Murchha hua fool - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

मुर्छा हुआ फुल (भाग-1)



हमेशा नारी को गलत ठेहराते हैं । कोई कुछ भी करे पर इस समाज नारी को दोषी मानती है । हरबक्त उसे ही proof देनी पडती है की में निर्दोष हुं । फिर भी कोई नहीं सुनता उसकी बात ।

सब अपनी अयसी केलिए उसे use करते हैं । जैसे की उसकी कोई ईच्छा ना हो, कोई सपना ना हो । एक इनसान और एक इनसान केलिए इतना बुरा सोच कैसे रख सकता है ?

दुनियां बदलगया है । इस दुनियां के लोग भी बदलगये हैं और उसके साथ साथ दुसरो के उपर दोश देने का तरीका भी बदलगया है ।

चलो आज यैसे ही कुछ कहानी सुनाती हुं आपको । जिस नारी हमे जनम देती है हम उसीको कैसे सम्मान देते हैं आज सुनाती हुं ।

* कहानी *


तेजी हवा के साथ-साथ बहत जोर् से बारीस् हो रही है । जगंल के रास्ते पर एक गाडी खडी है । एक आदमी गाडी में कुछ ढुडं रहा है सायद । तभी कुछ देर के बाद गाडी की अन्दर से एक औरत की आवाज आई ।

औरत :- क्या हुआ जी ठीक् हुआ की नहीं ?

आदमी :- नहीं मुझसे नेहीं हो रहा है । कोई मेकांनिक् को बुलाना पडेगा ।

औरत :- इतनी रात में ! बारीष् भी हो रही है कोई क्युं आयेगा इस जगंल को ? अब हम क्या करेगें ? तुम्हे बारबार बोलती हुं ये खटारा गाडी को बेच दो, पर नहीं ! तुम मेरी बाते सुनते काहाँ हो ? अब रातभर इसी जगंल में रहो ।

( आदमी गाडी के बाहार खडा है, तभी थोडी दूर से एक बच्ची की रोने की आवाज आई । )

आदमी :- थोडी चुप् रहोगे । देखो तुम्हे कुछ आवाज सुनाई दी क्या ?

औरत :- आरे ये जगंल है कोई भी आवाज आ सकती है, इसमें सुनने से क्या होगी ?

( अब फिर से बच्ची की आवाज सुना उस आदमी ने । )

आदमी :- सुनो कोई बच्ची की आवाज
है । बेचारी बहत रो रही है ।

औरत :- काहाँ ? आरे यहां जगंल में बच्चा काहाँसे आयेगी ?

आदमी :- आरे मैंने सुना है, अभी अभी उसकी रोने की आवाज ।

औरत :- मैंने सुना है जगंल में भुत-प्रेत रेहते हैं । सायद उसमें से किसीका बच्चा हो ।

( फिरसे बच्ची रोई । औरत डरके मारे पानी-पानी हो गेयी । )

आदमी :- डरो मत । कुछ नहीं होगा । चलो देखते हैं काहाँसे आवाज आ रहा था ?

औरत :- में नहीं जाऊगीं, तुम जाउ । में यहीं गाडी में हुं ।

आदमी :- आरे में हुं ! आउ देखते हैं
आगे ।

( औरत गाडी से निकलती है । आदमी और औरत साथ मिलकर जगंल की तरफ बढते हैं । कुछ दूर जाने के बाद एक bag देखते हैं । उसको उठाके लाये और खोलके देखे तो एक लेडकी को देखी । लेडकी बहत सुन्दर थी । उसे देखकर लगती थी सायद एक-दो दिन का बच्ची हो । बच्ची को हातमें लिये और देखने लगे । )

औरत :- सायद इसको ईश्वर ने हमारे लिये भेजा हो । हम इस बच्ची को गोद ले जाते हैं ।

आदमी :- हाँ ! वैसे हमारा भी कोई नहीं है, इसको हम अपने साथ ले चलते हैं ।

( उस बच्ची को हातमें लिये और गाडी के पास आगेये । औरत गाडी में बैठ जाती है । अब बारीष् भी रूकगयी है । आदमी ईश्वर को धन्यबाद देकर जैसे ही गाडी को start किया गाडी चालु हो गया । दोनो आश्चर्य्य हो गये । बच्ची को गोद में लेकर वहां से निकल पङे । )


To be continue.........