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सुधार गृह

"अरे!! लड़का तो शरीफ है हमारा, बस मोहल्ले के लड़कों ने इसे बिगाड़ दिया है। इसका ब्याह कर दूंगी तो सुधर जाएगा। कोई लड़की बताओ जीजी! कम पढ़ी लिखी हो, चाहे कितनी भी गरीब हो, अपने ही घर के जोड़े में विदा कर लाऊंगी।" - शांति जी ने नीलम जी से कहा।

शांति जी का बेटा माधव, था तो सिर्फ 21 बरस का; पर शायद ही कोई ऐसा ऐब होगा जो उसमें नहीं था।

गली पड़ोस में जब भी कोई बेटे की शिकायत लेकर आता तो वो एक ना सुनती बल्कि अपने बेटे की ही हिमायत करती थीं।

माधव को एक दिन उसके दोस्तों के साथ पुलिस ने पकड़ लिया, जैसे तैसे करके शांति जी ने छुड़वा तो लिया पर उस दिन के बाद वो थोड़ा सहम गई।

ऐसे ही चलता रहा तो कल को कौन इसका रिश्ता करेगा, वंश कैसे आगे बढ़ेगा।

बेटा तो मां की एक ना सुनता था।

शांति जी मंदिर में पुजारी के पास पहुंची, बेटे की बुद्धि ठीक हो इसके लिए ताबीज़ बनवाया।

पूजारी जी ने कहा गायत्री मंत्र का जाप करवाओ और बेटे को ब्याह दो, सुधर जाएगा।

शांति जी ने वहीं पल्लू को गांठ लगा ली; 6 महीने के अंदर लड़के का ब्याह करना ही है!

लड़की की तलाश शुरू हुई। आसपास के लोगों को तो माधव की हरकतों की सारी जानकारी थी, किसी ने रिश्ता नहीं बताया।

अंत में शांति जी की बहन नीलम जी ने रिश्ता बताया।

लड़की की 4 बहनें थीं, अभी लड़की ने 12 वीं पास ही कि थी। सौम्या पढ़ने में बहुत होशियार थी पर पिताजी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आगे की पढ़ाई नहीं कर सकी और सिलाई करके मां का हाथ बंटाती थी।

सौम्या के पिता को बेटी का ब्याह करने लायक खर्च भी शांति जी ने ही दिया।

शादी के वक्त भी माधव शराब पीकर ही फेरों पर बैठा था।

सौम्या माधव की ऐसी हालत देख ; अपने हालातों पर खूब रोई। पर उसकी सिसकियां सुनने वाला कोई ना था।

विदाई भी हो गई ।

शांति जी के घर बहू की मुंह दिखाई के लिए पड़ोसन आईं।

शांति जी बहू के साथ ही सटकर बैठी थी कि कहीं कोई बहू को माधव के कारनामों के बारे में ना बता जाए।

इतने में माधव नशे में धुत आया। बहू की मुंह दिखाई में आए पैसे उससे छीन लिए।

शांति जी रोकती रह गई, माधव ने मां को धक्का दिया और गिरा दिया।

नई बहू के सामने ये अपमान देखकर शांति जी तिलमिला गई और बहू को ही खरी खोटी सुनाई -" तुम्हारी मां ने तुम्हे सिखाया नहीं, अपने आदमी को बस में कैसे रखना है!!"

सौम्या हैरान थी, जिस घर में आए अभी 48 घंटे भी नहीं हुए; उसका 21 साल से उनके पास रहता बेटा मैं अपने बस में कैसे करूं।

जब 21 साल से उनके बस में नहीं आया तो मेरे क्या आयेगा।

इतने में शांति जी चिल्लाई -" अब सोचती रहोगी या खड़ी होकर घर के कामों में भी लगोगी।"

सौम्या रसोई की रस्म की तैयारियों में लग गई।

इतने में कमरे से कुछ गिरने की आवाज़ आयी , अंदर गई तो देखा माधव बिस्तर से नीचे गिर पड़ा।
सौम्या ने आवाज़ लगाई -" मांजी!! ये गिर गए। जल्दी आओ।"

शांति जी दौड़ती हुई बेटे के कमरे में गई, बेटे की हालत देखकर रोते हुए बोली -" अरे मेरा बेटा!! थक गया होगा इस शादी ब्याह के झमेले में।
ऊपर से ये इसके दोस्त इतनी पिला दी इसे!! बहू अब तेरी जिम्मेदारी है इसे अपने से ऐसे बांध के रख के बाहर जाए ही ना!!"

सौम्या -" मांजी !! मैं कैसे!!"

