Bhutiya kamra - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

भूतिया कमरा - 2

उसने लडके ने कहा की..."हे....!!!तुम्हे ये आवाजे भी सुनाई दे रही है!!!....म..मेरे....मम्मी-पापा...."

मेने उसे कहा....की "क...क्यो ईतना झगड रहे है???तुम चुप कराओ उन्हे...."

वो कुछ नही बोले और जोर जोर से हसने लगा....

मेरा डर अब बढ गया था......

डरते डरते मेने अपने कदम पीछे लेना शुरू कर दिया.....

पर उसने अचानक से मुझे आवाज दि और मुझे वही रोक लिया और कहा की.... "रुको....अब मे...तुम्हारे साथ ही रहुगा....हंम्मेशा.........."

"त....तुम मेरे साथ क्यो रहोगे भला" मे घबराते हुए बोली.....

"क्यो की तुमने मुझे देखा....मुझ से बाते की...अब मे तुम्हारा...दोस्त हु....."इतना केह के वो और हसने लगा......

मुझे बोहोत अजीब लग रहा था वो....

उसने कहा की "घबराओ मत....मे दोस्त हु तुम्हारा....."

मे कुछ नही बोल पा रही थी....

उसने कहा की "चलो टेरेस पे चलते है.....चलो....बाते करते है...."मानो जेसे कई सालो से उसने किसी से बाते ही ना की हो....भला क्यो???

मुझे पता नही अचानक क्या हो गया....मे उसके पीछे पीछे चलने लगी....लीफ्ट बन्द थी...उसने लीफ्ट की ओर देखा और अचानक.....लीफ्ट चालु हो गई....हम लीफ्ट मे चल दिये....अब हम टेरेस पे आ चुके थे....

वो पेहले ही भाग के टेरेस पे पोहोच गया और टेरेस की पारी पर जा कर बैठ गया और मुझे आवाझ देने लगा...."आओ...मेरे पास बैठो...."

मुझे क्या हो गया था मे कुछ समझ ही नही पाई...मे उसके पास जाकर बैठ गई....हमने बोहोत सारी बाते की....उसने मेरे बारे मे सब कुछ पुछ लिया....लेकीन मे उसके बारे मे कुछ भी पुछती वो बात को पलट ही देता....दिखने मे वो मेरे जितना ही दिख रहा था...सायद 16 या 17 साल का होगा....

मेने डरते उसे पुछा की "त...तुम्हारा कोई दोस्त नही है क्या...??"

उसने फट्टाक से जवाब दे दिया..."नही...मेरे...बोहोत सारे दोस्त है....."

मेने पुछा "तो क...कहा है तुम्हारे दोस्त??"

वो जोर जोर से हसने लगा "हा....हा....हा...".....
और बोला की...."Shhhhhh.....मेरे घर मे है सब....अब वो सब....सो रहे है...."

मुझे अजीब लगा....."....अ...अच्छा.....!!!"

उसने कहा की "अब मे तुम्हे भी ले जाऊगा...."

"म....मे कुछ समझी नही" मे डरते हुऐ बोली....

"सब समझ जाओगी" इतना बोल बो फीर हसने लगा......

रात होने वाली थी....उसने मुझसे कहा की "चली जाओ....चली....जाओ...और जोर जोर से हसते हुऐ बोलने लगा की..."मे कल..तुम्हे लेने आऊगा....
हा..हा..हा.."

उसने जेसे ही कहा की "चली जाओ...चली जाओ...."

के तभी मेरे सामने अचानक से काले घने बादल छाने लगे....नीला आकाश पुरा काला पड चुका था....जोर जोर से हवाँऐ चलने लगी...पेड की पत्तीयाँ हवा मे तीलमीलाने लगी....जोर जोर से बिजली कडकने लगी....म...मानो मुझे चेतावनी दी जा रही थी...की मेरा पेर कीसी गलत... बोहोत गलत जगेह पर पड गये हो...भयानक सा द्रश्य मेरे सामने छा गया था....लेकिन वो लडका सिर्फ हसे ही जा रहा था....मै बोहोत डर गई...और अपने हाथो से कान को ढकने लगी....मुझे उसकी वो डरानी हसी बीलकुल नही सुननी थी...मे भागने लगी उससे दुर...

मे लिफ्ट की ओर बढी तो देखा लिफ्ट बंदथी...मे भागते भागते सिडीयाँ उतरने लगी....सिडीयाँ खतम ही नही हो रही थी....मानो मे एक ही जगे बार बार चक्कर लगा रही हो...मे सिडीयो पे भाग ही रही थी की अचानक वो लडका मेरे सामने आ गया...मे जोर से टकरा गई उससे और गीर गई....मे जेसे ही खडी हुई एकदम से मे फ्लेट नंबर 104 के सामने आ चुकी थी....

Shhhhhh....

To be continue....

By jayshree_Satote