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चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 24

चार्ली चैप्लिन

मेरी आत्मकथा

अनुवाद सूरज प्रकाश

24

अकेलापन घिनौना होता है। इसमें उदासी का हल्का सा घेरा होता है, आकर्षित कर पाने या रुचि जगा पाने की अपर्याप्तता होती है इसमें। कई बार आदमी इसकी वज़ह से थोड़ा शर्मिंदा भी होता है। लेकिन कुछ हद तक अकेलापन हर आदमी के लिए थीम की तरह होता है। अलबत्ता, मेरा अकेलापन कुंठित करने वाला था क्योंकि मैं दोस्ती करने की सारी ज़रूरतें पूरी करता था। मैं युवा था, अमीर था और बड़ी हस्ती था। इसके बावज़ूद मैं न्यू यार्क में अकेला और परेशान हाल घूम रहा था। मुझे याद है मैं अंग्रेज़ी संगीत जगत की कॉमेडी स्टार, खूबसूरत जोसी कॉलिन्स से उस वक्त अचानक ही मिल गया था जब वह फिफ्थ एवेन्यू पर चली जा रही थी।

"ओह," उसने सहानुभूति पूर्ण तरीके से कहा,"आप अकेले क्या कर रहे हैं?"

मुझे ऐसा लगा मानो मुझे कुछ प्यारा सा अपराध करते हुए पकड़ लिया गया हो। मैं मुस्कुराया और बोला,"मैं तो बस, ज़रा दोस्तों के साथ लंच करने के लिए जा रहा था," लेकिन काश, मैंने उससे सच कह दिया होता कि मैं तन्हा हूं और उसे लंच पर ले जाना मुझे अच्छा लगता, सिर्फ मेरे संकोच ने ही मुझे ऐसा करने से रोका।

उसी दोपहर को मैं मैट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस के पास ही चहल कदमी कर रहा था कि मैं डेविड बेलास्को के दामाद मॉरिस गेस्ट से जा टकराया। मैं मॉरिस से लॉस एंजेल्स में मिल चुका था। उसने अपने कैरियर की शुरुआत टिकट ब्लैकी के रूप में की थी। ये धंधा उस वक्त बहुत फल फूल रहा था जब मैं पहली बार न्यू यार्क आया था। (टिकट ब्लैकी वह आदमी होता है जो थियेटर में सबसे अच्छी सीटें पहले खरीद कर रख लेता है और बाद में थियेटर के बाहर खड़ा हो कर फायदे में बेचता है।) मॉरिस ने थियेटर के धंधे में आशातीत सफलता हासिल की थी। इसका सर्वोच्च बिन्दु था उसके द्वारा बनायी गयी द मिरैकल जिसका निर्देशन मैक्स रेनहार्ड्ट ने किया था। मॉरिस स्लाविक था। चेहरा उसका पीला, और बड़ी बड़ी कंचे जैसी आंखें, बड़ा सा मुंह, और मोटे होंठ। वह ऑस्कर वाइल्ड का पेपरबैक संस्करण नज़र आता था। वह बहुत ही भावुक किस्म का आदमी था जो जब बोलता था तो ऐसा लगता था मानो आपको धमका रहा हो।

"आप कहां गायब हो गये थे श्रीमान," इससे पहले कि मैं जवाब दे पाता, वह आगे बोला, "आपने मुझे सम्पर्क क्यों नहीं किया?"

"मैंने उसे बताया कि मैं तो बस, ज़रा चहलकदमी कर रहा हूं।"

"क्या बात है। आपको अकेले नहीं होना चाहिये। आप जा कहां रहे हैं?"

"कहीं नहीं," मैंने दब्बूपन के साथ कहा,"बस, ज़रा साफ हवा ले रहा था।"

"आओ भी," उसने मुझे अपनी दिशा में मोड़ते हुए और अपनी बांह से मेरी बांह को घेरते हुए कहा। अब मेरे पास बचने का कोई उपाय नहीं था, "मैं आपको असली लोगों से मिलवाऊंगा। ऐसे लोग जिनमें आपको घुलना मिलना चाहिये।"

"हम कहां जा रहे हैं?" मैंने चिंतातुर हो कर पूछा।

"आप मेरे दोस्त करूसो से मिलने जा रहे हैं।" कहा उसने।

मेरी सारे प्रतिरोध बेकार गये।

"आज कारमैन का मैटिनी शो चल रहा है। उसमें करूसो और गेराल्डिन फरार हैं।"

"लेकिन मैं . ."

