MIKHAIL: A SUSPENSE - 19 books and stories free download online pdf in Hindi

मिखाइल: एक रहस्य - 19 - अलविदा आगरा

१९८३ में ब्रॉड बंधुओ ने मिलकर द टाकोज़ ट्रक की स्थापना की थी जो एक स्ट्रीट फूड ट्रक था, अपनी अच्छी सेवाएं और स्वादिष्ट खाने की वजह से देखते ही देखते ५ सालो में द टाकोज़ ट्रक की पूरे अमरीका में ९ फ्रेंचाइज़िया खुल चुकी थी जिसमे एक फ्रेंचायज़ी शिकागो में भी थी।

सप्ताह के अंत मे हर शाम रोबर्ट और मिखाइल द टाकोज़ ट्रक की मुलाक़ात लेते थे और इधर उधर की बातें किया करते थे। भारत से अमरीका आये मुरली को ३ साल हो चुके थे लेकिन अभी तक उसने कोई ऐसा काम नही किया था जिससे उसकी कोई पहचान बन सके। आखिर थक हार कर उसने रोबर्ट की कंपनी में एक सेल्स मेन की जॉब ले ली थी जिससे उसका मुश्किल से ही सही लेकिन, गुज़ारा हो जाया करता था।

"सुना है फ़्रेड्डी रोस्फेरो ने एंड्रू के साथ मिल कर कोई डील की है!" अपने कौलिफ़्लोवेर टाकोज़ की एक बाईट लेते हुवे रोबर्ट ने मुरली से पूछा।

"हु केयर्स? सोच रहा हूँ भारत वापिस चला जाऊं।" रोबर्ट की बात में दिलचस्पी लिए बग़ैर मुरली ने अपने टाकोज़ को खाते हुवे कहा।

"लेकिन तुम तो बता रहे थे कि, तुम भारत नही जा सकते?" मुरली को थोड़ा टेंसड देख रोबर्ट ने पूछा।

"मम्मी जी का तार मिला था कि पापाजी को कैंसर है।" रोबर्ट के सवाल का मुरली सिर्फ उतना ही जवाब दे सका। लेकिन उसके दिल-दिमाग मे अनगिनत सवाल, अनगिनत सुख और दुख के लम्हे जो उसने अपने परिवार के साथ कभी बिताये थे एक ही क्षण में एक साथ नज़रो के सामने घूम रहे थे। उसने अपने आप को कभी इतना मजबूर, विवश और लाचार पहले कभी नही पाया था, तब भी नही जब उसे भारत छोड़ना पड़ा रहा था उस दाग के साथ जो अपराध उसने पहले कभी किया ही नही था। एक स्मगलर। लेकिन वो आज बेहद ही लाचार था वो चाह कर भी भारत नही जा सकता था। पूरी मुम्बई की पुलिस मुरली स्मगलर को पकड़ना चाहती थी।

"धेन यु मस्ट गो।" मुरली के मुंह से उसके पिताजी को हुए कैंसर के बारे में सुन रोबर्ट ने उसको भारत लौटने की सलाह देते हुवे कहा।

रॉबर्ट की बात सुन अपना टाकोज़ वही टेबल पर छोड़ मुरली उठकर चलने लगा, मुरली को जाता हुवा देख रोबर्ट भी उसे रोकने के लिए उसके पीछे चल पड़ा। रोबर्ट ने ३ सालो में मुरली को कभी मायूस नही देखा था। थोड़े ही दूर जा कर रोबर्ट ने मुरली को रोक लिया इससे पहले की वो कुछ पूछ सकता मुरली रोबर्ट के कंधे पर अपना सर रख कर उसे हुग करते हुवे रो पड़ा और बस इतना ही बोल सका, "आई कैंट गो बैक, ई जस्ट कैंट"

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गुजरात के मशहूर शहर अहमदाबाद से करीबन 177 किमी दूर, राजकोट से 46 किमी दूर और सुरेन्द्रनगर से करीबन 59 किमी दूर, तीनो शहर के हार्द में एक छोटा सा गांव बसा है जिसकी कुल जनसंख्या २०,००० जितनी है। चोटिला में बसा माँ चामुंडा का मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है जो एक पर्वत पर ज़मीन से 1250 फिट की ऊंचाई पर स्थित है जहाँ लोग दूर दूर से माँ के दर्शन के लिए आते है।

कहा जाता है जब महाकाली देवी को जीतने के लिए चंड और मुंड दोनों दानवो ने आक्रमण किया तब महाकाली देवी ने उनके सर काट कर माँ अंबिका के चरणों मे रख दिये और बदले में माँ अंबिका ने महाकाली देवी को वरदान दिया के वे हमेशा से चामुंडा देवी के रूप में अनंतकाल तक उनकी पूजा की जाएगी।

महाकाली देवी की ही भांति वो भी आज कुछ इसी उद्देश्य से माता चामुंडा की पूजा करने आया था। वो चाहता था कि वो भी उसकी जिंदगी से उन दानवो का अंत करदे जिन्होंने उससे उसका सब कुछ छीन लिया था। अब बस वो रात का इंतेज़ार कर रहा था, और जिस मक़सद से वो यहां आया था उस काम को हर किसी हाल में आज रात उसे पूरा करना था।

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"फिर मिलेंगे, कांटेक्ट में रहना" माहेरा को जय ने हग करते हुवे कहा जो उसे पंडित दिन दयाल उपाध्याय एयरपोर्ट पर छोड़ने के लिए आई थी।

जय की कही बात का माहेरा ने सिर्फ सिर हिलाकर उत्तर दिया। उसका चेहरा थोड़ा नम हो चुका था लेकिन जय को इसके बारे में पता न चल सके इसलिए वो जबरन अपने चेहरे पे मुस्कान लाने का प्रयास कर रही थी। लेकिन फिर भी प्यार छुपाये कहा छुपता है, जय को माहेरा की वो मुस्कुराहट में भी पता चल गया कि उसके जाने के बाद माहेरा उसको कितनी मिस करनेवाली थी।

"अगली बार जब भारत आऊंगा तब तुमको बताऊंगा की मेरी ट्रिप कहा पर है, अगर वक़्त हो तो तुम मुझे जॉइन कर सकती हो।" जय की कही हुई बात से माहेरा के दिल को थोड़ी तसल्ली ज़रूर मिली लेकिन फिर भी उसका दिल एक सवाल बार बार पूछ रहा था, "अगली मुलाक़ात कब होगी, होगी भी की नही?"

दिल दिमाग मे चल रही इसी उथलपुथल के बीच माहेरा ने जय को अलविदा कहा और ज़िन्दगी का एक हसीन सफर खत्म हुआ, एक आनेवाले बेहतर कल की उम्मीद में, क्योकि ज़िन्दगी रोमांच से भरी पड़ी है कोई नही कह सकता अगले पल क्या होनेवाला है। ऊपरवाले से बड़ा और कोई जादूगर नही।

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