BOYS school WASHROOM - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

BOYS school WASHROOM - 8

विशाल, हर्षित, और राहुल तीनो प्रिंसिपल को देख कर भाग जाते हैँ….इधर यश अपने कपड़े ठीक करता है और अपना बैग पैक करने लगता...वो कुछ किताबें उठाता है की एक किताब मे से एक पन्ना निकल कर नीचे गिर जाता है...यश किताबों को बैग मे रखकर उस पन्ने को उठाता है…"अरे! ये क्या है"...पन्ना खाली होता है, यश पलट कर देखता है तो उस पर कुछ लिखा होता है, ….यश देख ही पाता है कि प्रिंसिपल की आवाज़ आती है….

'यश तुम अभी तक गए नहीं बस जाती ही होंगी, कम ऑन हरी अप!....


यश बिना पढ़े ही उस कागज़ को जल्दी से जेब मे रखता है….."सर मै बस जा ही रहा था वो कुछ भूल गया था"...प्रिंसिपल वहां से चला जाता है और अगले ही पल यश भी जल्दी से निकलकर बस मे जाकर बैठ जाता है….


बस सब के घर पर रुक रही होती है….एक एक कर सब बच्चे उतरते जाते हैँ, क्यूंकि हर्षित, विशाल, राहुल और यश का स्टॉप सबसे लास्ट मे था तो बस मे सिर्फ वही बचते हैँ जो की पीछे की तरफ बैठे हुए होते हैँ और विहान आगे….विहान को अकेला बैठा देख यश उठ कर उसके पास बैठ जाता है….ये देखकर हर्षित से रहा नहीं जाता और वो यश से बोल पड़ता है..


'क्यों बे हेड बॉय अब तेरे रूल कहाँ गए, सुबह तो बड़ा ज्ञान झाड़ रहा था, खूफ करो तो कुछ नहीं'....


हर्षित ने यश पर कई ताने कसे लेकिन यश ने उसे एक का भी जवाब नहीं दिया वो बस विहान का हाथ थामे उस से बातें करता रहा….हर्षित, विशाल और राहुल के घर भी यश के घर के आस पास ही थे इसलिए उनका एक कॉमन बस स्पॉट था...बस वहां जाकर रुकी सब जाने के लिए खड़े हुए की हर्षित और विशाल भागते हुए आये और यश से टकरा गए….यश का बैग नीचे गिर गया...यश बैग उठाने को नीचे झुका की पीछे से राहुल बोल पड़ा…'आई ऍम सो सॉरी....ब्रो....लगी तो नहीं'...


फिर जवाब देते हुए यश ने कहा..'भाई मे तो ठीक हूँ...लगता है तुम लोगों को ख़ुशी बर्दास्त नहीं हो रही'


तीनो एक दुसरे की तरफ देखने लगे आखिर ये बोल क्या रहा है???.....कोई कुछ पूछता उस से पहले ही यश नीचे उतरते हुए विहान से बोला… "विहु लगता है किसी को उनकी ख़ुशी बर्दास्त नहीं हो रही….ओह! मे तो बधाई देना भी भूल गया, तुम तीनो को तुम्हारी 15 दिन की छुट्टी मुबारक हो, एन्जॉय करना #ब्रो"....


ये सुनकर तीनो बौखला उठे पर अब वो मजबूर थे क्यूंकि ये स्कूल नहीं था अगर यहाँ वो कुछ करते तो आस पास मे पता चल जाता और फिर बात उनके घर तक पहुँच इसलिए वो सब चुप चाप अपने घर चले गए…..


यश भी विहान के साथ अपने घर पहुंचा, उसने डोर बैल बजायी….लेकिन वो आज सुबह से हुयी इतनी सारी बातों मे ही खोया हुआ था तो उसे पता ही नहीं चला की उसका हाथ डोर बैल पर ही रखा है और बैल बजती जा रही थी। विहान बस खड़ा हुआ यश को ही देखे जा रहा था उसने भी यश को कुछ नहीं बोला क्यूंकि यश को ऐसे देख कर वो भी अपनी सोच मे खोया हुआ था....फिर कुछ देर मे बैल की आवाज़ को दबाती हुयी एक आवाज़ के साथ घर का दरवाज़ा खुला...