"भगवान के लिए, आप डरो नहीं, करूसो बहुत ही शानदार आदमी हैं। आपकी ही तरह सीधे सादे और इन्सानियत से भरे हुए। आपको देख कर वे खुशी के मारे झूम उठेंगे। वे आपकी तस्वीर लेंगे और भी बहुत कुछ करेंगे।"

मैंने उसे बताना चाहा कि मैं टहलना और थोड़ी देर ताज़ा हवा लेना चाहता हूं।

"इस मुलाकात से आपको ताज़ा हवा से भी ज्यादा आनंद मिलेगा।"

मैंने पाया कि मुझे मैट्रोपोलिटन ऑपेरा की लॉबी में से ठेल कर ले जाया जा रहा है। हम दोनों गलियारे में से दो खाली सीटों पर जा बैठे।

"यहां बैठिये," गेस्ट फुसफुसाया, "मैं इंटरवल में लौट आऊंगा।" तब वह खड़ा हुआ और गायब ही हो गया।

मैंने कारमैन का संगीत कई बार सुना था लेकिन अब जो कुछ बज रहा था, अपरिचित सा लगा। मैंने अपने कार्यक्रम पत्रक की तरफ देखा, और आज के दिन के लिए कारमैन की ही घोषणा की गयी थी। लेकिन वे कुछ दूसरी ही चीज़ बजा रहे थे। वह भी मुझे परिचित सी ही लग रही थी और कुछ कुछ रिगालेटो की तरह लग रही थी। मैं भ्रम में पड़ गया। अंक की समाप्ति से दो मिनट पहले गेस्ट चुपके से मेरे साथ वाली सीट पर लौट आया।

"क्या ये कारमैन है?" मैं फुसफुसाया।

"हां," उसने जवाब दिया, "क्या आपके पास कार्यक्रम नहीं है?"

उसने मुझसे कार्यक्रम छीना, "हां," वह फुसफुसाया,"करूसो और गेराल्डिन फरार, बुधवार, मैटिनी शो, कारमैन, ये रहा।"

परदा नीचे गिरा और वह मुझे लिये दिये सीटों के बीच में से बगल वाले दरवाजे से मंच के पीछे की तरफ ले चला।

बिना आवाज़ के बूटों में आदमी लोग सीन सिनरी को उसी तरह से शिफ्ट कर रहे थे जिस तरह से मुझे हमेशा लगती रही। वहां का माहौल किसी दुखदायी स्वप्न की तरह था। इसमें से नुकीली दाढ़ी वाला, और जासूसी कुत्ते जैसी आंखों वाला एक लम्बा, छरहरा शांत और गंभीर आदमी वहां खड़ा था। उसने मुझे एक ऊंचाई से देखा। वह मंच के बीचों बीच खड़ा था। परेशान हाल। उसके पास से एक सीनरी आ रही थी और दूसरी जा रही थी।

"मेरे अच्छे दोस्त सिग्नोर गाटी कसाज़ा कैसे हैं?" अपना हाथ बढ़ाते हुए गेस्ट ने कहा।

गाटी कसाज़ा ने हाथ मिलाया और एक उदास मुद्रा बनायी और कुछ बुड़बुड़ाये। तब गेस्ट मेरी तरफ मुड़ा,"आपका कहना सही था, ये कारमैन नहीं है, रिगोलेटो है। अंतिम पलों में गेराल्डिन फरार ने फोन करके बताया कि उसे जुकाम है इसलिए नहीं आ पायेगी। ये चार्ली चैप्लिन हैं," उसने कहा,"मैं इन्हें करूसो से मिलवाने के लिए ले जा रहा हूं। हो सकता है, इनका जी बहल जाये। आइये हमारे साथ।" लेकिन गाटी कसाज़ा ने अफ़सोस के साथ अपना सिर हिलाया।

"उनका ड्रेसिंग रूम किस तरफ है?"

काटी कसाज़ा ने स्टेज मैनेजर को बुलवाया और कहा,"ये आपको बता देगा।"

मेरी छठी इंद्रीय ने मुझे सचेत किया कि करूसो को इस वक्त डिस्टर्ब न किया जाये, और ये बात मैंने गेस्ट को बतायी।

"पागल मत बनो," उसने जवाब दिया।

हमने पैसेज में से उनके ड्रेसिंग रूम के लिए चले।

"किसी ने बत्ती बुझा दी है," स्टेज मैनेजर ने कहा,"एक पल के लिए रुकिये, मैं स्विच तलाशता हूं।

"सुनो," गेस्ट ने कहा,"कुछ लोग मेरा इंतज़ार कर रहे हैं, इसलिए मुझे निकलना होगा।"

"तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ।" मैं जल्दी से बोला।

"आपको कुछ नहीं होगा।"