शांति जी -" अरे !! आदमी की जात को तुम ना जानती हो। शराब से ज्यादा , औरत का नशा होवे है! तभी तो तुझे ब्याहकर लाई हूं। वरना इन आवारा लड़कों के साथ नुक्कड़ पर खड़ा होकर मोहल्ले की लड़कियों को परेशान करता था।"

शांति जी को लगा बात बातों में कुछ ज्यादा ही कह गई, बहू को झिड़कते हुए बोली -" अरे जा पानी ला, यहां जासूसी करने में लग गई।"

सौम्या को एक के बाद एक सदमे से मिलते जा रहे थे।

पहले पढ़ाई छुट गई, फिर मां का आंचल भी।

अब नई ज़िंदगी के सपने भी चकनाचूर हो गए और जाने क्या क्या??

वो खुद टूटी हुई सी अब शांति जी की बिखरे हुए माधव को कैसे समेटती।

फिर भी पिता की गरीबी, बहनों को जिम्मेदारी उससे वो सब करवा रही थी जो उसने सोचा तक नहीं था ।

अगले दिन माधव जब थोड़ा होश में आया।

मां ने उसे कहा -" जा बहू को थोड़ा शहर तक ले जा। वो भी तैयार होकर चला गया।"

दोस्तों की उलजुलुल बातें ही उसके मन में थी, सौम्या का हाथ जोर से दबाया और कहा -" अब तुम मेरी हो, किसी और की तरफ देखना भी बर्दाश्त नहीं करूंगा।"

सौम्या तो यूंही जिंदा लाश सी बनती जा रही थी, अब कोई चीज उसे दुख नहीं दे रही थी, ना खुशी।

माधव ने घर आकर मां को कहा -" ये कैसी लड़की ब्याह लाई हो मां!! मुझसे बात तक नहीं करती!! कहीं किसी और से कोई चक्कर तो नहीं था इसका!"

शांति जी -" ना बेटा!! बच्ची है! समझा दूंगी!"

सौम्या को शांति ने यूं गुस्से भरी नजरों से देखा , जैसे उसने कोई अपराध कर दिया हो।

शांति जी -"तुम्हें मैं मेरे बेटे की खुशी के लिए ब्याहकर लाई हूं। जो औरत पति के दिल को नहीं भाती, उसे दुनिया में कहीं सम्मान नहीं मिलता।"

सौम्या को घर की बहुत याद आती; रो भी नहीं सकती थी वरना माधव कहता कि किसकी याद में डूबी हो। फिर घर में वही झगड़ा!!

कुछ महीने बाद शांति जी को पता चला कि सौम्या उम्मीद से है, उन्होंने माधव को सौम्या का ध्यान रखने को कहा ।

माधव ने नशे में मां की बात को अनसुना कर दिया।

एक रोज सौम्या बेहोश होकर गिर पड़ी, हॉस्पिटल पहुंचे तो पता चला ; गर्भपात हो गया!!

उसके शरीर पर भी नाखूनों के निशान थे!!

डॉक्टर -" बेटा!! तुम्हारी उम्र कितनी है।"

सौम्या -" जी 18 साल।"

डॉक्टर -" तुम्हारे साथ कुछ ग़लत हुआ है क्या!!"

सौम्या कुछ बोली नहीं बस रोने लगी ।

डॉक्टर ने सौम्या की सासू मां को बुलाया और सारा मामला बताया।

शांति जी -" अरे!! ये गरीब घर की लड़की है डॉक्टर!! कुछ खाया पिया नहीं अच्छे से!! शुरू से ही कमजोर थी!! अब आपका कानून पति पर भी जबरदस्ती करने का केस करेगा क्या!!"

डॉक्टर -" क्यों नहीं!! पति पर भी केस हो सकता है!! तुमने बहू की हालत देखी है? इतनी कम उम्र में इतनी पीड़ा!! "

शांति जी -" डॉक्टर साहब ये तो नए ज़माने के चोंचले है, 16 साल की उम्र में मेरे 2 बच्चे हो चुके थे!! ये तो खुद ही रोती रहती है सारा दिन!! इतना पैसा खर्च करके अपने बेटे का घर बसाया था!! बेटा भी नहीं सुधरा और ये नई मुसीबत भी गले पड़ गई।"

डॉक्टर -" अगर आपका बेटा बिगड़ा हुआ है तो उसे किसी सुधार गृह में भेजो!! नशा, जुआ, सबका हल वहीं होगा। बहू लाने से बिगड़ा हुआ बेटा थोड़ी सुधरेगा!!"

शांति जी -" आप बस इलाज करो!! लड़की के मां बाप की मर्जी से शादी हुई है। ये हमारे घर का मामला है ।"

डॉक्टर -" लड़की के मां बाप की मर्जी होगी!! लड़की की तो नहीं थी ना!! आप ज्यादा बहस करेंगी तो मुझे पुलिस से ही फैसला करवाना पड़ेगा!!"

