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वेलेंटाइन डे

14 फरवरी की सुबह और दिनों से अलग थी। आज वेलेंटाइन डे जो था। मार्किट में फूलों की दुकानें सजी हुई थी। खासतौर पर लाल गुलाब के फूलों की बहुत ज्यादा मांग थी। कुछ ऐसा ही हाल गिफ्ट शॉप का भी था। गिफ्ट की दुकानें लाल और सफेद गुब्बारों और फूलों से सजाई गई थी। ग्रिटिंग कार्ड और तरह-तरह के गिफ्ट लेने के लिए दुकानों में युवा लड़के और लड़कियों की काफी भीड़ थी। युवा भी जोश से काफी भरपूर लग रहे थे।

ऐसा लग रहा था कि फिजाओं में कामदेव बांहे पसार कर प्यार की जोरदार बरसात कर रहे हों। मौसम भी काफी रुमानी था। सूरज बादलों के साथ आंख-मिचौली खेल रहा था। मंद-मंद हवा चलने से मौसम काफी खुशनुमा हो गया था। स्टाइलिश कपड़ें पहने लड़के और लड़कियां सरे राह बिना किसी से झिझके बाहों में बांहे डाले प्यार की पींगे बढ़ा रहे थे। दुनिया की बंदिशों को तोड़कर और डर की चादर अपने दिलो-दिमाग से उतार फेंककर वे प्यार के इस त्यौहार में पूरी तरह से रंग जाना चाहते थे।

कुछ ऐसा ही हाल नोएडा के फिल्म सिटी में स्थित मारवाह कैंपस का भी था। कैंपस के हर कोने में लड़के-लड़कियों का जमघट लगा हुआ था। कई लड़कियों के हाथों में गुलाब के लाल फूलों का गुलदस्ता और ग्रिटिंग कार्ड थे, जो उन्हें उनके प्यार के देवता से मिले थे। कैटीन और गार्डन में दोस्तों के साथ मटरगश्ती कर रहे युवाओं के खिलखिलाने की आवाज से पूरा कैंपस चहक रहा था।

ये वो कालेज था, जहां लड़के और लड़कियां बॉलीवुड में जाने का सपना लेकर आए हैं। कोई एक्टर, तो कोई डॉयरेक्टर और कोई राइटर तो कोई कैमरामैन बनने की ट्रेनिंग ले रहा था। बॉलीवुड में जाने की मंजिल तो अभी कोसों दूर थी लेकिन उसके तौर-तरीकों की नकल यहां के छात्रों ने पहले ही अपना ली थी। बिंदास और बोल्ड...हाथ में कोल्ड ड्रिंक की बोतल हो या फिर चाय-कॉफी, उसके साथ सिगरेट के कश लगाना यहां के लड़के और लड़कियों का शौक बन गया था। अपनी मस्ती में खोए ये छात्र आज वेलेंनटाइन डे का पूरा लुत्फ उठा रहे थे।

मगर, एक लड़का ऐसा भी था, जो इस शोर-शराबे से अलग गार्डन के एक कोने में बैठा अपनी ही धुन में मस्त था। गोल चेहरा, थुलथुल शरीर, मोटी नाक, चेहरे पर हल्की दाढ़ी-मूंछ, आंखों पर नजर का चश्मा, नीली जींस, लंबा बाजूदार हरा कुर्ता और हाफ जैकेट पहने यह युवक पेंसिल से किसी युवती का स्कैच बनाने में व्यस्त था। उसके पास एक बैग और पानी की बोतल रखी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे आसपास के माहौल से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था।

कुछ देर बाद, कैंपस के गेट पर एक ऑटो रुका। उसमें से एक बेहद खूबसूरत लड़की उतरती है। वह ऑटोवाले को पैसे देती है और कैंपस के अंदर दाखिल होती है। उस लड़की के कैंपस में दाखिल होते ही मानो वक्त ठहर सा जाता है। आसपास के सभी लड़कों की नजर उसकी तरफ मुड़ जाती है। गोरा रंग, लंबा चेहरा, गुलाब की पखुड़ियों की तरह नाजुक होंठ, हवा में लहराते हुए खुले बाल, हाई हिल की सैंडिल और हाथ में गुलाबी रंग का हैंडबैग.. लाल रंग की मिनी स्कर्ट में वह कयामत ढा लग रही थी।

