Kaisa ye ishq hai - 43 books and stories free download online pdf in Hindi

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 43)

परम की बात सुन कर अर्पिता कहती है क्या अभी आपने जो कहा वो सच है।क्या उनके मन मे हमारे लिए...कह वो चुप्पी साध लेती है।
अर्पिता की बात सुन परम समझ जाता है कि प्रशान्त ने अब तक अर्पिता के सामने अपनी भावनाएं प्रकट नही की है।और करेंगे भी काहे इस मामले में इनकी सोच सबसे न्यारी ही है।जिससे आप प्रेम करते हैं उसका साथ निस्वार्थ भाव से निभाते जाए एक न् एक दिन वो आपके प्रेम को समझेगा जरूर।अब उन्हें हम कैसे बताएं कि ये आज की दुनिया है यहां साथ निभाने के साथ साथ मुंह से वो कुछ विशेष शब्द बोलने भी पड़ते हैं।

परम :- तो भाई ने अब तक कुछ कहा नही आपसे?
अर्पिता धीरे से न में गर्दन हिलाती है।
परम :- उन्होंने नही कहा तो आप ही कह दीजिये न इससे क्या अंतर पड़ता है छोटी भाभी?

अर्पिता :- अंतर पड़ता है।अगर हमने बिना उनके मन की बात जाने कहा तो कहीं वो हमारे चरित्र को ही गलत न समझ बैठे।अब भले ही ये आज का आधुनिक जमाना है लेकिन रूढ़िवादिता खत्म तो नही हुई न कुछ मामलों में इंसान की सोच कभी नही बदलती।
परम :- (थोड़ा मस्ती करने के उद्देश्य से) तो आप कहना चाहती है कि मेरे भाई की सोच रूढ़िवादी है।

परम के प्रश्न से अर्पिता घबरा जाती है और कहती है नही! नही हमारे कहने का मतलब ये नही था।

परम:- तो क्या मतलब था बताएंगी?
अर्पिता हकलाते हुए कहती है वो..वो हम बस जनरली ज्यादातर व्यक्तियों की सोच बता रहे है।

परम :- एक आप है जो इतना कतरा रही है।और एक मेरी राधु भाभी है जो साफ साफ कहती है कौन पहले अपनी भावनाओं को व्यक्त करे इससे क्या अंतर पड़ता है जरूरी ये है कि मन की भावनाएं समय रहते बता दी जाएं।अब बताओ भला कितना अंतर पड गया आप दोनो की सोच में।कहां तो मैं सोच रहा था कि आप तो मेरी राधु भाभी की तरह ही है बिल्कुल।

परम की बात सुन अर्पिता गंभीर हो कहती है आपने ठीक ही कहा हमारी सोच थोड़ी सी अलग है।बाकी आपकी राधु भाभी से अभी इतनी अच्छी तरह से हमारी मुलाकात तो हुई नही तो हम कुछ नही कह सकते।

परम :- अरे आप तो सीरियस हो गयी छोटी भाभी।मैं तो बस थोड़ी सी मस्ती कर रहा था आपकी खिंचाई कर रहा था।क्या मुझे नही पता कि ये जरूरी तो नही हर किसी की सोच एक जैसी हो।सो डोंट बी टेक दिस सीरियस छोटी भाभी।।

अर्पिता कुछ नही कहती बस मुस्कुरा देती है।उसकी मुस्कान देख परम् कहता है ये हुई न बात।और हां मेरे बारे में एक बात आप जान ही ले मैं ठहरा घर मे सबसे छोटा तो उस हिसाब से नटखट भी हूँ आप भाभियों के लिए।।बाकी मुझसे ज्यादा समझदार तो कोई है भी नही पूरे घर मे परम ने इस अंदाज में कहा कि अर्पिता की हंसी छूट जाती है।

तो परम् कहता है बस ऐसे ही खुश रहा करो छोटी भाभी।देखा मैने अपना काम बखूबी कर लिया।