शांति जी -" अच्छा तो बहू ने कान भरे हैं आपके!! ठीक है। भेज देती हूं उसको उसके घर!! अपने बेटे को दोबारा ब्याह लूंगी।"

सौम्या ने डॉक्टर को हाथ जोड़कर मिन्नतें की, -" मुझे कोई शिकायत नहीं!! आप इस मामले से दूर रहे!!मुझ पर बस इतना ही एहसान करें!"

डॉक्टर भी मजबूर थीं, सिर्फ इतना ही कह पाई -" अभी तुम बहुत कमजोर हो! अभी बच्चा पैदा करने के बारे में सोचोगी तो ना तुम बचोगी, ना बच्चा।"

सौम्या ने जाते हुए डॉक्टर को ऐसे देखा जैसे कि उसकी नजरें डॉक्टर को आखिरी बार अलविदा कह रही हों।

माधव को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा, शांति जी ने बहुत समझाया पर हमेशा की तरह उसने अनसुना किया।

एक रोज माधव जुआ खेलने के लिए सौम्या के गहने तक चुराकर ले गया!!

शांति जी ने रोका तो मां को धक्का दिया, उनके सिर पर चोट लगी पर माधव चला गया।

सौम्या ने दवाई लगाई, पट्टी बांधी। सौम्या को पता चला कि वो फिर से उम्मीद से है।

शांति जी ने कहा अब तुम मेरे कमरे में सोना।
मेरे चोट का बहाना बना दूंगी मैं।

सौम्या को पहली बार इतने दिनों बाद शांति जी में माधव की मां नहीं एक औरत दिखी।

माधव शराब के नशे में आया, कमरे में से पानी के लिए आवाज़ लगाई।

शांति जी पानी लेकर गई।

माधव -" वो कहां गई मां!!"

शांति जी -" बेटा !! उसकी तबीयत खराब है और मुझे भी चोट लगी है । आज मेरे पास सोएगी वो।"

माधव ने पानी का गिलास मां की तरफ वापिस फेंका। मां के कमरे में गया। सौम्या पहले ही सहमी हुई थी।

सौम्या को धक्का दिया, वो पेट के बल गिर गई।

शांति जी ने उसे उठाया और माधव को पीछे धकेला -" हट !! वो उम्मीद से है!! मर जाएगी!!"

माधव -" मेरा नहीं है ये बच्चा!!"

शांति जी ने उसके गाल पर जोरदार चांटा जड़ते हुए कहा -" तेरी वजह से मैंने इस लड़की की ज़िन्दगी खराब कर दी। इसका पाप तो मरकर भी नहीं छूटेगा।
अब तू इसके चरित्र पर उंगली उठा रहा है!!
खोट तो तेरे चरित्र में है।"

माधव ने मां को पीछे धक्का दिया और सौम्या की तरफ बढ़ा, शांति जी ने पूरी हिम्मत से उसे धक्का मारा, वो नशे में लड़खड़ा गया।

शांति जी ने अंदर से कमरा बन्द किया और पुलिस को फोन किया।

पुलिस ने माधव को नशा मुक्ति केंद्र भेजा।

शांति जी ने सौम्या से कहा -" बेटा!! मुझे माफ़ कर दे! तेरी अपराधी मैं हूं। मेरी गलती की कोई भी सजा दे, मुझे मंजूर है। तू कहेगी तो तेरी दूसरी शादी कर दूंगी मैं। बस अब बेटे के मोह में और अपराध नहीं करूंगी।"

सौम्या -" मां जी!! गलती सिर्फ आपकी नहीं। मेरे माता पिता ने अपनी गरीबी के चलते बिना जांच किए मेरी शादी करदी। अब आप मेरे लिए कुछ करना ही चाहती है तो मैं आगे पढ़ना चाहूंगी । "

शांति जी -" ठीक है!! तेरी और तेरे बच्चे की पूरी जिम्मेदारी मेरी!! तू अब बहू नहीं बेटी बनकर रहेगी मेरी ।"

सौम्या को अपनी मां मिल गई, दोनों गले मिलकर खूब रोई।

##दोस्तों आज भी ये 20 साल पहले की घटना देखने को मिल जाती है।
ग़रीबी, और बिना जांच के किए विवाह में औरत के पास पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचता।

औरत को ही औरत का सहारा बनने की जरूरत है।

आप भी अपने विचार जरूर लीखिएगा।

धन्यवाद।

आपकी स्नेह प्रार्थी
अनीता भारद्वाज