महक नाम था उसका और वह इस कालेज की सबसे खूबसूरत लड़की थी। हालांकि वह मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी लेकिन उसके सपने आसमान से भी ऊंचे थे। उसका सपना नामी अभिनेत्री बनकर बॉलीवुड पर छा जाने का था। अभी महक, कैंपस के अंदर थोड़ी दूर तक ही गई थी कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। महक ने पीछे मुड़कर देखा तो विक्की खड़ा था। इससे पहले की वह कुछ समझ पाती, विक्की उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया। उसने महक का हाथ अपने हाथ में लिया और उसकी हथेली पर किस कर लिया। महक हैरान थी लेकिन इससे पहले की वह कुछ बोल पाती, विक्की ने अपनी जेब से एक हीरे की अंगुठी निकाली और उसकी अंगुली में पहना दी।

‘विश यू हैप्पी वैलेनटाइन डे माई स्वीट हार्ट।’ ये शब्द सुनकर महक के होठों पर मुस्कान बिखर गई।

‘ओह विक्की, तुम्हारा प्यार जताने का अंदाज सचमुच बिल्कुल अलग है। आई लव यू, आई लव यू सो मच। तुमने तो मुझे सरप्राइज ही कर दिया।’

विक्की, महक को अपनी बांहों में भर लेता है और उसके गाल पर एक किस करता है। आसपास खड़े सभी लड़के और लड़कियां तालियां बजाकर इस लव बर्ड की जमकर हौसलाअफजाई करते हैं।

‘अब अगर आप दोनों का रोमांस खत्म हो गया हो तो हम कैंटीन में चले।’ वहां खड़े विक्की और महक के दोस्त एकसाथ चिल्ला कर मजाकियां अंदाज में उनसे कहने लगे। दोनों एक-दूसरे की ओर देखते हैं और आंखों ही आंखों में इशारा कर, हाथों में हाथ लिए कैंटीन की ओर बढ़ जाते हैं।

कुछ दूर पीछे खड़ा संगम भी यह सब देख रहा होता है। वह उस चित्र पर नजर डालता है, जो उसने अभी हाल ही में पूरा किया था। वह दोबारा गार्डन में जाकर बैठ जाता है। उस चित्र को अपने बैग में रखता है। बोतल उठाता है जिसमें सिर्फ थोड़ा सा पानी बचा था। वह उसे पीता है, फिर अपना चश्मा उतारता है और जेब से रुमाल निकालकर माथे को पोंछता है।...इसके बाद वह उठता है, अपने पैंट पर लगी मिट्टी को झाड़ता है। पानी की खाली बोतल पास के डस्टबीन में डालता है और वहां से कैंटीन की ओर चल देता है।

कैंटीन में विक्की और महक के साथ उनका पूरा ग्रुप जमकर मस्ती कर रहा था। राज, आदित्य, पृथ्वी, प्रियंका, सपना और नैंसी, ये विक्की और महक के दोस्त थे।

‘यार आदित्य कब तक हम इस सड़ी हुई कैंटीन में बैठे रहेंगे। कही ओर चलने का प्लान है या नहीं।’ विक्की ने मुंह बनाते हुए पूछा।

‘तू टेंशन क्यों ले रहा है यार, आज पूरे दिन हम लोग मस्ती करेंगे। थोड़ी देर यहां खाते-पीते हैं फिर उसके बाद क्लब चलेंगे। वहीं, डांस, दारू और लंच का इंतजाम है।’

‘यह हुई न बात, लेकिन तू हमें इस बारे में बता क्यों नहीं रहा था।’ विक्की ने कॉफी का एक सिप लेते हुए पूछा।

‘यार मैं भी तुम सब को सरप्राइज देना चाहता था। आदित्य ने नैंसी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

‘महक, इस विक्की को थोड़ा सम्हाल कर रखा कर ना यार..हर चीज के लिए कितना उतावला रहता है।’

‘तूझे क्या लगता है, मैं इसे सम्हालती नहीं। मुझसे पूछो मैं इससे कैसे झेलती हूं।’ महक ने विक्की की ओर इशारा करते हुए कहा। उसकी इस बात पर सभी ठहाका मारकर हंसने लगे।

इस बीच, संगम कैंटीन के अंदर दाखिल होता है। वह महक के सामने से गुजरता है।

विक्की, संगम को देखता है और उसका मजाक उड़ाता है। वह उसे तेज आवाज में बुलाता है।

‘अबे संगम आज तूने किसी लड़की को प्रपोज नहीं किया या फिर किसी ने तूझे घास नहीं डाली।’