परम की बात सुन अर्पिता गंभीर होते हुए कहती है आप हमारे साथ हैं इनके लिये आपका हृदय से आभार।लेकिन फिर भी हमारी आपसे रिक्वेस्ट है कि जब तक प्रशान्त जी इस बात की पहल नही करते तब तक आप हमें हमारे नाम से ही बुलाये।जिस दिन उन्होंने अपने हृदय की बात प्रकट की उसी दिन से आप हमें उन भावनाओ से भरे रिश्ते के हक से बुला सकते है लेकिन उससे पहले नही।

अर्पिता की बात सुन परम बुदबुदाते हुए कहता है लो हो गया स्यापा।भाई कभी कुछ न कहने वाले और ये इंतजार करती रहेगी मतलब बेटा परम् अब तुम्हारा रोल शुरू होता है यहां से एक नया मिशन .. मिशन प्रशान्त भाई और अर्पिता की प्रेम कहानी को मुकाम तक पहुंचाने में मदद करना।नही तो ये दोनों प्यार के पंछी यूँ ही सारी उम्र इंतजार करते रहेंगे लेकिन मजाल क्या एक दूसरे से कुछ कह जाये।ये इंतजार करती रहेंगी भाई के बोलने का और भाई बस बिन कुछ कहे हर मोड़ पर अर्पिता का साथ देते जाएंगे, देते जाएंगे।बड़बड़ाते हुए परम् हाथ हिलाता है तो अर्पिता कहती है क्या हुआ आप ठीक तो हैं,हम कब से देख रहे है न जाने क्या बड़बड़ाए ही जा रहे हो ..!

ओह गॉड मैं भी भूल गया कि ये यहां है।तो वो बातें बदल कहता है वो मैं सोच रहा था कि मेरी शादी को अब सिर्फ डेढ़ महीना बचा है लेकिन अभी तक मैने और किरण ने कुछ भी डिसाइड नही किया।

अच्छा ऐसा है तो आप आज ही इस बारे में बात कर लीजिएगा ठीक।फिलहाल हम चले ये ऑइनमेन्ट लगाने।अर्पिता ने परम् से कहा और वहां से प्रशान्त के कमरे में पहुंचती है।दरवाजा खुला होता है तो वो नॉक करती है।

प्रशान्त जो हमेशा की तरह बेड पर लेट कर कानो में हेडफोन लगाए आंखे बंद किये कुछ सुन रहे है और साथ ही साथ हल्की आवाज में गुनगुना भी रहे है..!

ये ज़मीं रुक जाए
आसमाँ झुक जाए
तेरा चेहरा जब नज़र आए
ये ज़मीं रुक जाए
आसमाँ झुक जाए

तेरा चेहरा...तेरा चेहरा जब नज़र आए
तेरा चेहरा जब नज़र आए
तेरा चेहरा जब नज़र आए
ये ज़मीं रुक जाए
आसमाँ झुक जाए
तेरा चेहरा...तेरा चेहरा...हो, तेरा चेहरा जब नज़र आए

ये देख अर्पिता बुदबुदाती है ये देखो कहाँ तो हम ये सोच सोच कर परेशान हो रहे थे चोट लगी है कहीं पेन न हो रहा हो लेकिन यहां तो गुनगुनाया जा रहा है।

एक जाना पहचाना एहसास होने पर प्रशान्त जी अपनी आंखें खोलते है तो सामने अर्पिता को देख तुरंत सांग बंद कर देते है और पूछते है क्या हुआ अप्पू सब ठीक है तुम इस समय यहां..?

अर्पिता :- वो हम आपके लिए ये लेकर आये थे कहते हुए वो अपना हाथ ऊपर कर देती है।जिसमे मरहम होता है।

ये देख प्रशान्त कहते है लाई हो लाओ दो मैं लगा लूंगा।और मन ही मन कहते है तुम मेरी कितनी परवाह करती हो। अब मुझे तुम्हारी इस परवाह में भी प्रेम नजर आने लगा है।

अर्पिता आगे बढ़ वो मरहम प्रशान्त को देती है और जाकर दरवाजे पर खड़ी हो कहती है अगर पेन हो रहा हो तो याद से इसे लगा लीजिएगा।

ठीक है कह उसे खोलने की कोशिश करते है और जैसे तैसे बाकी अंगुली की सहायता से खोल लेते है ये देख अर्पिता उनके पास आ कहती है हम कर देते हैं, हमे करना आता है।

