HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-5) books and stories free download online pdf in English

HAPPY NEW YEAR.......2O21 (Part-5)




अबतक आप पढे हैं की बुढा-बुढी ज्यौतिष् को बुलाके शुभ महुरत निकलबाते हैं । पण्ङिंत जी दो दिन के बाद सादी का महुरत देते हैं । अब आगे..........



दो दिन के बाद जानुआ की सादी हो रहा है उसी लेडकी के साथ । सब खुस है मगर बुढा का मन थोडा दुःखी है । बुढी उसको उदास देखके पास आती है । बुढा को पकङ के साइट् में ले जाती है और बोलती है, क्या हुआ है तुम्हे ? क्युं इतना सोच रहे हो ? बुढा मायुस होकर बोलता है, नहीं में सोच रहा था की बच्चें कितनी जल्दी बडे हो जाते हैं ना ? तब वो भुल जाते हैं की कोन उसको जन्म दिया ? कोन पाल पोषके बडा किया ? रो रो के बुढा बोलता है । बुढी उसको चुप् कराते हुये बोलता है, वो सब् तो ठीक् है पर ये सब् सोचके अब क्या फायेदा ? बच्चें बडे होने के बाद मा-बाप के कन्धे का बोझ बढ जाती है । उनके ऊपर कइ सारी जिमेदारीयाँ आ जाती है । और इसी बोझ हटाने केलिए वो लोग कुछना कुछ गलतीयां कर बैठते हैं । कहीं हम भी कुछ गलतीयां कर तो नहीं रहे हैं ?




बुढा बोलता है तु यैसा मत सोच । हम कुछ गलत नहीं कर रहे हैं । हम तो सीफ् उनकी खुसीयां लौटाने की कोसीस कर रहे हैं । बुढी बोलती है, अगर तुम जानते हो जो भी कर रहे हो उनकी खुसी केलिए, तो फिर यैसा वैसा क्युं सोच रहे हो ? एकना एक दिन हमको तो ये करना था, हम आज कर दीये । खुदही देखो तुम्हारा भाई इस सादी से कितना खुस है । तुमही तो बोले थे उस दिन, बच्चों की खुसीमें मा-बाप की पेट भरती है । फिर आज इतना परेसान क्युं हो रहे हो ? क्युं तुम्हारे चेहरे पर इतना उदासी ? बुढा बोलता है, में खुद केलिए नहीं सोच रहा हुं । में तो ये सोच रहा हुं की जब वो मुझसे दूर होगा तब वो कैसे रहेगा अकेला मेरे बिना । उसको तो इस संसार के बारेमें कुछ पता भी नहीं है ।



बुढी उसको बोलती है, तुम सायद कुछ भुल रहे हो । आज उसके सादी के बाद वो अकेला नहीं उनके साथ उनकी बीबी होगी । बुढा बोलता है हाँ तु बीलकुल् ठीक् बोल रही है । बुढी बोलती है अब चलो, सब तुम्हारा इन्तेजार करते होगें, चलो चलते हैं । बुढा-बुढी साथ में चले सादी के मण्ङंप तक और बर-बधू को आर्शीबाद किये ।




नयी बहू की गृहप्रबेश हुई । बुढी जानुआ की बीबी (जानबी) को बोली ये घर आज से तेरा है । तु जैसा चाहेगी यहां वैसा ही रहेगी । तुझे किसीसे डरने की जरुरत नहीं है । जानबी सर हिलाके हाँ बोली । फिर बुढी उसको अपना कमरा तक लेकेगयी । कमरेमें छोडी और बोली ये कमरा तेरी है । अब यहां बैठ, में तेरेलिये सारी लेके आती हुं तु change करलेगी । जानबी बोली नहीं उसकी कोई जरुरत नहीं । में सारी नहीं पेहेनती हुं । और वैसे भी यहां मुझे कोई अच्छी चीज मिलेगी इसकी आशा में नहीं रखती हुं । तुम जाउो, मुझे अकेला रेहने दो । बुढी नयी बहू की ब्यबहार से थोडी चौक गयी । फिर जानबी बोलती है, तुम अभीतक गये नहीं यहां से ? जाउो यहांसे । बुढी नहीं गयी तो जानबी उसको रूम् से बाहर की फिर दरबाजा बन्द करनेबाली थी । झाकं के बोली आयीन्दा यहां आते बक्त knock करके आना । बुढी सीर हिलाके हाँ बोलती है । जानबी बोली ठीक् है जाउो यहां से । वो आयेगें तो जल्दी भेदजदेना अपनी कमरेमें केहके दरबाजा बन्द कर देती है । बुढी ये सब देखके उसकी हीम्मत टुट गयी फिर भी किसीको कुछ नहीं कही । वहां से चुपचाप् निकलगयी अपनी आशुं पोछके ।






TO BE CONTINUE........








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