‘यह बेचारा किसी को प्रपोज कैसे करेंगा। पिछले साल महक से पड़ी लताड़ अभी तक भुला नहीं होगा साला। याद है इसने महक को प्रपोज करने की गलती की थी और साले की ऐसी बाट लगी थी कि अब महक समेत कालेज की सभी लड़कियों को बहन की नजर से देखता है।’ आदित्य ने हंसते हुए कहा।

‘यार आदित्य ऐसे किसी का मजाक नहीं उड़ाते। अब गुस्सा छोड़ यार संगम, यहां आ मैं तूझे बताता हूं कि लड़की को कैसा पटाया जाता है।’ विक्की की इस बात पर वहां आसपास बैठे सभी लड़के-लड़कियां जोर-जोर से हंसने लगते हैं, लेकिन महक नहीं हंसती। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आता।

संगम भी, विक्की की बात अनसुना कर देता है और कैंटीन वाले से एक पानी की बोतल लेता है और उसे बैग में रख लेता है।...और फिर महक और उसके दोस्तों के पास आकर खड़ा हो जाता है।

संगम, महक की ओर देखता है। महक की नजर संगम से टकराती है लेकिन वह समझ नहीं पाती कि उससे क्या कहे और क्या नहीं कहे। पिछले साल उसने संगम की जिस तरह से बेइज्जती की थी, कि कोई और लड़का होता तो शायद फिर कभी ऐसी हिमाकत नहीं करता। लेकिन वह संगम की हिम्मत देखकर हैरान थी। वह अपनी आंखें नीची कर यहां-वहां ताकने लगती है।

‘मैं आज भी महक को उतना ही प्यार करता हूं, जितना एक साल पहले किया करता था।....और मेरा यह प्यार हर दिन के साथ कम होने की बजाय बढ़ता ही जाता है।’

वहां बैठे सभी लोग संगम के यह शब्द सुनकर भौच्चके रह जाते हैं क्योंकि किसी को भी उससे इस तरह के जवाब की उम्मीद नहीं थी।

‘चुप साले, तेरी हिम्मत कैसे हुई यह कहने की, मैं तेरे हाथ-पैर तोड़ दूंगा।’ विक्की गुस्से से उठता है, लेकिन महक, उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लेती है।

‘मुझे मत रोको महक, इस साले की हिम्मत तो देखों, मेरे सामने तुम्हारे बारे में उल्टा-सीधा कह रहा है। साले अपनी मोटी नाक वाला थोपड़ा शीशे में जाकर देख, प्यार तो दूर कोई लड़की तेरे ऊपर थूकना भी पसंद नहीं करेगी। सुअर की शक्ल वाले इंसान।’

’तुम शांत बैठो विक्की, मैं इससे बात करती हूं।’

‘तुम्हें इससे कोई बात करने की जरूरत नहीं, मैं आज इस साले को मार-मारकर इसका कीमा बना दूंगा।’

‘तुम्हें ऐसा-वैसा कुछ करने की जरूरत नहीं है। प्लीज, तुम शांत बैठों में बात करती हूं।’ महक उठकर संगम के सामने आकर खड़ी हो जाती है।

संगम उसके सामने सिर झुकाए खड़ा था।

‘क्या हुआ, अब हिम्मत नहीं है मेरी तरफ देखने की।’ महक, ताना मारते हुए कहती है।

‘संगम नाम रखने का मतलब यह नहीं कि तुम्हारा किसी से भी संगम हो जाएगा। मैंने तुमसे पहले भी कहा था कि अपनी औकात में रहो। विक्की सही कह रहा है, अपनी मोटी नाक वाला चेहरा आईने के सामने जाकर देखो, तुम्हे भी अपनी इस शक्ल से नफरत होने लगेगी।’ महक के कड़े शब्दों में गुस्सा और तिरस्कार साफ दिखाई दे रहा था।

...ओके ठीक है, तुम मुझसे प्यार करते हो न, तो क्या तुम पूरी जिंदगी मेरा इंतजार कर सकते हो?’

संगम धीरे से अपना सिर उठाकर महक की ओर देखता है। वह मुस्कुराता है और वहां से चुपचाप चला जाता है। महक अवाक खड़ी रह जाती है। संगम की मुस्कुराहट उसे एसी लगती है कि जैसे मानों किसी ने उसपर बिजली गिरा दी हो।

‘ये साला साइको है महक, तुमने मुझे रोक दिया नहीं तो मैं आज इसकी मार-मारकर ऐसी हालत कर देता कि फिर कभी ये तुम्हारी तरफ देखने की जुर्रत नहीं करता।’ विक्की का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था।

