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हार जीत - 1

भाग 1 - बात बात में दो सखियों के बीच एक शर्त लगी . शर्त चाहे जिसने भी जीती या हारी दोनों के लिए बुरा ही साबित हुआ .


कहानी --हार जीत 1

दो सखियाँ निर्मला और गरिमा कॉलेज के लॉन में बैठी बातें कर रहीं थीं . दोनों बचपन से ही साथ पढ़ीं और बड़ी हुई थीं . दोनों में प्रगाढ़ मित्रता थी .उन दिनों कॉलेज में वे दोनों “ दो जिस्म मगर एक जान “ के नाम से जानी जाती थीं . उनके बी ए के फाइनल एग्जाम का आखिरी पेपर भी आज ख़त्म हो गया था . दोनों कॉलेज

के लॉन में बैठी अपने भविष्य के सपने बुन रही थीं . दोनों के घरों में उनकी शादी की बात चल रही थी .


निर्मला देखने में शक्ल सूरत से औसत थी जबकि गरिमा काफी सुन्दर . निर्मला साधारण परिवार से थी और गरिमा उच्च मध्य वर्ग से .गरिमा की तुलना में निर्मला दुबली पतली और साधारण कद काठी की थी . गरिमा कपड़े मॉडर्न टिप टॉप पहनती थी जिससे स्मार्ट लगती और काफी लड़कों की पसंद थी वह . वह अक्सर लड़कों का मजाक उड़ाया करती और उन्हें नीचा दिखाने का मौका नहीं छोड़ती .दूसरी तरफ निर्मला शांत और शर्मीली थी और लड़कों का सामना करने से कतराती थी . दोनों के स्वभाव में काफी अंतर था ,फिर भी दोनों की दोस्ती में कोई फर्क नहीं था , बचपन से अभी तक स्कूल कॉलेज में साथ ही पढ़ीं , एक ही रिक्शे से स्कूल और कॉलेज आना जाना रहा होता था .


गरिमा बोली “ कितना अच्छा होता अगर दोनों की शादी भी एक ही शहर में होती . “


निर्मला बोली “ हाँ कितना मज़ा आता , बचपन से किशोरावस्था और जवानी से बुढ़ापे तक का सफर साथ ही तय करते . पर देखें आगे क्या होता है , हर मनचाही चीज तो नहीं मिलती है . “


इत्तफाक से और दोनों के सौभाग्य से निर्मला और गरिमा की शादी भी एक ही शहर में हुई .गरिमा का एक बड़ा भाई था गौरव . वह एम बी ए कर मुम्बई के एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर था .वह बहन की शादी में आया था और उसने गरिमा को काफी उपहार दिए थे जिनमें एक घड़ी भी थी .गरिमा की शादी के कुछ ही दिनों बाद कंपनी ने गौरव की पोस्टिंग आयरलैंड के डब्लिन में कर दी .


निर्मला का पति सुमीत सेंट्रल स्कूल में टीचर था और गरिमा का पति अतुल एक कंपनी में अफसर . सुमीत काफी स्मार्ट और आकर्षक व्यक्तित्व का था जबकि अतुल उसकी तुलना में अति साधारण . फिर भी दोनों सखियाँ अपने अपने घर में काफी खुश थीं और उनके पति भी अपनी अपनी पत्नी से उतने ही खुश .


जब दोनों के पति काम पर चले जाते तो अक्सर दोनों सखियाँ एक ही जगह होतीं . कभी दोनों एक साथ घूमने निकल जातीं तो कभी शॉपिंग पर .अक्सर गरिमा अपनी स्कूटी ले कर आती और दोनों उसी पर घूमने निकलतीं . गरिमा को फ़िल्में देखने का भी शौक था . वह निर्मला को साथ लेकर कभी मॉर्निंग शो तो कभी मैटिनी शो चली जाती . निर्मला को मन नहीं भी होता तो भी गरिमा का साथ देती .


