Meri kavita sangrah - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

मेरी कविता संग्रह भाग 2

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कविता 1st
कह दूँ उसे या चुप रहूं


कह दूँ उसे या चुप रहूं
जख्मों को सह लूँ या बांट दू उसे

मरहम वो लगाए मुझे या खुदको ही सता लूँ
कह दूँ उसे या चुप रहूं?

वो मुझसे दूर है, उसे गले लगा लूँ या
भूल जाऊँ उसे
वो मेरी पहली मोहब्बत हैं उससे प्यार कर लूं या
भूल जाऊँ उसे
कह दूँ उसे या चुप रहूं?

इश्क में बहुत तड़पा हूं
अब अपनी तड़प मिटा लूँ या
अलग हो जाऊँ उससे
मोहब्बत कर लूं उससे या
रह लूँ उसके बिना
कह दूँ उसे या चुप रहूं?

अब उसे बेइंतहा चाहने लगा हूं
इस मोहब्बत को बढ़ा लूँ या
उससे दूर होकर घटा लूँ
कह दूँ उसे या चुप रहूं?

पल पल बेकरारी बढ़ने लगी
इस चाहत को गले से लगा लूँ या
भूल कर उसे खुद को सता लूँ
क्या कह दूँ उसे या चुप रहूं?

उसकी चाहत ने मुझे पागल कर दिया है
उसके प्यार से आवारा बन जाऊँ या
सँवर जाऊँ मैं
क्या कह दूँ उसे या चुप रहूं?

अपने प्यार को संवार लूँ या
खुद को उसके प्यार में संवार लूँ
कह दूँ उसे या चुप रहूं?
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कविता 2nd

कभी तो जनता हिसाब मांगेगी

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ऐं सरकार कभी तो जनता तुमसे हिसाब मांगेगी..
तुम्हारे दिए जख्मों का हिसाब मांगेगी...

तुमने गरीब जनता,मजदूरों पर लोक डाउन के बहाने कष्ठ दिएं
कभी तो गरीब जनता तुमसे अपना अधिकार मांगेगी.

तुमने देश को जाति,धर्म ,गरीबी के नाम बहकाया...
कभी तो जनता एक होकर तुमसे तुम्हारे
कर्मों का हिसाब मांगेगी.....

तुमने एनसीए,जीएसटी,एफडीआई ,नोटबंदी

आदि के बहाने गरीब जनता को सताया...
गरीब जनता कभी तो अपने जख्मों को भरने का
समान मांगेगी....

ऐं सरकार तुमने एनसीए,कश्मीर विवाद,राममंदिर पर
धर्म को बहकाया....
कभी तो जनता धर्म को छोड़कर वोटो से तुम्हारा काम करेगी,तुम्हारा पाटिया साफ करेगी....

ऐं सरकार तुमने रेल्वे, एल आई सी,बैंक,डिफेंस,आदि को अमीरों के हाथों बेच दिया.....
कभी तो जनता तुमसे पाई पाई का हिसाब मांगेगी...

ऐं सरकार तुम्हारे राज में गरीबी,बेरोजगारी,बढ़ी है..
कभी न कभी जनता वोटो से तुम्हारा हिसाब करेगी..

ऐं सरकार तुमसे कभी तो जनता हिसाब मांगेगी....
वोटो से तुम्हारा पाटिया साफ करेगी....
जनता कभी तुम्हे माफ नहीं करगी....
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🌹🌹🌹कविता 3rd🌹🌹🌹🌹🌹

वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

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मेरी वालीं चाय अच्छी बनाती है
मेरा सपनों का घर अच्छा सजाती है
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

जब मैं उससे मिलता हूँ तो
तब वो मंद मंद अच्छा मुस्कराती है
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

दिल में अरमान बहुत हैं उसके लिए
मेरी वालीं मुझसे प्यार बहुत जताती हैं
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

मेरी वालीं आंखों में सूरमा
कानो पर बाली
सिर पर लाल तिलक अच्छा लगाती है
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

बोली में मिठास है उसके
मेरी वालीं मुझे ग़ज़ल अच्छी सुनाती हैं
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

सपने बहुत अधूरे रह गए उसके पर
मेरे सपनों को सच्च करने के लिए
वो मेरा हौसला अच्छा बढ़ाती है
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

जब भी मुझे उसकी जरूरत होती है
वो दौड़ी दौड़ी चली आती है
वो मेरा साथ बहुत अच्छा निभाती है
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

उसके बाल छोटे छोटे हैं
वो बालों में मोगरा के फूल अच्छे लगाती है
उसकी यादें मुझे बहुत तड़पाती हैं
वो चाय बहुत अच्छी बनाती है

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