‘अब जाने दो विक्की, इस बेवकूफ के लिए क्यों हम सब अपना मूड खराब करे। जस्ट चिल यार, इजॉय।’ खुद को सम्हालते हुए महक, विक्की के गाल पर किस करते हुए कहती है।

‘चलो यार अब पार्टी के लिए क्लब भी तो चलना है। मैं लेट नहीं होना चाहती हूं।’ नैंसी अपनी घड़ी पर नजर डालते हुए कहती है।

महक जैसे ही दो कदम चलती है उसकी सैंडिल टूट जाती है।

‘ओह शिट यार, मेरी सैंडिल टूट गई।’ महक, झुझलाते हुए कहती है।

‘ओह नो, लेकिन तुम टेंशन मत लो यार, मैं तुम्हें रास्ते में नई सैंडिल दिलवा दूंगा। ‘विक्की, महक से कहता है।

‘नई सैंडिल लेने की कोई जरूरत नहीं है। विक्की तुम बस थोड़ी देर रुको, मोची गेट के सामने ही बैठता है मैं उससे सैंडिल ठीक करवाकर बस पांच मिनट में आई। प्लीज, मूड खराब मत करो यार..तीन दिन पहले ही मैंने इन्हें खरीदा है। बस थोड़ा सा इंतजार कर लो।’

महक, प्रियंका की सैंडिल पहनती है और अपनी टूटी हुई सैंडिल एक पॉली बैग में डालकर कैंटीन से बाहर निकल जाती है। अपनी मस्ती में धुन महक जैसे ही रोड पार करती है, एक तेज गति से आ रही कार उसे टक्कर मार देती है।

महक चीखती है और उसकी चीख पूरी फिजाओं में फैल जाती है।

15 साल बाद...

शाहदरा का गुरुतेग बहादुर अस्पताल। सुबह करीब 10 बजे का समय था। एक आदमी धीरे-धीरे चलता हुआ अस्पताल के अंदर दाखिल होता है। उसके कंधे पर एक थैला टंगा था। वह लिफ्ट के पास जाकर खड़ा हो जाता है।

‘भाई साहब लिफ्ट खराब है। आज आपको पांचवीं मंजिल पर सीढ़ियों से ही पर जाना पड़ेगा।’ लिफ्टमैन ने उस आदमी से कहा।

वह आदमी कुछ कहे बिनासीढ़ियों के रास्ते ऊपर जाना शुरू कर देता है। थोड़ी सी सीढ़ियां चढ़ने के बाद ही वह हांफ जाता है। वह थोड़ा रुकता है और एकबार फिर अपनी चढ़ाई शुरू कर देता है। कुछ देर बाद वह पांचवीं मंजिल पर पहुंच जाता है। वह बाएं तरफ मुड़ता है और कुछ कदम चलने के बाद एक गैलरी की ओर बढ़ जाता है। इसके बाद वह एक कमरे का दरवाजा खोलता है और अंदर दाखिल हो जाता है। वह अपना थैला पास पड़ी कुर्सी पर रखता है और जेब से रुमाल निकालकर माथे पर आया पसीना पोंछता है। वह फिर अपना चश्मा उतारता है और रुमाल से उसके शीशे को साफ करके दोबारा पहन लेता है।

उस कमरे में दाएं ओर एक बेड होता है जिसपर एक महिला शांत चित लेती हुई थी। उस महिला का चेहरे पीला पड़ा हुआ था। चेहरे की स्किन सिकुड गई थी और चोट के कई निशान होने के कारण उसका चेहरा बदसूरत लग रहा था। होठों पर पपडी जम गई थी और आंखों के नीचे काले गहरे निशान हो गए थे। वह आदमी उस महिला के पास रखी कुर्सी पर बैठ जाता है और उसके बालों में हाथ फेरता है।

कुछ देर बालों में हाथ फेरने के बाद वह एक मग में पानी लाता है। अपने बैग में से एक कपड़ा निकालता है और उसे थोड़ा गीला करने के बाद उस महिला के चेहरे और होठों को साफ करता है। उसकी पेशाब की थैली निकालता है और उसे बाथरूम में ले जाकर साफ करता है। इसके बाद वह कंघा निकालकर उस महिला के बालों को सुलझाता है। फिर, थैले में से एक लिपस्टिक निकालता है और उस महिला के होठों पर सलीके से लगाता है।

‘बहुत खूबसूरत लग रही हो, हमेशा की तरह। मैं आज थोडा लेट हो गया, इसलिए प्लीज गुस्सा मत होना। ये देखो आज मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं?’