पति को लेकर गरिमा के मन में कुछ हीन भावना थी जिसके चलते वह अपने पति की तारीफ़ हर जगह करती खास कर निर्मला के सामने तो अतुल की बड़ाई करते नहीं थकती . एक दिन वह निर्मला के घर गयी थी . बातों बातों में अतुल की प्रशंसा कर रही थी . निर्मला उसके पति को जीजाजी बोलती थी . उसने कहा “ जीजाजी तो हैं ही तारीफ़ के काबिल . कितना प्यार करते हैं तुम्हें . “


गरिमा बोली “ वह मुझ पर आँख मूँद कर विश्वास भी करता है . मैं अगर दिन को रात कहूँ तो वह इसे भी मान लेगा . “


“ पर यह तो कोई अच्छी बात नहीं है . सुमीत भी हमें बहुत प्यार करता है और मुझ पर भरोसा भी . फिर भी हम दोनों एक दूसरे की उचित बात का सम्मान करते हैं . पर अगर मैं गलत हुई तो वह मुझे सही करता है और कभी वह भी गलत होता है तो मेरी बात मान लेता है .


“ पर अतुल को मुझ पर इतना भरोसा है कि मेरी हर बात को सही मान लेता है . “


“ अच्छा बाबा , चलो मान लिया जीजा तुझ पर बहुत विश्वास करते हैं . “


गरिमा बोली “ नहीं लगाओ शर्त . जल्द अवसर देख कर हमलोग अतुल और सुमीत को परख लेते हैं . “


“ अच्छा बहुत हुआ , कहाँ की बात कहाँ ले आयी . मैं चाय ला रही हूँ , बाकी बातें चाय के बाद . “


एक बार सुमीत को दो दिनों के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा . आज ही देर रात उसे लौटना था . अतुल को ऑफिस में जरूरी मीटिंग थी . उसे लौटने में देर होती इसलिए उसने गरिमा को बोल रखा था कि वह शाम को चाय पर उसका वेट नहीं करे . गरिमा अपना स्कूटी लेकर निर्मला के घर पहुँच गयी . थोड़ा गपशप , चाय पानी का दौर चला . उसके बाद गरिमा बोली “ चल आज मूवी देखने चलते हैं . “


वह अपने स्मार्ट फोन से मूवी की टिकट बुक कर रही थी , पर मैटिनी शो फुल बुक्ड था तो उसने इवनिंग शो का टिकट ले लिया . अक्सर इवनिंग या नाईट शो वे अपने पति के साथ ही जाती थीं . पर गरिमा बोली “ आज मूवी का मूड बन गया है तो चलो इवनिंग शो ही सही . सुमीत भी बाहर गया है और अतुल को आज देर से लौटना है . “


दोनों सहेलियाँ शाम को सिनेमा हॉल जा पहुंचीं . उस समय बारिश तो नहीं थी पर बादल घेरे हुए था . दोनों जब तक हॉल में थीं , बाहर अच्छी बारिश हुई . उनके निकलने के बाद भी हल्की बारिश हो रही थी .बाहर बिजली गुल थी .


गरिमा बोली “ चलो सामने कॉफ़ी हाउस में कॉफ़ी पीते हैं , तब तक शायद बारिश भी थम जाये और पावर आ जाये .”


उनके बगल के टेबल पर बैठे दो लड़के उनकी बातें सुन रहे थे. कॉफ़ी हाउस से बाहर निकलते समय बारिश लगभग रुक गयी थी बस मामूली बूंदा बांदी हो रही थी , पर बिजली अभी भी गुल थी . गरिमा और निर्मला दोनों ने सोचा कि अब बिजली का वेट करना व्यर्थ है . गरिमा ने स्कूटी स्टार्ट किया और दोनों घर के लिए निकल पड़ीं .


थोड़ी दूर तक तो रास्ते में हलकी फुलकी रौशनी थी , दुकानों के जेनेरेटर या इन्वर्टर से . इसके बाद घोर अँधेरा और सन्नाटा था . पर गरिमा रुक कर भी क्या करती , आगे बढ़ती गयी .