मैं जवाब ही दे पाता, इससे पहले ही वह गायब हो गया। स्टेज मैनेजर ने एक तीली जलाई। "हम पहुंच गये हैं," कहा उसने, और धीरे से दरवाजा ठकठकाया। भीतर से इतावली में ज़ोर से कुछ कहा गया।

मेरे दोस्त ने इतालवी में ही जवाब दिया। जवाब के आखिर में "चार्ली चैप्लिन" कहा गया।

एक और धमाका।

"सुनो," मैं फुसफुसाया, "फिर कभी सही।"

"नहीं, नहीं," उसने कहा, अब उसे एक मिशन पूरा करना था। दरवाजा चीं की आवाज के साथ खुला और अंधेरे में से ड्रेसर ने झांका। मेरे दोस्त ने परेशानी भरे स्वर में बताया कि मैं कौन हूं।

"ओह," ड्रेसर ने कहा, और दरवाजा फिर बंद कर दिया। दरवाजा फिर से खुला, "भीतर आइये।"

इस छोटी सी विजय से मेरे दोस्त का सीना चौड़ा हो गया। जब हम भीतर पहुंचे तो करूसो अपनी ड्रेसिंग टेबल पर एक शीशे के सामने बैठे अपनी मूंछे कुतर रहे थे। हमारी तरफ उनकी पीठ थी।

"अहा महाशय," मेरे दोस्त ने उल्लसित होते हुए कहा,"ये मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है श्रीमन, कि मैं आपके सामने सिनेमा के करूसो, मिस्टर चार्ली चैप्लिन को प्रस्तुत कर रहा हूं।"

करूसो ने दर्पण में सिर हिलाया और मूंछे कुतरते रहे।

आखिरकार वे उठे और अपनी बेल्ट कसते हुए ऊपर से नीचे तक मेरा मुआइना किया।

"आप तो बहुत सफल आदमी हैं, नहीं क्या, खूब पैसा कमाया होगा।"

"हां," मैं मुस्कुराया।

"आप तो बहुत ही खुश आदमी होंगे।"

"हां, बेशक," तब मैंने स्टेज मैनेजर की तरफ देखा तो वे उल्लसित हो कर ये संकेत देते हुए बोले कि जाने का समय हो गया है।

मैं खड़ा हुआ और तब करूसो पर मुस्कुराया,"मैं टोरेडोर दृश्य मिस नहीं करना चाहता।"

"वो कारमैन है। ये रिगोलेटो है।" मुझसे हाथ मिलाते हुए वे बोले।

"ओह, हां हां हां जी हां।"

मैंने परिस्थितियों में जितना संभव था, न्यू यार्क को अपने भीतर उतार लिया था और ये सोचा कि इससे पहले कि खुशियों के मेले का रंग फीका होना शुरू हो, यहां से कूच कर देना ही बेहतर होगा।इसके अलावा, मेरी चिंता अपने नये करार के अंतर्गत काम शुरू करने की भी थी।

जब मैं लॉस एंजेल्स लौटा तो मैं फिफ्थ स्ट्रीट और मेन पर एलेक्जेंड्रिया होटल में ठहरा। ये उस वक्त शहर का सबसे ज्यादा ठाठ बाठ वाला होटल हुआ करता था। ये भव्य अंलकरण शैली वाला होटल था। लॉबी में लगे संगमरमर के स्तम्भ, और क्रिस्टल के झाड़ फानूस उसकी शोभा में चार चांद लगाते थे। लॉबी के बीचों बीच दस लाख डॉलर का शानदार कालीन बिछा हुआ था। इसे बड़े बड़े फिल्मी सौदों का मक्का मदीना कहा जाता था। इसका ये नाम मज़ाक में ही पड़ गया था क्योंकि यहां पर शेखी बघारने वाले और आधे अधूरे प्रोमोटर वहां पर खड़े हो कर लाखों करोड़ों डॉलर से कम की तो बात ही न करते।

इसके बावजूद, अब्राहमसन ने इसी कालीन पर अपनी किस्मत का सितारा बुलंद किया था। वह स्टूडियो किराये पर ले कर और बेरोज़गार कलाकारों को काम धंधे पर रख कर सस्ते में फिल्में बनाता था और उन सस्ती स्टेट राइट पिक्चरों को बेचा करता था। इस तरह की फिल्मों को चवन्नी छाप दर्शकों की, पावर्टी रो वाली फिल्में कहा जाता था। स्वर्गीय हैरी कॉन, कोलम्बिया पिक्चर्स के अध्यक्ष भी इन चवन्नी छाप फिल्मों में नज़र आया करते थे।