वह आदमी, अपने थैले से लाल गुलाब के फूलों का गुलदस्ता और कुछ चाकलेट निकालता है।

‘आज वैलेनटाइन डे है महक, ये देखों तुम्हारे पसंदीदा लाल गुलाब के फूल और नट्स वाली चाकलेट। तुम्हारे लिए अच्छे और ताजे फूल लाने में थोड़ा सा लेट हो गया था।’

संगम, फूलों को महक के चेहरे के पास ले जाता है।

‘अच्छी खूशबू हो न महक, मैं जानता था, तुम्हें ये जरूर पसंद आएंगे। ये फूल बिल्कुल ताजे और काफी खूबसूरत हैं, तुम्हारी तरह।’

‘विश यू हैप्पी वैलेनटाइन डे महक।’ संगम उसको माथे को चूम लेता है।

महक, पिछले 15 सालों से मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं लेकिन तुम अभी तक मेरे से नाराज हो। डॉक्टर ने मुझे बताया है कि अब मेरी आवाज तुम्हारे कानों तक पहुंचने लगी है। मुझे पूरा विश्वास है कि एक दिन तुम जरूर कोमा से बाहर निकल आओगी। तुम जल्दी से सही हो जाओ, फिर हम दोनों साथ-साथ वैलेनटाइन डे मनाएंगे।

मैं जानता हूं, तुम बहुत जिद्दी हो, लेकिन मैं भी देखता हूं कि तुम कब तक मेरे से बात नहीं करती हो..पूरी जिंदगी तुम्हारा इंतजार करूंगा, पूरी जिंदगी।

संगम चाकलेट निकालता है जो थोड़ी सी पिघली हुई होती है। वह थोड़ी सी चाकलेट महक के होठों पर लगा देता है। अच्छी लगी न? तुम्हारी फेवरेट चॉकलेट जो है..महक तुम उस दिन लाल रंग की ड्रेस में बहुत खूबसूरत लग रही थी। तुम चहकती और मुस्कुराती हुई बहुत अच्छी लगती हो, इस तरह खामोश रहना तुम्हारी फितरत नहीं है। बस तुम जल्दी से पहले जैसी हो जाओ..

गुडमार्निग संगम, डॉक्टर वेदप्रकाश अग्रवाल ने कमरे में प्रवेश किया।
गुडमार्निंग डॉक्टर, संगम ने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।

डॉक्टर महक की नब्ज चेक करते हैं। ‘तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है। महक की तबीयत में अब तेजी से सुधार हो रहा है।’

‘थैक्यू डॉक्टर..’ संगम ने कहा।

‘मुझे थैक्यू कहने की कोई जरूरत नहीं संगम। मैंने तो सिर्फ अपना काम किया। सच तो यह है कि तुम्हारा प्यार है जिसकी वजह से उम्मीद की किरण जगी है और महक की तबीयत में सुधार हो रहा है। मैंने बहुत दुनिया देखी है लेकिन तुम्हारा जैसा प्यार करने वाला इंसान नहीं देखा। मुझे आज भी याद है वो दिन जब महक को इस अस्पताल में लाया गया था और कुछ महीनों बाद इसके परिवार वालों ने इसे यूंही लवारिस छोड़ दिया था।...तब तुम ही थे संगम, जिसने महक का हाथ थामा और तब से अब तक इसकी देखभाल कर रहे हो। मैं तुमसे वायदा करता हूं संगम, महक जल्द फिर पहले जैसी हो जाएगी।’

‘अब मैं चलता हूं और कल आऊंगा। तुम अपना ख्याल रखना संगम।’

‘ओके डॉक्टर।’

संगम, महक के पास आकर बैठता है और उसका हाथ अपने हाथों में ले लेता है।

‘सुना तुमने महक, डॉक्टर साहब क्या कह रहे थे। बस कुछ दिन की बात और है, फिर तुम जल्द पूरी तरह से ठीक हो जाओगी। मुझे सालों से उस पल का इंतजार है जब मैं तुम्हे फिर मुस्कुराते हुए देखूंगा। तुम्हारा अलहड़पन, तुम्हारी मस्कुराहट, तुम्हारी अदाएं, तुम्हारी आवाज और तुम..मैं पूरी जिंदगी इंतजार करूंगा।’

संगम उसके माथे पर एक चुंबन लेता है और कंधे के पास अपना सिर रखकर लेट जाता है। महक का चेहरा भावहीन था, लेकिन संगम की बातें आसानी से उसके दिल और दिमाग तक पहुंच रही थी। उसकी आंखें खुली हुई थी और उन आंखों के किनारे आंसूओं से गीले हो रहे थे।