना चल रहा था जो हमारे घर ही थी उसे कुछ भी ना बता ने का मेने फ़ैसला किया था।ओर घर वालो से भी यही कहा था की उसे कुछ भी ना बता ए।सब खाना खा कर सोने चले गए ।मेने अस्पताल फोन कीया ओर पुछा भाई की हालत कैसी है अब तो सामने से जवाब आया की थकी है ।सब सो गए थै।लेकिन ये सब दिखावा था किसी को नींद आ ही नही रही थी। सब सोने का नाटक कर है थे ओर सबको लग रहा था की किसी को कुछ पता ही नही चल रहा है।
रात के साडे डस बजे थे मेरे फोन पर अस्पताल से फोन आया ओर मे तुरंत ही भागते हुए घर के बहार चली गई पापा रो रहे थे ओर कहा की हमारा भाई अब नही रहा उनके शान्त करा ते हुए बताया आप शान्त हो जाईये अभी हम ये बात घर मे किसी को नही बता शकते रात बहोत हो गई है ओर मेरी बदी बहेन घर मे ही है ये खबर सुनकर उसकी हालत खराब हो गई तो हम हमार सबकुछ खो डेगे।ओर आप भाई को सुबह ही घर ले आना ऐसा हम ने तय कीया। लेकिन गांव मे किसी को अस्पताल से फोन आ गया की हमारा भाई अब नही रहा। ओर सारा गांव हमारे घर आ पहुंचा।ओर फीर क्या था बाईस साल के बेटे की मामूली से बुखार के कारण मोत होने पर पुरे गांव मे मायूसी छा गई। ओर मेने मेरे भाई को हमेशा के लिए खो दिया। मेरी बदी बहेन ये सदमा सह नही पाई ओर बेहोश हो कर गिर गई जिंसे गांव के कुछ जो हमारे करीबी रिशतेदार थे वो अस्पताल ले गए। ओर उसकी हालत थोडे दिनों मे ठीक हो गई। ओर करीब भाग के जाने के बीस दिन बाद हमारी बहेन ने एक नन्है से बेटों को जन्म दिया। ओर मे उस दिन बहोत रोई थी । कुछ समझ ही नही आ रहा था की उस वक्त वो आँसु क्या ओर क्यु बहे रहे थै।
बस इतनी सी थी मेरी कहानी आपको कैसी लगी जरुर बताई ऐ गा।।।।