प्रशान्त :- मैं जानता हूँ तुम्हे आता है लेकिन जहां पेन हो रहा है उसके लिए मुझे ...!कह चुप हो जाता है।

अर्पिता :- कोई बात नही हमे कोई परेशानी नही होगी।आपको समझने लगे है हम।।

प्रशान्त :- इतना भरोसा मुझ पर?
अर्पिता :- जी खुद से ज्यादा?
प्रशान्त :- इसकी वजह?
अर्पिता:- हर बात की कोई वजह नही होती शान।और अब आप शांति से बैठ जाइए हम इसे लगा देते हैं।नही तो फिर रात बढ़ने के साथ साथ सर्दी भी बढ़ती जाएगी।

ओके कह प्रशान्त धीरे धीरे अपनी टीशर्ट निकाल देते है।

अर्पिता :- अब आप मुड़ कर बैठ जाइए।तो हम आपके जख्मो पर इसे लगा दे।

ओके कह प्रशान्त मुड़ कर बैठ जाते है।अर्पिता पीठ पर आई हल्की फुल्की खरोंचे और नील के निशान देख कहती है।जता तो ऐसे रहे थे जैसे तनिक भी चोट नही लगी।देखो तो कैसे नील के निशान हो रखे है।क्या जरूरत थी इतना लड़ झगड़ने की।बोलिये..?

क्यों न झगड़ता।उनकी हिम्मत कैसे हुई तुमसे बदतमीजी करने की।प्रशान्त ने अर्पिता की बातों का जवाब देते हुए कहा।

अर्पिता :- अरे ये क्या बात हुई हम आ गए थे न वहां से निकल कर फिर क्यों गए?

बोला तो मैंने अप्पू।मेरे सामने अगर कोई किसी नारी का ऐसे अपमान करेगा तो मैं जवाब दूंगा।प्रशान्त ने कहा।

और हर बार ऐसे ही चोट खाएंगे आप।यानी हर बार हमें ऐसे ही दर्द देंगे!ऐसे ही सतायेंगे आप। अर्पिता फ्लो फ्लो में ये बात कह गयी तो उसे सुन प्रशान्त को एहसास हुआ कि अनजाने में सही वो कुछ ऐसा कह गए जो नही कहना था..!

प्रशान्त :- नही।नही मेरा वो मतलब नही था अप्पू।तुम तो मेरी इतनी प्यारी वाली दोस्त हो तो तुम्हे कैसे दर्द दे सकता हूँ..प्रशान्त ने बात सम्हालते हुए कहा और मुड़ कर अर्पिता की तरफ देखा जिसकी आंखे की कोरे हल्की हल्की नम होती है।

ये देख प्रशान्त कहते है अप्पू सच मे तुम्हे तकलीफ पहुंचाने की कोई इंटेंशन नही थी मेरी।तुम प्लीज इसे खुद पर मत लो।

अर्पिता कुछ नही कहती और अपना कार्य खत्म कर लेती है।वहीं प्रशान्त मन ही मन एहसासों से भरे शब्द कहते है

मेरे हृदय की पीड़ा आंसू बनकर तेरी आँखों से जब जब बहती है।तब तब जी जाता हूँ मैं एक नई जिंदगी खुशगवार समझ कर खुद को।उस पल करता हूँ मैं उस रब का शुक्रिया जिसने मुझे मेरी जिंदगी से मिलाया।।घुल गया है तेरा इश्क मुझमे कुछ इस तरह
कि अब मैं मेरा न होकर तेरा बन गया हूँ।।

और कुछ सोचते हुए वो अपना मोबाइल उठाते है और उस पर कुछ लिखने की कोशिश करने लगते हैं अर्पिता ऐसा करते हुए देख लेती है और हौले से मोबाइल हाथ मे ले कर कहती है अगर टाइप करना इम्पोर्टेन्ट है तो हमे बता दीजिए हम कर देंगे कुछ देर के लिए अपने हाथ को विराम दे दीजिए।

हां कुछ पोस्ट करना चाह रहा था पेज पर।तो बस उसी के लिए टाइप कर रहा था वैसे मुझे टाइप करने में कोई परेशानी नही हो रही काहे कि फोन को अंगुलियों से नही अंगूठे से चलाना होता है।