अब्राहमसन यथार्थवादी आदमी थे। वे इस बात को स्वीकार करते थे कि वे इस किसी कला वला में नहीं, सिर्फ धन कमाने में दिलचस्पी रखते हैं। वे भारी रूसी लहजे में बोलते थे और जिस वक्त अपनी फिल्मों का निर्देशन कर रहे होते, वे मुख्य अभिनेत्री पर चिल्लाते, "ठीक है, पीच्छे की तरफ से आग्गे की तरफ आओ। अब्ब शीशे के सामने आवो, और अपणे आप को देक्खो। ओह, ऐसे नहीं जी, अब्ब आप बीस फुट तक इधर उधर चलो। (मतलब मस्ती से, बीस फिट फिल्म के चलने तक)।" आम तौर पर उनकी नायिका भरे भरे सीने वाली छप्पन छुरी मार्का कोई युवा लड़की होती और उसने ढीला सा खुले गले की कोई पोशाक पहनी होती और भरपूर अंग प्रदर्शन करती। वह नायिका से कहता कि कैमरे की तरफ देक्खो, नीचे झुक्को और अपने तस्में बांधो, या झूला झूलो, या कुत्ते को सहलाओ। मतलब, किसी न किसी तरह सीने के उभार दिखाओ। इसी तरीके से अब्राहमसन ने करोड़ों डॉलर पीटे।

दस लाख वाला ये कालीन सिड ग्राउमैन को सैन फ्रांसिस्को से यहां तक लाया ताकि वे अपनी लॉस एंजेल्स की दस लाख डॉलर की बिल्डिंग का सौदा कर सकें। जैसे जैसे शहर सम्पन्न होता गया, वे भी सम्पन्न होते चले गये। उन्हें अनोखे प्रचार का बहुत शौक था। एक बार उन्होंने लॉस एंजेल्स को हैरान ही कर दिया था। उन्होंने दो टैक्सियां किराये पर लीं। टैक्सियां सड़कों पर दौड़ने लगीं और उनमें बैठे हुए सवार खाली कारतूसों से एक दूसरे पर गोलियां चलाने का नाटक करते रहे। टैक्सियों के पीछे इश्तहार लगे हुए थे जिन पर लिखा था, ग्राउमैन की मिलियन डॉलर थियेटर की आपराधिक दुनिया।

वे नयी नयी शोशेबाजियां खोजने और करने में माहिर थे। सिड का एक अद्भुत आइडिया ये था कि अपने चीनी थियेटर के बाहर गीले सीमेंट पर हॉलीवुड के सितारों के हाथों तथा पैरों के निशान अंकित कराये जायें, कुछ कारणों से सितारों ने निशान दिये भी। बाद में ये ऑस्कर पाने जैसा सम्मान पाने की महत्त्वपूर्ण बात हो गयी थी।

जिस दिन मैं एलेक्जेंड्रिया होटल पहुंचा, होटल के डेस्क क्लर्क ने मुझे विख्यात अभिनेत्री, मिस माउदे फीली की ओर से एक खत दिया। वे सर हेनरी इर्विंग और विलियम जिलेट की प्रमुख अदाकारा रह चुकी थीं। उन्होंने मुझे बुधवार को हॉलीवुड होटल में पावलोवा के सम्मान में दिये जाने वाले डिनर में आमंत्रित किया था। बेशक मैं निमंत्रण पा कर आह्लादित था। हालांकि मैं कभी मिस फीली से मिला नहीं था, मैंने पूरे लंदन में उनके पोस्टकार्ड देखे थे और उनके सौन्दर्य का प्रशंसक था।

डिनर से एक दिन पहले मैंने अपने सचिव से कहा कि वह फोन करके पूछ ले कि ये पार्टी अनौपचारिक है या मैं काली टाई लगा कर आऊं।

"कौन बात कर रहे हैं?" मिस फीली ने पूछा।

"मैं मिस्टर चैप्लिन का सचिव बोल रहा हूं और बुधवार की शाम के उनके आपके साथ होने वाले डिनर के बारे में पूछ रहा हूं।"

ऐसा लगा कि मिस फीली सतर्क हो गयीं,"ओह, निश्चित ही अनौपचारिक।" कहा उन्होंने।

मिस फीली हॉलीवुड होटल की पोर्च में मेरी अगवानी करने के लिए मौजूद थीं। वे हमेशा की तरह प्यारी लग रही थीं। हम आधे घंटे तक इधर उधर की बातें करते रहे। इसके बाद मैं हैरान हो कर सोचने लगा कि बाकी मेहमान कब आयेंगे।