कुछ ही पल बाद एक मोटरसाइकिल उनसे लगभग सटता हुआ आगे निकल कर रास्ता रोक कर खड़ा हो गया . उस बाइक पर दो लड़के थे . लड़कों ने अपनी बाइक कड़ी की और दोनों लड़कियों को खींच कर स्कूटी से नीचे उतारना चाहा . गरिमा तो दोनों पैर सड़क पर रखे यथावत स्कूटी पर बैठी रही , पर एक ने निर्मला को खींच कर उसे स्कूटी से उतार लिया और गोद में उठा कर एक हाथ से उसका मुँह बंद किये एक किनारे अँधेरे में ले जा कर पटक दिया .निर्मला ने शोर मचाना चाहा तो उसे जोरदार थप्पड़ें लगीं और उसका मुंह बंद कर दिया ,वह लगभग बेहोश हो गयी . फिर उस बदमाश ने निर्मला के साथ अपना मुंह काला किया . निर्मला को अर्धनग्न अवस्था में वहीँ छोड़ दिया .


दूसरी तरफ गरिमा दूसरे लड़के के साथ भिड़ रही थी . स्कूटी को सड़क पर छोड़ कर भागने की कोशिश कर रही थी और बचाओ बचाओ बोले जा रही थी , पर वहां आस पास कोई न था . उस बदमाश लड़के ने उसे दबोच लिया . गरिमा ने थोड़ी बहादुरी दिखाई , उसके साथ हाथपाई करने लगी जिसके चलते उसकी घड़ी बदमाश के हाथ लग गयी . इस बीच उसके ऊपर के वस्त्र जगह जगह से बुरी तरह फट गये थे . उसे कई जगहों पर मामूली चोटें लगीं और खरोचें भी आई . पर वह उसके चंगुल से छूट कर किसी कोने में जा छुपी . थोड़ी देर में एक कार को आते देख दोनों लड़के भाग गए .


कुछ देर बाद गरिमा निकल कर स्कूटी के पास आयी , और निर्मला को आवाज देने लगी . उसे कुछ दूर पर निर्मला के सिसकने की आवाज सुनाई पड़ी . वह निर्मला के पास गयी , उसकी अवस्था देख कर गरिमा दुखी हो कर बोली “ मुझे माफ़ कर निर्मला , मेरे ही चलते तेरा यह हाल हुआ . मैंने तो सपने में भी इस दुर्घटना की कल्पना नहीं की थी . “


गरिमा ने उसे काफी सांत्वना दे कर चुप कराया . उसने अपने और निर्मला के कपड़ों से धूल झाड़े , रूमाल से हाथ मुंह साफ़ किये और निर्मला से कहा “ जो हुआ सो हुआ , इसे बुरा सपना समझ कर भूल जाना . मुझे लगता है तुम सुमीत से इसकी चर्चा भी नहीं करना . “


निर्मला चुपचाप स्कूटी पर बैठ कर अपने घर पहुंची . सुमीत तब तक नहीं आया था . उसने स्नान कर कपड़े बदले . उधर जब तक गरिमा घर पहुँची अतुल घर पर आ गया था . दरवाजा उसने खोला तो गरिमा को ऐसी अवस्था में देख कर कुछ देर तक भौंचक्का रहा , फिर बोला “ ये सब कैसे हुआ , एक्सीडेंट हुआ क्या ? “


वह बोली “ हाँ , एक्सीडेंट ही था , बहुत बुरा हुआ . मैंने तो किसी तरह अपनी इज्जत बचाई पर बेचारी निर्मला बदमाश के हवस का शिकार बन गयी . मेरी ही गलती थी . मैंने ही उसे इवनिंग शो के लिए फ़ोर्स किया था . “


अतुल बोला “ पर तुम कैसे बच निकली उनके चंगुल से ? “


“ मैं अंत तक उससे लड़ती रही , मार खाती रही , पर मैंने अपनी आबरू बचा ली . पर तुम प्लीज सुमीत से इसकी चर्चा नहीं करना . मैंने भी उसे मना कर दिया है . “


“ पर मुझे तो अजूबा लगता है कि उस बदमाश ने तुम्हें यूँ छोड़ दिया . और तुम्हारी हालत देख कर नहीं लगता है कि तुम को सही सलामत छोड़ा होगा उसने . खैर जाओ नहा धो कर चेंज कर लो . “


उस रात अतुल और गरिमा में इसके आगे कोई बात नहीं हुई . उधर देर रात सुमीत वापस आया तो निर्मला ने उसे खाने के लिए पूछा तो वह बोला “ बहुत देर हो रही थी , जोर की भूख लगी थी . मैंने रास्ते में खा लिया है . तुमने नहीं खाया है तो खा लो . “