प्रशान्त की बात सुन अर्पिता मुस्कुराते हुए कहती है हम जानते है शान लेकिन फिर भी बीच बीच मे अंगुलिया खुद ब खुद हिलती है न तो बस तभी के लिए हमने कहा था।वैसे हमे पता है कि आप भी सेल्फ डिपेंटेड रहना पसंद करते है इतनी जल्दी किसी की मदद को स्वीकार नही करते हैं।खैर पीठ पर तो लगा दिया है आगे ...
मैं खुद से कर लूंगा अप्पू।तुम वो मुझे दो और इसे(मोबाइल) तुम पकड़ो मैं बोलता जाऊंगा तुम टाइप कर देना अब तो तुम मेरी राजदार हो तो तुम मेरे पेज पर पोस्ट कर सकती हो...!प्रशान्त ने कहा तो अर्पिता बस मुस्कुरा देती है और सोचती है उस टाइम बस कुछ सेकंड और मिल जाते तो हम आगे भी पूछ लेते लेकिन अब कैसे पूछें अब तो हमे भविष्य में इंतजार करना पड़ेगा।

प्रशान्त के बोले शब्दो से वो अपनी सोच से बाहर आती है और टाइप करने लगती है।

उन शब्दों को सुन कर वो कहती है क्या बात है ..?बहुत सुंदर शब्द...!तो प्रशान्त मुस्कुराते हए कहते है थैंक्स।अर्पिता उन् शब्दो को उनके पेज पर शेयर कर देती है।

प्रशान्त हो गया।लो इसे बंद कर दो और ...

न न थैंक्स की जरूरत नही अर्पिता ने कहा तो प्रशान्त ने हैरानी से उसे देखा।जिसे देख वो कहती है सिर्फ आप ही नही हम भी आपको समझने लगे है।

हम्म।प्रशान्त ने कहा।और अपना दुपट्टा पहले से ही सम्हाल कर हाथो में लपेट कर अर्पिता वहां से चली आती है।

अगले दिन ऑफिस के बाद अर्पिता जल्दी ही एकैडमी जाती है औऱ वहां जाकर स्टाफ रूम में पूर्वी से मिलती है।जहां पूर्वी उसे बताती है कि उसने युवराज से बात की है युवराज़ उसे अपनाने के लिए भी तैयार है लेकिन एक परेशानी है मेरी फैमिली।।

अर्पिता :- काहे।आपके परिवार के सदस्य मान नही रहे क्या।
पूर्वी:- मानेंगे तो तब न जब उन्हें हम बता पाएंगे।

अर्पिता :- काहे नही बता पाओगी हिम्मत करो पूर्वी।शुरुआत तो करनी ही होगी न कोई अन्य विकल्प शेष नही है अब।

अर्पिता की बात सुन पूर्वी बोली आप नही जानती मेरे पापा और मालिनी के पापा के अच्छे संबंध है।इतने अच्छे कि मुझे उसके घर कभी भी आने जाने की इजाजत है।क्योंकि उस घर से भविष्य में मेरा रिश्ता होना है।इसीलिए तो मिस्टर खन्ना हर किसी को मुझे मालिनी की दोस्त और फैमिली मेम्बर जैसा बताते हैं।बहुत कॉम्प्लिकेशन है मैम।मुझे कुछ समझ नही आ रहा है मैं करूँ तो करूँ क्या।प्लीज आप मेरी मदद कीजिये...?कहते हुए पूर्वी भावुक हो जाती है।तो अर्पिता उसे सांत्वना देते हुए कहती है हमसे जितना होगा हम कोशिश करेंगे पूर्वी लेकिन अभी के लिए आप प्लीज कमजोर मत पड़िये और खुद को सम्हालिये।हम आपके साथ है पूर्वी।अभी के लिए आप शांत हो कर क्लास में जाइये।अर्पिता की बात सुन पूर्वी खुद को सम्हाल कर खड़ी होती है स्टाफ रूम में अटैच सिंक के पास जा मुंह धुल कर क्लास में जाकर बैठ जाती है।वहीं स्टाफ रूम में बैठी अर्पिता पूर्वी की बातों से थोड़ा चिंतित हो जाती है...

क्रमशः...